Your work is exceptional. Never have I seen such highly detailed videos on Himachal Pradesh. The cultural richness of the state is still unknown by many. Keep doing the excellent work .
कृप्या एक विडियो हिमाचल की लिपी टांकरी पर भी बनाएँ,ताकि लोग टांकरी लिपी के इतिहास एवं लेखन पद्धति को जान सके। धन्यवाद🙏 हिमाचल प्रदेश में पहाड़ी भाषा टांकरी लिपि में लिखी जाती थी| टांकरी लिपि, पहाड़ी भाषा समेत उत्तर भारत की कई भाषाओँ को लिखने के लिए प्रयोग की जाने वाली लिपि है| एक ज़माने में कुल्लू से लेकर रावलपिंडी तक हर तरह के पढने लिखने का काम टांकरी लिपि में ही किया जाता था| टांकरी लिपि ब्राह्मी परिवार की लिपियों का ही हिस्सा है जोकि कश्मीरी में प्रयोग होने वाली शारदा लिपि से निकली है। जम्मू कश्मीर की डोगरी, हिमाचल प्रदेश की चम्बियाली, कुल्लुवी, और उत्तराखंड की गढ़वाली समेत कई भाषाएं टांकरी में लिखी जाती थी। हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा, ऊना, मंडी, बिलासपुर, हमीरपुर में व्यापारिक व राजस्व रिकॉर्ड और संचार इत्यादि के लिए भी टांकरी का ही प्रयोग होता था।जो कि अब विलुप्त हो चुकि है,आप टांकरी लिपि के वर्णो की झलक मेरे यूट्यूव चैनल पर भी देख सकते है।#Tankarilipi th-cam.com/users/shorts_hKKUZRBy00?feature=share टाकरी लिपि देवनागरी से मिलती-जुलती एक लिपि जो अटक के उस पार से लेकर सतलज और यमुना नदी के किनारे तक प्रचलित थी। इसके अक्षरों को "लुंडे" , "मुँडे" और "टांकरी" भी कहते हैं। टाकरी लिपि में लिखा हुआ "टाकरी" टाकरी अक्षर नागरी लिपि के समान नहीं, बल्कि नागरी का रूपभेद हो सकता है। सिन्धु नदी के पश्चिम तरफ और शतद्रु नदी के पूर्व भाग में तथा काश्मीर और काङ्गडा के ब्राह्मणों में इस लिपि का प्रचलन है। काश्मीर और काङ्गडा के शिलालेखों और सिक्कों में यही अक्षर देखने में आते हैं। युसुफजाह और शिमला के बीच २६ स्थानों में यह लिपि दीख पड़ती है। इसमें कोई कोई स्थान ताकरो 'मुंडे' और 'लुंडे' नाम से परिचित है। इस लिपि में विशेषता इतनी है कि स्वरवर्ण व्यञ्जनवर्ण के साथ कभी भी संयुक्त नहीं होता, पृथक लिखना पड़ता है। इस लिपि के संख्याबोधक अक्षर हाल के प्रचलित अक्षरों के समान हैं। यह सहज में लिखी जा सकती है। इसमें केवल 'अ' व्यञ्जनवर्ण के साथ संयुक्त किया जाता है। टांकरी लिपि, ब्राह्मी परिवार की लिपि है जो कश्मीर में प्रयोग होने वाली शारदा लिपि से निकली है। टाकरी लिपि, पहाड़ी भाषा समेत उत्तर भारत की कई अन्य भाषाओं को लिखने के लिए प्रयोग की जाने वाली लिपि है। पुराने समय में कुल्लू से लेकर रावलपिंडी तक पढ़ने-लिखने का हर तरह का काम टाकरी लिपि में ही किया जाता था। आज भी पुराने राजस्व रिकॉर्ड, पुराने मंदिरों की घंटियों या किसी पुराने बर्तन में टांकरी में लिखे शब्द देखे जा सकते हैं। जम्मू कश्मीर की डोगरी, हिमाचल प्रदेश की चम्बियाली, कुल्लुवी और उत्तराखण्ड की गढ़वाली समेत कई भाषाएं टाकरी में लिखी जातीं थीं। हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा, ऊना, मंडी, बिलासपुर, हमीरपुर में व्यापारिक व राजस्व रिकॉर्ड और संचार इत्यादि के लिए भी टाकरी का ही प्रयोग होता था।
Hi bro your content is very underrated and man your edits are of very high standards 👍👍👍 Bro I am from Kinnaur and I am very concerned about the endangered dialect and culture of my region. I have tried to know more about the history of Kinnaur and Lahaul spiti but never got satisfactory results. I would request you to make video on the culture of these two districts. Hope the video comes out soon By the way great work 👍👍👍 And keep it up
Each district in Himachal will have a video dedicated to its culture, history, and economy. So stay tuned for the start of this series in mid-September, and thank you very much.
