Muje ye dekhkar samj aaya k retirement k bad parents ko Aisa lagta hai.... I feels bad for them now i wil try k unhe akela feel na ho,,,, many thanks for this types of informative programs u have share here ,,, thanks alot
R u sure it was telecasted in 80s , cos the character played by the father, senior citizen, he was young in 80s. I was a regular viewer in 80s & 90s of Doordarshan, but for the first time watching this telefilm...I have watched other telefilms on Doordarshan in 80-90s which l rarely find on TH-cam, wish someone uploads it
इसीलिए जीवन की वानप्रस्थ अवस्था श्रेणी है, एक समय बाद अपने आप को गृहस्थ जीवन से थोड़ा अलग कर लेना चाहिए क्योंकि युवा पीढ़ी की जरूरत और आदतों के साथ मेल बिठाने में दोनों पक्षों को ही परेशानी होती है।इसीलिए हर किसी को अपने को व्यस्त रखने के लिए कुछ शौक रखने चाहिए लेकिन लोग घर की चारदीवारी से बाहर निकलना ही नहीं चाहते...
Parivar ke ese sadsyo ko GHAR Kke CHOTE CHOTE kamo me madad BHAJAN KIRTAN YA SAMAJ SEWA ME APNA MAN OR SAMAY LAGANE SE UNKO ACHA LAGEGA baki sadsyo ko disturb kiye bina
Couldn’t help but notice a few things- (1) Even as the father goes through this transition phase; never did it occured to him that who’s giving his wife and the mother of the kids company? And how prematurely did his wife actually retire from this little talk group he had with him and his sons? It’s a common occurrence in my view. (2) Glad that the idea of doing something for community was thrown in even though very briefly towards the end. (3) Many emotional state transitions are made to look bad eg letting sons read newspaper first post retirement- it makes sense to reprioritize in many cases. (4) Agree that many times younger population is indifferent towards aged people; even a small talk helps enrich learning- both for young and old.
Ped se poshan lene ke Baad uske fall khane ke Baad Pad Ka Sukhna lazmi Hai Iska Matlb Ye Nhi Ki Budape Me Maa..Baap Ke Sath Aisa Bartav Kre....Maa Baap Vo Janat Hai Jinka Ehsas Unke Jane Ke Baad Hota Hai Asha D.O.B 1972 I miss you Maa 😥😥
S M jahir ji ने अपने अभिनय में जान डाल दी है ऐसा लगता है मानो सचमुच में इनके साथ ऐसी घटनायें हो रही हो अवकाश प्राप्त आदमी की जीवन और इनकी दिनचर्या सबकुछ बदल जाती है बच्चे बड़े होने के बाद ये सोचतें है की पापा को अब आराम की ज़रूरत है अब बूढ़े हो गए हैं मगर ऐसी धारणा गलत है अवकाश के बाद भी आदमी अपनी जीवन और दिनचर्या पाओ पहले की तरह जी सकतें हैं मगर बच्चों की कठोर बातें दिल को ठेस पहुंचाती है सरकार ने रिटायर्मेंट की एक उम्र निर्धारित कर दी है मगर इसका मतलब हरगिज ये नही हो सकती के अवकाश प्राप्त आदमी अब काम करने के लायक ही नही है इसके सब शौक अरमान ख़त्म हो चुके है मैं ऐसा हरगिज नही मान सकती हूँ परिवार में सभी को अपनी सोच और नजरिए को बदलने की ज़रूरत है मां-बाप पेड़ की जड़ के समान होते हैं जो अपने परिवार और बच्चो को हमेशा सुरक्षा और देखरेख करते हैं इनकी भलाई की बातें करते हैं अपने बुजुर्गो को किसी भी सुरत में नजर अंदाज नही कर सकते हैं इन्हे इज्जत देनी ही होगी अधिकतर घरो की यही कहानी होती नजर आ रही है जो ठीक नही है ।
Ye jo shuru ka doordarshan ka music hai..bht sukoon deta hai soul ko..man karta hao kud l vapas chale jaye is era me 😢
Muje ye dekhkar samj aaya k retirement k bad parents ko Aisa lagta hai.... I feels bad for them now i wil try k unhe akela feel na ho,,,, many thanks for this types of informative programs u have share here ,,, thanks alot
Pehle ke serials very simple n shadow of real life n natural acting no show off, great
Bhai ekta kapoor ke serials best hai
हर एक पल आपका जो एपिसोड में दिखाया है वह रियल कहानी है बिल्कुल
SUPERB ACTING SUPERB WRITNG KITNA SUCH BATAYA KI RETIREMENT K BAD BACCHE KITNA SAMJHTE HAI PARENTS KO SALUTE HAI
Really all time related
Excellent 👍👍
S M jaheer sahab ka boht boht dhyanwaad itni achi tarah se is character ko pesh krne k liye 🙏
These dramas used to telecast on Mondays 8pm during 80's era, truly nostalgic
P
Most informative for senior citizens.
