तोड़ के रस्म के बुत बंद-ए-कजामत से निकल, जोफ-ए-इछरत से निकल वहम-ए-नजाकत से निकल, नफस के खैंचे हुए हल्के अदम्त से निकल, कैद बन जाये मुहब्बत तो मुहब्बत से निकल, राख का खार ही क्या गुल भी कुचलना है तुझे, उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे, उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे,, श्री कैफी आजमी साहब ।।
कैद है तेरे लिए तेरी हर नर्म अदा तेरे लिए, जहर ही जहर है दुनिया की हवा तेरे लिए, रुत बदल डाल अगर फलना फूलना तुझे, उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे ।।श्री कैफी आजमी।।
उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे क़ल्ब-ए-माहौल में लर्ज़ां शरर-ए-जंग हैं आज हौसले वक़्त के और ज़ीस्त के यक-रंग हैं आज आबगीनों में तपाँ वलवला-ए-संग हैं आज हुस्न और इश्क़ हम-आवाज़ ओ हम-आहंग हैं आज जिस में जलता हूँ उसी आग में जलना है तुझे उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे तेरे क़दमों में है फ़िरदौस-ए-तमद्दुन की बहार तेरी नज़रों पे है तहज़ीब ओ तरक़्क़ी का मदार तेरी आग़ोश है गहवारा-ए-नफ़्स-ओ-किरदार ता-ब-कै गिर्द तेरे वहम ओ तअय्युन का हिसार कौंद कर मज्लिस-ए-ख़ल्वत से निकलना है तुझे उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे तू कि बे-जान खिलौनों से बहल जाती है तपती साँसों की हरारत से पिघल जाती है पाँव जिस राह में रखती है फिसल जाती है बन के सीमाब हर इक ज़र्फ़ में ढल जाती है ज़ीस्त के आहनी साँचे में भी ढलना है तुझे उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे ज़िंदगी जेहद में है सब्र के क़ाबू में नहीं नब्ज़-ए-हस्ती का लहू काँपते आँसू में नहीं उड़ने खुलने में है निकहत ख़म-ए-गेसू में नहीं जन्नत इक और है जो मर्द के पहलू में नहीं उस की आज़ाद रविश पर भी मचलना है तुझे उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे Haayee 💔 Waah kaifi sahab ❤❤
Rachna - I have translated a portion of this nazm, hope you enjoy it: उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे कल्ब-ए-माहौल में लरज़ाँ शरर-ए-ज़ंग हैं आज हौसले वक़्त के और ज़ीस्त के यक रंग हैं आज आबगीनों में तपां वलवला-ए-संग हैं आज हुस्न और इश्क हम आवाज़ व हमआहंग हैं आज जिसमें जलता हूँ उसी आग में जलना है तुझे उठ मेरी जान! मेरे साथ ही चलना है तुझे ज़िन्दगी जहद में है सब्र के काबू में नहीं नब्ज़-ए-हस्ती का लहू कांपते आँसू में नहीं उड़ने खुलने में है नक़्हत ख़म-ए-गेसू में नहीं ज़न्नत इक और है जो मर्द के पहलू में नहीं उसकी आज़ाद रविश पर भी मचलना है तुझे उठ मेरी जान! मेरे साथ ही चलना है तुझे गोशे-गोशे में सुलगती है चिता तेरे लिये फ़र्ज़ का भेस बदलती है क़ज़ा तेरे लिये क़हर है तेरी हर इक नर्म अदा तेरे लिये ज़हर ही ज़हर है दुनिया की हवा तेरे लिये रुत बदल डाल अगर फूलना फलना है तुझे उठ मेरी जान! मेरे साथ ही चलना है तुझे Here is an approx. meaning of what is being said: The world is ablaze with flames of war today. Time and Fate appear to have the same aspirations. Goblets of tears like hot lava are flowing today. Beauty and Love have the same voice & purpose today. You must burn in the same fire with me. Arise my love, for now you must march with me. Patience will not help you in the struggles of life. Blood not tears will sustain you through the pulse of life. You will fly free when not ensnared in the web of love. Heaven is a different place not in the arms of your man. Aspire to walk without shackles on the path of freedom. Arise my love, for now you must march with me. Wherever you go fire of sacrifice awaits you. Your life is shackled by duties that are in your way. All your charms are in the way and ready to restrict you. The worldly ways are nothing but poisonous for you. Change the season, if you want to live and be happy. Arise my love, for now you must march with me.
