लखनऊ दुनिया भर में नवाबों के शहर के नाम से मशहूर है। लखनऊ के मौजूदा स्वरूप की स्थापना अवध के नवाब आसफ़ुद्दौला ने सन् 1775 में की थी... जब वो अवध की राजधानी को फ़ैज़ाबाद से लखनऊ ले आए। नवाबीने अवध के दौर में इस शहर की शानो शौकत खूब परवान चढ़ी। जिसका अक्स आलीशान इमारतों के तौर पर आज भी मौजूद है.... लखनऊ अपने दामन में कई बुलंद और ऐतिहासिक इमारतें समेटे हुए है.... जो दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी तरफ़ खींचती हैं। ......... इन्हीं इमारतों में से एक है रूमी दरवाज़ा... जो लखनऊ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। लखनऊ का यह भवन विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान रखता है। नवाब आसिफ़उद्दौला ने सन्ं 1786 में इस दरवाज़े का निर्माण कराया था। यह दरवाज़ा लखनऊ का सिग्न्चर बिल्डिंग यानि पहचान है। अवध वास्तुकला के प्रतीक इस दरवाजे को तुर्किश गेट भी कहा जाता है। 62 फीट ऊंचे इस आलीशान गेट को उस दौर के मशहूर वास्तुशिल्पी किफायतउल्ला की देखरेख में बनाया गया था। रूमी दरवाजे में चंद्राकार अर्धगुंबद को बखूबी रोका गया है। इसके सबसे ऊपरी हिस्से पर ज़मीन से 60 फीट ऊपर एक अठपहलू छतरी बनी है, वहां तक जाने के लिए सीढ़ीनुमा रास्ता मौजूद है। पश्चिम की ओर से रूमी दरवाजे की रूपरेखा त्रिपोलिया जैसी है जबकि पूर्व की ओर से यह पंचमहल मालूम होता है। दरवाजे के दोनों तरफ तीन मंजिला हवादार परकोटा बना हुआ है, जिसके सिरे पर आठ पहलू वाले बुर्ज हैं जिन पर गुंबद नहीं है। रूमी दरवाजे की सजावट भी निराली है.... यही खासियतें इस आलीशान रूमी दरवाज़े को दुनिया के मशहूर पर्ययटन स्थलों में से एक बना देती हैं। रूमी दरवाज़े के बिल्कुल नज़दीक एक और विश्व प्रसिद्ध इमारत है... जिसे बड़ा इमामबाड़ा कहा जाता है। इसका निर्माण भी नवाब आसिफ़ुद्दौला के शासनकाल में हुआ था। इस विशालकाय इमारत के बारे में बताया जाता है कि एक बार सन् 1784 में भयंकर अकाल पड़ गया था। तब अकाल राहत परियोजना के तहत इस बड़े इमामबाड़े का निर्माण कराया गया ताकि लोगों को काम मिल सके और उनका जीवनयापन हो सके। इस भव्य इमारत को बनाने में 10 साल लगे और बड़ा इमामबाड़ा सन् 1794 में बनकर तैयार हुआ। ईरानी निर्माण शैली की यह विशाल गुंबदनुमा इमारत देखने करने लायक है। जिसके निर्माण में लखौरी इंटों के साथ सुर्खी, चूने और दालों के साथ गोंद का इस्तेमाल किया गया है। इसकी विशालकाय छत को रोकने के लिए लोहे का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं किया गया। इमारत की छत तक जाने के लिए 1084 सीढ़ियां हैं जो ऐसे रास्ते से जाती हैं जो अन्जान व्यक्ति को भ्रम में डाल दें.... इसे ही भूल भुलैया कहा जाता है। इस इमारत की कल्पना और कारीगरी कमाल की है। ऐसे झरोखे बनाए गये हैं जहाँ वे मुख्य द्वारों से प्रविष्ट होने वाले हर व्यक्ति पर नज़र रखी जा सकती है जबकि झरोखे में बैठे व्यक्ति को बाहर से नहीं देखा जा सकता। दीवारों को इस तकनीक से बनाया गया है कि यदि कोई फुसफुसाकर भी बात करे तो दूर तक आवाज साफ़ सुनाई पड़ती है। बड़े इमामबाड़े की छत पर खड़े होकर लखनऊ का नज़ारा बेहद खूबसूरत लगता है। बड़े इमामबाड़े से थोड़ी दूर ही छोटा इमामबाड़ा है। जिसे मोहम्मद अली शाह ने 1837 में बनवाया था। खूबसूरती के लिहाज़ से ये इमारत भी देखने लायक़ है। इसके अलावा लखनऊ का घंटाघर भी ऐतिहासिक और वास्तुशिल्प के लिहाज़ से महत्वपूर्ण इमारत है। इसे ब्रिटिश वास्तुकला के सबसे बेहतरीन नमूनों में माना जाता है। 