हमारें गोरस दान न होय ।। मोहन लाडिले हो || Daan Leela
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- เผยแพร่เมื่อ 29 ก.ย. 2024
- ★ राग बिलावल ★ हमारें गोरस दान न होय ।। मोहन लाडिले हो || हमारें महामद फिरत ग्वार नारि हठ छाँड दै || कबके तुम दानी भये हो कब हम दीनौ दान । गाय चरावौ नंदकी तुम सुने अनोखे कान || मोहन ॥ १ ॥ हौं दानी तिहुँ लोकको तुम चास्यौ जुगकी ग्वार ॥ दान न छाँड़ों आपनों तेरौ राखों गहनें हार ॥ नारि हठ छाँड दै हो | हमारे उन्मत्त फिरत ग्वाल ॥२॥ रतन जटितकी ईंडुरी मेरो हीरा जरीयौ हार ॥ ताहि तुम राखन चहत हौ । कमरी के ओढ़न हार ॥ मोहन ॥ ३ ॥ ब्रह्मा तानों पूरियो बुनी बैठ महेश || सो हम ओढ़ी कामरी ताकौ पार न पावत शेष ॥ नारि हठ ॥ ४ ॥ नैन नचावत चातुरी हो बोलत मधुरे बोल ॥ मेरौ हार किरोरको तेरी सब गैयनको मोल ॥ मोहन ॥ ५ ॥ यह गैया तिहुँ लोक तारनी चास्यौ जुग परमान ॥ दूध देहिं तिहुँ लोक को तेरौ हार ले हों दश दान || नारि हठ ॥ ६ ॥ काहेकों बाद करत हौ लाला काहे करत अतिसोर ॥ जैसी बाजै तेरी बांसुरी मेरे नूपुरकी घनघोर ॥ ७ ॥ या बंसी की फूँकपै मैं गोध लियौ उठाय ॥ ढीठ बहुत यह ग्वालिनी याकी मटुकी लेहु छिड़ाय || ८|| जसोदा बाँधे दामरी लाल दामोदर गोपाल ॥ हा हा कर पाँयन परै तब हमहीं छुड़ाये लाल ॥ मोहन ॥९॥ रार करत कित ग्वालिनीहो जमुना तीर जुन्हात ॥ चीर हरे हम तीरपै तापै इती इतरात ॥ नारी हठ ॥ १० ॥ मोर पखौवा शिर धरें बाँस फूँकनी फेंट ॥ गरे गुंजनके हार बिराजत या सिंगार पर ऐंठ ॥ मोहन | ११ | ये सब पंछी मुनि है इन तप साध्यौ बिरवान || ये मोय निमिष न बीसरें मेरे जीवन प्रान ॥ नारि हठ ||१२|| हम बेटी बृषभान की तुम नंद महर के कान ॥ प्रेम प्रीत रुचि मान लै ढोटा अब जिन करै गुमान | मोहन || १३|| वृंदावन क्रीड़ा करी हो रच्यौ रास विलास | सुर नर मुनि जै जै करें जन गावै माधोदास ॥मोहन.॥१४॥
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Jay shree Krishna sunder kirtan 🙏👏
Khub sundar
Jai shree Krishna
Jay ho khub sundar