عورت کیفی اعظمی اٹھ مری جان مرے ساتھ ہی چلنا ہے تجھے قلب ماحول میں لرزاں شرر جنگ ہیں آج حوصلے وقت کے اور زیست کے یک رنگ ہیں آج آبگینوں میں تپاں ولولۂ سنگ ہیں آج حسن اور عشق ہم آواز و ہم آہنگ ہیں آج جس میں جلتا ہوں اسی آگ میں جلنا ہے تجھے اٹھ مری جان مرے ساتھ ہی چلنا ہے تجھے زندگی جہد میں ہے صبر کے قابو میں نہیں نبض ہستی کا لہو کانپتے آنسو میں نہیں اڑنے کھلنے میں ہے نکہت خم گیسو میں نہیں جنت اک اور ہے جو مرد کے پہلو میں نہیں اس کی آزاد روش پر بھی مچلنا ہے تجھے اٹھ مری جان مرے ساتھ ہی چلنا ہے تجھے قدر اب تک تری تاریخ نے جانی ہی نہیں تجھ میں شعلے بھی ہیں بس اشک فشانی ہی نہیں تو حقیقت بھی ہے دلچسپ کہانی ہی نہیں تیری ہستی بھی ہے اک چیز جوانی ہی نہیں اپنی تاریخ کا عنوان بدلنا ہے تجھے اٹھ مری جان مرے ساتھ ہی چلنا ہے تجھے
मेरी महेबूब : कुछ यहीं से मिली है मेरे साथ ही चलना है तुझे रोशनी लेके अंधेरेसे निकलना है तुझे तेरे आँचलमें सितारे हैं गिराहबा में किरन तेरी नज़रोंसे हुई इश्क़ की दुनिया रोशन ढल गई गीतके साँचेमें दिलोंकी धड़कन जिसमें जलता हूँ उसी आग में जलना है तुझे चाँदसे माथे पे मेहनतके पसीने की लकीर जाग उठी जाग उठी हिन्दकी सोई तक़दीर कटके गिर जाएगी पैरोंसे पुरानी ज़ंजीर लड़खड़ाएगी कहाँतक के सम्भलना है तुझे कोने कोनेमें सुलगती है चिता तेरे लिए तेरी दुश्मन है तेरी नर्म अदा तेरे लिए ज़हरही ज़हर है दुनियाकी हवा तेरे लिए ऋत बदल जाए नज़र ऐसे बदलना है तुझे
After researching extensively I collected the full nazm with meaning of many words (to fully appreciate the beauty of the poem) in this google doc: docs.google.com/document/d/1sprw4IFSyiwjtgPhy8vGXse9qhjQZX8vZLZMtqRo3Gc/edit
Jitni tareef ki jaye is nazm ki kam hai.
No words🙌
Hey stranger, would you mind reminding me this gem
👇
Itne bada shayar or aisi shayri sunne ka mauka humein mila...
Zindabaad Kaifi Sahab.
Thanks you tube ,aj Kaifi ji ke shyari sunne ka nasib hua .unke shyari sunke sachhi mein janjeer torne ka takat milta hay .🙏🙏🙏
Very revolutionary ideas! I have been a fan of Azmis and Akhtars! They are truly talented and forthright!
तोड़ के रस्म के बुत बंद-ए-कजामत से निकल,
जोफ-ए-इछरत से निकल वहम-ए-नजाकत से निकल,
नफस के खैंचे हुए हल्के अदम्त से निकल,
कैद बन जाये मुहब्बत तो मुहब्बत से निकल,
राख का खार ही क्या गुल भी कुचलना है तुझे,
उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे,
उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे,, श्री कैफी आजमी साहब ।।
50 sal pahle agar suna hota toh jindgi ka rikh hi nahi badala hota aur bhi bahut kuchh badla hota.
