Mahatma Gandhi : सेवाग्राम आश्रम में महात्मा गांधी ने बिताए थे 12 साल
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- เผยแพร่เมื่อ 29 พ.ย. 2024
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Mahatma Gandhi Jayanti Special: महाराष्ट्र के नागपुर शहर से 70 किलोमीटर दूर स्थित महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की कर्मभूमि सेवाग्राम आश्रम अपने आप में एक अनोखी जगह है। जहां आकर आत्मशांति और गांधी दर्शन की अच्छी जानकारी मिलती है। अपने आप में आकर्षण का केंद्र सेवाग्राम आश्रम गांधी के जीवन दर्शन को समझने के लिए पर्याप्त है। ये वही पावन भूमि है जहां से गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के नेतृत्व किया था और अंग्रेजी सरकार की जड़ो को उखाड़ने का काम किया था।
ऐसे हुई इस आश्रम की शुरुआत
1930 में महात्मा गांधी गुजरात के साबरमती आश्रम से दांडी यात्रा पर निकले। महात्मा गांधी दाड़ी यात्रा पर निकलने से पहले एक प्रण लिए कि जब तक आजादी नहीं मिलेगी तब तक मैं साबरमती आश्रम वापस नहीं आऊंगा। दांडी यात्रा के दौरान ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा गांधीजी को गिरफ्तार करके यरवदा जेल में कैद कर दिया गया। यरवदा जेल से निकलने के बाद गांधीजी हरिजन यात्रा पर निकल गए चूंकि आजादी नहीं मिली थी इसलिए वह वापस साबरमती आश्रम नहीं जा सके। 1934 में देश के जाने माने व्यवसायी जमनालाल बजाज द्वारा गांधी जी को वर्धा आने का प्रस्ताव मिला। और गांधी जी वर्धा आए। वर्धा आने के बक़द डेढ़ साल तक वर्धा के मगनवाड़ी में रहे। और उसके बाद 1936 में सेवाग्राम आश्रम की स्थापना की। आश्रम की स्थापना के समय यहां केवल एक कुटी थी जिसे आदि निवास के नाम से जाना जाता था लेकिन आवश्यकता के अनुसार इस आश्रम में कुटियों की संख्या बढ़ती चली गयी।
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