02:07 the way face of all four women was shown... Waheeda had jealousy on her face, richa has pain on her face, Manisha had cunningness and Aditi had innocence..pure gold..kudos to choreographer..
@@munni333 music is not written by someone it is lyrics And khusro wrote the lyrics of this poem for his master Nizamuddin auliya and raha of this song is "raga bahar "
बॉलीवुड का जिहादी गायन... बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं - ***(((सकल बन फूल रही सरसों बन बन फूल रही सरसों अम्बवा फूटे टेसू फूले कोयल बोले डार-डार और गोरी करत सिंगार मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों सकल बन फूल रही सरसों तरह तरह के फूल खिलाए ले गढवा हाथन में आए निजामुद्दीन के दरवज्जे पर आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों सकल बन फूल रही सरसों)))*** कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं? क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं? नहीं। ये तो हिंदु महिलाएं हैं। और कौन सी हिंदु महिलाएं? वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है। दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है। आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे। और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को। धन्यवाद। जय श्री कृष्ण।....
There is so much to say about this song. I would like to start of with Richa. My god! The way she joined the background dancers after her entry was mervelous. Manisha mam just killed the antara with the hand gestures. So graceful! Her entry where she walked up everyone was cheering for her. So delightful to watch. The way she called the other girls to join, wah! Just wah. And the part where faces of all the women were shown was amazing. Just wonderful. It's very mesmerizing to see Bhansali sir bring this wonderful bandish in rag Bagar to his web series. Raja has left me really speechless by his singing skills. There is so much to say here that I can't even express how much. Lots of love to all the members including the background singers and dancers. Without them the video would have been incomplete. Thank you to those who have came this far reading. Yours truly A music lover.
This is what I expect from bhansali sir's music label. Classical raag based songs. This song is so beautiful. It makes me feel emotional. I'm so happy that Bhansali sir decided to open his music label. I hope his label gives more classical raag based music which currently is lacking in bollywood sadly. But i'm hoping with bhansali music that they'll create more classical music songs like this. I hope they give more chances to great singers too. Great job to the whole team. Thank you to bhansali sir again. 🙏
I know k endia chutiya mulk hai lekin kuch to socho 😂 Bhansali ko sirf history ki aisi ki tesi krni hai 😂 Itnay jhol hain screen play mai uuufffff Jo behen qatal mai pakarwane ki dhamki de rahi thi itni sumhajdar malika jan ne us ko hee file jalane k liye di 😅 Dosri bewaqoofi k aalam bawli jo acting se bhi bawli lgti woh usi bazar mai eid ki shopping krne nikal parain jahan un kay najane kitne abba ghumtay phir rahe thay😅 hero itna Pagal ka bacha k ghar mai dushmanon ko party mai bula kr saari cheezain khule room or table pr saja kr betha tha😬 aik or bewaqoofi yeh k 22 July 1947 mai flag bana tha to us waqt kis khushi mai lehra rahe flag yani or Lahore mai Pakistan ka flag hona tha ya india ka KUCH BHI😂
बॉलीवुड का जिहादी गायन... बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं - ***(((सकल बन फूल रही सरसों बन बन फूल रही सरसों अम्बवा फूटे टेसू फूले कोयल बोले डार-डार और गोरी करत सिंगार मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों सकल बन फूल रही सरसों तरह तरह के फूल खिलाए ले गढवा हाथन में आए निजामुद्दीन के दरवज्जे पर आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों सकल बन फूल रही सरसों)))*** कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं? क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं? नहीं। ये तो हिंदु महिलाएं हैं। और कौन सी हिंदु महिलाएं? वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है। दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है। आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे। और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को। धन्यवाद। जय श्री कृष्ण।....
That's where you are absolutely wrong. This isn't just a buzz in these countries.. Amir Khusro's love for the character of his peer and his vocal appreciation for it. It is our whole spiritual foundation.
@@teresitaviera3000 La historia total del subcontinente Indu es mas profunda. Se llevaba muchos siglos desde el pasado incluso del misterioso civilizacion de Harappa/Indus
Forget everything... The voice behind this magical performace is of RAJA HASSAN.. kya gaana Gaya hai yaaaaar....uff... Kya voice hai Raja Hassan ji aapki
बॉलीवुड का जिहादी गायन... बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं - ***(((सकल बन फूल रही सरसों बन बन फूल रही सरसों अम्बवा फूटे टेसू फूले कोयल बोले डार-डार और गोरी करत सिंगार मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों सकल बन फूल रही सरसों तरह तरह के फूल खिलाए ले गढवा हाथन में आए निजामुद्दीन के दरवज्जे पर आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों सकल बन फूल रही सरसों)))*** कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं? क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं? नहीं। ये तो हिंदु महिलाएं हैं। और कौन सी हिंदु महिलाएं? वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है। दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है। आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे। और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को। धन्यवाद। जय श्री कृष्ण।....
The way we have remembered Amir khusro after 700 years with a song trust me after 700 years this SBL will still leave the same impact to that generation with a new version.
I wonder what would've been Monisha maam's reaction if somebody showed her this clip of future her, dancing gracefully at 2012 when she was fighting cancer 😭We must never give up or stop hoping for a better future ♥♥
People who don't know why they are wearing Yellow 💛 colour dresses here it is related to Basant Panchmi festival celebrated at Saint Hazrat Nizamuddin Auliyas Dargah by his followers started by his pupil Hazrat Ameer Khusro in 12-13th century it is said when Saint's dear Nephew Khwaja Taqiuddin Nuh died by illness he was in grief for months and stopped smiling this troubled Khusro and he decides to bring smile on his Auliya face then one day he saw across the Yamuna river rally of Women singing and dancing who were celebrating Basant Panchami wearing yellow clothes and yellow mustard flowers offering to the nearby Kalika Devi Temple it interest's him and he asked them why you offering Yellow Mustard flowers then they replied it will please the deity then Khusro also participated in the festival of Basant panchmi celebration of spring wearing yellow cloths and putting yellow flower in his hairs with dholki he sang for Auliya and that made him smile after a long time and ended his grief. it is celebrated till this day by his followers at Hazrat Nizamuddin Auliya's Dargah in Delhi as moment of joy People wearing yellow cloths offering yellow chadar and yellow Flowers also it is celebrated all over Prepartician North India as Basant Panchami irrespective of Religions be it Hindus, Sikhs, Muslims as Welcome of Spring 🌼 and this Kalam of poetry "Sakal Ban" is written by Tota-E-Hind (Parrot of India) 🇮🇳 Hazrat Ameer Khusro deciple of Hazrat Nizamuddin Auliya 😊
Rooted in 700-year-old history, 'Sakal Ban' happens to be the song whose lyrics have been penned by the Indo-Persian Sufi singer, musician, poet Amir Khusrau who lived during the kingship of the Delhi Sultanate. Magnificent portrayal in the web series 👏👏
the music, the set, the cinematography, the costumes............just wow. I just loveeeee Manisha Koirala so much. Finally seeing her in big project like in her heydays makes me so happy.
Totally agree, she deserves more projects with good directors🤞🏼🤞🏼🤞🏼 She has done fantabulous work in Bombay, Khamoshi, Akele Hum Akele Tum, Dil Se, Company, Mann, Agnisakshi👍🏼🔥👍🏼🔥
Bhaiiii sabbbbb😮😮 what is this.... This guy is creating magic everytime.. What a grace RICHA CHADDA and MANISHA KOIRALA stole my heart what a expression's yarrr❤❤❤❤❤... Can't Wait for series' come up ... Everywhere will be SAKAL BAN.....!!
बॉलीवुड का जिहादी गायन... बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं - ***(((सकल बन फूल रही सरसों बन बन फूल रही सरसों अम्बवा फूटे टेसू फूले कोयल बोले डार-डार और गोरी करत सिंगार मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों सकल बन फूल रही सरसों तरह तरह के फूल खिलाए ले गढवा हाथन में आए निजामुद्दीन के दरवज्जे पर आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों सकल बन फूल रही सरसों)))*** कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं? क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं? नहीं। ये तो हिंदु महिलाएं हैं। और कौन सी हिंदु महिलाएं? वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है। दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है। आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे। और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को। धन्यवाद। जय श्री कृष्ण।........
If amir khusro was alive he would have danced and rejoiced to this monumental tribute to his majestic art piece. This is so magically breathtaking 😍 💖 ❤
I have been watching this the moment I laid eyes upon this beauty. The cloour pallete's monochromatic yet so diverse and versatile and then the art direction,the vocals,wardrobe is jussssttt mind-boggling. Can't praise it enough man❤
@@mariamdadar7186bhai uske pele wali film jo banai usse dekhkar pata lag hi jata hai ki ya jadugar hai , perfectly present culture with sybolism and attention to detail with traditional folk religious song like ghoomer , jhume re gori , nimbuda etc
@@TUTANKHAMUN077 true , even in this song he represent so well , sakal ban , spring flowers blooming mustard , and this video feels like it women looks like flower blooming in yellow mustard
बॉलीवुड का जिहादी गायन... बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं - ***(((सकल बन फूल रही सरसों बन बन फूल रही सरसों अम्बवा फूटे टेसू फूले कोयल बोले डार-डार और गोरी करत सिंगार मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों सकल बन फूल रही सरसों तरह तरह के फूल खिलाए ले गढवा हाथन में आए निजामुद्दीन के दरवज्जे पर आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों सकल बन फूल रही सरसों)))*** कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं? क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं? नहीं। ये तो हिंदु महिलाएं हैं। और कौन सी हिंदु महिलाएं? वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है। दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है। आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे। और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को। धन्यवाद। जय श्री कृष्ण।....
