गुरु बसिस्ट और दशरथ जी संवाद डॉक्टर श्री जितेंद्र शुक्ला जी और श्री रामबाबू सिंह द्वारा सुंदर संवाद

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  • เผยแพร่เมื่อ 25 ต.ค. 2024

ความคิดเห็น • 12

  • @RamlakhanSharma-q4d
    @RamlakhanSharma-q4d 7 หลายเดือนก่อน +2

    यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानि भवति भारत।अभ्युत थानाम धर्मस्य तादात्म श्री जभ्यम

  • @vasudevanuragi
    @vasudevanuragi 8 หลายเดือนก่อน

    बहुत सुंदर अभिनय दोनों महान विभूतियों के श्री चरणों में कोटी कोटी प्रणाम

  • @RiteshKumar-nc2qy
    @RiteshKumar-nc2qy 20 วันที่ผ่านมา

    Bahut sundar sambad hai

  • @amitkumarmishra6731
    @amitkumarmishra6731 หลายเดือนก่อน

    Jay ho

  • @jaiprakash7460
    @jaiprakash7460 ปีที่แล้ว

    V nice performance

  • @SandeepKumar-kf6hb
    @SandeepKumar-kf6hb 7 หลายเดือนก่อน

    Bahut achcha

  • @vikramajeetshukla7473
    @vikramajeetshukla7473 2 หลายเดือนก่อน

    दोनों कलाकार एक से बढ़कर एक है लेकिन इतना बड़ा तर्क वितर्क करना रामलीला के मंच पर अच्छा नहीं लगता है
    दोनों ही कलाकार विद्वान है और रामायण के ज्ञाता है
    🚩🙏🏻

  • @anutripathi6744
    @anutripathi6744 5 หลายเดือนก่อน

    रामलीला एक धर्म मंच है और धर्म मंच से यह कैसा संदेश जा रहा है की दशरथ का अभिनय करने वाले जितेंद्र शुक्ला जी एक ब्राह्मण है और वशिष्ठ का अभिनय करने वाले रामबाबू सिंह क्षत्रिय होंगे या फिर किसी अन्य वर्ण के होंगे अब ब्राह्मण भी क्षत्रिय के चरणों में शीश झुका रहे हैं कितना अच्छा संदेश दे रहे हैं

    • @AshishKumar-il7gn
      @AshishKumar-il7gn หลายเดือนก่อน +1

      @@anutripathi6744 कलाकारों की जाति नही होती भाई

  • @RamKumar-d9b2w
    @RamKumar-d9b2w หลายเดือนก่อน

    Jitendra ji aap apna mobile no bhi share karna

  • @devkinandanvishwakarma3548
    @devkinandanvishwakarma3548 ปีที่แล้ว

    लीला अति सुन्दर है पर यहां रामलीला मंच पर गुरू शिष्य में तर्क वितर्क शोभा नहीं देता है अगर दशरथ जी इतनें विद्वान थे तो गुरू वशिष्ठ के पास क्यों गये और गुरू वशिष्ठ अपने शिष्य से तर्क संगत वार्ता कर रहे हैं यह भी शोभा नहीं दे रहा हैं यह रामलीला है कोई अदालत या सत्संग मंडल नहीं है।

    • @rajjantiwarijaimaasantoshi1952
      @rajjantiwarijaimaasantoshi1952 11 หลายเดือนก่อน

      आप लोग अपना ज्ञान बताने के चक्कर रामलीला की मर्यादा को भूल जाते है तुलसीकृत रामायण को ध्यान में रखे