जो युग चार रहे कोई कासी। सार शब्द बिन यमपुर वासी।। नीमषार बद्री परधामा। गया द्वारिका का प्राग अस्नाना।। अड़सठ तीरथ भूपरिकरमा। सार शब्द बिन मिटै न भरमा।।
सत साहेब जी बन्दी छोड़ जगतगुरु तत्वदर्शीसन्त रामपाल जी भगवान की जय हो 🏳🦶🦶🙇♂️🙇♀️🙇♂️🙇♀️🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🦶🦶🙇♂️🙇♀️🙇♂️🙇♀️🏳
सार शब्द विदेह स्वरूपा। निअच्छर वहि रूप अनूपा ॥ तत्त्व प्रकृतिभाव सब देहा। सार शब्द नितत्त्व विदेहा ॥ सार शब्द ही निःअक्षर का स्वरूप है। यह सार नाम (विदेह नाम) अनूप यानि अद्भुत है। सार शब्द तो विदेह है क्योंकि यह विदेह परमेश्वर का जाप मंत्र है। कबीर परमेश्वर विदेह हैं। विदेह-विदेह में भी अंतर होता है। जैसे राजा जनक को भी विदेह कहा जाता है और कबीर परमेश्वर जी भी विदेही हैं। जैसे एक सोने का आभूषण दो कैरेट स्वर्ण से बना है। वह भी स्वर्ण आभूषण कहा जाता है। दूसरा 24 कैरेट स्वर्ण से बना है तो दोनों ही स्वर्ण आभूषण कहलाते हैं, परंतु मूल्य में अंतर बहुत होता है। इसलिए कहा है कि जो अन्य प्रभु हैं (श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु, श्री शिव जी तथा राम-कृष्ण) वे सब पाँच तत्त्व के शरीर में हैं और परमेश्वर कबीर जी यानि सत्य पुरूष का शरीर निःतत्त्व यानि पाँच तत्त्व से रहित है। इसलिए विदेह परमात्मा का सार शब्द जाप मंत्रा है।
हल्दी की गांठ लेकर बंसरी नहीं बनाया जाता है कबीर परमेश्वर ने विस्तार से सारशब्द का वर्णन कबीर सागर में दे रखा है केवल बीजक से काम नहीं चलेगा सभी ग्रंथ माननीय है सार शब्द विदेह स्वरूपा। निअच्छर वहि रूप अनूपा ॥ तत्त्व प्रकृतिभाव सब देहा। सार शब्द नितत्त्व विदेहा ॥ सत साहेब 🙏🙏
कबीर साहब कहते हैं मंत्र तंत्र सब झूठ है इनमें न भरमें कोय सार शबद जाने बिना कागा हंस न होय।सार शबद कबीर ने कया बताया है।वह तो रामपाल और इनके अनुयायी नहीं जानते हैं।
@dalusarware1569 😄 सुन ध्यान से सुना होगा तूने किसी पर जंतर मंतर हो गया अर्थात दूसरे शब्दों में टोना टोटका कोई जंतर मंतर वाली क्रिया किसी सिद्धि या लाभ , उपलब्धि के लिए करी जाती है और इसे प्राप्त सुख स्थाई नहीं है इन तांत्रिक क्रिया में तो केवल भ्रमित होना है जो सारशब्द मंत्र को जानता है वह आध्यात्मिक ज्ञान से परिचित हो जाता है वह अब कागा नहीं हंस है और परमात्मा का यह सारशब्द मूल मंत्र है इसलिए हमारे महाराज इस शब्द से अच्छी तरह परिचित है और तुम हवा में सट्टे मारते रहो तेरे में दम है तो अपने गुरु का नाम बताना
सच्चा संत केवल वे ही होता है जो अपने अनुयायियों को शास्त्र आधारित भक्ति विधि बताता है। सच्चा संत सृष्टि रचना और संसार रूपी उल्टे लटके हुए वृक्ष की पत्तों सहित सही जानकारी देता है। पवित्र गीता जी अध्याय 15 श्लोक 1-4 में भी यही प्रमाण मिलता है। केवल सच्चा संत ही हमें परमेश्वर कबीर जी की भक्ति की सही विधि बता सकता है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी ही एकमात्र तत्वदर्शी संत हैं।
वहां पर बांचिहो लिखा है बचिहो नहीं लिखा है। यहीं मेडम हेर फेर कर दिया है।ये तो गीता में संसार वृक्ष के बारे में कबीर साहब से पहले ही लिखा है।यह कही नहीं लिखा सत गुण विष्णु रजो गुण ब्रह्मा और तमो गुण शंकर।जबकी भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में अपने को तीन गुणों से परे बताया है। कितना और गीता में उलट फेर करोंगे।
