जीवन कभी भी दर्शकों के लिए एक मात्र शो नहीं हो सकता, जैसा कि 99% लोग मानते हैं। यह किसी भी नकली नाटक जैसा नहीं है। जीवन भावनाओं का एक सच्चा अंतर्संबंध है - प्यार और खुशी, दुख और घृणा, वासना और लालसा, अहंकार और क्रोध, विलासिता और अभिमान। अधिकांश मामलों में, लोग समाज के सामने खुद को खास दिखाने की कोशिश करते हैं। एक खाली बर्तन सबसे ज़्यादा शोर मचाता है, लेकिन एक सच्चा व्यक्ति कभी भी अपनी विशिष्टता का दिखावा नहीं करता। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें नाम या प्रसिद्धि की लालसा नहीं होती है, न ही वे प्रशंसा या स्वीकृति के प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए जुनूनी होते हैं।😊❤🎉
जीवन कभी भी दर्शकों के लिए एक मात्र शो नहीं हो सकता, जैसा कि 99% लोग मानते हैं। यह किसी भी नकली नाटक जैसा नहीं है। जीवन भावनाओं का एक सच्चा अंतर्संबंध है - प्यार और खुशी, दुख और घृणा, वासना और लालसा, अहंकार और क्रोध, विलासिता और अभिमान।
अधिकांश मामलों में, लोग समाज के सामने खुद को खास दिखाने की कोशिश करते हैं। एक खाली बर्तन सबसे ज़्यादा शोर मचाता है, लेकिन एक सच्चा व्यक्ति कभी भी अपनी विशिष्टता का दिखावा नहीं करता। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें नाम या प्रसिद्धि की लालसा नहीं होती है, न ही वे प्रशंसा या स्वीकृति के प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए जुनूनी होते हैं।😊❤🎉