तीक्ष्णदंष्ट्र महाकाल भैरव अष्टक साधना - भैरव प्रत्यक्षीकरण विधान
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- เผยแพร่เมื่อ 10 ก.พ. 2025
- श्रीगणेशाय नमः ।
श्रीउमामहेश्वराभ्यां नमः ।
श्रीगुरवे नमः ।
श्रीभैरवाय नमः ।
अस्य श्रीबटुकभैरवाष्टकस्तोत्रमन्त्रस्य ईश्वर ऋषिः ।
गायत्री छन्दः । बटुकभैरवो देवताः । ह्रीं बीजम् । बटुकायेतिशक्तिः ।
प्रणवः कीलकम् । धर्मार्म्मार्थकाममोक्षार्थे पाठे विनियोगः ॥
अथ करन्यासः ।
कं अङ्गुष्टाभ्यां नमः । हं तर्जनीभ्यां स्वाहा ।
खं मध्यमाभ्यां वषट् । सं अनामिकाभ्यां हूं ।
गं कनिष्टिकाभ्यां वौषट् । क्षं करतलकरपृष्टाभ्यां फट् ॥
अथ हृदयादिन्यासः ।
कं हृदयाय नमः । हं शिरसे स्वाहा ।
खं शिखायै वषट् । सं कवचाय हूं ।
गं नेत्रत्रयाय वौषट् । क्षं अस्त्राय फट् ॥
अथाङ्ग न्यासः ।
क्षं नमः हृदि । कं नमः नासिकयोः ।
हं नमः ललाटे । खं नमः मुखे ।
सं नमः जिह्वायाम् । रं नमः कण्ठे ।
मं नमः स्तनयोः । नमः नमः सर्वाङ्गेषु ।
आज्ञा ।
तीक्ष्णदंष्ट्र महाकाय कल्पान्त दहनोपम ।
भैरवाय नमस्तुभ्यमनुज्ञान्दातुमर्हसि ॥ १॥
अथ ध्यानम् ।
करकलितकपालः कुण्डलीदण्डपाणि
स्तरुणतिमिरनीलोव्यालयज्ञोपवीती ।
क्रतुसमयसपर्या विघ्नविच्छेदहेतु-
र्जयतिबटुकनाथः सिद्धिदः साधकानाम् ॥ २॥
इति ध्यानम् ।
पूर्वे आसिताङ्गभैरवाय नमः पूर्वदिशि मां रक्ष रक्ष
कालकण्टकान् भक्ष भक्ष आवाहयाम्यहमत्रतिष्ट तिष्ट हूं फट् स्वाहा ।
आग्नेये रुरुभैरवाय नमः आग्नेये मां रक्ष रक्ष
कालकण्टकान् भक्ष भक्ष आवाहयाम्यहमत्रतिष्ट तिष्ट हूं फट् स्वाहा ।
दक्षिणे चण्डभैरवाय नमः दक्षिणे मां रक्ष रक्ष
कालकण्टकान् भक्ष भक्ष आवाहयाम्यहमत्रतिष्ट तिष्ट हूं फट् स्वाहा ।
नैऋत्ये क्रोधभैरवाय नमः नैऋत्यां मां रक्ष रक्ष
कालकण्टकान् भक्ष भक्ष आवाहयाम्यहमत्रतिष्ट तिष्ट हूं फट् स्वाहा ।
प्रतिच्यां उन्मत्तभैरवाय नमः प्रतिच्यां मां रक्ष रक्ष
कालकण्टकान् भक्ष भक्ष आवाहयाम्यहमत्रतिष्ट तिष्ट हूं फट् स्वाहा ।
वायव्ये कपालभैरवाय नमः वायव्ये मां रक्ष रक्ष
कालकण्टकान् भक्ष भक्ष आवाहयाम्यहमत्रतिष्ट तिष्ट हूं फट् स्वाहा ।
उदिच्यां भीषणभैरवाय नमः उदिच्यां मां रक्ष रक्ष
कालकण्टकान् भक्ष भक्ष आवाहयाम्यहमत्रतिष्ट तिष्ट हूं फट् स्वाहा ।
ईशान्यां संहारभैरवाय नमः ईशाने मां रक्ष रक्ष
कालकण्टकान् भक्ष भक्ष आवाहयाम्यहमत्रतिष्ट तिष्ट हूं फट् स्वाहा ।
॥ नमो भगवते भैरवाय नमः क्लीं क्लीं क्लीं ॥
इति मन्त्रमष्टोत्तर शतं जप्त्वा चतुर्विध पुरुषार्थसिद्धये
महासिद्धिकरभैरवाष्टकस्तोत्र पाठे विनियोगः ॥
यं यं यं यक्षरूपं दशदिशिविदितं भूमिकम्पायमानं,
सं सं संहारमूर्तिं शिरमुकुटजटा शेखरंचन्द्रबिम्बम् ।