कई पुराने में स्पष्ट जिक्र है मार्कंडेय पुराण पेज नंबर 123 सृष्टि की उत्पत्ति पर स्पष्ट लिखा हुआ है रजगुन ब्रह्मा तमगुण शंकर सत्गुण विष्णु यही तीन देवता है और यही तीन गुना है
Jai Ho bandi chhor ki 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
🙏🙏🙏🙏
सत साहेब जी
जो युग चार रहे कोई कासी। सार शब्द बिन यमपुर वासी।।
नीमषार बद्री परधामा। गया द्वारिका का प्राग अस्नाना।।
अड़सठ तीरथ भूपरिकरमा। सार शब्द बिन मिटै न भरमा।।
जय बंदी छोड की
बहुत ही सुन्दर बचन जो इन पारखियों को राह दिखाएगा संत साहेब ❤️❤️❤️🙏❤️❤️🙏❤️
कबीर,बेद पढे भेद नजाने बाचे पुराण अठार , पथ्थर कि पुजा करे भुल गये शी्र्जन हार ।📌📌
Sat Saheb bahan ji 😈😈💯💯🌹🌹🌷🌷😂😂😭😭🙏😈
❤ sat sahib❤
🙏
Sat sahib ji bahut अच्छा ज्ञान पारखी यों की आंख खुल जानी चाहिए अब
Sat saheb ji
सत साहिब जी
🙏🙏🙏❤️❤️सत साहेब जी बहना बिल्कुल सही कहा आपने बहना सत साहेब जी
Sat sahib ji
सत साहेब जी बन्दी छोड़ जगतगुरु तत्वदर्शीसन्त रामपाल जी भगवान की जय हो 🏳🦶🦶🙇♂️🙇♀️🙇♂️🙇♀️🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🪔🌹🙏🦶🦶🙇♂️🙇♀️🙇♂️🙇♀️🏳
💖👏🌺Sat Saheb ji.
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज के चरणों में दास का कोटि-कोटि प्रणाम 🙏🙏
संत रामपाल जी महाराज जी के अलावा मोक्ष कोई नहीं दे सकता
सत्य कहा सत साहेब जी
स्वरुप को पाये बिना मोक्ष कल्पना मात्र है
सत साहेब जी ❤
Sat guru rampal maharaj ki jay ho
बहन जी सत् साहेब जी🙏🙏🙏 जय हो बंदी छोड़ की
🙏🙏
पारखी लोग कबीर परमात्मा को एक इंसान मानते हैं
अब कहा जाएंगे सब भेद संत रामपाल जी महाराज ने खोल दिया है अब तो कबीर परमेश्वर मानना पड़ेगा नहीं तो नरख जागे पारखी
सत साहेब जी ❤ बंन्दी छोड़ जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज आपके चरणों में दास का कोटि-कोटि डंन्डवत प्रणाम स्वीकार हो ❤
परमेश्वर कबीर की जय हो
सत साहेब - जी
जय बंदी छोड की
Sat sahib ji 😮😮
सार शब्द विदेह स्वरूपा। निअच्छर वहि रूप अनूपा ॥
तत्त्व प्रकृतिभाव सब देहा। सार शब्द नितत्त्व विदेहा ॥
सार शब्द ही निःअक्षर का स्वरूप है। यह सार नाम (विदेह नाम) अनूप यानि अद्भुत है। सार शब्द तो विदेह है क्योंकि यह विदेह परमेश्वर का जाप मंत्र है। कबीर परमेश्वर विदेह हैं। विदेह-विदेह में भी अंतर होता है। जैसे राजा जनक को भी विदेह कहा जाता है और कबीर परमेश्वर जी भी विदेही हैं। जैसे एक सोने का आभूषण दो कैरेट स्वर्ण से बना है। वह भी स्वर्ण आभूषण कहा जाता है। दूसरा 24 कैरेट स्वर्ण से बना है तो दोनों ही स्वर्ण आभूषण कहलाते हैं, परंतु मूल्य में अंतर बहुत होता है। इसलिए कहा है कि जो अन्य प्रभु हैं (श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु, श्री शिव जी तथा राम-कृष्ण) वे सब पाँच तत्त्व के शरीर में हैं और परमेश्वर कबीर जी यानि सत्य पुरूष का शरीर निःतत्त्व यानि पाँच तत्त्व से रहित है। इसलिए विदेह परमात्मा का सार शब्द जाप मंत्रा है।
🙏सत साहेब बहन 🙏
Sat sahib ji 🙏
@@Durgathakur-0786 इसी तरह लगे रहो 🙏
हल्दी की गांठ लेकर बंसरी नहीं बनाया जाता है कबीर परमेश्वर ने विस्तार से सारशब्द का वर्णन कबीर सागर में दे रखा है केवल बीजक से काम नहीं चलेगा सभी ग्रंथ माननीय है
सार शब्द विदेह स्वरूपा। निअच्छर वहि रूप अनूपा ॥