ये राग बहार के ऊपर बना हुआ गाना है। जो एक अदभुद कंपोजिशन हैं जिसे राजा हसन साहब ने backing vocals के सपोर्ट और तबला और ढोलक के तालमेल के साथ एक अद्वितीय नमूना पेश किया है ।.. Hats off to all of the artists 👏🔥🙌
बॉलीवुड का जिहादी गायन... बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं - ***(((सकल बन फूल रही सरसों बन बन फूल रही सरसों अम्बवा फूटे टेसू फूले कोयल बोले डार-डार और गोरी करत सिंगार मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों सकल बन फूल रही सरसों तरह तरह के फूल खिलाए ले गढवा हाथन में आए निजामुद्दीन के दरवज्जे पर आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों सकल बन फूल रही सरसों)))*** कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं? क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं? नहीं। ये तो हिंदु महिलाएं हैं। और कौन सी हिंदु महिलाएं? वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है। दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है। आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे। और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को। धन्यवाद। जय श्री कृष्ण।....
Tow thing i saw..the true real expression of Manisha mam...which is recently recovered from cancer... and such performance....too much efforts...i really appreciate
बॉलीवुड का जिहादी गायन... बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं - ***(((सकल बन फूल रही सरसों बन बन फूल रही सरसों अम्बवा फूटे टेसू फूले कोयल बोले डार-डार और गोरी करत सिंगार मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों सकल बन फूल रही सरसों तरह तरह के फूल खिलाए ले गढवा हाथन में आए निजामुद्दीन के दरवज्जे पर आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों सकल बन फूल रही सरसों)))*** कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं? क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं? नहीं। ये तो हिंदु महिलाएं हैं। और कौन सी हिंदु महिलाएं? वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है। दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है। आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे। और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को। धन्यवाद। जय श्री कृष्ण।....
I saw everyone praising Manisha. Undoubtedly she is excellent but Richa n other lady presence can not b ignored too. They all are awesome together. Indeed a masterpiece.
People speak what they think. Clearly, Richa Chadha has proven herself as an excellent artist over the years. I myself have been a fan of her since Ram Leela. However, there's been something about Manisha Koirala in this particular song that people are not being able to hold themselves back from praising her. They do not mean the other actresses are not good, it's just that people are all over Manisha in this video. ♥️
बॉलीवुड का जिहादी गायन... बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं - ***(((सकल बन फूल रही सरसों बन बन फूल रही सरसों अम्बवा फूटे टेसू फूले कोयल बोले डार-डार और गोरी करत सिंगार मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों सकल बन फूल रही सरसों तरह तरह के फूल खिलाए ले गढवा हाथन में आए निजामुद्दीन के दरवज्जे पर आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों सकल बन फूल रही सरसों)))*** कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं? क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं? नहीं। ये तो हिंदु महिलाएं हैं। और कौन सी हिंदु महिलाएं? वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है। दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है। आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे। और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को। धन्यवाद। जय श्री कृष्ण।....
It says, stop the nonsense. He's confusing his mother's culture of Oudh and Lucknow ke kothas with Punjabi Heera Mandi in main Punjab Lahore. Tell him to first educate himself in Maharashtra, Manipur, Mizoram, Assam, Kerela Tamil, Karnatake etc cultures and then think of making movies on places and countries he never visited.
@@sabrinakhan8217Pre Partition Era literature is available .Bhansali believes in serious research. Again as a filmmaker he can take creative liberties.
the way richa come and join the dance while giving the bestt expressions of that particular scene.. is incredibleeee .. richa you are a true gem.. and manisha ji .. wahhh wahhh
बॉलीवुड का जिहादी गायन... बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं - ***(((सकल बन फूल रही सरसों बन बन फूल रही सरसों अम्बवा फूटे टेसू फूले कोयल बोले डार-डार और गोरी करत सिंगार मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों सकल बन फूल रही सरसों तरह तरह के फूल खिलाए ले गढवा हाथन में आए निजामुद्दीन के दरवज्जे पर आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों सकल बन फूल रही सरसों)))*** कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं? क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं? नहीं। ये तो हिंदु महिलाएं हैं। और कौन सी हिंदु महिलाएं? वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है। दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है। आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे। और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को। धन्यवाद। जय श्री कृष्ण।....
Idk what’s more exiting, MK is back, Richas dance the song or the cinematography. Super hyped for this project. Netflix really bagged gold by signing SLB. Can’t wait!
बन बन फूल रही सरसों अम्बवा फूटे टेसू फूले कोयल बोले डार-डार और गोरी करत सिंगार मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों सकल बन फूल रही सरसों तरह तरह के फूल खिलाए ले गढवा हाथन में आए निजामुद्दीन के दरवज्जे पर आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों सकल बन फूल रही सरसों Alot of words are missing from this song written and originally composed by Hazrat Amir Khusro in Raaga Bahaar... A legendary director like SLB who is so possessive about his creative aspects should have had paid attention to this.. but nevertheless thank you SLB for bringing and showcasing this masterpiece of Our Indian Music and Culture ❤
Manisha is iconic!! I’m so an amazed with her performance ❤❤❤ and then there’s Aditi she’s just beauty grace charm innocence they all did an outstanding job!!
बॉलीवुड का जिहादी गायन... बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं - ***(((सकल बन फूल रही सरसों बन बन फूल रही सरसों अम्बवा फूटे टेसू फूले कोयल बोले डार-डार और गोरी करत सिंगार मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों सकल बन फूल रही सरसों तरह तरह के फूल खिलाए ले गढवा हाथन में आए निजामुद्दीन के दरवज्जे पर आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों सकल बन फूल रही सरसों)))*** कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं? क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं? नहीं। ये तो हिंदु महिलाएं हैं। और कौन सी हिंदु महिलाएं? वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है। दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है। आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे। और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को। धन्यवाद। जय श्री कृष्ण।.....
Let me confess manisha koirala completely stole the show. She is one fresh breath of air ❤ Versatile actress and am glad she came back with good project i hope she will continue working as a lead.
I think she is the antagonist . The way she taunted her by flicking her Nath as if successfully claiming her in the house after her strong resistance seems cold as well as fearful. Nath is often associated with husband and Ladies of the night wear it for *"those"* reasons . So flicking her Nath as if mocking her maiden sentiments that will soon be ruined.
Manisha Koirala is one of the most beautiful actresses ever on the Indian screen...she is beautiful, innocent looking, vulnerable and a mighty talented acctress....who has conquered hearts all accross India!... Good to see her being directed by maestro Sanjay Leela Bhansali again...
बॉलीवुड का जिहादी गायन... बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं - ***(((सकल बन फूल रही सरसों बन बन फूल रही सरसों अम्बवा फूटे टेसू फूले कोयल बोले डार-डार और गोरी करत सिंगार मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों सकल बन फूल रही सरसों तरह तरह के फूल खिलाए ले गढवा हाथन में आए निजामुद्दीन के दरवज्जे पर आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों सकल बन फूल रही सरसों)))*** कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं? क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं? नहीं। ये तो हिंदु महिलाएं हैं। और कौन सी हिंदु महिलाएं? वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है। दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है। आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे। और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को। धन्यवाद। जय श्री कृष्ण।....
@@SarvesshMishra First go ahead and read what he said about Shiv Mandir then say about harmony. Real harmony is visible only between Hinduism Buddhism and Jainism.
Meanwhile me here for lyrics...to experience the 700yrs old era...how Hindus were celebrating festivals back then ....yellow flowers...yellow cloths💛🌻MAA GAURI KA SHRINGAR ❤
बॉलीवुड का जिहादी गायन... बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं - ***(((सकल बन फूल रही सरसों बन बन फूल रही सरसों अम्बवा फूटे टेसू फूले कोयल बोले डार-डार और गोरी करत सिंगार मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों सकल बन फूल रही सरसों तरह तरह के फूल खिलाए ले गढवा हाथन में आए निजामुद्दीन के दरवज्जे पर आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों सकल बन फूल रही सरसों)))*** कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं? क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं? नहीं। ये तो हिंदु महिलाएं हैं। और कौन सी हिंदु महिलाएं? वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है। दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है। आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे। और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को। धन्यवाद। जय श्री कृष्ण।..........
It is such a joy to get to see the batch of actresses from the 90s in the screen. They bring a lot of maturity and such their presence electrifies the screen. So good to see Manisha Koirala after so long!
बॉलीवुड का जिहादी गायन... बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं - ***(((सकल बन फूल रही सरसों बन बन फूल रही सरसों अम्बवा फूटे टेसू फूले कोयल बोले डार-डार और गोरी करत सिंगार मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों सकल बन फूल रही सरसों तरह तरह के फूल खिलाए ले गढवा हाथन में आए निजामुद्दीन के दरवज्जे पर आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों सकल बन फूल रही सरसों)))*** कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं? क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं? नहीं। ये तो हिंदु महिलाएं हैं। और कौन सी हिंदु महिलाएं? वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है। दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है। आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे। और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को। धन्यवाद। जय श्री कृष्ण।.....
