KILL - OFFICIAL TRAILER (HINDI ) | Lakshya | Raghav|Tanya|Nikhil Nagesh Bhat|explainr bhupesh sen

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  • เผยแพร่เมื่อ 15 ม.ค. 2025
  • Kill Movie 2024 की कहानी:
    किल फिल्म की कहानी रोमांस यानि लव स्टोरी से शुरू होती है जिसमें अमृत राठौर(लक्ष्य लालवानी) जो एक आर्मी कमांडो होता है तथा अपने काम और कर्तव्य के प्रति अपने आप को न्योछावर करने वाला आर्मी ऑफिसर है। अमृत को तूलिका(तान्या मानिकतला) नाम की लड़की से प्यार हो जाता है। जब अमृत छुट्टी के दिनों अपना घर आता है तो अमृत को पता चलता है कि तूलिका की सगाई हो चुकी है।
    अमृत, तूलिका से मिलने के लिए रांची पहुँच जाता है और तूलिका के घर पहुँचते ही उनके माता-पिता से परमीशन लेता है लेकिन इनके पिता भी मना कर देते है। तो इस तरह अमृत अपने दोस्त वीरेश(अभिषेक चौहान) के साथ दिल्ली की ओर रवाना होता है और इसी ट्रेन में तूलिका तथा इनकी फैमिली सफर कर रही होती है।
    सफर के दौरान ट्रेन में अमृत, तूलिका को वाशरूम के बहार अंगूठी पहना कर शादी के लिए प्रपोज़ करता है जो काफी खूबसूरत होता है, लेकिन कुछ समय बाद ही यह लव स्टोरी हिंसा में बदल जाती है। लेकिन अचानक इसी ट्रेन में फानी(राघव जुयाल) नाम का गुंडा तथा इसके पिता(आशीष विधार्थी) और अपने 40 दोस्तों के साथ ट्रेन में चढ़ता है।
    ट्रेन में चढ़ने से पहले ही गुंडे मोबाइल नेटवर्क फैल कर देते है ताकि ट्रेन में बैठे कोई भी व्यक्ति किसी से सम्पर्क न कर सके और गुंडे अपना मक़सद पूरा कर सके। इन लुटेरों के पास ख़तरनाक हथियार है जो मार-पिट तथा खून-खराबा करने के लिए ट्रेन पर चढ़ा है।
    इस तरह सभी गुंडे तथा डाकू आपस में मिलकर ट्रेन को अपहरण कर लेते है और मार-पिट शुरू हो जाती है जिसे देख दिल दहल जाता है। अमृत गुंडो को इतनी बेहरमी से मारता है कि उसके हाथ कांप जाते है और अंत में विलेन को यह कहना पड़ता है कि ‘ऐसे कौन मारता है बे’ । इस तरह अमृत ट्रेन में गुंडो की लाश बिछा देता है।
    ट्रेलर में अगर फिल्म 'किल' को 'मोस्ट वायलेंट और घोरियेस्ट' (सर्वाधिक हिंसक और रक्तरंजित) फिल्म कहा गया है तो बिलकुल भी गलत नहीं है। यह इंडियन सिनेमा की सबसे ज्यादा रक्तपात मचाने वाली फिल्म है। कमजोर दिल वालों के लिए तो ये कतई नहीं है। हालांकि हॉलिवुड में हम 'बुलेट ट्रेन' और 'ट्रेन टू बुसान' जैसी फिल्मों में खूनी खेल देख चुके हैं, मगर निर्देशक निखिल नागेश भट्ट की 'किल' में नायक और खलनायक के बीच जिस तरह से रक्त की होली खेली जाती है, वो आपको न केवल हैरान कर देती है बल्कि अपनी सीट से हिलने नहीं देती।
    क्या है फिल्म 'किल' की कहानी
