अगर ऐसा ही है गोरखनाथ तो बहुत पहले हुए और रामानंद के समय भी रामानंद से ज्ञान चर्चा के लिए धरती पर आई 👉 अगर धरती पर आए उनका मोक्ष नहीं हुआ जो वह पहले साधना करते थे उसे ( गीता 15,4 के अनुसार मोक्ष प्राप्त भक्तजन दुबारा पृथ्वी पर नहीं आते ) वह तो कबीर साहिब ने उन्हें पूर्ण भक्ति विधि दी जाकर उनका मोक्ष हुआ -- ( कबीर साहिब ही पूर्णब्रह्म परमात्मा है ) और यह कोई कहानी नहीं है गोरखनाथ ने कबीर साहेब के आगे घुटने टेक दिए थे पूरा इतिहास गवाह है कबीर के शिष्य रविदास है जरा यूट्यूब पर सर्च मार रविदास और गोरखनाथ अगर गोरखनाथ इतनी समरथ होते तो रविदास के ऊपर उनकी सिद्धि काम कर जाती
जय शिव गोरखनाथ जी को आदेश आदेश🇮🇳🌹🚩🇮🇳🌹🚩🇮🇳🌹🚩🇮🇳🌹🚩🇮🇳🌹🚩 गोरख, नानक, दत्त कबीरा ये ती कानो एक शरीरा ,,,,,,हे प्राणियों महात्मा ,योगी , सादु संतो में भेद भाव मत करो ईनके लिए तो सब एक समान है
गोरखनाथ एक शृंखला की पहली कड़ी हैं। उनसे एक नये प्रकार के धर्म का जन्म हुआ, आविर्भाव हुआ गोरखनाथ के बिना न तो कबीर हो सकते हैं, न नानक हो सकते हैं, न दादू, न वाजिद, न फरीद, न मीरा-गोरखनाथ के बिना ये कोई भी न हो सकेंगे
Kuch ye kabir panthi wrong picture dilkha rahe hai, nath panth ke sath kisiki tulna nahi ho sakti , ye kuch log hai ,wo hi bar bar es thrah logonko fasa rahe hai , unka matlab ,hindu logo ko nicha dikhane ki chal hai, kabir was good saint for specific time period
कबीर कहता है की मन मरा न ममता मरि मर मर गया शरीर आशा तृष्णा मरी नहीं कह गया दास कबिर फिर गोरखनाथ जी कहतें हैं आशा तृष्णा मार के गोरख हो गये फकिर रामा नन्द पहुचा नही तु क्यो पचे कबिर
@@vijaykhedkar8312 हा भाई सच कहा. ऐ सब कबीर के चेले पौंड्रक के वंशज है..! गोरक्षनाथ तो सतयुग त्रेतायुग द्वापारयुग कलियुग के प्रारंभ से है कबीर 500 साल पहले आया और अब मर भी गया मगर गोरक्षनाथ आज भी सच्चे भक्त की मनोकामना पुरी करते हैं..
बहस दो मूर्खो में होते हैं, दी ज्ञानियों के बीच नहीं । बेवकूफ ही इस तरह के अटकलें गढ़ते हैं। वो शास्त्र, पुराण, फिल्म, कथा ने बहुतों को बेवकूफ बना रखा है । उनके अनुसार दो भगवान भी लड़ते हैं। जो जिस संस्कार के होते उनकी कहानी भी उसी संस्कार लेके आती है
@@SurajDhiman-cz4fnTera Bap 😂 or hum sab ka bap Kabir ka bhi bap gurugorakhnath ha me dhanak hu or Kabir bhi bhi dhanak ha or Dhanak or Kabir das ke purbaj gurugorakhnath ha humra bagwan Nhi vo ha
महाशय आप आधे ज्ञानी हो।आपको जब पूर्ण ज्ञान होगा तब आपके लिए सब कुछ एक समान होगा। सच्चा धर्म प्रेमी वही है जो सभी धर्मों का समान आदर करें । संत सिरोमणी श्री गौरखनाथ जी अर्थात् गौ माता की रक्षा करने वाले ।आधा ज्ञान पाने के कारण आप अहंकार में अपने धर्म को महत्व दे रहे हैं। सर्व प्रथम हमारा जो धर्म है वो है जगत की सेवा जो हमें सभी धर्म सीखाते है। आप सभी लोगों की टिप्पणीयो से मुझे बहुत दुःख हुआ है।
जिसको गोरख नाथ अंत समय तक ढूंढते रहे । अलख निरंजन अलख निरंजन । कबीर जी ने पुराण निरंजन को खोजा भी और काल पर जीत भी हासिल की । और वरन 4 है जिसमे वेसनाव पंथ विष्णु से है और अनंत भी विष्णु है जय गुरु देव
*अवधु अविगत से चल आया, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।।* *सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा।।* *तारन तरन अभै पद दाता, मैं हूं कबीर अविनासी।।* मुक्तिदाता कबीर साहिब भवसागर से पार लगाने वाले मुक्ति को देने वाले कबीर साहिब अमर मंत्र जिससे सुमिरन करने से मोक्ष होता है वह कबीर साहेब का है कबीर साहेब तत्व ज्ञान देने के लिए परम धाम से आते हैं मुक्तिधाम से
कबीर साहेब ने नाम सिमरन भगति का उपदेश दिया है ,गोरख नाथ जी हठ योग ,और अन्य योग साधनों के द्वारा प्रमाता को खोजते थे, आज के समय में योग करना मुश्किल है और ग्रस्ति वाला तो कर ही नहीं सकता ,,,,कबीर साहेब की बाणी दिल में उतर जाती है ,कबीर साहेब की बाणी भूत विशाल है ,गुरु नानक साहेब ने भी कबीर साहेब का जिक्र किया है,कबीर साहेब ने जातिवाद, अशुत प्रथा का खण्डन किया, और ढोंग पाखंड को दूर करने में अपना जीवन समर्पित किया
कबीर गुरु और गोरख चेला, सात दीप मे फिरे अकेला कबीर जी ने गोरख जी को सतनाम दिया था लेकिन सार नाम नहीं दिया अब गोरख नाथ वापस पुनर्जन्म लेगा दिल्ली मे और एक हजार वर्ष राज्य करेगाऔर कबीर साहेब से सारनाम लेकर सतलोक जाएगा ऐसा ज्ञान संत रामपाल जी महाराज ने दिया है 🙏🏻
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी परमेश्वर बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान की जय बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जय परमेश्वर बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो बंदी छोड़ की
सत्य यह है। कि जिसको ज्ञान हो जाता है तो वह समग्र हो जाता है, उसकी बुद्धि शुद्ध हो जाती है उसमें भाव अभाव भेदा अभेद तैरा मेरा छोटा बड़ा हार जीत की भावना ये सब समाप्त हो झाते हैं। कबीर दास तो अच्छे संत हुए पर उनके पंथ को लोगों ने दूषित कर दिया। कबीर दास के आज चेले भक्ति छोड़कर सिर्फ निंदा करने में लगे हैं। निंदा का बहुत बड़ा पाप लगता है और यही कबीर पंथियों को लग गया है।
गोरखनाथ बहुत पहले हुए थे कबीरदास तो अभी कोई पांच सौ साल पहले ही हुए है। उनमें आपस में कैसे वारतालाप हुई। असल में गोरखनाथ जी के पराक्रम से कबीर पंथियों चिड ईरष्या हो गई इसलिए उनकी निंदा कर अपने मन को शांत करने का पडपच कररहे हैं।
क्यों नकल करते हो भाई महापुरुषों की संत बहुत दूर की बात है पहले साधक बनकर दिखाओ पहले पहला नाम पार करके दिखाओ अगर सत्यता है तुमने तो सही दल कमल पर आकर मिलो झूठे भैरव पिया क्यों भोली भाली जनता को पागल बनाते हो तुम कौन हो तुमको तुम अच्छी तरह से जानते हो मेरे को ला बोलना पड़े तो अच्छा है अभी भी वक्त है संभल जाओ वहां की बात करना तो दूर की बात है तुम तीन खंड से आगे कभी जा ही नहीं सकते हो
भगवान श्री कृष्ण ने भी गोरक्षनाथ जी की स्तुति की है| सिद्धा नामच महासिद्ध | ऋषि नामच ऋषिश्वर : योगेनामच चैव योगेंद्र : श्री गोरक्ष नमोस्तुते | गोरक्ष नाथ साक्षात महादेव है | कबीर जी के पहले का अवतार है गोरखनाथजी का | भगवान शिव ही हर युग में गोरखनाथ रूप में आते है
भगवान- ऐसे झूठों से बन जाए बाबा गुरु गोरखनाथ भगवान शिव के अवतार थे-प्रथम चार संप्रदाय है-प्रथम आदिनाथ जी की- नाथ संप्रदाय भगवान विष्णु जी की 10 नाम सन्यासी-ब्रह्मा जी की उत्पत्ति की दो संप्रदाय उदासी और वैरागी कबीर जी भी नाथ संप्रदाय के बताए हुए मार्ग पर चलें हैं
गोरखनाथ की साधना दसवें द्वार तक है अर्थात ब्रह्मलोक तक जबकि कबीर साहिब ने 12वीं द्वार के पार पूर्णब्रह्म मिलेंगे बताया -- गुरु नानक की भी साधना 12वीं द्वार तक थी गुरु रविदास की भी
#बोधदिवस_पर_विश्व_को_न्यौता 3 Days Left For Bodh Diwas 17 फरवरी को संत रामपाल जी महाराज ji का बोध दिवस है। इसी दिन से विश्व कल्याण के लिए अवतरित इस पूर्ण संत ने दिन रात एक कर दिया और कुछ ही वर्षों में वह कर दिखाया जो दुनिया भर के भविष्यवक्ता कहते आये हैं।
यह पुस्तक कबीर दास के भक्त ने लिखी है अतःकबीरदासजी कोश्रेष्ठ दिखानेकाप्रयास किया है। गोरखनाथ जी ने गोरखवाणी में मोक्ष प्राप्ती का मार्ग बताया - दिखाया है।
अन्यथा वेदपाण्डित्यं शास्त्रमाचारमन्यथा। अन्यथा कुवच: शान्तं लोका: क्लिश्यन्ति चान्यथा॥ भावार्थ- वेदों के तत्वज्ञान को, शास्त्रों के विधान को, उत्तम पुरुषों के चरित्र को मिथ्या कहने वाले लोक-परलोक में भारी कष्ट उठाते हैं। व्याख्या- हमारे प्राचीन ऋषियों ने वर्षों की साधना के बाद वेद शास्त्रों के रुप में जिस तत्वज्ञान का प्रकाश फैलाया तथा जनसाधारण के कल्याण के लिए जिन आचारणीय नियमों का विधान किया, उस तत्वज्ञान और आचार-विचार की निंदा करने वाले अधार्मिक लोग मूर्ख हैं। यह उन ऋषि मुनियों की आज्ञाओं का उल्लंघन करने वाला और घोर अधार्मिकता फैलाने वाला कार्य है जो महान दण्डनीय है ऐसे व्यक्ति जो वेदों एवं शास्त्रों की निंदा कर अधर्म का पक्ष मजबूत करते हैं, वे सदा निन्दनीय एवं त्याज्य हैं। समाज के हितों के भक्षक ऐसे लोग उस परम सत्ता के कोप का शिकार हैं और जन्म जन्मान्तर तक विभिन्न योनियों में भटकते रहते हैं। अत: समाज को चाहिए कि ऐसे नास्तिक लोगों का बहिष्कार करे।- आचार्य चाणक्य!