211 फीट ऊंचे इस घंटाघर का निर्माण अवध के आठवें नवाब नवाब नसीरूद्दीन हैदर ने सर जार्ज कूपर के आगमन पर करवाया था। जो अवध प्रान्त के प्रथम लेफ्टिनेंट गवर्नर थे। इसका निर्माण 1881 से शुरू हुया और ये सन् 1887 में बनकर तैयार हुआ। ये भारत का सबसे ऊंचा घंटाघर है। इसके अलावा लखनऊ में और भी कई ऐसी इमारतें हैं जो इतिहास के सुनहरे अध्याय को अपने में समेटे हुए हैं। इनमें सतखंडा, सफ़ेद और लाल बारादरी, परीख़ाना, नवाब सआदत अली खां का मक़बरा, छतर मंज़िल शामिल हैं।
अरबाज़ साहब, इतिहास की जानकारी करो, किताबों में पढ़ कर बोलो, न तो रूमी गेट रूमी नाम के किसी बादशाह या नवाब ने बनवाया था और न ही सतखंडा मनहूस इमारत है, रूमी गेट नवाब आसिफुद्दौला ने बनवाया था, और सतखंडा इमारत जो नवाब बनवा रहे थे वो इमारत पूरी नहीं करवा पाए और बीच में ही मर गए।
अरबाज़ साहब, इतिहास की जानकारी करो, किताबों में पढ़ कर बोलो, न तो रूमी गेट रूमी नाम के किसी बादशाह या नवाब ने बनवाया था और न ही सतखंडा मनहूस इमारत है, रूमी गेट नवाब आसिफुद्दौला ने बनवाया था, और सतखंडा इमारत जो नवाब बनवा रहे थे वो इमारत पूरी नहीं करवा पाए और बीच में ही मर गए।
Mashallah.. Mughals Ne Hamare Bharat Ko Bahut Khubsurat Emarate Dii Hai...Joo Aaj Hum Faqar Se Kahete Hai Mera Bharat Mahan..Jai Hind Jai Bharat 🇮🇳❤️👍🏻
अरबाज़ साहब, इतिहास की जानकारी करो, किताबों में पढ़ कर बोलो, न तो रूमी गेट रूमी नाम के किसी बादशाह या नवाब ने बनवाया था और न ही सतखंडा मनहूस इमारत है, रूमी गेट नवाब आसिफुद्दौला ने बनवाया था, और सतखंडा इमारत जो नवाब बनवा रहे थे वो इमारत पूरी नहीं करवा पाए और बीच में ही मर गए।
अरबाज़ साहब, इतिहास की जानकारी करो, किताबों में पढ़ कर बोलो, न तो रूमी गेट रूमी नाम के किसी बादशाह या नवाब ने बनवाया था और न ही सतखंडा मनहूस इमारत है, रूमी गेट नवाब आसिफुद्दौला ने बनवाया था, और सतखंडा इमारत जो नवाब बनवा रहे थे वो इमारत पूरी नहीं करवा पाए और बीच में ही मर गए।
❤️❤️❤️ Bismillah Rahman e Raheem Assalamualeykum Rahmatullahi Barkatuh ❤️ world class presentation ❤️ it's to be taken aback ❤️ very best wishes for your future ❤️ Muskuraeye Aap Lucknow me hain ❤️ Hamara Awesome Incredible Lucknow ❤️
Isme aapko ander bhi jana tha aur uper bhi jana tha,,,, is time kaam bhi ho raha h waha,,, to aapko entry mil jaati bhai,, main bachpan se aise hi dekh raha hu socha aap ander gae hoge,,, par afsos ki nhi ho paya apse bhi main lucknow me rahta hu na clock tower ke ander ga ya na roomi gate ke ander jaa paya 😭😭😭😭😭
12sal me kya kya bana sakte the jo kam me ajaye praja ko kam ki mazduri bhi mil jati aor 12sal me bhot bada projects bankar tayyar ho jata jo logo ke kam ata yaha mazduri to milgai lekin paesa sahi jagah nahi laga hai kiuke 12salsirf bajane aor todne me lage hai
अरबाज़ साहब, इतिहास की जानकारी करो, किताबों में पढ़ कर बोलो, न तो रूमी गेट रूमी नाम के किसी बादशाह या नवाब ने बनवाया था और न ही सतखंडा मनहूस इमारत है, रूमी गेट नवाब आसिफुद्दौला ने बनवाया था, और सतखंडा इमारत जो नवाब बनवा रहे थे वो इमारत पूरी नहीं करवा पाए और बीच में ही मर गए।
