57. श्रीमद्भगवद्गीता, 3. कर्मयोग श्लोक 17.18,by स्वामी प्रज्ञानानन्द पुरी

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  • เผยแพร่เมื่อ 21 ม.ค. 2025

ความคิดเห็น • 2

  • @devidaskulkarni9744
    @devidaskulkarni9744 17 วันที่ผ่านมา +1

    गीताभाष्यालंकार स्वामीजी के चरणोमें सादर प्रणाम, beautifully explained that :---हम प्राणोके वजहसे जिवीत नही, but हमारी वजहसे प्राण रुपी क्रिया चल रही है ||

  • @राधेराधे-ह8ध
    @राधेराधे-ह8ध 17 วันที่ผ่านมา

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