Devi mahapuran ke 3rd skandh me shivji svaym devi ko apni mata kahake kahte h ki he jagat janni ham tridev to nashvaan h keval is jagta me aap hi amar h Or agar yah tridev paramaatma hote to ham sadiyo se inki pooja kar rahe h fir bhi itne dukhi kyo Kyo satyug me sadhu sant tridevo ko chod jungle me tap karne jaate the Jabki us samy to tridev inke sath hi rahte the Kyo krishna ji apni nagri ko samundra me dubne se bacha nhi sake kyo krishna ji ka putra pradhyuman madira ka sevan karta tha Or bhi adhik janne ke liye raampaal ji ke amrit pravachn sune sham 7.30 par sadhna or popcorn tv par
कबीर साहिब उस स्थान से तत्व ज्ञान देने के लिए आते हैं जो मोक्ष धाम है जिसकी पहुंच से गोरखनाथ दूर है जबकि गोरखनाथ त्रिलोक के वासी है जो नाशवान है ।। आदरणीय गोरखनाथ को कबीर साहिब ने दीक्षा दी तब जाकर उनका कल्याण हुआ
Are guru gorakh nath ji ko sivguru gorakhnath ji naam se jana jata hai To woo q kese k sesya banege Or guru gorakh nath k suyam 9 nath or 84 sedh or 1400 sesy the samjee Woo jagat guru hai unke jesaaa koi naa tha naa hai or na hogaa Jai sri guru gorakhnath Om namah shivay
गुरु गोरखनाथ दसवीं से ग्यारहवीं शताब्दी तक रहे। वहीं कबीरदास का जन्म तेरहवीं या चौदहवीं शताब्दी में हुआ। उनके बीच में बहस हुई तो कैसे हुई। कृपया स्पष्ट करें।
भाई जी, आप सत्संग शुरू से ही ध्यान से सुन लेते तो ये प्रशन मन में नही आता, लेकिन फिर भी सुनो, शुरू मे ही गुरु जी ने कहा है की साधु लोग पितर लोक मे चले जाते है, ये इतने सीध होते है इनका जब दिल चाहे धरती लोक पर आजाते है, जैसे हम कॉलेज के परधान होकर पास आउट होने पर भी कभी कभी अपनी ओर इज्जत पाने के चक्कर मे कॉलेज की विजित कर आते हैं
जय श्री नाथ जी, ये कहानी पूरी की पूरी मन घडत है, गुरु गोरख नाथ जी महाराज जी शीव शंकर जी के अवतार हैं, और अजर अमर हैं,कबीर जी भी महान संत थे,लेकिन सत्संग में इस प्रकार की कहानी बताकर कुछ लोग जनता को मुर्ख बनाने का काम दिन और रात करते हैं, ऐसे लोग कभी कुछ हासिल नहीं कर सकते और भोली भाली जनता को गाय की तरह काट रहें हैं,भाई और बहनों ऐसे लोगों से बच कर रहना, ऐसे लोग धर्म के नाम पर अपनी दुकान चला रहें हैं, ऐसे लोग भोली भाली जनता को फँसा कर अपने को ईस्वर बताते हैं, एक संत कभी भी ऐसी बात नहीं करेगा, गोरख नाथ जी महाराज की बुराई करने वालो अपने गिरे बान में झाँक कर देखो,ये बात इतिहास में कंही नहीं है, सभी संत महान हैं, लेकिन कुछ लोग अपनी दुकान चलाने के लिए इस प्रकार के प्रोपगंडा करते रहते है और अपने को भगवान बोलते हैं, इस प्रकार के बहुत सारे लोग अभी कलयुग में बहुत मिल जाँएगे, हम सबको ऐसे लोंगो से सावधान रहना होगा, हमें किसी भी संत की बुराई नहीं करनी चाहिए और बुराई करने वालों के खिलाफ शक्त कड़ाई से पेस आना चाहिए, सत्संग में इस प्रकार का ज्ञान कोई संत नहीं बता सकता क्योंकि ये एक महान संत की बुराई कर रहा है, और इनके शिष्य क्या ज्ञान लेकर जाएँगे क्या ये बातें सत्संग की है सत्संग में जीव को भावसागर पार करने का ज्ञान दिया जाता है, किसी संत की बुराई नहीं की जाती आप इतिहास उठा कर देख लो संत कोई भी पंथ का हो वो सत्संग में ज्ञान की बात करेगा , जय हिन्द, जय महान संतो की, 🙏🙏
गरीब दास जी की अमर वाणी में प्रमाण है की गोरखनाथ जी की ज्ञान गोष्ठी कबीर साहेब से ही हुई थी, माना की गोरखनाथ की महिमा बहुत है लेकिन वो महिमा भी कहीं से सुनी ही थी हम लोगो ने बिना शंका करे, हम किसी को नीचा या ऊचा नहीं दिखा सकते लेकिन संतों की वाणियों में यही प्रमाण है जैसा इस विडियो में बताया है, एक तो हमने कभी गोरखनाथ को देखा नहीं और ना ही कभी हम उनसे मिले तो हम खुदसे नहीं कह सकते की कौन कितना शक्ति वाला है, इसलिए हमारे लिए गीता, वेद और संतों की वाणी ही आधार होती है असली सोना परखने की। गरीब दास जी ने कहा है -" गरीब, गोरखनाथ सिद्धि में फूला, टिम्ने - टामन हांडे फूला" अर्थात गोरखनाथ के पास ऐसी सिद्धियाँ थी की जनता आश्चर्य हो जाती थी लेकिन गरीब दास जी ने बताया है की गोरखनाथ सिद्धियों को ही प्राप्त करके अहंकारी हो गए लेकिन सिद्धि से मोक्ष नहीं क्योंकि गीता में भगवान खुद कहते हैं की - "मेरे विराट रूप के दर्शन ना वेदों में वर्णित विधि से, ना जप से, ना तप से हो सकते हैं। " अध्याय- 11 श्लोक- 22-47 में अर्जुन खुद कहते हैं की भगवान आप तो सिद्धों को भी खा रहे हो, देवताओं को भी खा रहे हो, ऋषियों को भी खा रहे हो, सब वेदों के उत्तम स्त्रोतों को बोलकर मंगल हो मंगल हो कह रहे हैं लेकिन आप उन्हें भी खा रहे हो। ".. . फिर गीता ज्ञान दाता कहते हैं की -" मैं काल हूँ अब सबको खाने के लिए आया हूँ "... अगर तुझे परम शांति और सनातन परम धाम अर्थात सतलोक चाहिए तो उस परमेश्वर की शरण में जा जिसकी कृपया से तू उस शाश्वत स्थान अर्थात सतलोक को प्राप्त होगा (अध्याय-18 श्लोक- -62, अध्याय-15 श्लोक- 1-4)
कबीर दास । और रविदास की गोस्टी सुनो आपका भ्रम दूर हो जाएगा । अर्जुन को बिस्नु ने वेराट दिखाया था । लेकिन दूसरी बार अर्जुन ने पूछा तो उन्हे कुछ याद नहीं था इससे ये सिद्ध होता है की काल विष्णु पर हावी हो गया था ।
कबीर साहेब और गोरख नाथजी का सत्संग कई बार हुआ है लेकिन रामपाल ने इसमें दमेडे घने जोड़ दिए कबीर साहेब उस समय कोई बालक नहीथे बाड़ी उम्र के थे और जब गोरखनाथजी को ये कन्फर्म होगया की मेरे ज्ञान से आगे भी बहुत ज्ञान है तो उन्होंने कबीर साहेब से रिक्वेस्ट की कि मुझे पूर्ण ज्ञान दीजिए तो कबीर साहेब ने उन्हे उस शरीर में सत्य का भेद नहीं दिया फिर गोरख नाथ सात साल के बच्चे के रूप में गुरुनानक साहेब के घर में प्रकट हुए जो नानक साहेब के बड़े लड़के बाबा श्रीचंद थे क्योंकि उस समय कबीर,रविदास,गुरु नानक पूर्ण संत थे तो गोरख नाथ ने बाबा श्रीचंद के रूप में आकर बाबा नानक से सत्य का ज्ञान प्राप्त किया था ।
वाणी से प्रमाण कबीर उसमें समय बालक रूप में थे *कह कबीर सुन गोरखनाथा, चर्चा करो हमारे साथा।* *प्रथम चर्चा करो संग मेरे, पीछे मेरे गुरु को टेरे।* *बालक रूप कबीर निहारी, तब गोरख ताहि वचन उचारी।* वाणी से स्पष्ट है गोरखनाथ ने बालक रूप में देखा कबीर को रामपाल जी महाराज का ज्ञान ना समझ कर लोग अपने आप को ही ज्ञानी समझते हैं जबकि वे अज्ञानी है रामपाल जी महाराज बिल्कुल सही साबित हुए ।। भाई बोलने वाली साखी है उसमें मरदाना गुरु नानक से पूछता है आपके गुरु कौन तब गुरु नानक बोलते हैं मेरे गुरु जिंदा बाबा है । धर्मदास कबीर के शिष्य है धर्मदास की वाणी में जिंदा बाबा कबीर साहिब संत गरीब दास की वाणी में जिंदा बाबा कबीर साहिब कबीर साहिब की वाणी में कबीर साहेब बोलते हम पंजाब देश जिंदा बाबा का रूप बना कर गए से साबित है गुरु नानक के भी गुरु कबीर साहिब है
आज तक हमें किसी भी गुरु कबीर साहिब और गुरु रविदास महाराज की वाणियो में कहीं भी रमा नंद को गुरु नहीं कहा है ,संत अपने गुरु के गुणगान करते है ,परंतु इन संतों ने अपने गुरु रामानंद की क्यों सतुती नही की , गुरु कबीर और गुरु रविदास के मत और रामा नंद के मत अलग अलग थे ,रामा नंद सगुण के पुजारी थे और ये दोनो संत निगुण को मानते थे ,तो कैसे कहा जा सकता है कि ये दोनो संत ( गुरु ) ,रामा नंद के शिष्य थे ?