लखनऊ दुनिया भर में नवाबों के शहर के नाम से मशहूर है। लखनऊ के मौजूदा स्वरूप की स्थापना अवध के नवाब आसफ़ुद्दौला ने सन् 1775 में की थी... जब वो अवध की राजधानी को फ़ैज़ाबाद से लखनऊ ले आए। नवाबीने अवध के दौर में इस शहर की शानो शौकत खूब परवान चढ़ी। जिसका अक्स आलीशान इमारतों के तौर पर आज भी मौजूद है.... लखनऊ अपने दामन में कई बुलंद और ऐतिहासिक इमारतें समेटे हुए है.... जो दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी तरफ़ खींचती हैं। ......... इन्हीं इमारतों में से एक है रूमी दरवाज़ा... जो लखनऊ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। लखनऊ का यह भवन विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान रखता है। नवाब आसिफ़उद्दौला ने सन्ं 1786 में इस दरवाज़े का निर्माण कराया था। यह दरवाज़ा लखनऊ का सिग्न्चर बिल्डिंग यानि पहचान है। अवध वास्तुकला के प्रतीक इस दरवाजे को तुर्किश गेट भी कहा जाता है। 62 फीट ऊंचे इस आलीशान गेट को उस दौर के मशहूर वास्तुशिल्पी किफायतउल्ला की देखरेख में बनाया गया था। रूमी दरवाजे में चंद्राकार अर्धगुंबद को बखूबी रोका गया है। इसके सबसे ऊपरी हिस्से पर ज़मीन से 60 फीट ऊपर एक अठपहलू छतरी बनी है, वहां तक जाने के लिए सीढ़ीनुमा रास्ता मौजूद है। पश्चिम की ओर से रूमी दरवाजे की रूपरेखा त्रिपोलिया जैसी है जबकि पूर्व की ओर से यह पंचमहल मालूम होता है। दरवाजे के दोनों तरफ तीन मंजिला हवादार परकोटा बना हुआ है, जिसके सिरे पर आठ पहलू वाले बुर्ज हैं जिन पर गुंबद नहीं है। रूमी दरवाजे की सजावट भी निराली है.... यही खासियतें इस आलीशान रूमी दरवाज़े को दुनिया के मशहूर पर्ययटन स्थलों में से एक बना देती हैं। रूमी दरवाज़े के बिल्कुल नज़दीक एक और विश्व प्रसिद्ध इमारत है... जिसे बड़ा इमामबाड़ा कहा जाता है। इसका निर्माण भी नवाब आसिफ़ुद्दौला के शासनकाल में हुआ था। इस विशालकाय इमारत के बारे में बताया जाता है कि एक बार सन् 1784 में भयंकर अकाल पड़ गया था। तब अकाल राहत परियोजना के तहत इस बड़े इमामबाड़े का निर्माण कराया गया ताकि लोगों को काम मिल सके और उनका जीवनयापन हो सके। इस भव्य इमारत को बनाने में 10 साल लगे और बड़ा इमामबाड़ा सन् 1794 में बनकर तैयार हुआ। ईरानी निर्माण शैली की यह विशाल गुंबदनुमा इमारत देखने करने लायक है। जिसके निर्माण में लखौरी इंटों के साथ सुर्खी, चूने और दालों के साथ गोंद का इस्तेमाल किया गया है। इसकी विशालकाय छत को रोकने के लिए लोहे का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं किया गया। इमारत की छत तक जाने के लिए 1084 सीढ़ियां हैं जो ऐसे रास्ते से जाती हैं जो अन्जान व्यक्ति को भ्रम में डाल दें.... इसे ही भूल भुलैया कहा जाता है। इस इमारत की कल्पना और कारीगरी कमाल की है। ऐसे झरोखे बनाए गये हैं जहाँ वे मुख्य द्वारों से प्रविष्ट होने वाले हर व्यक्ति पर नज़र रखी जा सकती है जबकि झरोखे में बैठे व्यक्ति को बाहर से नहीं देखा जा सकता। दीवारों को इस तकनीक से बनाया गया है कि यदि कोई फुसफुसाकर भी बात करे तो दूर तक आवाज साफ़ सुनाई पड़ती है। बड़े इमामबाड़े की छत पर खड़े होकर लखनऊ का नज़ारा बेहद खूबसूरत लगता है। बड़े इमामबाड़े से थोड़ी दूर ही छोटा इमामबाड़ा है। जिसे मोहम्मद अली शाह ने 1837 में बनवाया था। खूबसूरती के लिहाज़ से ये इमारत भी देखने लायक़ है। इसके अलावा लखनऊ का घंटाघर भी ऐतिहासिक और वास्तुशिल्प के लिहाज़ से महत्वपूर्ण इमारत है। इसे ब्रिटिश वास्तुकला के सबसे बेहतरीन नमूनों में माना जाता है। 