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विद्यार्थियों के लक्षण कैसे होना चाहिए? ऐसे विद्यार्थी जीवन में सफल होते हैं!
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- เผยแพร่เมื่อ 2 ม.ค. 2023
- विद्यार्थी शब्द दो शब्दों से बना है-विद्या + अर्थी. जो विद्या पाने की इच्छा करता है, वह विधार्थी है जो विद्यार्थी है। उसको सदैव विद्या पाने की इच्छा करनी चाहिए.
विद्यार्थी जीवन सामान्यतः 5 वर्ष की अवस्था से 20 वर्ष की अवस्था तक रहता है. इस 15-16 वर्ष के समय में विद्यार्थी को चाहिए कि अधिक-से-अधिक विद्या या ज्ञान की प्राप्ति करे जो ऐसा नहीं करते हैं, वे बाद में पछताते हैं.
हमें एक बात ध्यान में रखनी चाहिए कि 15-16 वर्ष जीवन का सबसे अधिक मूल्यवान समय होता है. यही वह समय होता है जब बालक किशोरावस्था को प्राप्त होता है। और युवावस्था में प्रवेश करता है. नया खून बनता है और शरीर बढ़ता है. अतएव स्वास्थ्य की दृष्टि में भी विद्यार्थी जीवन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.
प्राचीनकाल में भारत में बालक-बालिकाओं को गुरुकुल में भेजने की परम्परा थी. वहाँ छात्र 15 वर्ष की अवस्था तक विद्या प्राप्त करता था और सब प्रकार से योग्य बनकर जीवन में प्रवेश करता था, परन्तु अब वह परम्परा नहीं रही है. वह लाई भी नहीं जा सकती है.अतएव एक सच्चे विद्यार्थी के लिए पाँच नियम बताए
गए हैं. कुछ काक लोग इन्हें विद्यार्थियों के लक्षण भी कहते हैं- काक चेष्टा- -ज्ञान-प्राप्ति के लिए कौवे की भाँति तब तक प्रयत्न करना जब तक इच्छित वस्तु प्राप्त न हो जाए.
वको ध्यानम्-बगुले की भाँति इच्छित ज्ञान प्रतिध्यान
लगाए बैठा रहे.
श्वान निद्रा-कुत्ते की भाँति जरा-सी आहट पर जग जाए.
अल्पाहारी-कम भोजन करे जिसमें स्वास्थ्य ठीक रहे और आलस्य न आए.
गृह त्यागी-घर-गृहस्थी के झंझटों से दूर रहे.
जो छात्र इस प्रकार जीवन व्यतीत करते हैं, वे आगे चलकर जीवन में सफल होते हैं।
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1 (B) vidhyarthi ke lakshan