तत्त्व प्रकृतिभाव सब देहा। सार शब्द नितत्त्व विदेहा ॥
सत साहेब 🙏🙏
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो
इस देहों को समझ नहीं आ रहा है रामपाल को।
कबीर साहब कहते हैं मंत्र तंत्र सब झूठ है इनमें न भरमें कोय सार शबद जाने बिना कागा हंस न होय।सार शबद कबीर ने कया बताया है।वह तो रामपाल और इनके अनुयायी नहीं जानते हैं।
@dalusarware1569 😄 सुन ध्यान से
सुना होगा तूने किसी पर जंतर मंतर हो गया अर्थात दूसरे शब्दों में टोना टोटका कोई जंतर मंतर वाली क्रिया किसी सिद्धि या लाभ , उपलब्धि के लिए करी जाती है और इसे प्राप्त सुख स्थाई नहीं है इन तांत्रिक क्रिया में तो केवल भ्रमित होना है
जो सारशब्द मंत्र को जानता है वह आध्यात्मिक ज्ञान से परिचित हो जाता है वह अब कागा नहीं हंस है और परमात्मा का यह सारशब्द मूल मंत्र है
इसलिए हमारे महाराज इस शब्द से अच्छी तरह परिचित है और तुम हवा में सट्टे मारते रहो
तेरे में दम है तो अपने गुरु का नाम बताना
❤❤❤❤🎉
सच्चा संत केवल वे ही होता है जो अपने अनुयायियों को शास्त्र आधारित भक्ति विधि बताता है। सच्चा संत सृष्टि रचना और संसार रूपी उल्टे लटके हुए वृक्ष की पत्तों सहित सही जानकारी देता है। पवित्र गीता जी अध्याय 15 श्लोक 1-4 में भी यही प्रमाण मिलता है। केवल सच्चा संत ही हमें परमेश्वर कबीर जी की भक्ति की सही विधि बता सकता है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी ही एकमात्र तत्वदर्शी संत हैं।
,🙏🙏💥💥🔥🔥
नितिन दास भी पारखी ( टकसारी ) पंथ । सत साहेब
नितिन के पास कुछ नहीं है मूर्ख बनाता है लोगों को सत साहेब जी 🙏
पाखंडी गुरु और पाखंडी शिष्य अपना झूठ गुरु की शान बढ़ाने के लिए सच्चाई को शिकार नहीं कर रहे और कुमार्ग के ऊपर जा रहे हैं
Kabir is god 💞💞💞💞💚💚💚💚💜💜💜💜💙💙💙💙⚘⚘⚘⚘🪔🪔🪔🪔🪔🙏🙏🙏🙏✅✅✅✅✅💯💯💯💯💯💯
इन पार को क,ख, ग़ भी नहीं पता कबीर साहिब जी की वाणी का
Ha बिलकुल सही कहा आपने
अनमोल बच्चन है
आपस में लड़ते रहो
कोसते रहो जब तक सांस रहे
कुंडलिनी जागने के बाद स्वयं जीव पार हो जाता है
तूम मूर्खो को कौन समझाए
नहीं तुम समझते रहो तुम्हें बस टाइम बहुत कोई कुछ भी कहे तुम अपना कर्म मत बिगड़ो तुम्हारा कम समझने का तुम समझते रहो
कबीर के नाम पर रामपाल चला रहा है दुकान।
वह दुकान तो ठीक चल रही है और यह दुकान पूरे विश्व में चलनी चाहिए क्योंकि रामपाल जी महाराज स्वयं परमेश्वर कबीर है
कबीर दास जी कि वाणी को मानते हैं आपके तरह कबीर को भगवान नहीं बताते बड़ा चढ़ा कर बोलना बंद करो
तो फिर मानो कबीर साहब की वाणी
ब्रह्मा विष्णु महेश और माया और ब्रह्म निरंजन कहिए इन पांचो मिल परपनंच बनाया वाणी हमारी लहिये
वहां पर बांचिहो लिखा है बचिहो नहीं लिखा है। यहीं मेडम हेर फेर कर दिया है।ये तो गीता में संसार वृक्ष के बारे में कबीर साहब से पहले ही लिखा है।यह कही नहीं लिखा सत गुण विष्णु रजो गुण ब्रह्मा और तमो गुण शंकर।जबकी भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में अपने को तीन गुणों से परे बताया है। कितना और गीता में उलट फेर करोंगे।
@@dalusarware1569 तू इतना ही सच्चा है तो अपने गुरु का नाम बताना परमात्मा को साक्षी मानकर
कई पुराने में स्पष्ट जिक्र है मार्कंडेय पुराण पेज नंबर 123 सृष्टि की उत्पत्ति पर स्पष्ट लिखा हुआ है रजगुन ब्रह्मा तमगुण शंकर सत्गुण विष्णु यही तीन देवता है और यही तीन गुना है
सत साहेब जी