Is there any science behind the use of wood as a building material (like there is for temples made of rocks)? They claim that a pyramidal structure is a stable structure, and rocks are strong reflectors, so there must be some energy present.) Or is it simply the abundant woodlands in Himachal...? as My understanding is limited, but I believe that the structure of any temple is equally as significant as the statue of god.
one of the best videos I have seen
Your work is exceptional. Never have I seen such highly detailed videos on Himachal Pradesh.
The cultural richness of the state is still unknown by many.
Keep doing the excellent work .
Great information
Bhut badiya thakur Saab
Keep it up
Very nice video
I believe this channel will have a lot of subscribers base on the content and way of presenting it
Good job brother
Jabrdast video ..
🙏
❤❤❤❤❤❤❤ brother
Wow
Amazing......keep going
Bahot badiya 👍
❤
कृप्या एक विडियो हिमाचल की लिपी टांकरी पर भी बनाएँ,ताकि लोग टांकरी लिपी के इतिहास एवं लेखन पद्धति को जान सके।
धन्यवाद🙏
हिमाचल प्रदेश में पहाड़ी भाषा टांकरी लिपि में लिखी जाती थी| टांकरी लिपि, पहाड़ी भाषा समेत उत्तर भारत की कई भाषाओँ को लिखने के लिए प्रयोग की जाने वाली लिपि है| एक ज़माने में कुल्लू से लेकर रावलपिंडी तक हर तरह के पढने लिखने का काम टांकरी लिपि में ही किया जाता था| टांकरी लिपि ब्राह्मी परिवार की लिपियों का ही हिस्सा है जोकि कश्मीरी में प्रयोग होने वाली शारदा लिपि से निकली है। जम्मू कश्मीर की डोगरी, हिमाचल प्रदेश की चम्बियाली, कुल्लुवी, और उत्तराखंड की गढ़वाली समेत कई भाषाएं टांकरी में लिखी जाती थी। हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा, ऊना, मंडी, बिलासपुर, हमीरपुर में व्यापारिक व राजस्व रिकॉर्ड और संचार इत्यादि के लिए भी टांकरी का ही प्रयोग होता था।जो कि अब विलुप्त हो चुकि है,आप टांकरी लिपि के वर्णो की झलक मेरे यूट्यूव चैनल पर भी देख सकते है।#Tankarilipi
th-cam.com/users/shorts_hKKUZRBy00?feature=share
टाकरी लिपि देवनागरी से मिलती-जुलती एक लिपि जो अटक के उस पार से लेकर सतलज और यमुना नदी के किनारे तक प्रचलित थी। इसके अक्षरों को "लुंडे" , "मुँडे" और "टांकरी" भी कहते हैं।
टाकरी लिपि में लिखा हुआ "टाकरी"
टाकरी अक्षर नागरी लिपि के समान नहीं, बल्कि नागरी का रूपभेद हो सकता है। सिन्धु नदी के पश्चिम तरफ और शतद्रु नदी के पूर्व भाग में तथा काश्मीर और काङ्गडा के ब्राह्मणों में इस लिपि का प्रचलन है। काश्मीर और काङ्गडा के शिलालेखों और सिक्कों में यही अक्षर देखने में आते हैं।
युसुफजाह और शिमला के बीच २६ स्थानों में यह लिपि दीख पड़ती है। इसमें कोई कोई स्थान ताकरो 'मुंडे' और 'लुंडे' नाम से परिचित है। इस लिपि में विशेषता इतनी है कि स्वरवर्ण व्यञ्जनवर्ण के साथ कभी भी संयुक्त नहीं होता, पृथक लिखना पड़ता है। इस लिपि के संख्याबोधक अक्षर हाल के प्रचलित अक्षरों के समान हैं। यह सहज में लिखी जा सकती है। इसमें केवल 'अ' व्यञ्जनवर्ण के साथ संयुक्त किया जाता है।