211 फीट ऊंचे इस घंटाघर का निर्माण अवध के आठवें नवाब नवाब नसीरूद्दीन हैदर ने सर जार्ज कूपर के आगमन पर करवाया था। जो अवध प्रान्त के प्रथम लेफ्टिनेंट गवर्नर थे। इसका निर्माण 1881 से शुरू हुया और ये सन् 1887 में बनकर तैयार हुआ। ये भारत का सबसे ऊंचा घंटाघर है। इसके अलावा लखनऊ में और भी कई ऐसी इमारतें हैं जो इतिहास के सुनहरे अध्याय को अपने में समेटे हुए हैं। इनमें सतखंडा, सफ़ेद और लाल बारादरी, परीख़ाना, नवाब सआदत अली खां का मक़बरा, छतर मंज़िल शामिल हैं।
अरबाज़ साहब, इतिहास की जानकारी करो, किताबों में पढ़ कर बोलो, न तो रूमी गेट रूमी नाम के किसी बादशाह या नवाब ने बनवाया था और न ही सतखंडा मनहूस इमारत है, रूमी गेट नवाब आसिफुद्दौला ने बनवाया था, और सतखंडा इमारत जो नवाब बनवा रहे थे वो इमारत पूरी नहीं करवा पाए और बीच में ही मर गए।
Are to dusri building bnva lete usi ko baar baar bnvane ka drama kyo kiya Kya yrr tum bhi fake rahe ho asli baat kuchh aur hi hogi Tumse axa to pravin mohan hindi ka vlog dekh le
Mashaall bohot shandar nazare hen Shukriya bhai
Masha Allah video bhai ❤️ Allah bless
लखनऊ दुनिया भर में नवाबों के शहर के नाम से मशहूर है। लखनऊ के मौजूदा स्वरूप की स्थापना अवध के नवाब आसफ़ुद्दौला ने सन् 1775 में की थी... जब वो अवध की राजधानी को फ़ैज़ाबाद से लखनऊ ले आए। नवाबीने अवध के दौर में इस शहर की शानो शौकत खूब परवान चढ़ी। जिसका अक्स आलीशान इमारतों के तौर पर आज भी मौजूद है.... लखनऊ अपने दामन में कई बुलंद और ऐतिहासिक इमारतें समेटे हुए है.... जो दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी तरफ़ खींचती हैं। ......... इन्हीं इमारतों में से एक है रूमी दरवाज़ा... जो लखनऊ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। लखनऊ का यह भवन विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान रखता है। नवाब आसिफ़उद्दौला ने सन्ं 1786 में इस दरवाज़े का निर्माण कराया था। यह दरवाज़ा लखनऊ का सिग्न्चर बिल्डिंग यानि पहचान है। अवध वास्तुकला के प्रतीक इस दरवाजे को तुर्किश गेट भी कहा जाता है। 62 फीट ऊंचे इस आलीशान गेट को उस दौर के मशहूर वास्तुशिल्पी किफायतउल्ला की देखरेख में बनाया गया था। रूमी दरवाजे में चंद्राकार अर्धगुंबद को बखूबी रोका गया है। इसके सबसे ऊपरी हिस्से पर ज़मीन से 60 फीट ऊपर एक अठपहलू छतरी बनी है, वहां तक जाने के लिए सीढ़ीनुमा रास्ता मौजूद है। पश्चिम की ओर से रूमी दरवाजे की रूपरेखा त्रिपोलिया जैसी है जबकि पूर्व की ओर से यह पंचमहल मालूम होता है। दरवाजे के दोनों तरफ तीन मंजिला हवादार परकोटा बना हुआ है, जिसके सिरे पर आठ पहलू वाले बुर्ज हैं जिन पर गुंबद नहीं है। रूमी दरवाजे की सजावट भी निराली है.... यही खासियतें इस आलीशान रूमी दरवाज़े को दुनिया के मशहूर पर्ययटन स्थलों में से एक बना देती हैं।