Kon kehate hai ki 50 plus hero hi film aur Aisa grace dikhaa sakte hai Heroine bhi kuch kam nahi hai Aaj saabit ho gaya my favourite manisha koirala ko dekhkar She is so beautiful graceful and jabrdast actress❤❤❤❤❤❤❤❤love her❤❤❤❤❤
What a beautiful set. So good to see they use same architecture common in Lahore in 1700-1900. Most building have special bricked walls made of Lakhori bricks. In Amritsar and other Sikh empire cities a bit larger bricks called Nanak Shahi bricks were used. The set is similar to Havelis of Lahore using the Lakhori bricks. I love how deep Sanjay Leela Bhansali and his team go in details of aesthetics
बॉलीवुड का जिहादी गायन... बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं - ***(((सकल बन फूल रही सरसों बन बन फूल रही सरसों अम्बवा फूटे टेसू फूले कोयल बोले डार-डार और गोरी करत सिंगार मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों सकल बन फूल रही सरसों तरह तरह के फूल खिलाए ले गढवा हाथन में आए निजामुद्दीन के दरवज्जे पर आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों सकल बन फूल रही सरसों)))*** कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं? क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं? नहीं। ये तो हिंदु महिलाएं हैं। और कौन सी हिंदु महिलाएं? वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है। दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है। आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे। और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को। धन्यवाद। जय श्री कृष्ण।....
Manisha Koirala stole the show 🎉❤ hoping her comeback would give her more success 😀 Look at her filmography, she has been the darling or directors, every female actor in the country wants to work with Mani Ratnam or Bhansali or Hirani for once in their career and Manisha has done them with all, she has done amazing work in her career with all the top directors in India proof is here 1. Subhash Ghai - Saudagar 😇 2. Vidhu Vinod Chopra - 1942 a love story ❤️ 3. Mahesh Bhatt - Criminal 🎊 4. Mansoor Khan - Akele Hum Akele Tum 😊 5. Mani Ratnam - Bombay, Dil se 🔥❤️🎉🌟 6. Sanjay Leela Bhansali - Khamoshi the musical and now this Heeramandi 🔥❤️ 7. Shankar - Indian 🌟 8. Indra Kumar - Mann ❣️ 9. Rajkumar Santhoshi - Lajja 😇 10. Ram Gopal Verma - Company 🔥 11. Singeetham srinivasa Rao - Mumbai Xpress 😊 12. Rajkumar Hirani - Sanju 🎉🔥 All of them are Top directors and still Manisha Koirala is underrated, She was also a Pan Indian star back then when the pan India was not even a term She has worked with all the Khans, Kapoor, Shroff, Deols, Kumar, Devgan and also Kamal Hassan, Rajanikanth and Nagarjuna - a true Pan Indian star she deserves much more recognition and awards🎉❤️
Exactly, she was always ignored by the awards jury, be it filmfare or National award. Even she worked with the legends of the cinema Dilip Saab, Raj kumar, AB, Naushad saab. Show an actor of her generation who has such versatility be in acting or in songs or even in the languages. Even Madhuri said in KJo’s show that Manisha was competition for her but this new generation failed to acknowledge her contribution to the cinema. Jo dikhta hai wo bikta hai, she is hardly seen on tv reality shows etc so not considered as legend but her colleagues like Raveena, shilpa, karishma etc are legends now😂😂😂😂
@@saniyakhan3110 she chewed up the scenery whenever she came on screen. No other actress had vulnerability, innocence and smile, an unreal ethereal quality only she had and till date no one has it. The way she looked in 1942 a love story till date is the best presentation on an actress onscreen. That level of beauty even aishwarya didn’t showcase in any movie
@@shivamsawant5830 few more to your list Zubeda , Shyam benegal wanted MK but Khalid Mohabbat was keen on Karishma, so she was out and she was supposed to do biopic on Indira Gandhi also, that was shelved. She left so many good movies I think she was not good in film politics. Never mind I guess she is happy and content and last but not least she got loyal fans like us.😊😊
You just mentioned what I wanted to highlight... Manisha Koirala is poetry on screen...Manisha is art that is so vulnerable and precious...We will never be able to fully describe Manisha Koirala's beauty or appreciate her unparalleled talent. She is beyond awards and accolades. She is ethereal...
@@saniyakhan3110right. And i guess Along with MK, Madhuri was considered for Zubeida (I'm not 💯 sure, but I guess I heard) and to be very honest i always thought that for Zubeida's role if any other actress would have been casted i could only think of a few name 1. Is Manisha Koirala 2. Madhuri Dixit. I don't think besides these 2 any other names came to my mind. P.S. honestly I loved Karishma in Zubeida be it her beauty, Acting, dance. And not just me, I think one of her most loved performance and character is Zubeida.
@@87prak well I enjoy this creation like I enjoy Shiv Tandav stotram🙏🚩 by Ravan. Just because I liked the creation doesn't mean I admire Ravan. Same goes for Khansteraho.
@@whentheimposterissus8376 I get you. In this case, there are four entities: the song, Raja Hassan, Amir Khusro and Nizam Aulia. I love the song and Raja Hassan. The rest two I don't like.
बॉलीवुड का जिहादी गायन... बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं - ***(((सकल बन फूल रही सरसों बन बन फूल रही सरसों अम्बवा फूटे टेसू फूले कोयल बोले डार-डार और गोरी करत सिंगार मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों सकल बन फूल रही सरसों तरह तरह के फूल खिलाए ले गढवा हाथन में आए निजामुद्दीन के दरवज्जे पर आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों सकल बन फूल रही सरसों)))*** कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं? क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं? नहीं। ये तो हिंदु महिलाएं हैं। और कौन सी हिंदु महिलाएं? वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है। दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है। आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे। और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को। धन्यवाद। जय श्री कृष्ण।.......
बॉलीवुड का जिहादी गायन... बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं - ***(((सकल बन फूल रही सरसों बन बन फूल रही सरसों अम्बवा फूटे टेसू फूले कोयल बोले डार-डार और गोरी करत सिंगार मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों सकल बन फूल रही सरसों तरह तरह के फूल खिलाए ले गढवा हाथन में आए निजामुद्दीन के दरवज्जे पर आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों सकल बन फूल रही सरसों)))*** कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं? क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं? नहीं। ये तो हिंदु महिलाएं हैं। और कौन सी हिंदु महिलाएं? वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है। दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है। आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे। और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को। धन्यवाद। जय श्री कृष्ण।........
Amir Khusro ka apne peer-o-murshid ke liye likha kalam 'Shakal ban' dil ko chhoo jaata hai.. Sanjay leela bhansali shahab ko salam is kalam ki yaad taaza karane ke liye ❤... singer Raja Hasan ki pyari aawaz kya kahne ❤
The story goes that Nizamuddin Auliya, who was unmarried himself, was deeply attached to his sister’s son, Khwaja Nuh. But the child died young and Nizamuddin was devastated by the loss. Amir Khusro couldn’t bear to see his master so afflicted and brought low, and tried desperately to make him smile again. One day walking outside Nizamuddin’s house near the Khwaja’s khanqah at Chilla, Amir Khusro saw a group of village women walk by, dressed in bright yellow clothes and carrying mustard flowers and singing and clapping with guileless abandon. They were celebrating spring, they explained to the puzzled Amir Khusro, and were on their way to the Kalkaji temple where they would delight their goddess with song and dance. Enchanted by the story, Amir Khusro dressed up in a yellow sari, bedecked himself with mustard flowers, and appeared before Nizamuddin Auliya singing lusty songs in praise of spring. The saint saw his favourite disciple in the yellow sari and was startled out of his torpor. He smiled, and ever since, Basant Panchami has been celebrated thus at the Dargah of Nizamuddin. Perhaps, the song Khusrau sang to his master that day was : फूल रही सरसों सकल बन (phool rahi sarson sakal ban)@@anu3971
@@av1421 I commend you for making the effort to write about the background of this song. I appreciate your attempt to narrate how Amir Khusrow was inspired by the sight of women dressed in yellow in mustard fields, singing merrily on their way to worship and please their goddess which made Khusrow want to please Nizamuddin. The costume designer must've deliberately dress the actresses in yellow for shooting this song. But it is really sad that few people will notice such beautiful things in the art of film-making. Most people will simply get stuck on the Hindu - Muslim issues in the comments' section simply because the writer of this song is Khusrow.