R u sure it was telecasted in 80s , cos the character played by the father, senior citizen, he was young in 80s. I was a regular viewer in 80s & 90s of Doordarshan, but for the first time watching this telefilm...I have watched other telefilms on Doordarshan in 80-90s which l rarely find on TH-cam, wish someone uploads it
सुन्दर कहानी
तीन पहर तो बीत गये अब आयी जीवन की शाम
सुमिरन कर ले राम नाम का काल गहे कर केस न जाने कित मारि है क्या घर क्या परदेश ।
धन्यवाद ।
बहुत सुंदर बात कही है आपने, 3 पहर बीत गए अब आई जीवन की शाम
Thanks DD
The simple and real life stories.
इसीलिए जीवन की वानप्रस्थ अवस्था श्रेणी है, एक समय बाद अपने आप को गृहस्थ जीवन से थोड़ा अलग कर लेना चाहिए क्योंकि युवा पीढ़ी की जरूरत और आदतों के साथ मेल बिठाने में दोनों पक्षों को ही परेशानी होती है।इसीलिए हर किसी को अपने को व्यस्त रखने के लिए कुछ शौक रखने चाहिए लेकिन लोग घर की चारदीवारी से बाहर निकलना ही नहीं चाहते...
Adbhut....
Great Actor S M Zaheer Sahab & Rakesh Sharma Sahab ❤️💐👍🏻
Great
Parivar ke ese sadsyo ko GHAR Kke CHOTE CHOTE kamo me madad BHAJAN KIRTAN YA SAMAJ SEWA ME APNA MAN OR SAMAY LAGANE SE UNKO ACHA LAGEGA baki sadsyo ko disturb kiye bina
Very nice story
Couldn’t help but notice a few things-
(1) Even as the father goes through this transition phase; never did it occured to him that who’s giving his wife and the mother of the kids company? And how prematurely did his wife actually retire from this little talk group he had with him and his sons? It’s a common occurrence in my view.
(2) Glad that the idea of doing something for community was thrown in even though very briefly towards the end.
(3) Many emotional state transitions are made to look bad eg letting sons read newspaper first post retirement- it makes sense to reprioritize in many cases.
(4) Agree that many times younger population is indifferent towards aged people; even a small talk helps enrich learning- both for young and old.
Silent good weapon at the time of old age.
Ped se poshan lene ke Baad uske fall khane ke Baad Pad Ka Sukhna lazmi Hai Iska Matlb Ye Nhi Ki Budape Me Maa..Baap Ke Sath Aisa Bartav Kre....Maa Baap Vo Janat Hai Jinka Ehsas Unke Jane Ke Baad Hota Hai
Asha D.O.B 1972 I miss you Maa 😥😥
Good
This only can understand oldage people...
Isliye sab apne apne ghar teek rehte hai...esp senior citizens shd always have house in their name.
true reality of the most of the houses
Ab ye bachhe khud old age wale honge
Iska title song kidhar hai??
❤
Nicestoty
निवेदन,
Telefilms के बीच जो विज्ञापन आता हैं उससे translate किया हुआ ढक जाता हैं। जरा इसपर गोर करें।
Please cut smoking scene from episode. Seems to improper nowadays
ZE TBKI BAT H ZB SMART PHONE NHI THE .AZZKL AKHBAR MOVIE KYANHI H PHONE M .AZZ TO INSAN KHANE K BGAIR RH SKTA H LKIN INTERNET K BGER NHI
tc
S M jahir ji ने अपने अभिनय में जान डाल दी है ऐसा लगता है मानो सचमुच में इनके साथ ऐसी घटनायें हो रही हो अवकाश प्राप्त आदमी की जीवन और इनकी दिनचर्या सबकुछ बदल जाती है बच्चे बड़े होने के बाद ये सोचतें है की पापा को अब आराम की ज़रूरत है अब बूढ़े हो गए हैं मगर ऐसी धारणा गलत है अवकाश के बाद भी आदमी अपनी जीवन और दिनचर्या पाओ पहले की तरह जी सकतें हैं मगर बच्चों की कठोर बातें दिल को ठेस पहुंचाती है सरकार ने रिटायर्मेंट की एक उम्र निर्धारित कर दी है मगर इसका मतलब हरगिज ये नही हो सकती के अवकाश प्राप्त आदमी अब काम करने के लायक ही नही है इसके सब शौक अरमान ख़त्म हो चुके है मैं ऐसा हरगिज नही मान सकती हूँ परिवार में सभी को अपनी सोच और नजरिए को बदलने की ज़रूरत है मां-बाप पेड़ की जड़ के समान होते हैं जो अपने परिवार और बच्चो को हमेशा सुरक्षा और देखरेख करते हैं इनकी भलाई की बातें करते हैं अपने बुजुर्गो को किसी भी सुरत में नजर अंदाज नही कर सकते हैं इन्हे इज्जत देनी ही होगी अधिकतर घरो की यही कहानी होती नजर आ रही है जो ठीक नही है ।
👍