दं दं दं दीर्घकायं विक्रितनख मुखं चोर्ध्वरोमं करालं,
पं पं पं पापनाशं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ॥ १॥
रं रं रं रक्तवर्णं, कटिकटिततनुं तीक्ष्णदंष्ट्राकरालं,
घं घं घं घोष घोषं घ घ घ घ घटितं घर्झरं घोरनादम् ।
कं कं कं कालपाशं द्रुक् द्रुक् दृढितं ज्वालितं कामदाहं,
तं तं तं दिव्यदेहं, प्रणामत सततं, भैरवं क्षेत्रपालम् ॥ २॥
लं लं लं लं वदन्तं ल ल ल ल ललितं दीर्घ जिह्वा करालं,
धूं धूं धूं धूम्रवर्णं स्फुट विकटमुखं भास्करं भीमरूपम् ।
रुं रुं रुं रूण्डमालं, रवितमनियतं ताम्रनेत्रं करालम्,
नं नं नं नग्नभूषं , प्रणमत सततं, भैरवं क्षेत्रपालम् ॥ ३॥
वं वं वायुवेगं नतजनसदयं ब्रह्मसारं परन्तं,
खं खं खड्गहस्तं त्रिभुवनविलयं भास्करं भीमरूपम् ।
चं चं चलित्वाऽचल चल चलिता चालितं भूमिचक्रं,
मं मं मायि रूपं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ॥ ४॥
शं शं शं शङ्खहस्तं, शशिकरधवलं, मोक्ष सम्पूर्ण तेजं,
मं मं मं मं महान्तं, कुलमकुलकुलं मन्त्रगुप्तं सुनित्यम् ।
यं यं यं भूतनाथं, किलिकिलिकिलितं बालकेलिप्रदहानं,
आं आं आं आन्तरिक्षं , प्रणमत सततं, भैरवं क्षेत्रपालम् ॥ ५॥
खं खं खं खड्गभेदं, विषममृतमयं कालकालं करालं,
क्षं क्षं क्षं क्षिप्रवेगं, दहदहदहनं, तप्तसन्दीप्यमानम् ।
हौं हौं हौंकारनादं, प्रकटितगहनं गर्जितैर्भूमिकम्पं,
बं बं बं बाललीलं, प्रणमत सततं, भैरवं क्षेत्रपालम् ॥ ६॥
वं वं वं वाललीलं सं सं सं सिद्धियोगं, सकलगुणमखं,
देवदेवं प्रसन्नं, पं पं पं पद्मनाभं, हरिहरमयनं चन्द्रसूर्याग्नि नेत्रम् ।
ऐं ऐं ऐं ऐश्वर्यनाथं, सततभयहरं, पूर्वदेवस्वरूपं,
रौं रौं रौं रौद्ररूपं, प्रणमत सततं, भैरवं क्षेत्रपालम् ॥ ७॥
हं हं हं हंसयानं, हसितकलहकं, मुक्तयोगाट्टहासं,
धं धं धं नेत्ररूपं, शिरमुकुटजटाबन्ध बन्धाग्रहस्तम् ।
तं तं तंकानादं, त्रिदशलटलटं, कामगर्वापहारं,
भ्रुं भ्रुं भ्रुं भूतनाथं, प्रणमत सततं, भैरवं क्षेत्रपालम् ॥ ८॥
इति महाकालभैरवाष्टकं सम्पूर्णम् ।
नमो भूतनाथं नमो प्रेतनाथं नमः कालकालं नमः रुद्रमालम् ।
। नमः कालिकाप्रेमलोलं करालं नमो भैरवं काशिकाक्षेत्रपालम् ॥
Bahut acchi jaankari di hai aapne ❤
Baba bhairav ko alakh aadesh🙏
बहोत सुंदर महाकाल भैरव स्तोत्र साधना विधान दिया। नाथजी आपका आभार प्रकट करता हूं। जय मां आदिशक्ति
Muje ye Bhot hi pasand aya our
Mere bhairav baba ki kripa nirali hai our unki Sakti prachand hai our tiksnadanstha me prayog kiye gye beej ki sakti rodra rupi hai
Jay ho baba kall bhairav ki ❤🙏🏻 ❤️🔥
🙏🙏Aadhes baba
जय श्री महाकाल
हर हर महादेव
Thanks for providing the Nyas in the description.
