Wo Mere Ram Hain Prabhu Shri Ram Hain || वो मेरे राम हैं प्रभु श्री राम हैं

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  • เผยแพร่เมื่อ 5 ต.ค. 2024
  • Wo Mere Ram Hain Prabhu Shri Ram Hain || वो मेरे राम हैं प्रभु श्री राम हैं
    Yoga with bhajan, musical yoga, भजन के साथ योग
    बाबा रामदेव के बचपन का नाम रामकृष्ण यादव था, बाबा रामदेव का जन्म 26 दिसंबर 1965 को सैयद अलीपुर, कस्बा-नांगल चौधरी, जिला महेंद्रगढ़ हरियाणा में हुआ। बाबा रामदेव के पिता का नाम रामनिवास यादव था और उनकी माता का नाम गुलाबो देवी था । बाबा रामदेव का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था इनके पिता जी खेती बाड़ी का काम करते थे।
    स्वामी रामदेव के चार भाई बहन थे सबसे बड़े भाई गुरुदत्त, दूसरे रामदेव और तीसरी छोटी बहन वितंबरा, सबसे छोटे भाई रामभरत है जो इनके बिज़नस को भी सभालते है।
    बचपन मे अपने बड़े भाई गुरुदत्त के साथ बाबा रामदेव कुश्ती लड़ा करते थे।
    बाबा रामदेव ने अपनी अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव के समीपवर्ती गांव शहजादपुर आठवीं तक की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद ही बाबा रामदेव के शरीर को लकवा लग गया, जिस कारण इनका आधा शरीर खराब हो गया। इसके बाद बाबा रामदेव ने योग करना शुरू किया जिससे बाबा रामदेव का लकवा ठीक हो गया ।
    बाबा रामदेव के स्कूल के समय एक और भी घटना भी हुई थी की, इनके स्कूल के अध्यापक बीड़ी पिया करते थे जिस कारण बाबा रामदेव अनशन पर बैठ गए, की जब तक आप बीड़ी नही छोड़ेगे तब तक हम सब अनशन पर बैठे रहेगे, इस करण उनके अध्यापक ने बीड़ी छोड़ दी।
    बाबा रामदेव के कमरे मे सुभाषचंद्र बोस और भगत सिंह की तस्वीर लगी रहती थी जिसे ये घंटो देखा करते थे, और अपनी माँ को कहते थे की मैं (Baba Ramdev ) भी इनके जैसा काम करुगा। स्वामी रामदेव बचपन मे रेडियो पर देशभक्ति गीत सुना करते थे।
    इसके बाद स्वामी बाबा रामदेव ने अपने परिवार को बिना बताए अपने पास के ही एक गांव खानपुर में एक गुरुकुल से मात्र 1.5 साल मे शास्त्रों पुराणों और वेदों के ज्ञान को हासिल किया, इस गुरुकुल में आचार्य प्रद्युम्न व योगाचार्य बलदेव जी इन्होंने योग और वेदों का ज्ञान दिया।
    इसके बाद बाबा रामदेव ने देश के कई और भी गुरुकुल में जाकर धर्म वेद शास्त्रों का ज्ञान हासिल किया इसके बाद स्वामी रामदेव हरिद्वार आ गए और यहां पर उन्होंने कांगड़ी विश्वविद्यालय एवं गुरुकुल में युग और वेदों और धर्म शास्त्रों का अध्ययन किया।
    बाबा रामदेव अपने जीवन में हिंदू धर्म की कई शास्त्रों वेदों और योग की शिक्षा लेने के बाद संन्यास धारण करने का निर्णय किया और युवावस्था में उन्होंने संन्यास धारण कर लिया, यहां आकर इन्होंने ( बाबा रामदेव दीक्षा गुरु ) स्वामी शंकर देव जी महाराज से दीक्षा ली और यहां पर शास्त्रों का अध्ययन किया। उसके बाद इन्होंने लोगों को योग सिखाना शुरू किया तथा आयुर्वेद के महत्व को लोगों तक पहुंचाने का काम किया।
    बाबा रामदेव का नाम कैसे पड़ा?
    सन्यास धारण करने के कारण रामकृष्ण यादव का नाम बाबा रामदेव के नाम से विख्यात हुआ
    सन्यास धारण करने के बाद स्वामी रामदेव और बालकृष्ण हिमालय में तप करने के लिए चले गए, और कई वर्षों तक तप किया। बाबा रामदेव ने योग पर अपना ध्यान केंद्रित किया, तो स्वामी बालकृष्ण आयुर्वेद पर अपना ध्यान केंद्रित किया। तब उन्होंने काफी समय तक अनशन किया उसके बाद यह वापस हरिद्वार आ गए और उसके बाद उन्होंने गुरुकुल शुरू किया जहां पर उन्होंने लोगों को शास्त्रों तथा योग की शिक्षा देना प्रारंभ किया।
    बाबा रामदेव दिव्य योगपीठ ट्रस्ट (Divya Yogpeeth Trust)-
    बाबा रामदेव ने हरिद्वार में 1995 में दिव्य योग मंदिर की स्थापना की। इस ट्रस्ट को स्थापित करने में इनका प्रमुख सहयोगी आचार्य बालकृष्ण और आचार्य कर्मवीर ने दिया। आचार्य बालकृष्ण जो आज भी बाबा रामदेव के साथ काम करते हैं बाबा रामदेव लोगों को योग सिखाने का काम प्रारंभ किया इस समय इनके योग को 2003 मे आस्था टीवी द्वारा सुबह 5:00 बजे आने वाले कार्यक्रम द्वारा प्रसारित किया जाने लगा, जिस कारण उनकी पहचान घर-घर तक होने लगी लोग इनके योग कार्यक्रम के माध्यम से घर बैठे योगा करते और अपने स्वास्थ्य में लाभ हासिल करने लगे।
    शुरुआत मे बाबा रामदेव ने समान्य बीमारियो को ठीक करने के योग को सिखाया था। उसके बाद बाबा रामदेव ने कैंसर के बारे मे भी बताया तो लोगो ने उसे मज़ाक बताया लेकिन जब लोगो को परिणाम प्राप्त हुआ तो कई बड़े-बड़े लोग बाबा रामदेव के फैन बन गए।
    इस ट्रस्ट का हेड ऑफिस आज की हरिद्वार के कृपालु बाग आश्रम में स्थित है बाबा रामदेव की अथक प्रयासों से आज योग भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में काफी प्रचलित है इसी कारण 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है आज विश्व को यह पता चल चुका है योग से हम निरोग रह सकते हैं और अपने स्वस्थ जीवन को जी सकते हैं लोग बाबा रामदेव की कार्यक्रम को बहुत अधिक मात्रा में देखने लगी है।
    इसके बाद बाबा रामदेव ने देश के अलग-अलग कोनों में कई योग कार्यक्रम आयोजित करवाये जिसमें लाखों की संख्या में लोगों ने इनका समर्थन किया और उनके द्वारा बताए गए योग को लोगों ने अपने जीवन में उतारा।
    स्वामी बाबा रामदेव ने अपने योग की शिक्षा को अपने देश तक ही सीमित न रखकर विदेशों में भी लोगों को योग सिखाया जिसमे प्रमुख देश अमेरिका ब्रिटेन जापान है जिन्होंने लोगों को योग के महत्व के बारे में बताया तथा उन्हें योग की शिक्षा दी। स्वामी बाबा रामदेव ऐसे पहले गैर-मुस्लिम समुदाय के है, जिन्होंने उत्तर प्रदेश के देवबंद जिले के मुस्लिम-मौलवियों को योग की शिक्षा दी थी।

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