कड़वे प्रवचन सुने🙅राम नाम जपने से राम की मुक्ति हुई आँखे खोलो🎁सन्त सन्त श्री
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- เผยแพร่เมื่อ 16 ต.ค. 2024
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राम का नाम जपना भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे साधारणतया आत्मा की शांति, ध्यान, और मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।
राम का नाम जपना, विशेषकर "राम-नाम जप", संतों और भक्तों द्वारा आत्मसाक्षात्कार और मुक्ति के साधन के रूप में बहुत अधिक प्रचारित किया गया है। तुलसीदास ने अपनी रचनाओं में राम के नाम की महिमा का वर्णन किया है। उन्होंने कहा, "सियाराम मय सब जग जानी, करहुं प्रनाम जोरी जुग पानी।" तुलसीदास ने राम के नाम को सभी दुखों से मुक्ति का साधन बताया।
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, राम का नाम जपने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और वह ईश्वर के निकट पहुंच जाता है। श्रीमद्भगवद्गीता में भी कहा गया है कि भगवान के नाम का जप आत्मा को शुद्ध करता है और उसे मोक्ष की ओर ले जाता है। इस विचारधारा के अनुसार, राम का नाम जपना ध्यान, साधना और आत्मानुभूति का एक महत्वपूर्ण साधन है।
राम का नाम जपने के लिए नियमितता और भक्ति आवश्यक मानी जाती है। जब व्यक्ति ईमानदारी से और पूरी श्रद्धा से राम का नाम जपता है, तो उसका मन और हृदय पवित्र हो जाता है। यह पवित्रता व्यक्ति को उसकी आत्मा से जोड़ती है और अंततः उसे मोक्ष की ओर अग्रसर करती है।
हालांकि, केवल नाम जपना ही पर्याप्त नहीं है। मुक्ति प्राप्ति के लिए व्यक्ति को अपने कर्म, आचरण और विचारों में भी पवित्रता और सत्यनिष्ठा लानी होगी। राम का नाम जपना इस दिशा में सहायक हो सकता है, परंतु इसे अपने जीवन के सभी पहलुओं में समाहित करना भी उतना ही आवश्यक है।
अतः, राम का नाम जपने से मुक्ति संभव है, लेकिन इसे संपूर्ण भक्ति, ईमानदारी और पवित्रता के साथ करना चाहिए। यह मात्र एक साधन है जो आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की दिशा में व्यक्ति की यात्रा को सुगम बनाता है।
साहेब बन्दगी🎉🎉🎉❤❤❤
saheb bandagi 🙏🙏🙏
बगबहुत सुंदर सटीक बात बोले है आप साहेब,🥰👳🌱
Good🎉🎉❤❤
Good🎉🎉
Good❤❤❤
रामपाल एक फर्जी कहानी और बता बता रहा है कि कबीर परमात्मा स-शरीर वाराणसी,लहरतारा में आए थे और 21 दिन भूखे रहे तब जाकर उन्होंने भगवान शंकर को ब्राह्मण भैंस में बुलाया. और शंकर भगवान को कहा की कुंवारी गाय के ऊपर हाथ रख दे तू कुंवारी गाय दूध देगी और उस दूध से कबीर परमात्मा का आहार व्यवस्था बनेगी. इसका प्रमाण ऋग्वेद -9 मडल में दिया है, रामपाल ने ऐसा बताया, वेद में इस तरह की स्टोरी तो कहीं है नहीं. मंत्र में ऋषि ,देवता छंद व्याकरण. रामपाल को कुछ भी नहीं मालूम है.