जगत् सिंह महता द्वारा सराजी बोली में विरचित कविता नौए (नदी)

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  • เผยแพร่เมื่อ 11 ก.ย. 2024
  • यह कविता संदेश देती है कि मानव को अबाधगति से प्रवाहमान नदी की भान्ति जीवन में संकटों का सामना करते हुए आगे ही बढ़ना चाहिए।

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