रूमी दरवाज़े के बिल्कुल नज़दीक एक और विश्व प्रसिद्ध इमारत है... जिसे बड़ा इमामबाड़ा कहा जाता है। इसका निर्माण भी नवाब आसिफ़ुद्दौला के शासनकाल में हुआ था। इस विशालकाय इमारत के बारे में बताया जाता है कि एक बार सन् 1784 में भयंकर अकाल पड़ गया था। तब अकाल राहत परियोजना के तहत इस बड़े इमामबाड़े का निर्माण कराया गया ताकि लोगों को काम मिल सके और उनका जीवनयापन हो सके। इस भव्य इमारत को बनाने में 10 साल लगे और बड़ा इमामबाड़ा सन् 1794 में बनकर तैयार हुआ। ईरानी निर्माण शैली की यह विशाल गुंबदनुमा इमारत देखने करने लायक है। जिसके निर्माण में लखौरी इंटों के साथ सुर्खी, चूने और दालों के साथ गोंद का इस्तेमाल किया गया है। इसकी विशालकाय छत को रोकने के लिए लोहे का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं किया गया। इमारत की छत तक जाने के लिए 1084 सीढ़ियां हैं जो ऐसे रास्ते से जाती हैं जो अन्जान व्यक्ति को भ्रम में डाल दें.... इसे ही भूल भुलैया कहा जाता है। इस इमारत की कल्पना और कारीगरी कमाल की है। ऐसे झरोखे बनाए गये हैं जहाँ वे मुख्य द्वारों से प्रविष्ट होने वाले हर व्यक्ति पर नज़र रखी जा सकती है जबकि झरोखे में बैठे व्यक्ति को बाहर से नहीं देखा जा सकता। दीवारों को इस तकनीक से बनाया गया है कि यदि कोई फुसफुसाकर भी बात करे तो दूर तक आवाज साफ़ सुनाई पड़ती है। बड़े इमामबाड़े की छत पर खड़े होकर लखनऊ का नज़ारा बेहद खूबसूरत लगता है। बड़े इमामबाड़े से थोड़ी दूर ही छोटा इमामबाड़ा है। जिसे मोहम्मद अली शाह ने 1837 में बनवाया था। खूबसूरती के लिहाज़ से ये इमारत भी देखने लायक़ है।
इसके अलावा लखनऊ का घंटाघर भी ऐतिहासिक और वास्तुशिल्प के लिहाज़ से महत्वपूर्ण इमारत है। इसे ब्रिटिश वास्तुकला के सबसे बेहतरीन नमूनों में माना जाता है। 211 फीट ऊंचे इस घंटाघर का निर्माण अवध के आठवें नवाब नवाब नसीरूद्दीन हैदर ने सर जार्ज कूपर के आगमन पर करवाया था। जो अवध प्रान्त के प्रथम लेफ्टिनेंट गवर्नर थे। इसका निर्माण 1881 से शुरू हुया और ये सन् 1887 में बनकर तैयार हुआ। ये भारत का सबसे ऊंचा घंटाघर है। इसके अलावा लखनऊ में और भी कई ऐसी इमारतें हैं जो इतिहास के सुनहरे अध्याय को अपने में समेटे हुए हैं। इनमें सतखंडा, सफ़ेद और लाल बारादरी, परीख़ाना, नवाब सआदत अली खां का मक़बरा, छतर मंज़िल शामिल हैं।
I like Lucknow for its Urdu and thziab
Mashaallah .Arbaaz Sir bahut achha vlog bnaya hai .
अरबाज़ साहब, इतिहास की जानकारी करो, किताबों में पढ़ कर बोलो, न तो रूमी गेट रूमी नाम के किसी बादशाह या नवाब ने बनवाया था और न ही सतखंडा मनहूस इमारत है, रूमी गेट नवाब आसिफुद्दौला ने बनवाया था, और सतखंडा इमारत जो नवाब बनवा रहे थे वो इमारत पूरी नहीं करवा पाए और बीच में ही मर गए।
Welcome brother. This is my home town. 👍😊🌹
Mera bhi ❤️👍
अरबाज़ साहब, इतिहास की जानकारी करो, किताबों में पढ़ कर बोलो, न तो रूमी गेट रूमी नाम के किसी बादशाह या नवाब ने बनवाया था और न ही सतखंडा मनहूस इमारत है, रूमी गेट नवाब आसिफुद्दौला ने बनवाया था, और सतखंडा इमारत जो नवाब बनवा रहे थे वो इमारत पूरी नहीं करवा पाए और बीच में ही मर गए।
Masha Allah
Very good ye gate ki jo khubiya hai vo sirf nawab hi bana sake baki kisi ki takat nahi
Masha Allah subhan Allah janab Arbaj sir so looking
Assalam walikum
Bahut Achcha block Banaya aapane Arbaaz bhai
MashaAllah 💞❤😍🥰🤗🤩
Sarji , aap Lucknow ki army
residency and museum par
ek detailed vlog banaiye.