    आपने वो कहावत तो सुनी होगी, 'दिल जला है, दुनिया जला कर राख कर दूंगा', जी हां 'किल' की कहानी का बीज भी वहीं से अंकुरित होता है। एक खास ऑपरेशन से लौटे नैशनल सिक्योरिटी कमांडो अमृत राठौड़ (लक्ष्य) को जब पता चलता है कि कि उसकी प्रेमिका तूलिका (तान्या मानिकताला) की सगाई हो रही है, तो वह सगाई रोकने के लिए तूलिका के घर जाता है, मगर तब तक सगाई हो चुकी है। अब तूलिका, उसके पिता बलदेव सिंह ठाकुर (हर्ष छाया) और उनका परिवार रांची से दिल्ली आने वाली ट्रेन में बैठता है। इसी ट्रेन में अमृत अपने कमांडो दोस्त अभिषेक चौहान (वीरेश चटवाल) के साथ सफर कर रहा है। सफर के दौरान अमृत तूलिका को वॉशरूम में अंगूठी पहनाकर शादी के लिए प्रपोज भी कर लेता है, मगर दोनों ही इस बात से अनजान हैं कि रास्ते में उनकी ट्रेन में नृशंस लुटेरों और हत्यारों का एक बहुत बड़ा जत्था चढ़ चुका है, जिसका सरगना है फणि (राघव जुयाल) जैसा राक्षस और उसका बेरहम पिता बेनी (आशीष विद्यार्थी)। ये लुटेरे कोई आम लुटेरे नहीं हैं बल्कि खून-खराबा करने वाला एक ऐसा गिरोह है, जिनके पास जैमर और मार -काट मचाने वाले खतरनाक हथियार भी हैं। लूटपाट के लिए किसी भी हद तक जाने वाले ये 20 नृशंस लुटेरे ट्रेन में खून की नदियां बहाना शुरू कर देते हैं, मगर लोगों का सामना करने के लिए ट्रेन में महज दो लोग अमृत और अभिषेक हैं। क्या ये जांबाज कमांडो इन हत्यारों क सामना कर पाएंगे या बलि चढ़ा दिए जाएंगे, ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
    निर्देशक में 'किल' की स्क्रिप्ट बांधकर रखी है
    सिनेमा के नौ रसों में से श्रृंगार, हास्य और करुण रस का बोलबाला ज्यादा देखने को मिलता रहा है, मगर बीते दिनों में 'एनिमल' जैसी हिंसक फिल्म के बाद वीभत्स रस के प्रति दर्शकों की रुचि जगी है और निर्देशक निखिल नागेश भट्ट की फिल्म अपने शीर्षक के मुताबिक मास किलिंग की एक ऐसी जर्नी पर चल निकलती है, जहां दर्शक हक्का-बक्का हुए बिना नहीं रह पाता। अपनी पिछली फिल्म अपूर्वा में नायिका का खूंखार रूप दिखा चुके निर्देशक की इस फिल्म को कई लोग हिंसा का ग्लोरिफिकेशन करने वाली फिल्म भी कह सकते हैं, मगर निर्देशक इस क्रूर रक्तपात को जस्टिफाई करने की पूरी कोशिश करते हैं कि सीमा पर दुश्मनों का सिर कलम करने वाले कमांडो ट्रेन के अंदर रक्तपात मचाने को विवश क्यों हो जाता है? इन राक्षसों के सामने रक्षक स्वयं राक्षस क्यों बन जाता है? फिल्म की लंबाई फिल्म का प्लस पॉइंट है। निर्देशक लव ट्रैक को डेवलप करने में वक्त जाया करने के बजाय सीधे मुद्दे पर आ जाते हैं और उसके बाद यह ट्रेन कहानी और ट्रीटमेंट के नजरिए से फ्लाइंग रानी की तरह सरपट भागने लगती है।
    फिल्म 'किल' की एक्शन कोरियोग्राफी शानदार
    कहानी में ब्रीदिंग स्पेस का न होना बुरी तरह से बेचैन कर देता है। ट्रेन के सीमित स्पेस में एक्शन की कोरियाग्राफी गजब है और कहानी में बढ़ते लाशों के ढेर से पहले आप सदमे में आ जाते हैं, मगर फिर उसका हिस्सा बनकर वीभत्स रस का आनंद लेने लगते हैं। मरने-मारने वालों के शरीर को ऐसी-ऐसी जगहों से काटा-पीटा जाता है, जिसकी कल्पना भी आप नहीं कर सकते। राफे महमूद की सिनेमैटोग्राफी, शिवकुमार वी पानिकर की एडिटिंग, ट्रीटमेंट और बैकग्राउंड म्यूजिक भी दमदार है। फिल्म की एक्शन कोरियोग्राफी को येओंग ओह व परवेज शेख ने सनसनीखेज ढंग से डिजाइन किया है, मगर हां इसकी शोक वैल्यू आपको विचलित करने के लिए काफी है।

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