Ismat Chughtai क्या थीं अश्लील? मंटो कहते थे यदि मैं स्त्री होता तो...| औरतनामा EP2 | Shruti Agarwal

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  • เผยแพร่เมื่อ 5 ต.ค. 2024
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    भारतीय साहित्य जगत की सबसे बेबाक लेखिकाओं में शुमार इस्मत चुग़ताई, 'इस्मत आपा' के नाम से भी जानी जाती थीं. वे कमाल की क़िस्सागो थीं. जिसको लेकर खुद मंटो कहते थे कि यदि मैं स्त्री होता तो शायद इस्मत होता. मंटो की ही तरह अपनी लेखनी के लिए इस्मत आपा को भी कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने पड़े थे. 21 अगस्त, 1915 को जन्मी इस्मत चुग़ताई उर्दू साहित्य की सर्वाधिक विवादास्पद और सर्वप्रमुख लेखिका थीं, जिन्होंने महिलाओं के सवालों को नए सिरे से उठाया. उन्होंने निम्न मध्यवर्गीय मुस्लिम तबक़े की दबी-कुचली सकुचाई और कुम्हलाई लेकिन जवान होती लड़कियों की मनोदशा को उर्दू कहानियों व उपन्यासों में पूरी सच्चाई से बयान किया है. उनके कहानी संग्रह चोटें, छुईमुई, एक बात, कलियां, एक रात आदि ने समय-समय पर महिलाओं के आत्मसम्मान के लिए सवाल खड़े किए. पुरुष प्रधान समाज के लगातार विरोध करने के बावजूद उन्होंने अपनी कलम को कभी विराम नहीं दिया. वे और भी बेबाकी से लिखती रहीं.और उनकी इसी बेबाकी ने उन्हें सर्वश्रष्ठ लेखक का पुरस्कार दिलवाया. सात पर्दों के पीछे छिपाकर रखे सच को इस्मत आपा की कलम उधेड़ कर रख देती थी. और इसी कलम ने जहां उनसे अदालतों के चक्कर लगवाए तो वहीं उन्हें पद्मश्री जैसा सम्मान भी दिलवाया... यही वजह है कि 'औरतनामा' के इस खास कार्यक्रम में पत्रकार, अनुवादक, लेखक श्रुति अग्रवाल ने इस्मत चुगताई के जीवन पर बातें की हैं.
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    याद रखें कि ये वे रचनाकार, कवयित्री, नारीवादी, लेखिकाएं हैं, जिन्होंने न केवल अपने समय, समाज और लेखन जगत को प्रभावित किया, बल्कि अपने विचारों से समूची नारी जाति को एक दिशा दी. आज का युवा वर्ग कलम की इन वीरांगनाओं को जान सके और लड़कियां उनकी जीवनी, आजाद ख्याली के बारे में पढ़, सुन सकें, इसी के लिए 'साहित्य तक' पर 'औरतनामा' के तहत यह साप्ताहिक कड़ी शुरू की गई है. 'औरतनामा' देश और दुनिया की उन लेखिकाओं को समर्पित है, जिन्होंने अपनी लेखनी से न केवल इतिहास रचा बल्कि अपने जीवन से भी समाज और समय को दिशा दी. चर्चित अनुवादक, लेखिका, पत्रकार और समाजसेवी श्रुति अग्रवाल साहित्य तक पर हर सप्ताह 'औरतनामा' के साथ आपसे मुखातिब होती हैं. इस कार्यक्रम के बारे में अपनी राय से अवगत कराना न भूलें.
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ความคิดเห็น • 7

  • @perditiochartam5295
    @perditiochartam5295 ปีที่แล้ว +2

    समाज की एक बुरी आदत है, तमाम बुराइयों और अश्लीलताओं को वो ख़ुद सह देता है परन्तु यदि कोई समाज की सच्चाई को जस का तस लिख दे तो उसे वो अश्लील और समाज विरोधी नज़र आने लगता है...

  • @perditiochartam5295
    @perditiochartam5295 ปีที่แล้ว

    साहित्य तक...!
    आपके हर वीडियो बहुत अच्छे लगते हैं, साहित्य वास्तव में मनोरंजन का साधन नहीं, युगनिर्माण का साधन है...

  • @0thisis_nsa7.
    @0thisis_nsa7. 15 วันที่ผ่านมา +2

    यदि मैं औरत होता तो इस्मत होती यदि इस्मत पुरुष होती तो वो मंटो होता..

  • @thedreamer2031
    @thedreamer2031 ปีที่แล้ว

    💐

  • @STTeaching
    @STTeaching ปีที่แล้ว +1

    समाज को सच्चाई से डर लगता हैं।

  • @amanvishwakarma5709
    @amanvishwakarma5709 ปีที่แล้ว

    🙏🙏🙏🙏🙏

  • @shaikmoinuddin6870
    @shaikmoinuddin6870 2 หลายเดือนก่อน

    معاف کیجیۓ ، ایک معروف اردو افسانہ نگار کے متعلق آپ اُن کی سوانح عمری پڑھ کر سنارہی ہیں تو دوسری طرف آپ کو اردو کے تلفظ بھی ٹھیک سے نہیں آرہے ہیں ۔قلم کو (کلم) ضرور کو(جرور) اور کئی لفظ ہیں ،جن کا تلفظ اپ صحیح نہیں کر رہے ہیں ۔