गरीब दास जी की अमर वाणी में प्रमाण है की गोरखनाथ जी की ज्ञान गोष्ठी कबीर साहेब से ही हुई थी, माना की गोरखनाथ की महिमा बहुत है लेकिन वो महिमा भी कहीं से सुनी ही थी हम लोगो ने बिना शंका करे, हम किसी को नीचा या ऊचा नहीं दिखा सकते लेकिन संतों की वाणियों में यही प्रमाण है जैसा इस विडियो में बताया है, एक तो हमने कभी गोरखनाथ को देखा नहीं और ना ही कभी हम उनसे मिले तो हम खुदसे नहीं कह सकते की कौन कितना शक्ति वाला है, इसलिए हमारे लिए गीता, वेद और संतों की वाणी ही आधार होती है असली सोना परखने की। गरीब दास जी ने कहा है -" गरीब, गोरखनाथ सिद्धि में फूला, टिम्ने - टामन हांडे फूला" अर्थात गोरखनाथ के पास ऐसी सिद्धियाँ थी की जनता आश्चर्य हो जाती थी लेकिन गरीब दास जी ने बताया है की गोरखनाथ सिद्धियों को ही प्राप्त करके अहंकारी हो गए लेकिन सिद्धि से मोक्ष नहीं क्योंकि गीता में भगवान खुद कहते हैं की - "मेरे विराट रूप के दर्शन ना वेदों में वर्णित विधि से, ना जप से, ना तप से हो सकते हैं। " अध्याय- 11 श्लोक- 22-47 में अर्जुन खुद कहते हैं की भगवान आप तो सिद्धों को भी खा रहे हो, देवताओं को भी खा रहे हो, ऋषियों को भी खा रहे हो, सब वेदों के उत्तम स्त्रोतों को बोलकर मंगल हो मंगल हो कह रहे हैं लेकिन आप उन्हें भी खा रहे हो। ".. . फिर गीता ज्ञान दाता कहते हैं की -" मैं काल हूँ अब सबको खाने के लिए आया हूँ "... अगर तुझे परम शांति और सनातन परम धाम अर्थात सतलोक चाहिए तो उस परमेश्वर की शरण में जा जिसकी कृपया से तू उस शाश्वत स्थान अर्थात सतलोक को प्राप्त होगा (अध्याय-18 श्लोक- -62, अध्याय-15 श्लोक- 1-4)
आपने ठीक है गुरू गौरख नाथ को नहीं देखा पर आपने कबीर जी को देख लिया।कैसी बातें करते हो आप।कबीर ऐक नास्तिक थे। गुरू गौरख नाथ तो स्वमं सबको मूकति देने वाले हैं।उनको कोन मूकती देगा। ऐक राजा को कहां जाऐ की आपको राजा बनातें है।ये संसार कर्मो से चलता है। अच्छे कर्म करो।सब अच्छा होगा। किताबों से ज्ञान मिलता है। मुक्ती नहीं। मुक्ती तो अच्छे कर्मों से मिलगी।
@@GuruGorkhBhakti गीता का अनुवाद अनगिनत संतों और गुरूओं ने करा है, अब समस्या ये आती है की सही अनुवाद और सही गुरु कौन है? इसलिए मालिक ने सबको शिक्षित बनाया की सभी धर्म के लोग अपने सद्ग्रन्थों से ही सही गुरु को पहचान ले और सुखी जीवन जीये और मोक्ष प्राप्त करे। इसलिए संत रामपाल जी गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित गीता के अनुवाद से ही प्रमाण जनता को देते हैं , अध्याय -4 श्लोक- 25-32 में कहा है की कोई देवताओं की पूजा करता है, कोई स्वाध्याय, कोई अहिंसा वादी वृत जैसे जैनी, और भी अनेक साधनाओं को साधक पाप नाशक समझते हैं , लेकिन गीता अध्याय- 4 श्लोक - 32 में वर्णन है की धार्मिक अनुष्ठानों की जानकारी सच्चीदानंदघन ब्रह्म की वाणी में विस्तार से कहे हैं , जिनको तू तत्वदर्शी संतों के पास जाकर समझ (अध्याय-4 श्लोक - 34) उनको दण्डवत प्रणाम कर , कपट छोड़कर सरता पूर्वक प्रश्न करने से वो संत तुझे उस परमात्मा के तत्व की जानकारी देंगे।
गरीब दास जी की अमर वाणी में प्रमाण है की गोरखनाथ जी की ज्ञान गोष्ठी कबीर साहेब से ही हुई थी, माना की गोरखनाथ की महिमा बहुत है लेकिन वो महिमा भी कहीं से सुनी ही थी हम लोगो ने बिना शंका करे, हम किसी को नीचा या ऊचा नहीं दिखा सकते लेकिन संतों की वाणियों में यही प्रमाण है जैसा इस विडियो में बताया है, एक तो हमने कभी गोरखनाथ को देखा नहीं और ना ही कभी हम उनसे मिले तो हम खुदसे नहीं कह सकते की कौन कितना शक्ति वाला है, इसलिए हमारे लिए गीता, वेद और संतों की वाणी ही आधार होती है असली सोना परखने की। गरीब दास जी ने कहा है -" गरीब, गोरखनाथ सिद्धि में फूला, टिम्ने - टामन हांडे फूला" अर्थात गोरखनाथ के पास ऐसी सिद्धियाँ थी की जनता आश्चर्य हो जाती थी लेकिन गरीब दास जी ने बताया है की गोरखनाथ सिद्धियों को ही प्राप्त करके अहंकारी हो गए लेकिन सिद्धि से मोक्ष नहीं क्योंकि गीता में भगवान खुद कहते हैं की - "मेरे विराट रूप के दर्शन ना वेदों में वर्णित विधि से, ना जप से, ना तप से हो सकते हैं। " अध्याय- 11 श्लोक- 22-47 में अर्जुन खुद कहते हैं की भगवान आप तो सिद्धों को भी खा रहे हो, देवताओं को भी खा रहे हो, ऋषियों को भी खा रहे हो, सब वेदों के उत्तम स्त्रोतों को बोलकर मंगल हो मंगल हो कह रहे हैं लेकिन आप उन्हें भी खा रहे हो। ".. . फिर गीता ज्ञान दाता कहते हैं की -" मैं काल हूँ अब सबको खाने के लिए आया हूँ "... अगर तुझे परम शांति और सनातन परम धाम अर्थात सतलोक चाहिए तो उस परमेश्वर की शरण में जा जिसकी कृपया से तू उस शाश्वत स्थान अर्थात सतलोक को प्राप्त होगा (अध्याय-18 श्लोक- -62, अध्याय-15 श्लोक- 1-4)
गरीब दास जी की अमर वाणी में प्रमाण है की गोरखनाथ जी की ज्ञान गोष्ठी कबीर साहेब से ही हुई थी, माना की गोरखनाथ की महिमा बहुत है लेकिन वो महिमा भी कहीं से सुनी ही थी हम लोगो ने बिना शंका करे, हम किसी को नीचा या ऊचा नहीं दिखा सकते लेकिन संतों की वाणियों में यही प्रमाण है जैसा इस विडियो में बताया है, एक तो हमने कभी गोरखनाथ को देखा नहीं और ना ही कभी हम उनसे मिले तो हम खुदसे नहीं कह सकते की कौन कितना शक्ति वाला है, इसलिए हमारे लिए गीता, वेद और संतों की वाणी ही आधार होती है असली सोना परखने की। गरीब दास जी ने कहा है -" गरीब, गोरखनाथ सिद्धि में फूला, टिम्ने - टामन हांडे फूला" अर्थात गोरखनाथ के पास ऐसी सिद्धियाँ थी की जनता आश्चर्य हो जाती थी लेकिन गरीब दास जी ने बताया है की गोरखनाथ सिद्धियों को ही प्राप्त करके अहंकारी हो गए लेकिन सिद्धि से मोक्ष नहीं क्योंकि गीता में भगवान खुद कहते हैं की - "मेरे विराट रूप के दर्शन ना वेदों में वर्णित विधि से, ना जप से, ना तप से हो सकते हैं। " अध्याय- 11 श्लोक- 22-47 में अर्जुन खुद कहते हैं की भगवान आप तो सिद्धों को भी खा रहे हो, देवताओं को भी खा रहे हो, ऋषियों को भी खा रहे हो, सब वेदों के उत्तम स्त्रोतों को बोलकर मंगल हो मंगल हो कह रहे हैं लेकिन आप उन्हें भी खा रहे हो। ".. . फिर गीता ज्ञान दाता कहते हैं की -" मैं काल हूँ अब सबको खाने के लिए आया हूँ "... अगर तुझे परम शांति और सनातन परम धाम अर्थात सतलोक चाहिए तो उस परमेश्वर की शरण में जा जिसकी कृपया से तू उस शाश्वत स्थान अर्थात सतलोक को प्राप्त होगा (अध्याय-18 श्लोक- -62, अध्याय-15 श्लोक- 1-4)
गरीब दास जी की अमर वाणी में प्रमाण है की गोरखनाथ जी की ज्ञान गोष्ठी कबीर साहेब से ही हुई थी, माना की गोरखनाथ की महिमा बहुत है लेकिन वो महिमा भी कहीं से सुनी ही थी हम लोगो ने बिना शंका करे, हम किसी को नीचा या ऊचा नहीं दिखा सकते लेकिन संतों की वाणियों में यही प्रमाण है जैसा इस विडियो में बताया है, एक तो हमने कभी गोरखनाथ को देखा नहीं और ना ही कभी हम उनसे मिले तो हम खुदसे नहीं कह सकते की कौन कितना शक्ति वाला है, इसलिए हमारे लिए गीता, वेद और संतों की वाणी ही आधार होती है असली सोना परखने की। गरीब दास जी ने कहा है -" गरीब, गोरखनाथ सिद्धि में फूला, टिम्ने - टामन हांडे फूला" अर्थात गोरखनाथ के पास ऐसी सिद्धियाँ थी की जनता आश्चर्य हो जाती थी लेकिन गरीब दास जी ने बताया है की गोरखनाथ सिद्धियों को ही प्राप्त करके अहंकारी हो गए लेकिन सिद्धि से मोक्ष नहीं क्योंकि गीता में भगवान खुद कहते हैं की - "मेरे विराट रूप के दर्शन ना वेदों में वर्णित विधि से, ना जप से, ना तप से हो सकते हैं। " अध्याय- 11 श्लोक- 22-47 में अर्जुन खुद कहते हैं की भगवान आप तो सिद्धों को भी खा रहे हो, देवताओं को भी खा रहे हो, ऋषियों को भी खा रहे हो, सब वेदों के उत्तम स्त्रोतों को बोलकर मंगल हो मंगल हो कह रहे हैं लेकिन आप उन्हें भी खा रहे हो। ".. . फिर गीता ज्ञान दाता कहते हैं की -" मैं काल हूँ अब सबको खाने के लिए आया हूँ "... अगर तुझे परम शांति और सनातन परम धाम अर्थात सतलोक चाहिए तो उस परमेश्वर की शरण में जा जिसकी कृपया से तू उस शाश्वत स्थान अर्थात सतलोक को प्राप्त होगा (अध्याय-18 श्लोक- -62, अध्याय-15 श्लोक- 1-4)
सत्यनाम कक्का केवल नाम है बब्बा वीर्य शरीर रर्रा सबमें रम रहा उसका नाम कबीर कबीर कोई शरीर नही है जिसकी उम्र 10,20,या 50 वर्ष होगी । कबीर ज्ञान है कबीर अनुभव है ।
हमारे लिए शिव अवतारी गौरख नाथ भी पूज्य है,और संत कबीर भी, परन्तु आप ज्ञान ऐसे दे रहे है,जैसे गोष्ठी मे आप भी उपस्थित थे,आपके लिए कबीर परमेश्वर है,मेरे लिए गौरख नाथ जी परमेश्वर है।
Hello, Gyan Ganga kisne likhi enhi ne, kal koi aor likhenge usme bata denge ki mai hi parmeshwar hu . Aap yahi padhiy apas me ladiye Yahi cahate hai ye. Mitting me pragenty inky bhi rahi hogi . Guru ji ko Aadesh !!!