Bahut hi shandar nazam
Qaed hojaye mohobath tow mohobath sey nikal ..wow so powerful
Mey bhi rukney ka nahi
Wakt bhi rukney ka nahi ...🌹🌹🌹🌹
कैद है तेरे लिए तेरी हर नर्म अदा तेरे लिए,
जहर ही जहर है दुनिया की हवा तेरे लिए,
रुत बदल डाल अगर फलना फूलना तुझे,
उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे ।।श्री कैफी आजमी।।
Superb... beautiful words and great motivation for women.
Mandatory watch on Women's day 💟
उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे
क़ल्ब-ए-माहौल में लर्ज़ां शरर-ए-जंग हैं आज
हौसले वक़्त के और ज़ीस्त के यक-रंग हैं आज
आबगीनों में तपाँ वलवला-ए-संग हैं आज
हुस्न और इश्क़ हम-आवाज़ ओ हम-आहंग हैं आज
जिस में जलता हूँ उसी आग में जलना है तुझे
उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे
तेरे क़दमों में है फ़िरदौस-ए-तमद्दुन की बहार
तेरी नज़रों पे है तहज़ीब ओ तरक़्क़ी का मदार
तेरी आग़ोश है गहवारा-ए-नफ़्स-ओ-किरदार
ता-ब-कै गिर्द तेरे वहम ओ तअय्युन का हिसार
कौंद कर मज्लिस-ए-ख़ल्वत से निकलना है तुझे
उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे
तू कि बे-जान खिलौनों से बहल जाती है
तपती साँसों की हरारत से पिघल जाती है
पाँव जिस राह में रखती है फिसल जाती है
बन के सीमाब हर इक ज़र्फ़ में ढल जाती है
ज़ीस्त के आहनी साँचे में भी ढलना है तुझे
उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे
ज़िंदगी जेहद में है सब्र के क़ाबू में नहीं
नब्ज़-ए-हस्ती का लहू काँपते आँसू में नहीं
उड़ने खुलने में है निकहत ख़म-ए-गेसू में नहीं
जन्नत इक और है जो मर्द के पहलू में नहीं
उस की आज़ाद रविश पर भी मचलना है तुझे
उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे
Haayee 💔 Waah kaifi sahab ❤❤
I listened to the movie tamanna song based on this nazm
Best
I am honour because I belong to village MIJWAN
Sir pahle to apko ❤❤
बेहतरीन नज्म
Salute to you sir you are a legend
वाह वाह वाह साहब वाह
Wah MashaAllah
Wah wah sahab kya baat haa
Bohat he zbrdast
Salute to you sir...
Resilient kaifi
Shandar
brilliant :)
Bhut khub
❤
great
Masterpiece
बहुत सटीक नज़्म है लेकिन बहुत से शब्दों का हिंदी मायने नहीं मालूम। कृप्या इसका अर्थ हिंदी में बता सकें तो बहुत मेहरबानी होगी।
Rachna - I have translated a portion of this nazm, hope you enjoy it:
उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे
कल्ब-ए-माहौल में लरज़ाँ शरर-ए-ज़ंग हैं आज
हौसले वक़्त के और ज़ीस्त के यक रंग हैं आज
आबगीनों में तपां वलवला-ए-संग हैं आज
हुस्न और इश्क हम आवाज़ व हमआहंग हैं आज
जिसमें जलता हूँ उसी आग में जलना है तुझे
उठ मेरी जान! मेरे साथ ही चलना है तुझे
ज़िन्दगी जहद में है सब्र के काबू में नहीं
नब्ज़-ए-हस्ती का लहू कांपते आँसू में नहीं
उड़ने खुलने में है नक़्हत ख़म-ए-गेसू में नहीं
ज़न्नत इक और है जो मर्द के पहलू में नहीं
उसकी आज़ाद रविश पर भी मचलना है तुझे
उठ मेरी जान! मेरे साथ ही चलना है तुझे
गोशे-गोशे में सुलगती है चिता तेरे लिये
फ़र्ज़ का भेस बदलती है क़ज़ा तेरे लिये
क़हर है तेरी हर इक नर्म अदा तेरे लिये
ज़हर ही ज़हर है दुनिया की हवा तेरे लिये
रुत बदल डाल अगर फूलना फलना है तुझे
उठ मेरी जान! मेरे साथ ही चलना है तुझे
Here is an approx. meaning of what is being said:
The world is ablaze with flames of war today.
