Devta Shirgul Maharaj, Jadol Taproli, Rajgarh, Sirmaur, Himachal Pradesh.

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  • เผยแพร่เมื่อ 25 ม.ค. 2024
  • बहुत वर्षो पहले राजगढ़ के पझौता वैली के जदोल गांव में भूत, प्रेतों व तामसिक शक्तियों का निवास था ।। दिन के दोपहर में भूत व प्रेत यहां विचरण करते रहते थे ।। इसके अतिरिक्त जंगली जानवर भी दिन के समय यहां विचरण करते रहते थे लोगों का गांव में ऐसी विपरीत परिस्थितियों में बाहर निकलना मुश्किल हो गया था ।। तब इन सभी प्रपंचों से व्याकुल हो जदोल गांव की बालिकाएं व गांव की सुहागनें शिरगुल महाराज के ज्येष्ठ स्थान ठंडीधार ( शाया के बाद शिरगुल महाराज का दूसरा ज्येष्ठ स्थान), पहुंची और शिरगुल महाराज को अपनी व्यथा व समस्याओं को दूर करने की गुहार लगाई, देवता ने उनका निवेदन स्वीकार किया और गांव की सुहागिनों के साथ देवता शिरगुल महाराज जदोल गांव आए और वहां प्रतिष्ठित हुए ।। देवता शिरगुल महाराज पझौता क्षेत्र में जदोल गांव को अपनी राजधानी कहते हैं तथा ठंडीधार शिरगुल महाराज का मुख्य स्थान है जहां से वो संपूर्ण पझौता क्षेत्र में‌ अपना एक छत्र राज चलाते हैं ।। जदोल गांव में‌ देवता शिरगुल महाराज को वहां की सुहागिनें लाई तथा उनके अनुग्रह पर ही वो‌ इस गांव में‌ प्रतिष्ठित हुए जिससे इस गांव में सभी प्रकार के प्रपंच होना बंद हो गए, इसलिए जदोल के शिरगुल महाराज को "लाडियों का देवता" भी कहते हैं ।। Source : @ankush_kanwar_
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