✝️क्या वह यीशु थे जो कब्र से निकले थे? नहीं, वह यीशु नहीं थे जो कब्र से निकले थे। वे पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब थे, जो उनके अनुयायियों का विश्वास बनाए रखने के लिए यीशु के रूप में प्रकट हुए थे। अन्यथा उनके अनुयायियों ने भगवान में विश्वास खो दिया होता और नास्तिक बन गए होते।
कबीर साहेब जी उस परम पिता परमेश्वर के अवतार थे जोकि समय समय पर संत महात्मा मानवता को जगाने आते हैं जबकि गोरखनाथ जी त्रिलोक वासी है और संत महात्मा सतलोक सतनाम वासी होते है
तर्क वितर्क और कुतर्क कर हमे दोनो महान आत्माओं का एक दूसरे से तुलना नही करना चाहिए ।सबका सम्मान करना चाहिए और उनके सद्गुणों को ही अपनाना चाहिए। कुछ लोग एक दूसरे की तुलना कर रहे है ऐसे हिंदुत्व की आलोचना होती है। जहांश्री कबीर के शिष्य श्री रामपाल जी जेल में और गुरु श्री गोरखनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ जी मुख्य मंत्री के पद पर आसीन है। तुलना अपने आप हो जा रही है। श्री रामपाल जी को अपने प्रवचनों से भरम नही फैलाना चाहिए। धर्मो रच्छती रछतः
कबीर, नौ मन सूत उलझिया ऋषि रहे जखमार सतगुरू ऐसा सुलझा दे उलझे न दूजी बार 🌹🙏🙇🙏🌹
महान से महान पापी लोग ऐसे कथा सुनाकर अपनी झाकी जमाते है|
गोरक्षनाथ के आगे कबिर बराबर एक इनची भी नही थे और आज भी नही है|
अगर ऐसा ही है गोरखनाथ तो बहुत पहले हुए और रामानंद के समय भी रामानंद से ज्ञान चर्चा के लिए धरती पर आई 👉 अगर धरती पर आए उनका मोक्ष नहीं हुआ जो वह पहले साधना करते थे उसे ( गीता 15,4 के अनुसार मोक्ष प्राप्त भक्तजन दुबारा पृथ्वी पर नहीं आते ) वह तो कबीर साहिब ने उन्हें पूर्ण भक्ति विधि दी जाकर उनका मोक्ष हुआ -- ( कबीर साहिब ही पूर्णब्रह्म परमात्मा है ) और यह कोई कहानी नहीं है गोरखनाथ ने कबीर साहेब के आगे घुटने टेक दिए थे पूरा इतिहास गवाह है कबीर के शिष्य रविदास है जरा यूट्यूब पर सर्च मार रविदास और गोरखनाथ अगर गोरखनाथ इतनी समरथ होते तो रविदास के ऊपर उनकी सिद्धि काम कर जाती
जय शिव गोरखनाथ जी को आदेश आदेश🇮🇳🌹🚩🇮🇳🌹🚩🇮🇳🌹🚩🇮🇳🌹🚩🇮🇳🌹🚩 गोरख, नानक, दत्त कबीरा ये ती कानो एक शरीरा ,,,,,,हे प्राणियों महात्मा ,योगी , सादु संतो में भेद भाव मत करो ईनके लिए तो सब एक समान है
Koi bhi ek saman nhi hai kabir ji rreal God hai ok
jo batna sikhata hai wo dharm hi nahi janta kyoki hari ananat hari katha ananta kahe sune bahu vidhi santa
गोरखनाथ एक शृंखला की पहली कड़ी हैं। उनसे एक नये प्रकार के धर्म का जन्म हुआ, आविर्भाव हुआ गोरखनाथ के बिना न तो कबीर हो सकते हैं, न नानक हो सकते हैं, न दादू, न वाजिद, न फरीद, न मीरा-गोरखनाथ के बिना ये कोई भी न हो सकेंगे
Kuch ye kabir panthi wrong picture dilkha rahe hai, nath panth ke sath kisiki tulna nahi ho sakti , ye kuch log hai ,wo hi bar bar es thrah logonko fasa rahe hai , unka matlab ,hindu logo ko nicha dikhane ki chal hai, kabir was good saint for specific time period
द हैं बच्चों
Shai bola bhai muja ya apna he bagwan ko bada dikhata han muja ni lagra gorakhnath ji sa bada Shakti ha🙂
Kabir is supreme God
@@SumanDasi-v6n not god only dev👍🏼
जहां दया वहां धर्म है, जहां लॉभ वहां पाप।
जहां क्रोध वहां काल हैं, जहां क्षमा वहां आप कबीरा।।
जहां दया तहां धर्म है जहां लोभ तहां पाप जहां जहां क्रोध ताहां काल है जहां क्षमा ताहां आप।
😂😂 Kabir parmeshwar 😂
Real decisive spiritual knowledge of Sant Rampal Ji Maharaj
✳️ कबीर
*हम कर्ता सब सृष्टि के , हम पर दूसर नाँहि ।*
*कहैं कबिर हमही चीन्हे , नहि चौरासी माँहि ॥*
✳️ सन्त दादू दास
*कबीर कर्ता आप है, दूजा नाहिं कोय।*
*दादू पूरन जगत को, भक्ति दृढावन सोय।।*
✳️ सन्त गरीब दास महाराज
*गरीब , अमर अनूपम कबीर आप है,
ओर सकल सब खण्ड ।*
*सूखम से सूखम सही , पूरन पद प्रचंड ।।*
सप्रेम साहेब बंदगी साहेब
गोरक्ष जगत के पिता है पुञ किसी के नाही ।
पुञ बनकर अवतरे वो गोरक्ष समान नाही ।।
Aisa kaha likha h bhai sabko chutiya samja h kya
जय गुरु गोरक्षनाथ
Sahb ye sab nhi sah payege
जय हो बाबा शंभू जति गोरख
Jai guru gorakhnath ji
कहत कबीर सुनो भाई साधो मे तो हु विश्वास मे
🙏🙏🙏🙏
साहबजीदुनियामेंबिश्वाशभहुतबड़ाचीजहै
अगरहमकिसीपरविश्वाशकरतेंहैंऔरवोअगरमेरेसाथविश्वाघातकरताहैतोपरमात्मा
उसकोसजादेताहै
Bhagwan ki Jay
कबीर कहता है की
मन मरा न ममता मरि मर मर गया शरीर
आशा तृष्णा मरी नहीं कह गया दास कबिर
फिर गोरखनाथ जी
कहतें हैं
आशा तृष्णा मार के गोरख हो गये
फकिर
रामा नन्द पहुचा नही तु क्यो पचे कबिर
कहानी मनगढ़ंत है गुरु गोरखनाथ भगवान शिव के अवतार और कबीर से इनका समय पहले का है
Aadesh aadesh aadesh
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी के चरणों में दंडवत प्रणाम
कमाल कर दिया कबीर साहब जी ने
अबे गढे कबीर की हैसियात नाही हे की ओ गोरखनाथ जी से बहास कर सकते , ये तुम्हारा नवटँकी बंद करो
lavda krdia kabir luch ni gorhk ka samna
@@vijaykhedkar8312 हा भाई सच कहा. ऐ सब कबीर के चेले पौंड्रक के वंशज है..!
गोरक्षनाथ तो सतयुग त्रेतायुग द्वापारयुग कलियुग के प्रारंभ से है कबीर 500 साल पहले आया और अब मर भी गया मगर गोरक्षनाथ आज भी सच्चे भक्त की मनोकामना पुरी करते हैं..