Thank you so much Bhansali sir you've taken me back to my Kathak Days... What a song and performance as well background dancers are just awesome❤ Being a kathak dancer its not just a song such a master piece Manisha maam's hand gestures and that "ओ मोहे आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों" for a micro second the facial expressions oh my god 1:35 hand gestures starting of Manisha maam ♥️♥️ everything is just perfect👌👌
*_THIS IS NOT JUST A SONG, IT'S AN ABSOLUTE MASTERPIECE !!!_* *_I literally grew up watching movies of Sanjay Leela Bhansali !!! From Devdas, Bajirao Mastani, Padmaavat, and Gangubai Kathiawadi, the movies, having the songs with Epic BGM and elegant movie set, are just on another level !!!_* *_THE LYRICS makes me feel like, I am walking in a royal garden with flowers blooming everywhere !!!_* *_THE MUSIC COMPOSITION is just on another level, just giving me royal vibes !!!_*
@@mohammedarbaazjaffri4397no Madhuri dancing is good but acting vaise manisha is better you must be a genz to say that manisha always had a fire in her she is more fierce than Madhuri 🥴
@@RohanElBuchanan Uh, I read subtitles? And I never claimed to understand SLB movies as Indians do. Even if I learn Hindi and can watch his movies without subtitles I know that I can't. I have read about Indian history and culture to better appreciate the movies but I know that I can't understand it in a way that an Indian born & raised in India sees them. And that's fine, all humans can enjoy art that was created by people from various backgrounds. Do you not enjoy Hollywood movies, or any other movies that were not made in India? I also enjoy movies/dramas from China, and although Korea has a greater geographical and cultural proximity to China than India there are still some things I find very foreign or unfamiliar, yet also relatable and fascinating. SLB also deals a lot with doomed love/desire, which is an extremely relatable theme. He even made an adaptation of Romeo and Juliet, Goliyon Ki Raasleela Ram-Leela (one of the best I think). There's also the aspect that one can relate to different stories based on their own experiences or knowledge. Many of SLB's heroines are sublimely beautiful but also very human and relatable because they suffer from oppressive systems yet strive to uphold their love and dignity. Devdas reminds me of highly educated but weak-willed tragic young men caught between Westernized modernity and family expectations who often described in literature written during Korea's Japanese colonial era. Heeramandi is not out yet but I know that it's going to be about tawaifs, and that Korea once had similar courtesans called gisaengs. Of course they're not exactly the same, but the difference is also what makes the stories more intriguing. Also, SLB movies are just beautiful to look at. Who with sight can't appreciate that?
I wish Manisha Koirala does more big films....i absolutely love her...she is such a classic beauty...finally she is given a chance to dance like this...
The shot is so beautiful at 2:07 .... each of the 5 women portraying a different kind of emotion... So mesmerizing!🥺❤️ The cinematography, music, aesthetics, the Dances and the acting>>>>>>>>🤌🏻✨️Top class SLB Magic✨️
@@ayushilenka I might be wrong since the film hasn't released yet and we don't know the story line... but being a dancer I feel like the first woman portrays a very flirtatious expression, the 2nd woman Richa seems to be portraying longing, pain, a kind of sadness or uk like waiting for someone.... 3rd Manisha mam portrays a very swift look where u can feel she emotes knowledge power and maturity, and then Aditi her movement captures innocence and pure love kinda feeling... and the last girl sitting she is in a trance as if she was forced to be here but her mind is somewhere else.... I kinda love observing things more deeply than they actually r so can be wrong... so ig we need to wait for the movie to release to understand better
I see a lot of ppl who had vanished from Bollywood that have come back with this series eg. Raja Hasan, Taha shah, Manisha etc and all of them have done a great job.
बॉलीवुड का जिहादी गायन... बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं - ***(((सकल बन फूल रही सरसों बन बन फूल रही सरसों अम्बवा फूटे टेसू फूले कोयल बोले डार-डार और गोरी करत सिंगार मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों सकल बन फूल रही सरसों तरह तरह के फूल खिलाए ले गढवा हाथन में आए निजामुद्दीन के दरवज्जे पर आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों सकल बन फूल रही सरसों)))*** कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं? क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं? नहीं। ये तो हिंदु महिलाएं हैं। और कौन सी हिंदु महिलाएं? वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है। दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है। आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे। और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को। धन्यवाद। जय श्री कृष्ण।....
The shots at 0:10 😍 I could watch them on loop... The characters of Bibbo Jaan and Mallika Jaan were my favorite. I've even written some poetry based on Mallika Jaan ... working on Bibbo Jaan's piece next ... maybe I'll finish it by series 2 🙃
02:07 the way face of all four women was shown... Waheeda had jealousy on her face, richa has pain on her face, Manisha had cunningness and Aditi had innocence..pure gold..kudos to choreographer..
And here alamzeb is expressionless
@@ankitmishra1804😂😂😂😂
@@ankitmishra1804 she has nothing on her face 😂
Role situation demand
@@AnonymousRB88 uska bhi expression sahi because wo apni nathutrai sa khush nhi thi so expression aa are on point
Raja Hasan deserves the National Award for this rendition... Absolutely superlative 😍
Serenpan
💯💪🏻
But now national award is losing its importance.
National award is many times a scam. And would they consider ott series songs ?
Mere muh ki baat chinli. This singer deserves national award.
Confidence on Richa Chadha 's face...!
Manisha is oh my god.
Kudos to the singer and every element who has contributed to the music.
Thank Amir Khusro for the music … he wrote it over 750 years ago
Singer is Raja Hassan from saregamapa. Finally got a very big break. Thanks to SLB
@@munni333 music is not written by someone it is lyrics
And khusro wrote the lyrics of this poem for his master Nizamuddin auliya and raha of this song is "raga bahar "
We will be singing this in our school for teacher day and infront of the wole campus 😊
बॉलीवुड का जिहादी गायन...
बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं -
***(((सकल बन फूल रही सरसों
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों)))***
कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं?
क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं?
नहीं।
ये तो हिंदु महिलाएं हैं।
और कौन सी हिंदु महिलाएं?
वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है।
दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं।
बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे।
जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है।
आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे।
और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को।
धन्यवाद।
जय श्री कृष्ण।....
There is so much to say about this song. I would like to start of with Richa. My god! The way she joined the background dancers after her entry was mervelous. Manisha mam just killed the antara with the hand gestures. So graceful! Her entry where she walked up everyone was cheering for her. So delightful to watch. The way she called the other girls to join, wah! Just wah. And the part where faces of all the women were shown was amazing. Just wonderful. It's very mesmerizing to see Bhansali sir bring this wonderful bandish in rag Bagar to his web series. Raja has left me really speechless by his singing skills. There is so much to say here that I can't even express how much. Lots of love to all the members including the background singers and dancers. Without them the video would have been incomplete.
Thank you to those who have came this far reading.
Yours truly
A music lover.
Richa chadda and her movments are soo elegant also monisha.oh my god, her eye expression ❤
Nobody talking about how gracefully Manisha did Tarah Tarah k phool mangwaye done brilliantly
The way she joined in that dance was just so Flawless!!! My goodness! It definitely needs to be mentioned! 🥵🥵🥵😎😎😍😍😍👏🏾👏🏾👏🏾
She is just perfect! ♡ I love manisha ma'am ♡
Makes me wonder how supriya pathak had given expression ? As she is a trained dancer too
@@VarshaSahasrabudhe-t4t supriya pathak? means? she is inthis dong? or related?
WATCH - TITLE CALLED - TANNO BAI: Famous ‘Mujre Ki Rani’ of Azimabad Aka Patna City
The tabla drop at 0:55 literally goosebumps
True
Yes ..❤
Very good observation !
❤
Didn't notice that... Thanks now I'm keep on listening this part
0:52 It's Turn into Goosebumps Mode....❤
This is what I expect from bhansali sir's music label. Classical raag based songs. This song is so beautiful. It makes me feel emotional. I'm so happy that Bhansali sir decided to open his music label. I hope his label gives more classical raag based music which currently is lacking in bollywood sadly. But i'm hoping with bhansali music that they'll create more classical music songs like this. I hope they give more chances to great singers too. Great job to the whole team. Thank you to bhansali sir again. 🙏
You are absolutely rightt
Yes...absolutely...grandeur, opulence with class and finesse...that is totally missing these days
Can you please tell me the raag used?
@@slayerlawyer24 It's in Raag Bahar
Beautiful, wish i knew the meaning....Translation?
Manisha showed them all how to act! After such a long time on screen and that too after cancer! She is just 🔥
I know k endia chutiya mulk hai lekin kuch to socho 😂
Bhansali ko sirf history ki aisi ki tesi krni hai 😂
Itnay jhol hain screen play mai uuufffff
Jo behen qatal mai pakarwane ki dhamki de rahi thi itni sumhajdar malika jan ne us ko hee file jalane k liye di 😅
Dosri bewaqoofi k aalam bawli jo acting se bhi bawli lgti woh usi bazar mai eid ki shopping krne nikal parain jahan un kay najane kitne abba ghumtay phir rahe thay😅 hero itna Pagal ka bacha k ghar mai dushmanon ko party mai bula kr saari cheezain khule room or table pr saja kr betha tha😬
aik or bewaqoofi yeh k 22 July 1947 mai flag bana tha to us waqt kis khushi mai lehra rahe flag yani or Lahore mai Pakistan ka flag hona tha ya india ka
KUCH BHI😂
th-cam.com/users/shortsVzUKpu3AqhQ?si=7bqyskjVPXk23qyl
Exactly! She just slayed
@@lot8974 Abe chutiye Kai ki history? Its a fictional story based on some real events, tum logo ko bomb banane k alawa kuch nhi aata toh hum kya kare?
बॉलीवुड का जिहादी गायन...
बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं -
***(((सकल बन फूल रही सरसों
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों)))***
कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं?
क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं?
नहीं।
ये तो हिंदु महिलाएं हैं।
और कौन सी हिंदु महिलाएं?
वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है।
दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं।
बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे।
जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है।
आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे।
और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को।
धन्यवाद।
जय श्री कृष्ण।....
2:25 gives goosebumps ❤
The buzz is not just in India Pakistan or Bangladesh but apparently Heeramandi has equally hyped in entire Indian sub-continent / South Asia ❤
Me impactó preguntar fundamente, desde Argentina, si se la ocupación inglesa si, se de Ghandi, Pero más no se sabe.