Time and Fate appear to have the same aspirations.
Goblets of tears like hot lava are flowing today.
Beauty and Love have the same voice & purpose today.
You must burn in the same fire with me.
Arise my love, for now you must march with me.
Patience will not help you in the struggles of life.
Blood not tears will sustain you through the pulse of life.
You will fly free when not ensnared in the web of love.
Heaven is a different place not in the arms of your man.
Aspire to walk without shackles on the path of freedom.
Arise my love, for now you must march with me.
Wherever you go fire of sacrifice awaits you.
Your life is shackled by duties that are in your way.
All your charms are in the way and ready to restrict you.
The worldly ways are nothing but poisonous for you.
Change the season, if you want to live and be happy.
Arise my love, for now you must march with me.
عورت
کیفی اعظمی
اٹھ مری جان مرے ساتھ ہی چلنا ہے تجھے
قلب ماحول میں لرزاں شرر جنگ ہیں آج
حوصلے وقت کے اور زیست کے یک رنگ ہیں آج
آبگینوں میں تپاں ولولۂ سنگ ہیں آج
حسن اور عشق ہم آواز و ہم آہنگ ہیں آج
جس میں جلتا ہوں اسی آگ میں جلنا ہے تجھے
اٹھ مری جان مرے ساتھ ہی چلنا ہے تجھے
زندگی جہد میں ہے صبر کے قابو میں نہیں
نبض ہستی کا لہو کانپتے آنسو میں نہیں
اڑنے کھلنے میں ہے نکہت خم گیسو میں نہیں
جنت اک اور ہے جو مرد کے پہلو میں نہیں
اس کی آزاد روش پر بھی مچلنا ہے تجھے
اٹھ مری جان مرے ساتھ ہی چلنا ہے تجھے
قدر اب تک تری تاریخ نے جانی ہی نہیں
تجھ میں شعلے بھی ہیں بس اشک فشانی ہی نہیں
تو حقیقت بھی ہے دلچسپ کہانی ہی نہیں
تیری ہستی بھی ہے اک چیز جوانی ہی نہیں
اپنی تاریخ کا عنوان بدلنا ہے تجھے
اٹھ مری جان مرے ساتھ ہی چلنا ہے تجھے
मेरी महेबूब : कुछ यहीं से मिली है
मेरे साथ ही चलना है तुझे
रोशनी लेके अंधेरेसे निकलना है तुझे
तेरे आँचलमें सितारे हैं गिराहबा में किरन
तेरी नज़रोंसे हुई इश्क़ की दुनिया रोशन
ढल गई गीतके साँचेमें दिलोंकी धड़कन
जिसमें जलता हूँ उसी आग में जलना है तुझे
चाँदसे माथे पे मेहनतके पसीने की लकीर
जाग उठी जाग उठी हिन्दकी सोई तक़दीर
कटके गिर जाएगी पैरोंसे पुरानी ज़ंजीर
लड़खड़ाएगी कहाँतक के सम्भलना है तुझे
कोने कोनेमें सुलगती है चिता तेरे लिए
तेरी दुश्मन है तेरी नर्म अदा तेरे लिए
ज़हरही ज़हर है दुनियाकी हवा तेरे लिए
ऋत बदल जाए नज़र ऐसे बदलना है तुझे
After researching extensively I collected the full nazm with meaning of many words (to fully appreciate the beauty of the poem) in this google doc: docs.google.com/document/d/1sprw4IFSyiwjtgPhy8vGXse9qhjQZX8vZLZMtqRo3Gc/edit
thankyouuuuuuuuu so much