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संसार में जितने भी प्राणी है सब के सब स्त्री स्वरूप है तो पुरुष कौन है | स्वामी जगपरानंद जी महाराज |
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- เผยแพร่เมื่อ 2 ก.ค. 2024
- संसार में जितने भी प्राणी है सब के सब स्त्री स्वरूप है तो पुरुष कौन है | स्वामी जगपरानंद जी महाराज |
स्वामी जगपरानंद जी महाराज का यह कथन एक गहरे आध्यात्मिक दृष्टिकोण को प्रस्तुत करता है। यहाँ, "संसार में जितने भी प्राणी हैं सब के सब स्त्री स्वरूप हैं" का मतलब यह है कि सभी जीवात्माएं प्रकृति (शक्ति) की अभिव्यक्ति हैं। हिंदू धर्म में, शक्ति को स्त्री रूप में दर्शाया गया है, जो सृजन, पालन और विनाश की शक्ति है।
"पुरुष कौन है" का उत्तर यह हो सकता है कि पुरुष परमात्मा है, जो निष्क्रिय, शुद्ध चेतना का प्रतीक है। यह दृष्टिकोण सांख्य दर्शन पर आधारित है, जहाँ पुरुष और प्रकृति दो मौलिक तत्व माने जाते हैं। पुरुष बिना किसी गुण के, निराकार और अव्यक्त है, जबकि प्रकृति (शक्ति) सभी गुणों, रूपों और क्रियाओं की वाहक है।
इस प्रकार, स्वामी जगपरानंद जी महाराज का यह कथन जीवात्मा और परमात्मा के संबंध को दर्शाता है, जिसमें जीवात्मा शक्ति (स्त्री) के रूप में और परमात्मा पुरुष के रूप में समझे जाते हैं।
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