111 साल की हुई थी सजा; पकड़ा गया 9 बार! कैसा था बिहार का नटवरलाल।

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  • เผยแพร่เมื่อ 10 ก.ย. 2024
  • बिहार के सिवान जिले में रुइया बंगरा गांव का मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव कैसे बना नटवरलाल और फर्जी हस्ताक्षर कर बेच दिया राष्ट्रपति भवन।
    आगरा का ताजमहल एवं संसद भवन।
    संसद भवन को उसने तब बेचा जब संसद में सारे सांसद मौजूद थे।
    धीरूभाई अंबानी से लेकर बड़े-बड़े पूजी पतियों को भी नटवरलाल लगा चुका था चूना।
    देश के प्रथम राष्ट्रपति एवं देशरत्न राजेंद्र बाबू के गांव जीरादेई से कुछ ही दूरी पर नटवरलाल का गांव रुइया बंगरा स्थित है।
    नटवरलाल ने अंत में मृत्यु को भी धोखा दे दिया।
    मैं जब नटवरलाल के गांव रुइया बंगरा गया तो नाम लेते ही हर शख्स के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान होती थी और वह नटवरलाल के घर जाने का रास्ता बता देता था।
    वैसे गांव के बच्चों ने कहा कि नाम के साथ मिस्टर लगाइए यानी मिस्टर नटवरलाल।
    नटवरलाल को एक बार राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू ने बुलाया और अपना हस्ताक्षर करने के लिए कहा।
    नटवरलाल ने बगैर किसी देर किए उनका हूबहू हस्ताक्षर बना दिया।
    राजेंद्र बाबू ने सरकारी नौकरी की पेशकश की और कहा कि अपना दिमाग सकारात्मक दिशा में लगाओ किन्तु नटवरलाल ने उसे ठुकरा दिया।
    नटवरलाल के कुल 50 नाम थे।
    दुनिया का जान हमारा ठग नटवरलाल ने एलएलबी की पढ़ाई भी किया था।
    नटवरलाल ने भारत सरकार से कहा था कि हमें यदि अवसर दिया जाए तो हम एक बार में ही विदेशियों का पूरा कर्ज चुका कर उन्हें भारत का कर्जदार बना देंगे।
    नटवरलाल के ऊपर 8 राज्यों में कुल 100 से अधिक मुकदमे दर्ज थे।
    09 बार पकड़ा गया, यदि सभी केस में हुई सजा को जोड़ दिया जाए तो वह 111 साल के करीब होती है।
    उम्र लगभग 75 वर्ष की हो रही थी, 3 हवलदार नटवरलाल को तिहाड़ जेल से कानपुर ले जा रहे थे तभी नटवर हांफने लगा।
    दवा लाने के लिए एक हवलदार गया
    दूसरा दवा खाने के लिए पानी की व्यवस्था करने गया तभी नटवरलाल पेट खराब होने के कारण लैट्रिन में घुसा और फिर फरार।
    नटवरलाल की आखिरी फरारी 24 जून 1996 को तब हुई जब स्वास्थ्य खराब होने के कारण अदालत के आदेश पर उसे एम्स, दिल्ली लाया जा रहा था।
    एक डॉक्टर दो हवलदार एक सफाई कर्मचारी दिल्ली स्टेशन पर उसे लेकर जा रहे थे तभी नाटकीय अंदाज में नटवरलाल फरार हो गया जिसका पता आज तक नहीं लग पाया।
    नटवरलाल के भाई इत्यादि ने कोर्ट में वकील के माध्यम से अर्जी दिया कि अब नटवरलाल नहीं है उनका पता लंबे समय से नहीं लग रहा है, अतः सारे मुकदमे समाप्त कर दिए जाएं कोर्ट और सरकार ने भी नटवरलाल से अपना पीछा छुड़ाना ही अच्छा समझा।
    गांव वालों को नटवरलाल पर गर्व है फिर हमने नटवरलाल के पक्ष में धारा भी लगवाया।
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