That's where you are absolutely wrong. This isn't just a buzz in these countries.. Amir Khusro's love for the character of his peer and his vocal appreciation for it. It is our whole spiritual foundation.
In mauritius too
@@teresitaviera3000 La historia total del subcontinente Indu es mas profunda. Se llevaba muchos siglos desde el pasado incluso del misterioso civilizacion de Harappa/Indus
And even more. Greeting from an algerian 🇩🇿 ❤ 🇮🇳
Forget everything... The voice behind this magical performace is of RAJA HASSAN.. kya gaana Gaya hai yaaaaar....uff... Kya voice hai Raja Hassan ji aapki
Chop sala😂😂.. Thik thak gaya hain..
Outch ! I remember saw him first time in India got talent maybe, 14 or 15 years ago ....
Not a comparison but he is definitely in the level of Nusrat fateh Ali Khan
Mere ghar ke samne rahta h .....most underrated singer
😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊
02:10 Richa Chaddha's eyes are telling lajjo's story in the show😭 so perfect❤️❤️✨✨
kaha the aap gyaani
trueeeee
and alabmzeb eyes are dead, just like her character in the whole series
0:11 I hear "Aaeee CIRCLE BANAaaa" 😂
😂😂😂
Le bhai circle ⭕ bana diya 😂😂😂
And they literally make Circles with there dress during dance XD
Sakal ban means Whole forest
🤣
Manisha is born to be screen goddess, proven again! Bravo! what a performance!
बॉलीवुड का जिहादी गायन...
बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं -
***(((सकल बन फूल रही सरसों
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों)))***
कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं?
क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं?
नहीं।
ये तो हिंदु महिलाएं हैं।
और कौन सी हिंदु महिलाएं?
वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है।
दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं।
बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे।
जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है।
आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे।
और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को।
धन्यवाद।
जय श्री कृष्ण।....
The way we have remembered Amir khusro after 700 years with a song trust me after 700 years this SBL will still leave the same impact to that generation with a new version.
😢😢😢
We should not remember Amir Khusro's. A man who derivated lust towards Hindu women in poetry.
❤❤❤❤
@@Detoxify007See we are appreciating him for this song only. So yes
@@Detoxify007 get a life
Wow! Manisha Koirala in this form and grace. BEAUTIFUL!
00:47 this note ❤
I wonder what would've been Monisha maam's reaction if somebody showed her this clip of future her, dancing gracefully at 2012 when she was fighting cancer 😭We must never give up or stop hoping for a better future ♥♥
People who don't know why they are wearing Yellow 💛 colour dresses here it is related to Basant Panchmi festival celebrated at Saint Hazrat Nizamuddin Auliyas Dargah by his followers started by his pupil Hazrat Ameer Khusro in 12-13th century it is said when Saint's dear Nephew Khwaja Taqiuddin Nuh died by illness he was in grief for months and stopped smiling this troubled Khusro and he decides to bring smile on his Auliya face then one day he saw across the Yamuna river rally of Women singing and dancing who were celebrating Basant Panchami wearing yellow clothes and yellow mustard flowers offering to the nearby Kalika Devi Temple it interest's him and he asked them why you offering Yellow Mustard flowers then they replied it will please the deity then Khusro also participated in the festival of Basant panchmi celebration of spring wearing yellow cloths and putting yellow flower in his hairs with dholki he sang for Auliya and that made him smile after a long time and ended his grief. it is celebrated till this day by his followers at Hazrat Nizamuddin Auliya's Dargah in Delhi as moment of joy People wearing yellow cloths offering yellow chadar and yellow Flowers also it is celebrated all over Prepartician North India as Basant Panchami irrespective of Religions be it Hindus, Sikhs, Muslims as Welcome of Spring 🌼 and this Kalam of poetry "Sakal Ban" is written by Tota-E-Hind (Parrot of India) 🇮🇳 Hazrat Ameer Khusro deciple of Hazrat Nizamuddin Auliya 😊
And that's why when they are spinning..it's looking like yellow flowers blossoming... what a perfect visualisation of the lines.
Thank you so much for your explanation.. this is megh mallar right
I thought that it was just for aesthetics. That's why the lyrics say nizamuddin ke darwar or something like that. Thanks for the explanation
Thank you for context
I thought it was haldi rasam 😭
Rooted in 700-year-old history, 'Sakal Ban' happens to be the song whose lyrics have been penned by the Indo-Persian Sufi singer, musician, poet Amir Khusrau who lived during the kingship of the Delhi Sultanate.
Magnificent portrayal in the web series 👏👏
Old PTV black and white song ki pori composition chori ki Bhansali ne.. Sab se pehly PTV ne ye song on air kiya..
😂😂😂
I literally loved lajjo's (richa chadda) entry...and when she started dancing uffff damn her i literally loved her dance so much🤌❤️😍😍😍
1:24 the way Manisha does the hand gesture when they bow in front of her just SCREAMS ROYALTY yrr😘😘
I JUST realized that she did a hand gesture in the scene and ITS SO FCKING AWESOME!!!😫 Ahhh the grace she put in that!!! ♡
Haa yar❤
“Ham Tawaaif hain- 👑RAANIYAN👑 hai Lahore ki. Har nawaab raaja hamare dar par salaam dhokta hai”
the music, the set, the cinematography, the costumes............just wow. I just loveeeee Manisha Koirala so much. Finally seeing her in big project like in her heydays makes me so happy.
Totally agree, she deserves more projects with good directors🤞🏼🤞🏼🤞🏼 She has done fantabulous work in Bombay, Khamoshi, Akele Hum Akele Tum, Dil Se, Company, Mann, Agnisakshi👍🏼🔥👍🏼🔥
Love p0pp a.
Favorit manisha mam ❤
Beautiful classical 🎧 song loved it 👍🫶
Cinematography is pure Sanjay Leela's Magic ❤
imagine being born 750 years ago and still having your work being relevant , thats Amir Khusro the legend 💓💓
the lyrics are his or inspired by his work ???
The great Amir Khusaro
Bulbul-e-Hind
Yes he has written this!! @@fizasafeersafeer9074
Immortal
@@fizasafeersafeer9074 its by him
Raja... awesome voice..
Bhaiiii sabbbbb😮😮 what is this.... This guy is creating magic everytime.. What a grace RICHA CHADDA and MANISHA KOIRALA stole my heart what a expression's yarrr❤❤❤❤❤... Can't Wait for series' come up ... Everywhere will be SAKAL BAN.....!!
बॉलीवुड का जिहादी गायन...
बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं -
***(((सकल बन फूल रही सरसों
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों)))***
कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं?
क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं?
नहीं।
ये तो हिंदु महिलाएं हैं।
और कौन सी हिंदु महिलाएं?
वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है।
दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं।
बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे।
जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है।
आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे।
और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को।
धन्यवाद।
जय श्री कृष्ण।........
If amir khusro was alive he would have danced and rejoiced to this monumental tribute to his majestic art piece. This is so magically breathtaking 😍 💖 ❤
Certainly Bhai ... this Is A Masterpiece
I have been watching this the moment I laid eyes upon this beauty. The cloour pallete's monochromatic yet so diverse and versatile and then the art direction,the vocals,wardrobe is jussssttt mind-boggling. Can't praise it enough man❤
Dude let’s give a salaam to Richa chadhaa…!!!!! Bhyiii never seen her dancing like this ♥️♥️♥️
Xactly i ws trying 2 rem her name thank u
Shes actually trained in Kathak. :)
Always seen her in mardaana role.
@@mr.filmworm4018 yeah and for the first time seeing her like this is the cherry on the cake….
Rakheil chaddha apni aukad ma aa Gaye , aadat dal la .😊😈
2:05 my heart stop here
Why they stop that Taal 😢
Deeply in love with song! Absolutely love this series! Much love & respect Rawalpindi, Punjab, Pakistan! ❤️🙏🇵🇰
Sanjay leela Bhansali Director nahin balki ek jaadugar hai 😊
Emotions ka jaadugar
Wow sirf yh song dekh kar mehsus hotahe da wait wil b worth it unlike rocky rani yuck
@@mariamdadar7186bhai uske pele wali film jo banai usse dekhkar pata lag hi jata hai ki ya jadugar hai , perfectly present culture with sybolism and attention to detail with traditional folk religious song like ghoomer , jhume re gori , nimbuda etc
He in my opinion is best director in india. He can direct all sort of movies. Unlike other directors he is perfectionist in every type of movie
So true, he embodies the very essence of pure art.
@@TUTANKHAMUN077 true , even in this song he represent so well , sakal ban , spring flowers blooming mustard , and this video feels like it women looks like flower blooming in yellow mustard
the most underrated indian actress is aditi rao .she reflects royality and bhansali is casting her doing great job
Can't agree more. Look at her. So pleasant to look at.
@rg023 too fair
बॉलीवुड का जिहादी गायन...
बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं -
***(((सकल बन फूल रही सरसों
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों)))***
कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं?
क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं?
नहीं।
ये तो हिंदु महिलाएं हैं।
और कौन सी हिंदु महिलाएं?
वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है।
दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं।
बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे।
जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है।
आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे।
और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को।
धन्यवाद।
जय श्री कृष्ण।....
