सुनो रे सतके बन्जारे, एक बात कहुँ समझाई या फंद बाजी रची मायाकी, तामे सबकोई रह्या उरझाई । आँटी आनके फाँसी लगाई, वे भी उलटी दई उलटाई बन्ध पर बन्ध दिए विधविधके, सो खोली किन हुं नपाई । चौदे भवन लग यही अन्धेरी, झुठको खेल झुठाई प्रगट नास व्यास पुकारे, शुकदेव साख पुराई । लोकलाज मरयादा छोडी, तब ज्ञान पदवी पाई एक आग जो छोटी बुझाई, त्यो दुजी मोटी लगाई । कोट सेवक करो नाम निकालो, इष्ट चलाओ बढाई सेवा कराओ सद्गुरु कहलावो, पर अलख नदेवे लखाई । -तारतम सागर, किरन्तन ग्रन्थ प्रकरण ५
Kya baat🎉🎉🎉
Daju koti koti prem pranam....❤❤❤
Feeling Awesome.....
Great bani gayen🙏🙏Pranam
सबै कलकार र सून्दरसाथ मा कोटि प्रणाछ जि🙏🙏🙏🍀🍀🍀
प्रेम प्रणाम सुंदरसाथ जी❤❤❤
Anando, Maja aagaya 🙏
❤prem pranam daju♥️♥️
Pranam ji🎉
प्रेम प्रणाम जि 🙏🙏🙏🙏
Mangal Prem Pranamji...Mangaldham...Dinesh
Dàndvat Pranam Ji 🌷🙏🌹🙏
Prem parnam ji ❤
🙏🙏🙏
Nice
सुनो रे सतके बन्जारे, एक बात कहुँ समझाई
या फंद बाजी रची मायाकी, तामे सबकोई रह्या उरझाई ।
आँटी आनके फाँसी लगाई, वे भी उलटी दई उलटाई
बन्ध पर बन्ध दिए विधविधके, सो खोली किन हुं नपाई ।
चौदे भवन लग यही अन्धेरी, झुठको खेल झुठाई
प्रगट नास व्यास पुकारे, शुकदेव साख पुराई ।
लोकलाज मरयादा छोडी, तब ज्ञान पदवी पाई
एक आग जो छोटी बुझाई, त्यो दुजी मोटी लगाई ।
कोट सेवक करो नाम निकालो, इष्ट चलाओ बढाई
सेवा कराओ सद्गुरु कहलावो, पर अलख नदेवे लखाई ।
-तारतम सागर, किरन्तन ग्रन्थ प्रकरण ५