टांकरी लिपि, ब्राह्मी परिवार की लिपि है जो कश्मीर में प्रयोग होने वाली शारदा लिपि से निकली है। टाकरी लिपि, पहाड़ी भाषा समेत उत्तर भारत की कई अन्य भाषाओं को लिखने के लिए प्रयोग की जाने वाली लिपि है। पुराने समय में कुल्लू से लेकर रावलपिंडी तक पढ़ने-लिखने का हर तरह का काम टाकरी लिपि में ही किया जाता था। आज भी पुराने राजस्व रिकॉर्ड, पुराने मंदिरों की घंटियों या किसी पुराने बर्तन में टांकरी में लिखे शब्द देखे जा सकते हैं। जम्मू कश्मीर की डोगरी, हिमाचल प्रदेश की चम्बियाली, कुल्लुवी और उत्तराखण्ड की गढ़वाली समेत कई भाषाएं टाकरी में लिखी जातीं थीं। हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा, ऊना, मंडी, बिलासपुर, हमीरपुर में व्यापारिक व राजस्व रिकॉर्ड और संचार इत्यादि के लिए भी टाकरी का ही प्रयोग होता था।
🎉❤ bhai 🚩 ek video Himachal ke folk dance culture ke baare me bhi bna do please 🙏
Beautifully narrated and explained. Wish you will start posting again.
Man where do you do these editing. Editings are amazing..
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Bro I am from Kinnaur and I am very concerned about the endangered dialect and culture of my region.
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I would request you to make video on the culture of these two districts.
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@@Mukeshthakur-ym6db desparately waiting for it
Keep going ❤️❤️👍👍
Bohot badiya
Commendable job . He deserves to have million subscriber.
Thanks alot
Educative n interesting...great research and presentation...waiting for more such content !
👍👍
excellent presentation.
Amazing content
👌👌👌👌
Keep up 👍🌸
Itna saara knoldgable denne k lie thanks
Top class video in every manner...
Thanku u for valuable sharing....
🔥🔥🔥🔥❤️❤️❤️🔥🔥🔥
Good chhote shabash
Your content is pure gold brother. Every single video
Thank you
Nice 💜
Very informative keep up the great work.
Thanks for sharing
Great efforts 👍
✨✨✨💞💞💞atisunder 💞💞✨✨
Pagoda style japan ke purane ghr jessa h
Itni saari information laate kaha se ho bhai 🙄😁👍👌👌
Good job 👍
Good job sir
❤❤❤
2:20 इस गाने का क्या नाम है?
Great one
Great 👌🏻❤️
Appreciation 👏
@8:00
🙏🏻💖
👍👍👍❤️
You haven't created the works of kashmiri artists in ancient Himachal
Is there any science behind the use of wood as a building material (like there is for temples made of rocks)? They claim that a pyramidal structure is a stable structure, and rocks are strong reflectors, so there must be some energy present.) Or is it simply the abundant woodlands in Himachal...? as My understanding is limited, but I believe that the structure of any temple is equally as significant as the statue of god.
Tainta😝
the amount of hard work behind your videos cannot be described in words. hat's off to you bro and your editing skills are amazing
Thanks alot
👍👍
❤️❤️❤️