ये राग बहार के ऊपर बना हुआ गाना है। जो एक अदभुद कंपोजिशन हैं जिसे राजा हसन साहब ने backing vocals के सपोर्ट और तबला और ढोलक के तालमेल के साथ एक अद्वितीय नमूना पेश किया है ।..
Hats off to all of the artists 👏🔥🙌
और बसंत पंचमी में जब ❤️ मां ❤ सरस्वती माता जी की पूजा के लिए सरसों के फूलों को के कर जा रहे थे
बॉलीवुड का जिहादी गायन...
बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं -
***(((सकल बन फूल रही सरसों
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों)))***
कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं?
क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं?
नहीं।
ये तो हिंदु महिलाएं हैं।
और कौन सी हिंदु महिलाएं?
वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है।
दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं।
बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे।
जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है।
आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे।
और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को।
धन्यवाद।
जय श्री कृष्ण।....
Khamoshi to Heeramandi , that's the full circle for MK ❤ deserves every bit of praise. Richa Chaddha you are pure...
Im obsessed with Manisha Koirala's grace and beauty in this song.. cant see anything else
Agree
Tow thing i saw..the true real expression of Manisha mam...which is recently recovered from cancer... and such performance....too much efforts...i really appreciate
Please watch Dear Maya and see her grand come back after cancer.Its a masterpiece.
बॉलीवुड का जिहादी गायन...
बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं -
***(((सकल बन फूल रही सरसों
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों)))***
कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं?
क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं?
नहीं।
ये तो हिंदु महिलाएं हैं।
और कौन सी हिंदु महिलाएं?
वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है।
दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं।
बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे।
जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है।
आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे।
और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को।
धन्यवाद।
जय श्री कृष्ण।....
I saw everyone praising Manisha. Undoubtedly she is excellent but Richa n other lady presence can not b ignored too. They all are awesome together. Indeed a masterpiece.
N their outfits n accessories tho ❤
People speak what they think. Clearly, Richa Chadha has proven herself as an excellent artist over the years. I myself have been a fan of her since Ram Leela. However, there's been something about Manisha Koirala in this particular song that people are not being able to hold themselves back from praising her. They do not mean the other actresses are not good, it's just that people are all over Manisha in this video. ♥️
@@justkidding4556 U may be right. I gave my opinion n I felt her presence remarkable.
बॉलीवुड का जिहादी गायन...
बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं -
***(((सकल बन फूल रही सरसों
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों)))***
कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं?
क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं?
नहीं।
ये तो हिंदु महिलाएं हैं।
और कौन सी हिंदु महिलाएं?
वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है।
दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं।
बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे।
जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है।
आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे।
और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को।
धन्यवाद।
जय श्री कृष्ण।....
Manisha Koirala is dancing so gracefully😍👌🏼😍👌🏼 It’s a treat to watch her, she is killing it🔥🔥🔥
Manisha Koirala and Sanjay Leela Bhansali = The Dream Team ❤️😍💫
Masterpiece!!!! 🫶🏼🫶🏼🫶🏼
That "Sakal Ban" at 00:50 by Raja Hassan impresses at another level. I'm quite addicted to it.
The one right after that at 0:56 has me in a chokehold. I've been replaying it non stop.
I love the Nizamuddin line, so much respect! 😍
Not only manisha but all the women has nailed ittt beautiful and gracefully!!!!! Love love it ❤️
1:37 that hand gesture is everything ❤
It says, stop the nonsense. He's confusing his mother's culture of Oudh and Lucknow ke kothas with Punjabi Heera Mandi in main Punjab Lahore. Tell him to first educate himself in Maharashtra, Manipur, Mizoram, Assam, Kerela Tamil, Karnatake etc cultures and then think of making movies on places and countries he never visited.
@@sabrinakhan8217ye pre independence se pehle ki movie when pakistan didn't exist
@@sabrinakhan8217Pre Partition Era literature is available .Bhansali believes in serious research.
Again as a filmmaker he can take creative liberties.
@@sushmasingh8008 Alright. How would you feel if we show Mumbai as a slum of Tamil Nadu where everyone speaks Tamil and eats idli?
That's Kathak for you.
Manisha is just perfect in the series.
manisha you nailed it the real diamond of bollywood ❤❤❤. so glad to see you finally with a great film maker.
the way richa come and join the dance while giving the bestt expressions of that particular scene.. is incredibleeee .. richa you are a true gem.. and manisha ji .. wahhh wahhh
So happy for Manisha ! She deserves all the happiness after batting thru life ❤
बॉलीवुड का जिहादी गायन...
बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं -
***(((सकल बन फूल रही सरसों
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों)))***
कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं?
क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं?
नहीं।
ये तो हिंदु महिलाएं हैं।
और कौन सी हिंदु महिलाएं?
वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है।
दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं।
बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे।
जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है।
आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे।
और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को।
धन्यवाद।
जय श्री कृष्ण।....
Singer is just awesome ❤
Idk what’s more exiting, MK is back, Richas dance the song or the cinematography. Super hyped for this project. Netflix really bagged gold by signing SLB. Can’t wait!
Finally Raja Hasan is getting the fame he deserves...
He is a brilliant singer indeed
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर
सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों
Alot of words are missing from this song written and originally composed by Hazrat Amir Khusro in Raaga Bahaar... A legendary director like SLB who is so possessive about his creative aspects should have had paid attention to this.. but nevertheless thank you SLB for bringing and showcasing this masterpiece of Our Indian Music and Culture ❤
What a fabulous piece of art❤
I'm crying - I don't know why, but I do 😭 Thank you Sanjay Leela Bhansali, thank you ladies 🤗💕
Because u must be an artist himself/ herself from the previous birth.
1:04 step of Richa is just wow ❤️
exactly bro!!! richa chadha dance soo magical yaarrr!!! damnnnnn i'm fan of her now!!!
Same ghumoor song jaise step lag rhe hain isme
😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊qqqq😊😊😊😊😊q❤ ggf in@@peppermint86😊😊😊😊😊😊😊😊😊
Manisha is iconic!! I’m so an amazed with her performance ❤❤❤ and then there’s Aditi she’s just beauty grace charm innocence they all did an outstanding job!!
0:44 that turn was so perfectly timed!!!!
बॉलीवुड का जिहादी गायन...
बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं -
***(((सकल बन फूल रही सरसों
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों)))***
कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं?
क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं?
नहीं।
ये तो हिंदु महिलाएं हैं।
और कौन सी हिंदु महिलाएं?
वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है।
दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं।
बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे।
जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है।
आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे।
और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को।
धन्यवाद।
जय श्री कृष्ण।.....
Let me confess manisha koirala completely stole the show. She is one fresh breath of air ❤
Versatile actress and am glad she came back with good project i hope she will continue working as a lead.
I think she is the antagonist . The way she taunted her by flicking her Nath as if successfully claiming her in the house after her strong resistance seems cold as well as fearful. Nath is often associated with husband and Ladies of the night wear it for *"those"* reasons . So flicking her Nath as if mocking her maiden sentiments that will soon be ruined.
@@whentheimposterissus8376 yes, Manisha Koirala's villain era.
Probably, but from the teaser it seems that Sonakshi's character too has grey shades . @@whentheimposterissus8376
she was amazing.. whole story revolves around her
@@whentheimposterissus8376 She is not the antagonist here. Watch the series. Every character has different shades.
Omg how exiting ❤she stole the whole screen, you are more then !! Manisha ji u r our pride!🇳🇵
That tabla drop and Richa Chadha's entry in this song. OMG!;😍
1:17 the way mallikajan got up literally moved everyone there, the majesty manisha koirala holds is unmatched!
Manisha Koirala is one of the most beautiful actresses ever on the Indian screen...she is beautiful, innocent looking, vulnerable and a mighty talented acctress....who has conquered hearts all accross India!... Good to see her being directed by maestro Sanjay Leela Bhansali again...
How gracefully manisha did that '' tarha tarha k phool mangaye''😭😭😭😭 loved it
Man!! Her expression in that dance..the best.
बॉलीवुड का जिहादी गायन...
बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं -
***(((सकल बन फूल रही सरसों
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों)))***
कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं?
क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं?
नहीं।
ये तो हिंदु महिलाएं हैं।
और कौन सी हिंदु महिलाएं?
वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है।
दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं।
बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे।
जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है।
आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे।
और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को।
धन्यवाद।
जय श्री कृष्ण।....
Others :- it's just a song 😊
Legends :- that Amir khusro's respect of his teacher Nizamuddin ❤👍
Exactly ❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉 honorific ❤
Beautiful 😍🎉🎉🎉
Moreover a Muslim Poet Getting Inspired By A Hindu Festival is such A Beautiful Example of Harmony ❤ Love This Song
@@SarvesshMishra First go ahead and read what he said about Shiv Mandir then say about harmony. Real harmony is visible only between Hinduism Buddhism and Jainism.
Amir Khusro I love u
Meanwhile me here for lyrics...to experience the 700yrs old era...how Hindus were celebrating festivals back then ....yellow flowers...yellow cloths💛🌻MAA GAURI KA SHRINGAR ❤
2:31 laughter with pain
Why pain?
बॉलीवुड का जिहादी गायन...
बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं -
***(((सकल बन फूल रही सरसों
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों)))***
कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं?
क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं?
