mahalaxi bhajan sandhya 4 महालक्ष्मी भजन संध्या

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  • เผยแพร่เมื่อ 19 ก.ย. 2024
  • mahalaxi bhajan sandhya 4 महालक्ष्मी भजन संध्या#nashiba tera jag jayega #Aarti jag janni mata ki
    इस पर्व के तहत महाराष्ट्रीयन परिवार में 'महालक्ष्मी आली घरात सोन्याच्या पायानी, भर भराटी घेऊन आली, सर्वसमृद्घि घेऊन आली' ऐसी पंक्तियों के साथ महालक्ष्मी की अगवानी की जाती है।
    माता लक्ष्मी अपने परिवार के साथ हमारे घर में आएं। घरों में सुख-संपन्नता और सदैव लक्ष्मी का वास हो, कुछ ऐसी ही मनोकामना के साथ महाराष्ट्रीयन परिवार तीन दिवसीय महालक्ष्मी उत्सव का आयोजन करते हैं। इन परिवारों में यह परंपरा कई पी़ढि़यों से चली आ रही है। महालक्ष्मी व्रत में घर को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है और तीन दिनों तक विविध आयोजन किए जाते हैं।
    जेठानी-देवरानी की कथा :- भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी से महालक्ष्मी उत्सव का शुभारंभ हो गया। ऐसी मान्यता है कि माता लक्ष्मी के जिस रूप की पूजा की जाती है वो जेठानी-देवरानी हैं। अपने दो बच्चों के साथ वो इन दिनों मायके आती हैं। मायके में आने पर तीन दिनों तक उनका भव्य स्वागत किया जाता है। पहले दिन स्थापना, दूसरे दिन भोग और तीसरे दिन हल्दी कुमकुम के साथ माता की विदाई। इसके साथ ही महाराष्ट्रीयन समाज में छह दिवसीय गणपति उत्सव की भी समाप्ति हो जाती है।
    कई स्थानों पर महालक्ष्मी उत्सव बेहद ही उत्साह और उम्दा तरीके से मनाया जाता है। महालक्ष्मी उत्सव के दौरान लक्ष्मी जी के पंडाल को आकर्षक तरीके से सजाया जाता है। महालक्ष्मी की पूजा फुलहरा बांधकर की जाती है। घरों में तरह-तरह के पकवान बनते हैं। यह पूजा विशेष कर घर की बहुओं द्वारा की जाती है। महिलाएं साथ में मिलकर ढोलक-मंजीरों के साथ भजन-कीर्तन गाती हैं।
    कहा जाता है कि लक्ष्मी की इन मूर्तियों में कोई भी बदलाव तभी किया जा सकता है जब घर में कोई शादी हो या किसी बच्चे का जन्म हुआ हो। माता की प्रतिमाओं के अंदर गेहूं और चावल भरे जाते हैं, जो इस बात का प्रतीक है कि घर धन-धान्य से भरा-पूरा रहे
    इस अवसर पर अष्टमी के दिन महालक्ष्मीजी को छप्पन भोग लगाया जाता है। सोलह सब्जियों को एक साथ मिलाकर भोग लगाया जाता है। साथ ही ज्वार के आटे की अम्बिल और पूरन पोली का महाप्रसाद प्रमुख होता है।
    56 भोगों में पुरणपोळी, सेवइयां, चावल की खीर, पातळभाजी, तिल्ली, खोपरा, खसखस तथा मूंगफली के दाने की चटनी, लड्डू, करंजी, मोदक, कुल्डई, पापड़, अरबी के पत्ते के भजिए आदि सामग्री का केले के पत्ते पर भोग लगाया जाएगा। परंपरानुसार ब्राह्मण, बटुकों व सुहागिनों को भोजन व प्रसाद का वितरण किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि माता लक्ष्मी की आराधना से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
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ความคิดเห็น • 1

  • @NituSingh-c1v
    @NituSingh-c1v ชั่วโมงที่ผ่านมา

    Lakshmi Mata Jay Lakshmi 🙏🙏🙏🙏🥀🥀🥀🥀🥀🥀🌹🌹🌹🌹🙏