Mashallah.. Mughals Ne Hamare Bharat Ko Bahut Khubsurat Emarate Dii Hai...Joo Aaj Hum Faqar Se Kahete Hai Mera Bharat Mahan..Jai Hind Jai Bharat 🇮🇳❤️👍🏻
अरबाज़ साहब, इतिहास की जानकारी करो, किताबों में पढ़ कर बोलो, न तो रूमी गेट रूमी नाम के किसी बादशाह या नवाब ने बनवाया था और न ही सतखंडा मनहूस इमारत है, रूमी गेट नवाब आसिफुद्दौला ने बनवाया था, और सतखंडा इमारत जो नवाब बनवा रहे थे वो इमारत पूरी नहीं करवा पाए और बीच में ही मर गए।
Thanks for making video sir👍
Bahut badhiya ❤️
Beautiful location thanks bhai
Beautiful ♥️
Nice Bhai
Allah apko lambi umr de. Ameen
Asslam alekum aap gaye the kya waha par ji abi good morning
King Always Be A King 👑🇮🇳❤️
Agar itna hi paisa tha to masjid tameerat karbate rahte 11 saal tak majduro ko unki majduri bhi milti sath me raza ko sabab bhi milta
Masha Allha 👌👌😊
Great Job Vai 👍❤️👏WB.
भाई आप ने इतनी जगह दिखा दी काश हम कभी नहीं देख पाएंगे अल्लाह सबको गुहामना नसीब अता फरमाए
अरबाज़ साहब, इतिहास की जानकारी करो, किताबों में पढ़ कर बोलो, न तो रूमी गेट रूमी नाम के किसी बादशाह या नवाब ने बनवाया था और न ही सतखंडा मनहूस इमारत है, रूमी गेट नवाब आसिफुद्दौला ने बनवाया था, और सतखंडा इमारत जो नवाब बनवा रहे थे वो इमारत पूरी नहीं करवा पाए और बीच में ही मर गए।
❤️❤️❤️ Bismillah Rahman e Raheem Assalamualeykum Rahmatullahi Barkatuh ❤️ world class presentation ❤️ it's to be taken aback ❤️ very best wishes for your future ❤️ Muskuraeye Aap Lucknow me hain ❤️ Hamara Awesome Incredible Lucknow ❤️
Lacknow ki to shan hi nirali hy our sham bhi
Nice 👍👍👍👍
Bahut khuub .aap aye hamare lucknow mein .
Your are doing awesome work Bhai.....
Mashaallha .. Bhai
Mashallah bahut khoob Bhai
RIVER FRONT JAYE BHAI SO LOOKING BEAUTIFUL 🥰🥰🤗🤗🤗
Aap gaye the kya waha par ji abi
Aap ki profile Mashalla hai very nice profile good morning
Very nice good super bhie jaan news
Arbaaz bhai 👌💐💐💐💐💐💐💐💐
Nice vlog...I also like travelling a lot..bht achha explain kiya aapne...ur new subscriber 😊😊
Asslam alekum aap gaye the kya waha par ji abi
Aap ki profile Mashalla hai very nice profile good morning
@@WasimKhan-gb3cg waleykumassalam ...daily dekhti hun iss gate ko
@@happyhealthbydrhira Asslam alekum oho Mashalla aap waha par rahete ho kya ji
@@happyhealthbydrhira Asslam alekum aap ko ek baat puchna chate hai Mumtaz ji
Sandar
Plz come Aurangabad...
Iam u r biggest fan from Aurangabad Maharashtra...