बहस दो मूर्खो में होते हैं, दी ज्ञानियों के बीच नहीं । बेवकूफ ही इस तरह के अटकलें गढ़ते हैं।
वो शास्त्र, पुराण, फिल्म, कथा ने बहुतों को बेवकूफ बना रखा है । उनके अनुसार दो भगवान भी लड़ते हैं।
जो जिस संस्कार के होते उनकी कहानी भी उसी संस्कार लेके आती है
कबीर साहेब हि पूर्ण परमात्मा है। ज्ञान गंगा पुस्तक पड़ो । सत् साहेब ज़ी ।
बिलकुल झुठी कहानी सुना रहे है गुरु गोरखनाथ कीा और ररामांनद ऊमर का अंतर बहोत है
ग्यान चर्चा थी लड़ाई नही थी
beta phele ithiass padho
@@Kabir_is_god_07 जिसने लिखा वो अपनी सजा जेल बैठकर सजा काट रहे हैं सच्चा ज्ञान रखो अर्थ का अनर्थ कर के पेस करोगो तो सजा मिलनी ही मिलनी
पहली बात गोरखनाथ जी को तमीज से बोल
Gorakh nath hai kon
@@SurajDhiman-cz4fnTera Bap 😂 or hum sab ka bap Kabir ka bhi bap gurugorakhnath ha me dhanak hu or Kabir bhi bhi dhanak ha or Dhanak or Kabir das ke purbaj gurugorakhnath ha humra bagwan Nhi vo ha
महाशय आप आधे ज्ञानी हो।आपको जब पूर्ण ज्ञान होगा तब आपके लिए सब कुछ एक समान होगा। सच्चा धर्म प्रेमी वही है जो सभी धर्मों का
समान आदर करें । संत सिरोमणी श्री गौरखनाथ जी अर्थात् गौ माता की रक्षा करने वाले ।आधा ज्ञान पाने के कारण आप अहंकार में अपने धर्म को महत्व दे रहे हैं। सर्व प्रथम हमारा जो धर्म है वो है जगत की सेवा जो हमें सभी धर्म सीखाते है। आप सभी लोगों की टिप्पणीयो से मुझे बहुत दुःख हुआ है।
आप आधा ज्ञानी क्यो मान रहे हो
ये भटका हुआ परम् अज्ञानी है
कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा है। शास्र पड़ो । ज्ञान गंगा पुस्तक पड़ो बाई और अपना कल्याण करावो। सत साहेब ज़ी ।
@@Kabir_is_god_07 क्या कबीरदास जी ईश्वर को ना मानकर स्वयं को ईश्वर मानते थे। क्या वे निर्गुण भक्ति नहीं सिखाते थे। तो बताओ वो किसकी भक्ति करते थे।
पुस्तक सिर्फ एक जानकारी का स्रोत है।असल ज्ञान तो सेवा है भाई।
हम किसी के विरोधी नहीं है।
भगवान गोरक्षनाथ शिव जी के अवतार है aur नाथ संप्रदाय अनादी काल से है..वैष्णव परंपरा शिव जी से ही सुरुवात Hui हैं.. ओम शिव गोरक्ष जय शिव गोरक्ष 🙏🙏
वैष्णव सारे विष्णु के उपासक हैं
वैष्णव सारे विष्णु के उपासक हैं
ल्लल्ल
जिसको गोरख नाथ अंत समय तक ढूंढते रहे । अलख निरंजन अलख निरंजन । कबीर जी ने पुराण निरंजन को खोजा भी और काल पर जीत भी हासिल की । और वरन 4 है जिसमे वेसनाव पंथ विष्णु से है और अनंत भी विष्णु है जय गुरु देव
🎉
*अवधु अविगत से चल आया, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।।* *सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा।।* *तारन तरन अभै पद दाता, मैं हूं कबीर अविनासी।।*
मुक्तिदाता कबीर साहिब भवसागर से पार लगाने वाले मुक्ति को देने वाले कबीर साहिब अमर मंत्र जिससे सुमिरन करने से मोक्ष होता है वह कबीर साहेब का है कबीर साहेब तत्व ज्ञान देने के लिए परम धाम से आते हैं मुक्तिधाम से
Bandi chhod kbirdas ji ki Jay ho
Sat Sahib Ji 🙏♥️🙏♥️🙏♥️
Sat sahib ji🙏🙏🙏
ॐ श्री गोरखनाथाय नमः
Dunia day mahaan Sant satguru Kabir sahib ji Maharaj sat sahib ji
निंदा करना घोर पाप है इनके मुंह से तो मैने कभी किसी की तारीफ सुनी ही नहीं बस अपनी बड़ाई तथा अन्य की बुराई
नकली और असली में अंतर बताना निंदा नहीं बल्कि महा परोपकार का कार्य है ।
भूले भटके भगतों को रास्ता बताना गल्त नहीं है। ज्ञान गंगा,जीने की राह, दोनों में से किसी एक धार्मिक पुस्तक को पढ़ो दिमाग के बन्द छेद खुल जाएंगें।😮
Jai baba guru gorakhnath ji ki jai 🙏🙏🌹🌹🚩🚩
Sat sahib bhgt g
Bhgt g ek request ha plz background music na lgaya kro it's humble request
बंदी छोड़ कबीर दास जी महाराज की जय🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Satnamo Adesh, satnam saheb bandagi, satnam vaheguru
कबीर साहेब ने नाम सिमरन भगति का उपदेश दिया है ,गोरख नाथ जी हठ योग ,और अन्य योग साधनों के द्वारा प्रमाता को खोजते थे, आज के समय में योग करना मुश्किल है और ग्रस्ति वाला तो कर ही नहीं सकता ,,,,कबीर साहेब की बाणी दिल में उतर जाती है ,कबीर साहेब की बाणी भूत विशाल है ,गुरु नानक साहेब ने भी कबीर साहेब का जिक्र किया है,कबीर साहेब ने जातिवाद, अशुत प्रथा का खण्डन किया, और ढोंग पाखंड को दूर करने में अपना जीवन समर्पित किया
कबीर गुरु और गोरख चेला, सात दीप मे फिरे अकेला कबीर जी ने गोरख जी को सतनाम दिया था लेकिन सार नाम नहीं दिया अब गोरख नाथ वापस पुनर्जन्म लेगा दिल्ली मे और एक हजार वर्ष राज्य करेगाऔर कबीर साहेब से सारनाम लेकर सतलोक जाएगा ऐसा ज्ञान संत रामपाल जी महाराज ने दिया है 🙏🏻
परम मित्र परमात्मा के नाम पर ये ढोग है जो अपने आप को परमात्मा समझता है
गोरखनाथ जी वाणी
*नौ नाथ चौरासी सिद्धा, इनका अन्धा ज्ञान।*
*अविचल ज्ञान कबीर का, यो गति विरला जान॥*
गोरखनाथ द्वारा कबीर की महिमा
Jay Baba Kabir Saheb ki Jay Ho Jay Guru Maharaj Sant Rampal Ji Ki
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी परमेश्वर बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान की जय बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जय परमेश्वर बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो बंदी छोड़ की
Satguru Kabir saheb ki jay ho jay ho satguru Kabir saheb ki
सत्य यह है। कि जिसको ज्ञान हो जाता है तो वह समग्र हो जाता है, उसकी बुद्धि शुद्ध हो जाती है उसमें भाव अभाव भेदा अभेद तैरा मेरा छोटा बड़ा हार जीत की भावना ये सब समाप्त हो झाते हैं।
कबीर दास तो अच्छे संत हुए पर उनके पंथ को लोगों ने दूषित कर दिया। कबीर दास के आज चेले भक्ति छोड़कर सिर्फ निंदा करने में लगे हैं। निंदा का बहुत बड़ा पाप लगता है और यही कबीर पंथियों को लग गया है।
गोरखनाथ बहुत पहले हुए थे कबीरदास तो अभी कोई पांच सौ साल पहले ही हुए है। उनमें आपस में कैसे वारतालाप हुई। असल में गोरखनाथ जी के पराक्रम से कबीर पंथियों चिड ईरष्या हो गई इसलिए उनकी निंदा कर अपने मन को शांत करने का पडपच कररहे हैं।
🙏🙏❤️🌹💐🌹💐सत् नाम सदगुरू श्री कबिर साहब को कोटी कोटी प्रणाम हो🙏🙏❤️🌹💐🌹💐
क्यों नकल करते हो भाई महापुरुषों की संत बहुत दूर की बात है पहले साधक बनकर दिखाओ पहले पहला नाम पार करके दिखाओ अगर सत्यता है तुमने तो सही दल कमल पर आकर मिलो झूठे भैरव पिया क्यों भोली भाली जनता को पागल बनाते हो तुम कौन हो तुमको तुम अच्छी तरह से जानते हो मेरे को ला बोलना पड़े तो अच्छा है अभी भी वक्त है संभल जाओ वहां की बात करना तो दूर की बात है तुम तीन खंड से आगे कभी जा ही नहीं सकते हो
आप ने मिल लिया भगवान के ओर हा आपको भी गोरक जी के बारे मे जानना हो तो राजा गोपीचनद भरतरी की कथा सुनो समझ मे आजगा योग पनथ के बारे मे
@@rajveervishwakarma2307 lkkk kk kkl0p mm hj hmm m
साहेब सांहेब
जोमातपिताकेरक्तबीजकेद्वारापैदानहीहुआव आममनुष्यनहीहै
भगवान श्री कृष्ण ने भी गोरक्षनाथ जी की स्तुति की है|
सिद्धा नामच महासिद्ध |
ऋषि नामच ऋषिश्वर :
योगेनामच चैव योगेंद्र :
श्री गोरक्ष नमोस्तुते |
गोरक्ष नाथ साक्षात महादेव है |
कबीर जी के पहले का अवतार है गोरखनाथजी का |
भगवान शिव ही हर युग में गोरखनाथ रूप में आते है
Oh pagal kahi kaaa tuje kush pata chalta hai ki nahi jara vedho ko aur gita ji ko padh fir pata chalegaa ki kabir hi real God hai
Pagal kahi kaa
यदि मे थे जब समुद्र मंथन से ज़हर निकलने पर शिव जी सामने आना पड़ा
गेरख नाथ और कबीर साहेब का जीवन काल तो मेल नहीं खाता
Bilkul sahi gorakhnath 1st century 🤣Kabir 15 th century 🤣
Sahi he sir 😂😂😂
❤😊 Bandi chhod Rampal Maharaj ji ko dhanyvad pranam
भगवान- ऐसे झूठों से बन जाए
बाबा गुरु गोरखनाथ भगवान शिव के अवतार थे-प्रथम चार संप्रदाय है-प्रथम आदिनाथ जी की- नाथ संप्रदाय भगवान विष्णु जी की 10 नाम सन्यासी-ब्रह्मा जी की उत्पत्ति की दो संप्रदाय उदासी और वैरागी
कबीर जी भी नाथ संप्रदाय के बताए हुए मार्ग पर चलें हैं
Sat Sahib Guruji 💐🌾🌹💐🌾🌹
*पाँच तत्व गुण तीन के , आगे मुक्ति मुकाम ।*
*तहाँ कबीरा घर किया , गोरख दत्त ना राम ॥*
मुक्तिधाम में कबीर गऐ है गोरखनाथ और श्री राम नही
Sat Sahib Ji ❤❤❤❤❤❤❤❤❤
अगर सच्ची कहानी सुननी है गोरख के आगे घुटने टेक दिए कबीर ने में बताता हूं
Bataoo jai guru gorakhnath ji
गोरखनाथ की साधना दसवें द्वार तक है अर्थात ब्रह्मलोक तक जबकि कबीर साहिब ने 12वीं द्वार के पार पूर्णब्रह्म मिलेंगे बताया -- गुरु नानक की भी साधना 12वीं द्वार तक थी गुरु रविदास की भी
@@ankitmurya61 गोरखनाथ ने ध्यान के इतिने द्वार खोले है जो की आजतक किसीने नहीं खोले
😂😂😂 hasi aati hai asi bat sunkar ..murkho guruji ne vani se clear kr diya ab kya rah gya fir bi tera kase bhook rahe hai
कोई एक वीडियो हो तो भेजो भाई ताकि सत्यता सामने आए भाई जी
साहेब बंदगी
सद्गुरु कबीर साहब जी सत्यपुरूष है साहेब बंदगी साहेब 🙏🙏
👉 ब्रह्मा , विष्णु , शिव जी की जन्म-मृत्यु हुआ करती है ! ये अजर - अमर नही है ❗
👉अधिक जानकरी के लिए
➡️देखे साधना Tv चैनल प्रतिदिन श्याम 7:30 pm.