Jai shree mahakal guruji 🙏🙏
Bhut sundar...gurudev ..Jay shree mahakal...🙏
Jai mata di 🪔
Jai shree mahakal 🪔
Jay shree mahakal ji prabhu
Jai shree mahakal jai mahakali
Jay shree mahakal gurudev
Jai Baba Mahakaal Bhairav 🙏🙏
Thank you so much guruji
Har Har Mahadev Bhaiya
🙏
Aadesh aadesh aadesh bhiya bhiya mere pass jo ye vala stotra h to usme die gai shabd kafi bhinn h ek hasth likhit pustak se mila tha 🙏🙏
Mahakal aur mahakal bhairav aur Kaal bhairav teeno alag svaroop hai.
Mere pas ye 2-3 type h ek mein viniyog nyass dhyan disha bandhan bhi dia h aur ek kisi purani hasht likhit pustak se mila tha
Apke pas jo hey wo kripya mujhe de sakte hai 🙏
Aap de skte ho vo
Koi simple sadhan de sakte hai aap guruji
Pranam Bhaiya kripya SHIV RUDRASTAK sadhana ka v ek video banaye Jai shri MAHAKAL JAI BABA KAAL BHAIRAV
jai gurudev 🙏🙏🙏🌹🌹🌹mai aapke sanidhy me sadhna karna chahta hu
TIWAREJI YEA STROTRA KI RACHNA KISNE KI THE MOJE JAVB DEJIYE 🙏🙏 👌🌺🌷🌻
Adi shankaracharya ji ne
Sar mahakaal bhairav kadhyanmantra keisahe
Aapse baat kaise ho skti h
नमस्ते तिवारी जी
क्या घर पर इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। या ये पूरी विधि से अष्ट दिशाओं का बंधन करके जाप करना उचित होगा कृपया बताएं
Kitne bar pdna h bhiya ji
Guruji 🙏🙏🙏
Wo kamkhya Devi Ka mantra bhi description mein De dijiye 🙏🙏🙏
नमो नमः 🙏इस स्तोत्र का वर्णन कहाँ किया गया है कृपया बताएँगे।
Aur maje ki bat ye h ki mere pass ye jitne bhi ashtak h vo sb ek doosre se kaafi alag h 😀😀😀
बाबा एक प्रश्न है- क्या गृहस्थ को भी ब्रामहाचार्य का पालन अनिवार्य है या फिर इसका कोई उपाय है, और विधि बताने के लिए धन्यवाद।
Bhaiya ex bohot bara confusion hai
Aap sa bat kaisa ho sakta hai please bhaiya 🙏🙏🙏
मैं आपसे contact करना चाहता हूं, मुझे साधना करना है
Ktipya msg pade
Aasha h aaptak meri aawaj pahuch chuki hogi
Bhiya mera ek question h please reply kr degea please 🙏🙏🙏 bhiya question ye h ki kya iss ashtak ki aatho chand अष्ट भैरवो ko bhi samarpit h mantlab ki kya jaise pehli asitang bhairav ko doosri ruru bhairav ko teesri chand bhairav ko aur चोथी क्रोध भैरव को kya aisa bhi kuch h 🙏🙏🙏🙏
Om namsh chandikaye.
Aachary ji kripya ek baar aapse baat karni thi kripa kare call receive karle aapne wsp par bhi koi reply nahi kiya plsss margadarshan kare plss
Face video banaye bhai ji
Face video banao bhai ji
Bhiya jab maa bhagwati mahakali ke roop mai bhi mhishasur ko maar sakti thi to maa durga ka pradurbhav kyu hua
Mata ke or bhi ugra roop hai to har ek rakshash ka vadh karne ke liye alag alag kyu hai
Maa Kaali, Maa Durga and Maa Chandi are the ones who killed Mahisasura.
He was slayed 3 times, once by each one of them.
Ye to rudrayamal tantra wala h 🙏🙏
कोई नुक्सान
Bhiya jo apne ek community post dali h usme ek banda mahakal k sath mahakali ka apman bhi kr raha h 😠😠😠😠😠
चिंता मत महाकाल और महाकाली को बुरा बोलने वाला मौत को बुलाता है चिंता मत करो हर हर महादेव
स्तोत्र भी अधूरा है सा !!
Why