MY LKO BEST🤗🤗🤗🤗🤗
Very nice good super 👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍
Good
Shukriya bhai aap lucknow ki video banaye
Bohot shukriya bhai imam bada ke baare mai bhi dikhate
Masha Allah nice
Masaallah 👍👍👍
Very nice video
Nice
Bhai faizabad ayodhya kab a rahe ho
Kis nawab na ya building bnie the
Teele wali masjid kabhi volog banaaiye plz❤️😘
Masha Allah bhai...mujhe aap se milna hai bhai
Nice video
Lucknow me kaha h app meeting ho sakti h
Jab bhi aap baat karein background music slow kardein bhai....isliye samajh nahi aati apki bat
Isme aapko ander bhi jana tha aur uper bhi jana tha,,,, is time kaam bhi ho raha h waha,,, to aapko entry mil jaati bhai,, main bachpan se aise hi dekh raha hu socha aap ander gae hoge,,, par afsos ki nhi ho paya apse bhi main lucknow me rahta hu na clock tower ke ander ga ya na roomi gate ke ander jaa paya 😭😭😭😭😭
12sal me kya kya bana sakte the jo kam me ajaye praja ko kam ki mazduri bhi mil jati aor 12sal me bhot bada projects bankar tayyar ho jata jo logo ke kam ata yaha mazduri to milgai lekin paesa sahi jagah nahi laga hai kiuke 12salsirf bajane aor todne me lage hai
Maine bhi iska didar kiya hai bhai
Allah hafeij
Arbaaz sahab ghalat history mat bataiye gate ki history aisi nahi hai jaisi aap ne batai hai i am also frm lucknow
अरबाज़ साहब, इतिहास की जानकारी करो, किताबों में पढ़ कर बोलो, न तो रूमी गेट रूमी नाम के किसी बादशाह या नवाब ने बनवाया था और न ही सतखंडा मनहूस इमारत है, रूमी गेट नवाब आसिफुद्दौला ने बनवाया था, और सतखंडा इमारत जो नवाब बनवा रहे थे वो इमारत पूरी नहीं करवा पाए और बीच में ही मर गए।
लखनऊ दुनिया भर में नवाबों के शहर के नाम से मशहूर है। लखनऊ के मौजूदा स्वरूप की स्थापना अवध के नवाब आसफ़ुद्दौला ने सन् 1775 में की थी... जब वो अवध की राजधानी को फ़ैज़ाबाद से लखनऊ ले आए। नवाबीने अवध के दौर में इस शहर की शानो शौकत खूब परवान चढ़ी। जिसका अक्स आलीशान इमारतों के तौर पर आज भी मौजूद है.... लखनऊ अपने दामन में कई बुलंद और ऐतिहासिक इमारतें समेटे हुए है.... जो दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी तरफ़ खींचती हैं। ......... इन्हीं इमारतों में से एक है रूमी दरवाज़ा... जो लखनऊ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। लखनऊ का यह भवन विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान रखता है। नवाब आसिफ़उद्दौला ने सन्ं 1786 में इस दरवाज़े का निर्माण कराया था। यह दरवाज़ा लखनऊ का सिग्न्चर बिल्डिंग यानि पहचान है। अवध वास्तुकला के प्रतीक इस दरवाजे को तुर्किश गेट भी कहा जाता है। 62 फीट ऊंचे इस आलीशान गेट को उस दौर के मशहूर वास्तुशिल्पी किफायतउल्ला की देखरेख में बनाया गया था। रूमी दरवाजे में चंद्राकार अर्धगुंबद को बखूबी रोका गया है। इसके सबसे ऊपरी हिस्से पर ज़मीन से 60 फीट ऊपर एक अठपहलू छतरी बनी है, वहां तक जाने के लिए सीढ़ीनुमा रास्ता मौजूद है। पश्चिम की ओर से रूमी दरवाजे की रूपरेखा त्रिपोलिया जैसी है जबकि पूर्व की ओर से यह पंचमहल मालूम होता है। दरवाजे के दोनों तरफ तीन मंजिला हवादार परकोटा बना हुआ है, जिसके सिरे पर आठ पहलू वाले बुर्ज हैं जिन पर गुंबद नहीं है। रूमी दरवाजे की सजावट भी निराली है.... यही खासियतें इस आलीशान रूमी दरवाज़े को दुनिया के मशहूर पर्ययटन स्थलों में से एक बना देती हैं।