#बोधदिवस_पर_विश्व_को_न्यौता
3 Days Left For Bodh Diwas
17 फरवरी को संत रामपाल जी महाराज ji का बोध दिवस है। इसी दिन से विश्व कल्याण के लिए अवतरित इस पूर्ण संत ने दिन रात एक कर दिया और कुछ ही वर्षों में वह कर दिखाया जो दुनिया भर के भविष्यवक्ता कहते आये हैं।
जय हाे , बाबा गाेरखनाथ की जय
यह पुस्तक कबीर दास के भक्त ने लिखी है अतःकबीरदासजी कोश्रेष्ठ दिखानेकाप्रयास किया है। गोरखनाथ जी ने गोरखवाणी में मोक्ष प्राप्ती का मार्ग बताया - दिखाया है।
अन्यथा वेदपाण्डित्यं शास्त्रमाचारमन्यथा।
अन्यथा कुवच: शान्तं लोका: क्लिश्यन्ति
चान्यथा॥
भावार्थ- वेदों के तत्वज्ञान को, शास्त्रों के
विधान को, उत्तम पुरुषों के चरित्र को मिथ्या कहने वाले लोक-परलोक में भारी कष्ट उठाते हैं। व्याख्या- हमारे प्राचीन ऋषियों ने वर्षों की साधना के बाद वेद शास्त्रों के रुप में जिस तत्वज्ञान का प्रकाश फैलाया तथा जनसाधारण के कल्याण के लिए जिन आचारणीय नियमों का विधान किया, उस तत्वज्ञान और आचार-विचार की निंदा करने वाले अधार्मिक लोग मूर्ख हैं। यह उन ऋषि
मुनियों की आज्ञाओं का उल्लंघन करने वाला और घोर अधार्मिकता फैलाने वाला कार्य है जो महान दण्डनीय है ऐसे व्यक्ति जो वेदों एवं शास्त्रों की निंदा कर अधर्म का पक्ष मजबूत करते हैं, वे सदा निन्दनीय एवं त्याज्य हैं। समाज के हितों के भक्षक ऐसे लोग उस परम सत्ता के कोप का शिकार हैं और जन्म जन्मान्तर तक विभिन्न योनियों में भटकते रहते हैं। अत: समाज को चाहिए कि ऐसे नास्तिक लोगों का बहिष्कार करे।-
आचार्य चाणक्य!
जो वेद पढा दे उनको सतगुरु मानो
कबिर पंथी (( साढे बरह पंथ है )) क्या मतलब है?????
👌✌
Devi mahapuran ke 3rd skandh me shivji svaym devi ko apni mata kahake kahte h ki he jagat janni ham tridev to nashvaan h keval is jagta me aap hi amar h
Or agar yah tridev paramaatma hote to ham sadiyo se inki pooja kar rahe h fir bhi itne dukhi kyo
Kyo satyug me sadhu sant tridevo ko chod jungle me tap karne jaate the
Jabki us samy to tridev inke sath hi rahte the
Kyo krishna ji apni nagri ko samundra me dubne se bacha nhi sake kyo krishna ji ka putra pradhyuman madira ka sevan karta tha
Or bhi adhik janne ke liye raampaal ji ke amrit pravachn sune sham 7.30 par sadhna or popcorn tv par
जय गुरुदेव सप्रेम साहेब बंदगी साहेब बंदगी साहेब बंदगी ❤️❤️❤️
Kabir is supreme God
Hey purn pramatma kabeer dev👍🙌🙌🙌
Malik ke charan kamalo m koti koti pranam,🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
कबीर साहिब उस स्थान से तत्व ज्ञान देने के लिए आते हैं जो मोक्ष धाम है जिसकी पहुंच से गोरखनाथ दूर है जबकि गोरखनाथ त्रिलोक के वासी है जो नाशवान है ।। आदरणीय गोरखनाथ को कबीर साहिब ने दीक्षा दी तब जाकर उनका कल्याण हुआ
कुछ भी मत बक गोरखनाथ के गुरु महायोगी गुरू मच्छिद्रनाथ है और नाथसंम्प्रदाय के आराध्य महादेव है
ya pagl ha asa ram lol ha kabir kuch ni gorkh ka aga
Are guru gorakh nath ji ko sivguru gorakhnath ji naam se jana jata hai
To woo q kese k sesya banege
Or guru gorakh nath k suyam 9 nath or 84 sedh or 1400 sesy the samjee
Woo jagat guru hai unke jesaaa koi naa tha naa hai or na hogaa
Jai sri guru gorakhnath
Om namah shivay
बेटा कबीर साहेब का जन्म काल कोनसा है
गोरखनाथ नहीं होते तो कबीर मीरा नानक दादु वाजिद फरीद ये भी नहीं हो सकते गोरखनाथ मुल है
Sat saheb ji
Sat seb 🙏 jai Kabir pameshwar ji 📿🙏
गुरु गोरखनाथ दसवीं से ग्यारहवीं शताब्दी तक रहे। वहीं कबीरदास का जन्म तेरहवीं या चौदहवीं शताब्दी में हुआ। उनके बीच में बहस हुई तो कैसे हुई। कृपया स्पष्ट करें।
कबीर जी परमात्मा है भाई इसलिए
भाई जी, आप सत्संग शुरू से ही ध्यान से सुन लेते तो ये प्रशन मन में नही आता,
लेकिन फिर भी सुनो, शुरू मे ही गुरु जी ने कहा है की साधु लोग पितर लोक मे चले जाते है, ये इतने सीध होते है इनका जब दिल चाहे धरती लोक पर आजाते है, जैसे हम कॉलेज के परधान होकर पास आउट होने पर भी कभी कभी अपनी ओर इज्जत पाने के चक्कर मे कॉलेज की विजित कर आते हैं
जय श्री नाथ जी, ये कहानी पूरी की पूरी
मन घडत है, गुरु गोरख नाथ जी महाराज जी शीव शंकर जी के अवतार हैं, और अजर अमर हैं,कबीर जी भी महान संत थे,लेकिन सत्संग में
इस प्रकार की कहानी बताकर कुछ लोग जनता को मुर्ख बनाने का काम दिन और रात करते हैं, ऐसे लोग कभी कुछ हासिल नहीं कर सकते और भोली भाली जनता को गाय की तरह काट रहें हैं,भाई और बहनों ऐसे लोगों से बच कर रहना, ऐसे लोग धर्म के नाम पर अपनी दुकान चला रहें हैं, ऐसे लोग भोली भाली जनता को फँसा कर अपने को ईस्वर बताते हैं, एक संत कभी भी ऐसी बात नहीं करेगा, गोरख नाथ जी महाराज की बुराई करने वालो अपने गिरे बान में झाँक कर देखो,ये बात इतिहास में कंही नहीं है, सभी संत महान हैं, लेकिन कुछ लोग अपनी दुकान चलाने के लिए इस प्रकार के प्रोपगंडा करते रहते है और अपने को भगवान बोलते हैं, इस प्रकार के बहुत सारे लोग अभी कलयुग में बहुत मिल जाँएगे, हम सबको ऐसे लोंगो से सावधान रहना होगा, हमें किसी भी संत की बुराई नहीं करनी चाहिए और बुराई करने वालों के खिलाफ शक्त कड़ाई से पेस आना चाहिए, सत्संग में इस प्रकार का ज्ञान कोई संत नहीं बता सकता क्योंकि ये एक महान संत की बुराई कर रहा है, और इनके शिष्य क्या ज्ञान लेकर जाएँगे क्या ये बातें सत्संग की है सत्संग में जीव को भावसागर पार करने का ज्ञान दिया जाता है, किसी संत की बुराई नहीं की जाती आप इतिहास उठा कर देख लो संत कोई भी पंथ का हो वो सत्संग में ज्ञान की बात करेगा , जय हिन्द, जय महान संतो की, 🙏🙏
Ye agar bhagban hai to jail me kyo
Na koi sant na koi mahant you kalyug hai samhal ke raho nahi to allaha aur bhagwan aur tumhare gorakh nath sab ek hoke 😅😅😅😅😅😅😅😅😅
मक्रतार वह द्वार है, देखो नजर पसार।
कहें कबीर जो पावहीं, हंसा उतरे पार।।
नारायण दास मानिकपुरी खांड़ा सीपत बिलासपुर
सत गुरु गोरख नाथ जी महाराज
जो खुद जेल में बंद है जो खुद के बंधन नहीं काट सकता वो इन चेलों के क्या बंधन काटेगा
जो भी इसके बहकावे में आ गया उसका लोक और परलोक दोनों खराब हो गए समझो
सत साहेब जी
संत नाभादास जी
*वाणी अरबों खरवो, ग्रन्थ कोटी हजार ।*
*करता पुरुष कबीर, रहै नाभे विचार ।।*
करता मतलब रचन हार
पुरुष मतलब प्रभु
आप वो हैं जिसे सरकार ने अपराधी मानकर जेल में ठोक दिया हमारी नजरों में तुम्हारी ये ही इमेज है।
गरीब दास जी की अमर वाणी में प्रमाण है की गोरखनाथ जी की ज्ञान गोष्ठी कबीर साहेब से ही हुई थी, माना की गोरखनाथ की महिमा बहुत है लेकिन वो महिमा भी कहीं से सुनी ही थी हम लोगो ने बिना शंका करे, हम किसी को नीचा या ऊचा नहीं दिखा सकते लेकिन संतों की वाणियों में यही प्रमाण है जैसा इस विडियो में बताया है, एक तो हमने कभी गोरखनाथ को देखा नहीं और ना ही कभी हम उनसे मिले तो हम खुदसे नहीं कह सकते की कौन कितना शक्ति वाला है, इसलिए हमारे लिए गीता, वेद और संतों की वाणी ही आधार होती है असली सोना परखने की।
गरीब दास जी ने कहा है
-" गरीब, गोरखनाथ सिद्धि में फूला, टिम्ने - टामन हांडे फूला"
अर्थात गोरखनाथ के पास ऐसी सिद्धियाँ थी की जनता आश्चर्य हो जाती थी लेकिन गरीब दास जी ने बताया है की गोरखनाथ सिद्धियों को ही प्राप्त करके अहंकारी हो गए लेकिन सिद्धि से मोक्ष नहीं क्योंकि गीता में भगवान खुद कहते हैं की -
"मेरे विराट रूप के दर्शन ना वेदों में वर्णित विधि से, ना जप से, ना तप से हो सकते हैं। "
अध्याय- 11 श्लोक- 22-47 में अर्जुन खुद कहते हैं की भगवान आप तो सिद्धों को भी खा रहे हो, देवताओं को भी खा रहे हो, ऋषियों को भी खा रहे हो, सब वेदों के उत्तम स्त्रोतों को बोलकर मंगल हो मंगल हो कह रहे हैं लेकिन आप उन्हें भी खा रहे हो। "..
