मेरे मौला को मयस्सर है ख़ज़ाना कैसा! इनका रुतबा है इमामों में शहाना कैसा! कैसे-कैसे हैं नसीबो में उजाले इनके! मेरे आक़ा को मिला है ये घराना कैसा! मरहबा! मरहबा! मुस्तफ़ा की बात में बा-ख़ुदा बा-ख़ुदा सारी कायनात में गूंज रहा है बस एक नाम… हज़रत इमाम हुसैन अ़लै हिस्सलाम हज़रत इमाम हुसैन अ़लै हिस्सलाम
Mashallah zindabad mola salamat rekhan
Subhanallah subhanallah
Mashaallha
Shukriya bahut bahut hosla afzai ke liye
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मेरे मौला को मयस्सर है ख़ज़ाना कैसा!
इनका रुतबा है इमामों में शहाना कैसा!
कैसे-कैसे हैं नसीबो में उजाले इनके!
मेरे आक़ा को मिला है ये घराना कैसा!
मरहबा! मरहबा! मुस्तफ़ा की बात में
बा-ख़ुदा बा-ख़ुदा सारी कायनात में
गूंज रहा है बस एक नाम…
हज़रत इमाम हुसैन अ़लै हिस्सलाम
हज़रत इमाम हुसैन अ़लै हिस्सलाम
اسی محفل میں سرور نواب صاحب نے جو کلام پڑھا وہ بھی عنایت کیجیے
Ji zaroor
Shukriya bahut bahut hosla afzai ke liye
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