नहीं।
ये तो हिंदु महिलाएं हैं।
और कौन सी हिंदु महिलाएं?
वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है।
दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं।
बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे।
जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है।
आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे।
और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को।
धन्यवाद।
जय श्री कृष्ण।..........
It is such a joy to get to see the batch of actresses from the 90s in the screen. They bring a lot of maturity and such their presence electrifies the screen. So good to see Manisha Koirala after so long!
बॉलीवुड का जिहादी गायन...
बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं -
***(((सकल बन फूल रही सरसों
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों)))***
कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं?
क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं?
नहीं।
ये तो हिंदु महिलाएं हैं।
और कौन सी हिंदु महिलाएं?
वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है।
दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं।
बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे।
जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है।
आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे।
और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को।
धन्यवाद।
जय श्री कृष्ण।.....
Kon kehate hai ki 50 plus hero hi film aur Aisa grace dikhaa sakte hai Heroine bhi kuch kam nahi hai Aaj saabit ho gaya my favourite manisha koirala ko dekhkar She is so beautiful graceful and jabrdast actress❤❤❤❤❤❤❤❤love her❤❤❤❤❤
What a beautiful set. So good to see they use same architecture common in Lahore in 1700-1900. Most building have special bricked walls made of Lakhori bricks. In Amritsar and other Sikh empire cities a bit larger bricks called Nanak Shahi bricks were used. The set is similar to Havelis of Lahore using the Lakhori bricks. I love how deep Sanjay Leela Bhansali and his team go in details of aesthetics
This is power of classical singing......❤️❤️ Masterpiece....
Richa is a revelation.. given prominence n she nails it ..
Aditi ji looks so graceful as ever .. n manishaji , u r class
Manisha Koirala stole the screen, She did so gracefully ❤
This is such a masterpiece. Manisha Koirala's acting is on peak as always💖🇳🇵
Amir khusro 🎉🎉❤❤❤❤
Sanjay Leela Bhansali's songs are just on another level ✨
बॉलीवुड का जिहादी गायन...
बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं -
***(((सकल बन फूल रही सरसों
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों)))***
कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं?
क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं?
नहीं।
ये तो हिंदु महिलाएं हैं।
और कौन सी हिंदु महिलाएं?
वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है।
दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं।
बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे।
जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है।
आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे।
और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को।
धन्यवाद।
जय श्री कृष्ण।....
Manisha Koirala stole the show 🎉❤ hoping her comeback would give her more success 😀
Look at her filmography, she has been the darling or directors, every female actor in the country wants to work with Mani Ratnam or Bhansali or Hirani for once in their career and Manisha has done them with all, she has done amazing work in her career with all the top directors in India proof is here
1. Subhash Ghai - Saudagar 😇
2. Vidhu Vinod Chopra - 1942 a love story ❤️
3. Mahesh Bhatt - Criminal 🎊
4. Mansoor Khan - Akele Hum Akele Tum 😊
5. Mani Ratnam - Bombay, Dil se 🔥❤️🎉🌟
6. Sanjay Leela Bhansali - Khamoshi the musical and now this Heeramandi 🔥❤️
7. Shankar - Indian 🌟
8. Indra Kumar - Mann ❣️
9. Rajkumar Santhoshi - Lajja 😇
10. Ram Gopal Verma - Company 🔥
11. Singeetham srinivasa Rao - Mumbai Xpress 😊
12. Rajkumar Hirani - Sanju 🎉🔥
All of them are Top directors and still Manisha Koirala is underrated,
She was also a Pan Indian star back then when the pan India was not even a term
She has worked with all the Khans, Kapoor, Shroff, Deols, Kumar, Devgan and also Kamal Hassan, Rajanikanth and Nagarjuna - a true Pan Indian star
she deserves much more recognition and awards🎉❤️
Exactly, she was always ignored by the awards jury, be it filmfare or National award. Even she worked with the legends of the cinema Dilip Saab, Raj kumar, AB, Naushad saab. Show an actor of her generation who has such versatility be in acting or in songs or even in the languages. Even Madhuri said in KJo’s show that Manisha was competition for her but this new generation failed to acknowledge her contribution to the cinema. Jo dikhta hai wo bikta hai, she is hardly seen on tv reality shows etc so not considered as legend but her colleagues like Raveena, shilpa, karishma etc are legends now😂😂😂😂
@@saniyakhan3110 she chewed up the scenery whenever she came on screen. No other actress had vulnerability, innocence and smile, an unreal ethereal quality only she had and till date no one has it. The way she looked in 1942 a love story till date is the best presentation on an actress onscreen. That level of beauty even aishwarya didn’t showcase in any movie
@@shivamsawant5830 few more to your list Zubeda , Shyam benegal wanted MK but Khalid Mohabbat was keen on Karishma, so she was out and she was supposed to do biopic on Indira Gandhi also, that was shelved. She left so many good movies I think she was not good in film politics. Never mind I guess she is happy and content and last but not least she got loyal fans like us.😊😊
You just mentioned what I wanted to highlight... Manisha Koirala is poetry on screen...Manisha is art that is so vulnerable and precious...We will never be able to fully describe Manisha Koirala's beauty or appreciate her unparalleled talent. She is beyond awards and accolades. She is ethereal...
@@saniyakhan3110right. And i guess Along with MK, Madhuri was considered for Zubeida (I'm not 💯 sure, but I guess I heard) and to be very honest i always thought that for Zubeida's role if any other actress would have been casted i could only think of a few name 1. Is Manisha Koirala 2. Madhuri Dixit. I don't think besides these 2 any other names came to my mind.
P.S. honestly I loved Karishma in Zubeida be it her beauty, Acting, dance. And not just me, I think one of her most loved performance and character is Zubeida.
that fragrance of the line "Nizamuddhin ke darwaje par".... hits totally here 🫀
That's the only bad line in the song 😀
@@87prakagree 👍🏻👍🏻👍🏻😒
@@87prak well I enjoy this creation like I enjoy Shiv Tandav stotram🙏🚩 by Ravan. Just because I liked the creation doesn't mean I admire Ravan. Same goes for Khansteraho.
@@whentheimposterissus8376 I get you. In this case, there are four entities: the song, Raja Hassan, Amir Khusro and Nizam Aulia. I love the song and Raja Hassan. The rest two I don't like.
It’s nizam, not nijam
Singing such classic song in 2024 ..Singer must be awarded by National Award
Loved it ..This song will now rule dance shows.... Manisha Koirala is ❤
बॉलीवुड का जिहादी गायन...
बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं -
***(((सकल बन फूल रही सरसों
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों)))***
कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं?
क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं?
नहीं।
ये तो हिंदु महिलाएं हैं।
और कौन सी हिंदु महिलाएं?
वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है।
दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं।
बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे।
जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है।
आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे।
और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को।
धन्यवाद।
जय श्री कृष्ण।.......
Uffff Manisha looks effortlessly beautiful and graceful❤❤the entire series will be more interesting to watch😊
Sir Sanjay Leela Bhansali and his larger than life imagination. What craft ... What incredibly talented director India has . Ufff my pranam sir
बॉलीवुड का जिहादी गायन...
बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं -
***(((सकल बन फूल रही सरसों
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों)))***
कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं?
क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं?
नहीं।
ये तो हिंदु महिलाएं हैं।
और कौन सी हिंदु महिलाएं?
वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है।
दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं।
बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे।
जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है।
आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे।
और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को।
धन्यवाद।
जय श्री कृष्ण।........
Raja Hasan is gem❤❤
Amir Khusro ka apne peer-o-murshid ke liye likha kalam 'Shakal ban' dil ko chhoo jaata hai.. Sanjay leela bhansali shahab ko salam is kalam ki yaad taaza karane ke liye ❤... singer Raja Hasan ki pyari aawaz kya kahne ❤
Ram jane yeh muslim poet sirf poetry hi karte hai ya hamesha ki tarah inke hidden meaning hote hai against kafir.
LMAO. I hated this whole song for this reason only....hahahah@@anu3971
The story goes that Nizamuddin Auliya, who was unmarried himself, was deeply attached to his sister’s son, Khwaja Nuh. But the child died young and Nizamuddin was devastated by the loss. Amir Khusro couldn’t bear to see his master so afflicted and brought low, and tried desperately to make him smile again.
One day walking outside Nizamuddin’s house near the Khwaja’s khanqah at Chilla, Amir Khusro saw a group of village women walk by, dressed in bright yellow clothes and carrying mustard flowers and singing and clapping with guileless abandon. They were celebrating spring, they explained to the puzzled Amir Khusro, and were on their way to the Kalkaji temple where they would delight their goddess with song and dance. Enchanted by the story, Amir Khusro dressed up in a yellow sari, bedecked himself with mustard flowers, and appeared before Nizamuddin Auliya singing lusty songs in praise of spring. The saint saw his favourite disciple in the yellow sari and was startled out of his torpor. He smiled, and ever since, Basant Panchami has been celebrated thus at the Dargah of Nizamuddin.
Perhaps, the song Khusrau sang to his master that day was : फूल रही सरसों सकल बन (phool rahi sarson sakal ban)@@anu3971
@@av1421 I commend you for making the effort to write about the background of this song. I appreciate your attempt to narrate how Amir Khusrow was inspired by the sight of women dressed in yellow in mustard fields, singing merrily on their way to worship and please their goddess which made Khusrow want to please Nizamuddin. The costume designer must've deliberately dress the actresses in yellow for shooting this song. But it is really sad that few people will notice such beautiful things in the art of film-making. Most people will simply get stuck on the Hindu - Muslim issues in the comments' section simply because the writer of this song is Khusrow.