. फिर गीता ज्ञान दाता कहते हैं की -" मैं काल हूँ अब सबको खाने के लिए आया हूँ "... अगर तुझे परम शांति और सनातन परम धाम अर्थात सतलोक चाहिए तो उस परमेश्वर की शरण में जा जिसकी कृपया से तू उस शाश्वत स्थान अर्थात सतलोक को प्राप्त होगा
(अध्याय-18 श्लोक- -62,
अध्याय-15 श्लोक- 1-4)
कबीर दास । और रविदास की गोस्टी सुनो आपका भ्रम दूर हो जाएगा । अर्जुन को बिस्नु ने वेराट दिखाया था । लेकिन दूसरी बार अर्जुन ने पूछा तो उन्हे कुछ याद नहीं था इससे ये सिद्ध होता है की काल विष्णु पर हावी हो गया था ।
Ham kisi ko nahi manta sirf Kabir is good ok Kabir hi Bhagwan hai
sat saheb ji😭😭😭😭😭😭😭😭🙏🙏🙏🙏🙏🙏
झूठी कबीरपंथी दोनो के जीवनकाल मे बहुत अन्तर है
भगवान बनने के चक्कर में जो जो लोग पडा़ वो आज सभी भगवान जेल में है पडा़
कबीर साहेब और गोरख नाथजी का सत्संग कई बार हुआ है लेकिन रामपाल ने इसमें दमेडे घने जोड़ दिए कबीर साहेब उस समय कोई बालक नहीथे बाड़ी उम्र के थे और जब गोरखनाथजी को ये कन्फर्म होगया की मेरे ज्ञान से आगे भी बहुत ज्ञान है तो उन्होंने कबीर साहेब से रिक्वेस्ट की कि मुझे पूर्ण ज्ञान दीजिए तो कबीर साहेब ने उन्हे उस शरीर में सत्य का भेद नहीं दिया फिर गोरख नाथ सात साल के बच्चे के रूप में गुरुनानक साहेब के घर में प्रकट हुए जो नानक साहेब के बड़े लड़के बाबा श्रीचंद थे क्योंकि उस समय कबीर,रविदास,गुरु नानक पूर्ण संत थे तो गोरख नाथ ने बाबा श्रीचंद के रूप में आकर बाबा नानक से सत्य का ज्ञान प्राप्त किया था ।
वाणी से प्रमाण कबीर उसमें समय बालक रूप में थे
*कह कबीर सुन गोरखनाथा, चर्चा करो हमारे साथा।*
*प्रथम चर्चा करो संग मेरे, पीछे मेरे गुरु को टेरे।*
*बालक रूप कबीर निहारी, तब गोरख ताहि वचन उचारी।*
वाणी से स्पष्ट है गोरखनाथ ने बालक रूप में देखा कबीर को रामपाल जी महाराज का ज्ञान ना समझ कर लोग अपने आप को ही ज्ञानी समझते हैं जबकि वे अज्ञानी है रामपाल जी महाराज बिल्कुल सही साबित हुए ।। भाई बोलने वाली साखी है उसमें मरदाना गुरु नानक से पूछता है आपके गुरु कौन तब गुरु नानक बोलते हैं मेरे गुरु जिंदा बाबा है । धर्मदास कबीर के शिष्य है धर्मदास की वाणी में जिंदा बाबा कबीर साहिब संत गरीब दास की वाणी में जिंदा बाबा कबीर साहिब कबीर साहिब की वाणी में कबीर साहेब बोलते हम पंजाब देश जिंदा बाबा का रूप बना कर गए से साबित है गुरु नानक के भी गुरु कबीर साहिब है
आज तक हमें किसी भी गुरु कबीर साहिब और गुरु रविदास महाराज की वाणियो में कहीं भी रमा नंद को गुरु नहीं कहा है ,संत अपने गुरु के गुणगान करते है ,परंतु इन संतों ने अपने गुरु रामानंद की क्यों सतुती नही की , गुरु कबीर और गुरु रविदास के मत और रामा नंद के मत अलग अलग थे ,रामा नंद सगुण के पुजारी थे और ये दोनो संत निगुण को मानते थे ,तो कैसे कहा जा सकता है कि ये दोनो संत ( गुरु ) ,रामा नंद के शिष्य थे ?
यह बात मेरे कबीर साहिब का ओजस्वी रूप आपने बिल्कुल खत्म कर दिया है
कबीरदास भगवान है
गुरु गोरख नाथ कबीर साहिब से 1500वर्ष पूर्व हुवे थे
गोरखनाथ जी आते जाते रहते थे
सन् 1600 में सतगुरु संत सिंगाजी की भी इसी तरह गोरखनाथ जी ने परीक्षा ली थी 🙏🙏 इसी तरह गोरखनाथ जी का वर्णन
शुरुआत में वीडियो में बताया गया कारण
कहां गोरख नाथ जी और कहां कबीर जी ???
जय हो गोरख नाथ जी महाराज री
।
गुरू गौरख नाथ जी के पैरों की धूल के समान भी नहीं थे कबीर जी। गुरू गौरख नाथ परम फ़कीर थे। श्री श्री महा योगी गुरू गौरक्ष नाथ की सदा ही जय हो।
गरीब दास जी की अमर वाणी में प्रमाण है की गोरखनाथ जी की ज्ञान गोष्ठी कबीर साहेब से ही हुई थी, माना की गोरखनाथ की महिमा बहुत है लेकिन वो महिमा भी कहीं से सुनी ही थी हम लोगो ने बिना शंका करे, हम किसी को नीचा या ऊचा नहीं दिखा सकते लेकिन संतों की वाणियों में यही प्रमाण है जैसा इस विडियो में बताया है, एक तो हमने कभी गोरखनाथ को देखा नहीं और ना ही कभी हम उनसे मिले तो हम खुदसे नहीं कह सकते की कौन कितना शक्ति वाला है, इसलिए हमारे लिए गीता, वेद और संतों की वाणी ही आधार होती है असली सोना परखने की।
गरीब दास जी ने कहा है
-" गरीब, गोरखनाथ सिद्धि में फूला, टिम्ने - टामन हांडे फूला"
अर्थात गोरखनाथ के पास ऐसी सिद्धियाँ थी की जनता आश्चर्य हो जाती थी लेकिन गरीब दास जी ने बताया है की गोरखनाथ सिद्धियों को ही प्राप्त करके अहंकारी हो गए लेकिन सिद्धि से मोक्ष नहीं क्योंकि गीता में भगवान खुद कहते हैं की -
"मेरे विराट रूप के दर्शन ना वेदों में वर्णित विधि से, ना जप से, ना तप से हो सकते हैं। "
अध्याय- 11 श्लोक- 22-47 में अर्जुन खुद कहते हैं की भगवान आप तो सिद्धों को भी खा रहे हो, देवताओं को भी खा रहे हो, ऋषियों को भी खा रहे हो, सब वेदों के उत्तम स्त्रोतों को बोलकर मंगल हो मंगल हो कह रहे हैं लेकिन आप उन्हें भी खा रहे हो। "..
. फिर गीता ज्ञान दाता कहते हैं की -" मैं काल हूँ अब सबको खाने के लिए आया हूँ "... अगर तुझे परम शांति और सनातन परम धाम अर्थात सतलोक चाहिए तो उस परमेश्वर की शरण में जा जिसकी कृपया से तू उस शाश्वत स्थान अर्थात सतलोक को प्राप्त होगा
(अध्याय-18 श्लोक- -62,
अध्याय-15 श्लोक- 1-4)
आपने ठीक है गुरू गौरख नाथ को नहीं देखा
पर आपने कबीर जी को देख लिया।कैसी बातें करते हो आप।कबीर ऐक नास्तिक थे। गुरू गौरख नाथ तो स्वमं सबको मूकति देने वाले हैं।उनको कोन मूकती देगा।
ऐक राजा को कहां जाऐ की आपको राजा बनातें है।ये संसार कर्मो से चलता है। अच्छे कर्म करो।सब अच्छा होगा। किताबों से ज्ञान मिलता है। मुक्ती नहीं। मुक्ती तो अच्छे कर्मों से मिलगी।
@@GuruGorkhBhakti हमने किसी को नहीं देखा लेकिन गीता को जरूर देखा है।
गीता दो है।ऐक रामपाल वाली और ऐक कृष्ण भगवान वाली। उसमें में तो कहीं भी कबीर जी कि जिक्र नहीं है।
@@GuruGorkhBhakti गीता का अनुवाद अनगिनत संतों और गुरूओं ने करा है, अब समस्या ये आती है की सही अनुवाद और सही गुरु कौन है?
इसलिए मालिक ने सबको शिक्षित बनाया की सभी धर्म के लोग अपने सद्ग्रन्थों से ही सही गुरु को पहचान ले और सुखी जीवन जीये और मोक्ष प्राप्त करे। इसलिए संत रामपाल जी गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित गीता के अनुवाद से ही प्रमाण जनता को देते हैं
, अध्याय -4 श्लोक- 25-32 में कहा है की कोई देवताओं की पूजा करता है, कोई स्वाध्याय, कोई अहिंसा वादी वृत जैसे जैनी, और भी अनेक साधनाओं को साधक पाप नाशक समझते हैं , लेकिन
गीता अध्याय-
4 श्लोक - 32 में वर्णन है की
धार्मिक अनुष्ठानों की जानकारी सच्चीदानंदघन ब्रह्म की वाणी में विस्तार से कहे हैं , जिनको तू तत्वदर्शी संतों के पास जाकर समझ (अध्याय-4 श्लोक - 34) उनको दण्डवत प्रणाम कर ,
कपट छोड़कर सरता पूर्वक प्रश्न करने से वो संत तुझे उस परमात्मा के तत्व की जानकारी देंगे।
Gorakh nath ji 🙏🕉️
💖
@@gauravprajapati9256 ौो१~
Satnam Shri waheguru ji 🙏🙏
आप परम आत्मा में भेद भाव कर के
लोगों को गुमराह करते हो
जो कबीर जी को न समझ पाया वो परमात्मा को क्या समझेगा ।
कबीर जी तत्व वेत्ता है ढोंगी,आडम्बरी नहीं।
क्यों उनको जबरदस्ती ढोंगी सिद्ध करने पर तुले हो
Gorkhnath ji bas naam hi kaafi h
कथा सुनने के साथ म्यूजिक आता है वह मन विचलित करता है और जो असली बात है उससे मन भटक जाता है यह सुनने में एकाग्रता लगा ना अशोक असंभव सा हो जाता है
अअ
भाई गोरख तो शिव का अवतार है जिसने दुनिया को रचा है
मैने तो सुना है ब्रम्हा जी ने रचा है और आप कह रहे हो शिव जी ने
Agar kaha jaye apki mata ne apko janm diya hai to aap apne pita ko bhul ????
