हनुमान चालीसा

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  • เผยแพร่เมื่อ 19 มิ.ย. 2024
  • हनुमान चालीसा
    || दोहा ||
    श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।
    बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि॥
    बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
    बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार॥
    || चौपाई ||
    जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।
    जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
    रामदूत अतुलित बलधामा।
    अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥
    महावीर विक्रम बजरंगी।
    कुमति निवार सुमति के संगी॥
    कंचन वरण विराज सुवेसा।
    कानन कुंडल कुंचित केसा॥
    हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजे।
    काँधे मूँज जनेऊ साजे॥
    शंकर सुवन केसरी नंदन।
    तेज प्रताप महा जग वंदन॥
    विद्यावान गुनी अति चातुर।
    राम काज करिबे को आतुर॥
    प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
    राम लखन सीता मन बसिया॥
    सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
    विकट रूप धरि लंक जरावा॥
    भीम रूप धरि असुर सँहारे।
    रामचंद्र के काज सँवारे॥
    लाय सजीवन लखन जियाए।
    श्री रघुवीर हरषि उर लाए॥
    रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
    तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
    सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
    अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
    सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
    नारद शारद सहित अहीसा॥
    जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
    कवि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥
    तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
    राम मिलाय राजपद दीन्हा॥
    तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।
    लंकेश्वर भए सब जग जाना॥
    जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
    लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
    प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
    जलधि लाँघि गए अचरज नाहीं॥
    दुर्गम काज जगत के जेते।
    सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
    राम दुआरे तुम रखवारे।
    होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
    सब सुख लहे तुम्हारी सरना।
    तुम रक्षक काहू को डरना॥
    आपन तेज सम्हारो आपै।
    तीनों लोक हाँक ते काँपै॥
    भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
    महावीर जब नाम सुनावै॥
    नासै रोग हरै सब पीरा।
    जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
    संकट तें हनुमान छुड़ावै।
    मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥
    सब पर राम तपस्वी राजा।
    तिनके काज सकल तुम साजा॥
    और मनोरथ जो कोई लावै।
    सोइ अमित जीवन फल पावै॥
    चारों जुग परताप तुम्हारा।
    है परसिद्ध जगत उजियारा॥
    साधु संत के तुम रखवारे।
    असुर निकंदन राम दुलारे॥
    अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
    अस बर दीन जानकी माता॥
    राम रसायन तुम्हरे पासा।
    सदा रहो रघुपति के दासा॥
    तुम्हरे भजन राम को पावै।
    जनम जनम के दुख बिसरावै॥
    अंत काल रघुबर पुर जाई।
    जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥
    और देवता चित्त न धरई।
    हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥
    संकट कटै मिटै सब पीरा।
    जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
    जै जै जै हनुमान गोसाईं।
    कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
    जो सत बार पाठ कर कोई।
    छूटहि बंदि महा सुख होई॥
    जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
    होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
    तुलसीदास सदा हरि चेरा।
    कीजै नाथ हृदय मँह डेरा॥
    || दोहा ||
    पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
    राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
  • บันเทิง

ความคิดเห็น • 4

  • @kartikKumar-cv4kx
    @kartikKumar-cv4kx 22 วันที่ผ่านมา +1

    जय हनुमान जी

  • @mantusaikia8808
    @mantusaikia8808 หลายเดือนก่อน +1

    Jai hanuman ji 🍎🍎🍎🍎🍎🍎🍐🍐🍐🍐🍐🍌🍌🍌🍌🍉🍉🍉🍉🍋🍋🍋🍋🍋🍇🍇🍇🍇🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • @mantusaikia8808
    @mantusaikia8808 หลายเดือนก่อน

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