रूमी दरवाज़े के बिल्कुल नज़दीक एक और विश्व प्रसिद्ध इमारत है... जिसे बड़ा इमामबाड़ा कहा जाता है। इसका निर्माण भी नवाब आसिफ़ुद्दौला के शासनकाल में हुआ था। इस विशालकाय इमारत के बारे में बताया जाता है कि एक बार सन् 1784 में भयंकर अकाल पड़ गया था। तब अकाल राहत परियोजना के तहत इस बड़े इमामबाड़े का निर्माण कराया गया ताकि लोगों को काम मिल सके और उनका जीवनयापन हो सके। इस भव्य इमारत को बनाने में 10 साल लगे और बड़ा इमामबाड़ा सन् 1794 में बनकर तैयार हुआ। ईरानी निर्माण शैली की यह विशाल गुंबदनुमा इमारत देखने करने लायक है। जिसके निर्माण में लखौरी इंटों के साथ सुर्खी, चूने और दालों के साथ गोंद का इस्तेमाल किया गया है। इसकी विशालकाय छत को रोकने के लिए लोहे का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं किया गया। इमारत की छत तक जाने के लिए 1084 सीढ़ियां हैं जो ऐसे रास्ते से जाती हैं जो अन्जान व्यक्ति को भ्रम में डाल दें.... इसे ही भूल भुलैया कहा जाता है। इस इमारत की कल्पना और कारीगरी कमाल की है। ऐसे झरोखे बनाए गये हैं जहाँ वे मुख्य द्वारों से प्रविष्ट होने वाले हर व्यक्ति पर नज़र रखी जा सकती है जबकि झरोखे में बैठे व्यक्ति को बाहर से नहीं देखा जा सकता। दीवारों को इस तकनीक से बनाया गया है कि यदि कोई फुसफुसाकर भी बात करे तो दूर तक आवाज साफ़ सुनाई पड़ती है। बड़े इमामबाड़े की छत पर खड़े होकर लखनऊ का नज़ारा बेहद खूबसूरत लगता है। बड़े इमामबाड़े से थोड़ी दूर ही छोटा इमामबाड़ा है। जिसे मोहम्मद अली शाह ने 1837 में बनवाया था। खूबसूरती के लिहाज़ से ये इमारत भी देखने लायक़ है।
इसके अलावा लखनऊ का घंटाघर भी ऐतिहासिक और वास्तुशिल्प के लिहाज़ से महत्वपूर्ण इमारत है। इसे ब्रिटिश वास्तुकला के सबसे बेहतरीन नमूनों में माना जाता है। 211 फीट ऊंचे इस घंटाघर का निर्माण अवध के आठवें नवाब नवाब नसीरूद्दीन हैदर ने सर जार्ज कूपर के आगमन पर करवाया था। जो अवध प्रान्त के प्रथम लेफ्टिनेंट गवर्नर थे। इसका निर्माण 1881 से शुरू हुया और ये सन् 1887 में बनकर तैयार हुआ। ये भारत का सबसे ऊंचा घंटाघर है। इसके अलावा लखनऊ में और भी कई ऐसी इमारतें हैं जो इतिहास के सुनहरे अध्याय को अपने में समेटे हुए हैं। इनमें सतखंडा, सफ़ेद और लाल बारादरी, परीख़ाना, नवाब सआदत अली खां का मक़बरा, छतर मंज़िल शामिल हैं।
Lucknow me bhai abhi aap kaha pe hai
Bhai aapse Milana hai main bhi Lucknow mein rahata hun 👍❤️🥰😘
Bhai jaan me U.P Distt Bijnor se hu me Lucknow aana Chahta hu Visit ke liye 👌👌🤗💞❤😍🥰
A jao bhai 👍
Arbaj bhai Aslam Jhansi par video banana please bro
💚👍
Pravin mohan hindi is best Channal
Arbaz bhai aye the to mere ghr bhi ate
nice
Bhai mai bhi lucknow se hi hu
वीडियो बहुत पुरानी डाल दी भाई
Apka vlog incomplete lag rha ha please define the history very well
BROO SIDDHARTH NAGAR AAO KABHI
Sish.alayassalam.kimajar.ayodya.ki.dikao
Rumy se ram m badlne k liye kitna waqt h baki aap log samjh hi gai hoge bhai
Bhai roomi badshah nahi the oh bohot bade falsafi the
Masur ki dal nahi burbaq urad ki dal
Arbaaz bhai please aap se milna hai 😭😭
Kisne kaha nawabo ne banwaya tha Yogi ji ne banwaya hai ye yogi gate nam hai iska 🤣
Is shahar ko basane wale maharaj suheldev pasiji ka hai
arbaz bhai tumhari video koi aur utha ke apne channel par daal raha hai .. dekh lena
Bhopal jana chahiye apkoo bhai
Asslam alekum aap gaye the kya waha par ji abi good morning
Roomi king kon tha
अरबाज़ साहब, इतिहास की जानकारी करो, किताबों में पढ़ कर बोलो, न तो रूमी गेट रूमी नाम के किसी बादशाह या नवाब ने बनवाया था और न ही सतखंडा मनहूस इमारत है, रूमी गेट नवाब आसिफुद्दौला ने बनवाया था, और सतखंडा इमारत जो नवाब बनवा रहे थे वो इमारत पूरी नहीं करवा पाए और बीच में ही मर गए।
Manhus to inke sare kam tha
बहुत सही गुरू जी
मैने भी बनाया है
Lucknow ke vlog
th-cam.com/video/Z_NzVkUjqCA/w-d-xo.html
Abe 2 sal me bana tha itihas padh kar aao
Hahaha kesa bevkoof or chu.... Tha dusri koy imarat banvata 12 sal ek hi banvata raha ...lol is liye log use bhul gaye hahaha
Are to dusri building bnva lete usi ko baar baar bnvane ka drama kyo kiya
Kya yrr tum bhi fake rahe ho asli baat kuchh aur hi hogi
Tumse axa to pravin mohan hindi ka vlog dekh le
Sangakara lag Raha Hain
Masha Allah video bhai ❤️ Allah bless
Good bhai
Good👍👍
Nice video