@@av1421 loved the story but where did u get it? i want to know more about it
Thank you so much Bhansali sir you've taken me back to my Kathak Days... What a song and performance as well background dancers are just awesome❤
Being a kathak dancer its not just a song such a master piece Manisha maam's hand gestures and that "ओ मोहे आवन कह गए आशिक़ रंग और बीत गए बरसों" for a micro second the facial expressions oh my god 1:35 hand gestures starting of Manisha maam ♥️♥️ everything is just perfect👌👌
Manisha ji is the epitome of grace & her moves are so effortless😍💯
Khub sundor hoyeche...r place tao daruun...vedio ta daruun eseche
*_THIS IS NOT JUST A SONG, IT'S AN ABSOLUTE MASTERPIECE !!!_*
*_I literally grew up watching movies of Sanjay Leela Bhansali !!! From Devdas, Bajirao Mastani, Padmaavat, and Gangubai Kathiawadi, the movies, having the songs with Epic BGM and elegant movie set, are just on another level !!!_*
*_THE LYRICS makes me feel like, I am walking in a royal garden with flowers blooming everywhere !!!_*
*_THE MUSIC COMPOSITION is just on another level, just giving me royal vibes !!!_*
Manisha koirala stole the screen. She did so gracefully.
Madhuri dixit is major missing she could have taken this role to next level
@@mohammedarbaazjaffri4397i hate manisha
@@mohammedarbaazjaffri4397no Madhuri dancing is good but acting vaise manisha is better you must be a genz to say that manisha always had a fire in her she is more fierce than Madhuri 🥴
@@mohammedarbaazjaffri4397madhuri and Tripti are missing
She is too beautiful
Extremely excited South Korean SLB fan here! This is the only reason I'm not canceling my Netflix membership!
Aww, respect to you for appreciating Indian talent! It will definitely be a memorable one! ❤🤗
Really I kinda think you are lying 🤔 how can you understand language/culture
@@RohanElBuchanan Uh, I read subtitles? And I never claimed to understand SLB movies as Indians do. Even if I learn Hindi and can watch his movies without subtitles I know that I can't. I have read about Indian history and culture to better appreciate the movies but I know that I can't understand it in a way that an Indian born & raised in India sees them. And that's fine, all humans can enjoy art that was created by people from various backgrounds. Do you not enjoy Hollywood movies, or any other movies that were not made in India? I also enjoy movies/dramas from China, and although Korea has a greater geographical and cultural proximity to China than India there are still some things I find very foreign or unfamiliar, yet also relatable and fascinating. SLB also deals a lot with doomed love/desire, which is an extremely relatable theme. He even made an adaptation of Romeo and Juliet, Goliyon Ki Raasleela Ram-Leela (one of the best I think). There's also the aspect that one can relate to different stories based on their own experiences or knowledge. Many of SLB's heroines are sublimely beautiful but also very human and relatable because they suffer from oppressive systems yet strive to uphold their love and dignity. Devdas reminds me of highly educated but weak-willed tragic young men caught between Westernized modernity and family expectations who often described in literature written during Korea's Japanese colonial era. Heeramandi is not out yet but I know that it's going to be about tawaifs, and that Korea once had similar courtesans called gisaengs. Of course they're not exactly the same, but the difference is also what makes the stories more intriguing. Also, SLB movies are just beautiful to look at. Who with sight can't appreciate that?
@@sibauchi wow what an elaborate explanation. No need to answer trolls. Thank you so much for liking and appreciating Indian culture. 😊❤
Bhansali music 🎵 Always hits!!!! ❤
I wish Manisha Koirala does more big films....i absolutely love her...she is such a classic beauty...finally she is given a chance to dance like this...
Bro, she has stage-4 cancer 🥺🥺
@@santoshbavishi6959 she does not stfu
She is cancer free now..she has had a long difficult journey..and finally beat cancer and changed her life completely @social4414
The shot is so beautiful at 2:07 .... each of the 5 women portraying a different kind of emotion... So mesmerizing!🥺❤️ The cinematography, music, aesthetics, the Dances and the acting>>>>>>>>🤌🏻✨️Top class SLB Magic✨️
like who is portraying which emotion, can u elaborate?
@@ayushilenka I might be wrong since the film hasn't released yet and we don't know the story line... but being a dancer I feel like the first woman portrays a very flirtatious expression, the 2nd woman Richa seems to be portraying longing, pain, a kind of sadness or uk like waiting for someone.... 3rd Manisha mam portrays a very swift look where u can feel she emotes knowledge power and maturity, and then Aditi her movement captures innocence and pure love kinda feeling... and the last girl sitting she is in a trance as if she was forced to be here but her mind is somewhere else.... I kinda love observing things more deeply than they actually r so can be wrong... so ig we need to wait for the movie to release to understand better
I love your interpretation @@rashiously
I think they r matching the lyrics
@@rashiously..you r right! Loved your comment❤
I see a lot of ppl who had vanished from Bollywood that have come back with this series eg. Raja Hasan, Taha shah, Manisha etc and all of them have done a great job.
More like Shekhar Suman, Adhyan Suman & Fardeen Khan
Only Sanjay Leela Bhansali can provide such a cinematic treat...just amazing
बॉलीवुड का जिहादी गायन...
बॉलीवुड का एक और जिहादी गाना...हीरामंडी फिल्म में फिल्माया गया (सकल बन फुल रही सरसो) (मुलतः राग बहार में है।)। इसे अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा भी गाया जाता है। हिंदु गायकों द्वारा भी... लेकिन उन्हें पता नहीं कि वे क्या गा रहे हैं, क्योंकि हिंदु कभी अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, बल्कि केवल भावनाओं में बहता रहता है। ख़ैर... पहले इस गाने के लिरिक्स पर गौर करते हैं -
***(((सकल बन फूल रही सरसों
बन बन फूल रही सरसों
अम्बवा फूटे टेसू फूले
कोयल बोले डार-डार
और गोरी करत सिंगार
मलनियाँ गढवा ले आईं कर सों
सकल बन फूल रही सरसों
तरह तरह के फूल खिलाए
ले गढवा हाथन में आए
निजामुद्दीन के दरवज्जे पर
आवन कह गए आशिक़ रंग
और बीत गए बरसों
सकल बन फूल रही सरसों)))***
कुछ महिलाएं निज़ामुद्दीन के पास फुल लेकर जा रही हैं। लेकिन वे महिलाएं कौन हैं?
क्या मुस्लिम महिलाएं ऐसा करती हैं?
नहीं।
ये तो हिंदु महिलाएं हैं।
और कौन सी हिंदु महिलाएं?
वही, जिनके पतियों को मारकर उन्हें माल-ए-ग़नीमत के तौर पर उठा लिया गया, और उनका बलात्कार किया जाता है।
दरअसल अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी और अपने पति के हत्यारों के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं।
बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। आप सभी से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रहे हैं, क्या सुन रहे हैं, क्या देख रहे हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में पिरो के कुछ भी दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएंगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे।
जितने भी हिंदु युट्युबर हैं, कृपया इस ‘‘फुल रही सरसो’’ गाने पर वीडियो बनाएं और इसकी पोलखोल करें, क्योंकि यह एक गहरा बॉलीवुड जहर है, जो हिंदु बालिकाओं के मन में अपने पति के हत्यारों, और अपने बलात्कारियों के प्रति झुकाव का रंग प्रस्तुत करता है। ऐसे बॉलीवुड जिहाद की पोल खोलनी अत्यंत आवश्यक है। लगभग प्रत्येक म्युज़िक क्लास में यह गाना गाया जाता है, जब भी राग बहार का शिक्षण होता है। इस गाने को गाना बंद कर देना चाहिये, क्योंकि यह उन सभी हिंदु स्त्रियों का अपमान है, जिनका बलात्कार हुआ, हमारे उन सभी पुर्वजों का अपमान है, जिनको मुसलमानों ने मार डाला। इसीलिये इस गाने का बहिष्कार कीजिये। कोई भी हिंदु गायक इस गाने को न गाए और अगर कोई गाता है तो उसे रोकें और समझाएं कि इस गाने का वास्तविक रहस्य क्या है, इसका मतलब क्या है।
आशा है हिंदु इस गाने को गाना बंद कर देंगे, और ये सुफिज्म के नशे से बाहर निकलेंगे।
और हां, इस मेसेज को शेयर अवश्य करें, खासतौर पर अपने सभी संगीतज्ञ मित्रों को।
धन्यवाद।
जय श्री कृष्ण।....
The shots at 0:10 😍 I could watch them on loop... The characters of Bibbo Jaan and Mallika Jaan were my favorite. I've even written some poetry based on Mallika Jaan ... working on Bibbo Jaan's piece next ... maybe I'll finish it by series 2 🙃
Manisha Koirala she's acted after a long time on screen she proved that once a legend always a legend ❤🔥
Thanks for 100 likes ❣️
Sanjay Leela Bhansali is back with another masterpiece ❤❤
One smile of Manisha is enough❤
Amir Khushro✨️💫
I was actually very excited for the songs of Heeramandi 'cuz I knew these are going to be such soothing Traditional masterpieces!!! 💐