भगवान् शिव के नटराज रूप का रहस्य | Natraj Avtar | देवो के देव महादेव

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  • เผยแพร่เมื่อ 7 ก.พ. 2025
  • भगवान् शिव के नटराज रूप का रहस्य | Natraj Avtar | देवो के देव महादेव | Mytho World
    भगवान शिव के नटराज रूप का रहस्य हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है और इसका गहरा सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है। नटराज रूप शिव के पांच लक्षणों को प्रकट करता है और जीवन की चक्रव्यूह को सिंबोलिज़ करता है।
    डमरू (डमरू धारण करना): नटराज शिव का एक हाथ में डमरू, एक पर्वतीय डमरू, पकड़ते हैं। डमरू ध्वनि का प्रतीक है और यह जीवन की सृष्टि और संहार की लय को प्रतिनिधित करता है।
    अग्नि (अग्नि का प्रतिक्रियात्मक नृत्य): उनके दूसरे हाथ में आग की ओर इशारा किया जाता है, जिससे सृष्टि की प्रलय और अंधकार की हलचल का प्रतीक होता है।
    आपरा (पुनर्जन्म और मृत्यु): उनके पैर का एक भुजा उच्च की ओर उठी होती है, जिससे वे पुनर्जन्म की ओर इशारा करते हैं।
    जटा (बालों की भिक्षु): उनके बाल बिना सुंवाये फैले होते हैं, जिससे वे अधिन्यस्त और साधु धर्म की प्रतिनिधिता करते हैं।
    गण (ब्रह्मांड की अद्वितीयता): उनके चारों ओर गणपति और अन्य देवताओं के साथ गण नृत्य करते हैं, जिससे वे ब्रह्मांड की अद्वितीयता और एकता को प्रतिनिधित करते हैं।
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