जेल सूं छुड़ाने कबीरो आयो नहीं के बडो संत बनियो ।किसी की निंदा करने वाले की यही दुर्गति होगी ।यही गोरक्ष नाथ जी की विद्या है।चोर व्याभिचारी
🙏🏽🙏🏾🙏🏿🙏🏼🙏🏻🙏
पूरे विश्व मे संत रामपाल जी भगवान जी के बराबर और कोई संत नही है
Kabir ji is god
गरीब दास जी की अमर वाणी में प्रमाण है की गोरखनाथ जी की ज्ञान गोष्ठी कबीर साहेब से ही हुई थी, माना की गोरखनाथ की महिमा बहुत है लेकिन वो महिमा भी कहीं से सुनी ही थी हम लोगो ने बिना शंका करे, हम किसी को नीचा या ऊचा नहीं दिखा सकते लेकिन संतों की वाणियों में यही प्रमाण है जैसा इस विडियो में बताया है, एक तो हमने कभी गोरखनाथ को देखा नहीं और ना ही कभी हम उनसे मिले तो हम खुदसे नहीं कह सकते की कौन कितना शक्ति वाला है, इसलिए हमारे लिए गीता, वेद और संतों की वाणी ही आधार होती है असली सोना परखने की।
गरीब दास जी ने कहा है
-" गरीब, गोरखनाथ सिद्धि में फूला, टिम्ने - टामन हांडे फूला"
अर्थात गोरखनाथ के पास ऐसी सिद्धियाँ थी की जनता आश्चर्य हो जाती थी लेकिन गरीब दास जी ने बताया है की गोरखनाथ सिद्धियों को ही प्राप्त करके अहंकारी हो गए लेकिन सिद्धि से मोक्ष नहीं क्योंकि गीता में भगवान खुद कहते हैं की -
"मेरे विराट रूप के दर्शन ना वेदों में वर्णित विधि से, ना जप से, ना तप से हो सकते हैं। "
अध्याय- 11 श्लोक- 22-47 में अर्जुन खुद कहते हैं की भगवान आप तो सिद्धों को भी खा रहे हो, देवताओं को भी खा रहे हो, ऋषियों को भी खा रहे हो, सब वेदों के उत्तम स्त्रोतों को बोलकर मंगल हो मंगल हो कह रहे हैं लेकिन आप उन्हें भी खा रहे हो। "..
. फिर गीता ज्ञान दाता कहते हैं की -" मैं काल हूँ अब सबको खाने के लिए आया हूँ "... अगर तुझे परम शांति और सनातन परम धाम अर्थात सतलोक चाहिए तो उस परमेश्वर की शरण में जा जिसकी कृपया से तू उस शाश्वत स्थान अर्थात सतलोक को प्राप्त होगा
(अध्याय-18 श्लोक- -62,
अध्याय-15 श्लोक- 1-4)
मुर्ख गुरु गोरख नाथ शिव है भगवान है जो अभी तक जिवित हैं अजर अमर है मनघड़त कहानी मत बना
गरीब दास जी की अमर वाणी में प्रमाण है की गोरखनाथ जी की ज्ञान गोष्ठी कबीर साहेब से ही हुई थी, माना की गोरखनाथ की महिमा बहुत है लेकिन वो महिमा भी कहीं से सुनी ही थी हम लोगो ने बिना शंका करे, हम किसी को नीचा या ऊचा नहीं दिखा सकते लेकिन संतों की वाणियों में यही प्रमाण है जैसा इस विडियो में बताया है, एक तो हमने कभी गोरखनाथ को देखा नहीं और ना ही कभी हम उनसे मिले तो हम खुदसे नहीं कह सकते की कौन कितना शक्ति वाला है, इसलिए हमारे लिए गीता, वेद और संतों की वाणी ही आधार होती है असली सोना परखने की।
गरीब दास जी ने कहा है
-" गरीब, गोरखनाथ सिद्धि में फूला, टिम्ने - टामन हांडे फूला"
अर्थात गोरखनाथ के पास ऐसी सिद्धियाँ थी की जनता आश्चर्य हो जाती थी लेकिन गरीब दास जी ने बताया है की गोरखनाथ सिद्धियों को ही प्राप्त करके अहंकारी हो गए लेकिन सिद्धि से मोक्ष नहीं क्योंकि गीता में भगवान खुद कहते हैं की -
"मेरे विराट रूप के दर्शन ना वेदों में वर्णित विधि से, ना जप से, ना तप से हो सकते हैं। "
अध्याय- 11 श्लोक- 22-47 में अर्जुन खुद कहते हैं की भगवान आप तो सिद्धों को भी खा रहे हो, देवताओं को भी खा रहे हो, ऋषियों को भी खा रहे हो, सब वेदों के उत्तम स्त्रोतों को बोलकर मंगल हो मंगल हो कह रहे हैं लेकिन आप उन्हें भी खा रहे हो। "..
. फिर गीता ज्ञान दाता कहते हैं की -" मैं काल हूँ अब सबको खाने के लिए आया हूँ "... अगर तुझे परम शांति और सनातन परम धाम अर्थात सतलोक चाहिए तो उस परमेश्वर की शरण में जा जिसकी कृपया से तू उस शाश्वत स्थान अर्थात सतलोक को प्राप्त होगा
(अध्याय-18 श्लोक- -62,
अध्याय-15 श्लोक- 1-4)
Jay guru gorkshnath ji
में आपकी बात से सायम त हू
में आपकी बात सायमत हू
Kabir is god
Kabir is god 🌹🌹
बड़ी हंसी आती है ईस आदमी कि बातें सुनकर, आखिर ये चाहता है गोरखनाथ से क्या दुष्मनी तों नहीं है ईनकी
Very nice satsang hai
पहली बात तो गुरु गोरखनाथ जी ने कभी हार नहीं मार रही जय बाबा गोरखनाथ कबीर बिल्कुल गलत सुना रहे हैं बाबा गोरखनाथ के भोलेनाथ के रुद्र अवतार थे
जय श्री बाबा शंभू जति शिवगोरख नाथ जी
ये तो बहुत नाथो से भी सुना है जी,
सच्चाई है।
गरीब दास जी की अमर वाणी में प्रमाण है की गोरखनाथ जी की ज्ञान गोष्ठी कबीर साहेब से ही हुई थी, माना की गोरखनाथ की महिमा बहुत है लेकिन वो महिमा भी कहीं से सुनी ही थी हम लोगो ने बिना शंका करे, हम किसी को नीचा या ऊचा नहीं दिखा सकते लेकिन संतों की वाणियों में यही प्रमाण है जैसा इस विडियो में बताया है, एक तो हमने कभी गोरखनाथ को देखा नहीं और ना ही कभी हम उनसे मिले तो हम खुदसे नहीं कह सकते की कौन कितना शक्ति वाला है, इसलिए हमारे लिए गीता, वेद और संतों की वाणी ही आधार होती है असली सोना परखने की।
गरीब दास जी ने कहा है
-" गरीब, गोरखनाथ सिद्धि में फूला, टिम्ने - टामन हांडे फूला"
अर्थात गोरखनाथ के पास ऐसी सिद्धियाँ थी की जनता आश्चर्य हो जाती थी लेकिन गरीब दास जी ने बताया है की गोरखनाथ सिद्धियों को ही प्राप्त करके अहंकारी हो गए लेकिन सिद्धि से मोक्ष नहीं क्योंकि गीता में भगवान खुद कहते हैं की -
"मेरे विराट रूप के दर्शन ना वेदों में वर्णित विधि से, ना जप से, ना तप से हो सकते हैं। "
अध्याय- 11 श्लोक- 22-47 में अर्जुन खुद कहते हैं की भगवान आप तो सिद्धों को भी खा रहे हो, देवताओं को भी खा रहे हो, ऋषियों को भी खा रहे हो, सब वेदों के उत्तम स्त्रोतों को बोलकर मंगल हो मंगल हो कह रहे हैं लेकिन आप उन्हें भी खा रहे हो। "..
. फिर गीता ज्ञान दाता कहते हैं की -" मैं काल हूँ अब सबको खाने के लिए आया हूँ "... अगर तुझे परम शांति और सनातन परम धाम अर्थात सतलोक चाहिए तो उस परमेश्वर की शरण में जा जिसकी कृपया से तू उस शाश्वत स्थान अर्थात सतलोक को प्राप्त होगा
(अध्याय-18 श्लोक- -62,
अध्याय-15 श्लोक- 1-4)
@@deekshaprabhakar_30 राईट दिक्षा जी
Kabir Sahib is not a body
Kabir Sahib amarlok sa aya haa ji
Duniya ko dikhana ki amarlok atam ka desh haaa
सत्यनाम
कक्का केवल नाम है बब्बा वीर्य शरीर रर्रा सबमें रम रहा उसका नाम कबीर
कबीर कोई शरीर नही है जिसकी उम्र 10,20,या 50 वर्ष होगी । कबीर ज्ञान है
कबीर अनुभव है ।
हमारे लिए शिव अवतारी गौरख नाथ भी पूज्य है,और संत कबीर भी, परन्तु आप ज्ञान ऐसे दे रहे है,जैसे गोष्ठी मे आप भी उपस्थित थे,आपके लिए कबीर परमेश्वर है,मेरे लिए गौरख नाथ जी परमेश्वर है।
कबीर साहेब हि पूर्ण परमात्मा हे ।। ज्ञान गंगा पुस्तक पड़ो और अपना कल्याण करो।। सत् साहेब । बावू
Hello, Gyan Ganga kisne likhi enhi ne, kal koi aor likhenge usme bata denge ki mai hi parmeshwar hu .
Aap yahi padhiy apas me ladiye
Yahi cahate hai ye.
Mitting me pragenty inky bhi rahi hogi . Guru ji ko Aadesh !!!
✝️क्या वह यीशु थे जो कब्र से निकले थे?
नहीं, वह यीशु नहीं थे जो कब्र से निकले थे। वे पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब थे, जो उनके अनुयायियों का विश्वास बनाए रखने के लिए यीशु के रूप में प्रकट हुए थे। अन्यथा उनके अनुयायियों ने भगवान में विश्वास खो दिया होता और नास्तिक बन गए होते।
गुरु गोरखनाथ भाला रोपियां समुद्र पेली तीर
रामानंद पहुंचे नहीं तु क्यों पछे कबीर
Jai.maha.shiv.Gorak.nath.ji.
किसी की आलोचना करना महा पाप हैं
truth is not critcise
सच्चाई बताना कोई पाप नहीं है🙏 सत साहेब जी🙏
कबीर साहेब जी उस परम पिता परमेश्वर के अवतार थे जोकि समय समय पर संत महात्मा मानवता को जगाने आते हैं जबकि गोरखनाथ जी त्रिलोक वासी है और संत महात्मा सतलोक सतनाम वासी होते है
कबीर को मुगल बादशाह ने हाथी से कुचलवा कर मरबा दिया था।
Shiv aur shakti, the real mother father our all human being
No never kabir is real God He is the real father and mother our all human being
J
तर्क वितर्क और कुतर्क कर हमे दोनो महान
आत्माओं का एक दूसरे से तुलना नही करना
चाहिए ।सबका सम्मान करना चाहिए और
उनके सद्गुणों को ही अपनाना चाहिए।
कुछ लोग एक दूसरे की तुलना कर रहे है ऐसे
हिंदुत्व की आलोचना होती है।
जहांश्री कबीर के शिष्य श्री रामपाल जी जेल में
और गुरु श्री गोरखनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ
जी मुख्य मंत्री के पद पर आसीन है।
तुलना अपने आप हो जा रही है।
श्री रामपाल जी को अपने प्रवचनों से भरम नही
फैलाना चाहिए।
धर्मो रच्छती रछतः
सब के मालिक प्रभु श्री राम ❤️
हर हर महादेव🚩🙏