जैन विनय पाठ | विनय पाठ | Vinay Paath

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  • เผยแพร่เมื่อ 11 ก.ย. 2024
  • जैन विनय पाठ,
    विनय पाठ,
    Vinay Paath,
    जय जिनेन्द्र, lirics के साथ भक्ति के साथ जरुर सुने |
    विनय पाठ तर्ज : पल्लो लटके जी म्हारो पल्लो लटके
    जल्लर लटके प्रभु पे जल्लर लटके...२
    सोनागिरी की यात्रा को, शिखरजी की यात्रा को,
    जिओ तरसे, प्रभु पे जल्लर लटके
    इह विधि ठाडो होए के, प्रथम पढ़े जो पाठ |
    धन्य जिनेश्वर देव तुम, नाशे करम जु आठ ||1||
    अनंत चतुष्टय के धनी, तुम ही हो सिरताज |
    मुक्ति-वधु के कंत तुम, तीन भुवन के राज ||2||
    तिहूँ जग की पीड़ा हरन, भवदधि शोषणहार |
    ज्ञायक हो तुम विश्व के...२, शिवसुख के करतार ||3|| प्रभु पे...२प्रभु पे जल्लर लटके,
    प्रभु पे जल्लर लटके, जल्लर लटके प्रभु पे जल्लर लटके ...
    हरता अघ अंधियार के, करता धर्म प्रकाश |
    थिरता-पद दातार हो, धरता निज गुण रास ||4||
    धर्मामृत उर जलधि सों, ज्ञानभानु तुम रूप |
    तुमरे चरण सरोज को, नावत तिहूँजग भूप ||5||
    मैं वन्दौं जिन देव को, करि अति निर्मल भाव |
    कर्म-बंध के छेदने...२ और न कुछ उपाव ||6|| प्रभु पे...२ प्रभु पे जल्लर लटके...२
    बन्दों पांचो परम गुरु, चौबीसों जिनराज
    करू शुद्ध आलोचना शुद्धि करन के काज
    प्रभु पे जल्लर लटके...२
    भविजन को भव-कूप तैं, तुम ही काढनहार |
    दीन-दयाल, अनाथ-पति, आतम गुण भंडार ||7||
    चिदानन्द निर्मल कियो, धोय करम-रज मैल |
    सरल करी या जगत में, भविजन को शिवगैल ||8||
    तुम पद-पंकज पूजतैं, विघ्न-रोग टर जाय |
    शत्रु मित्रता को धरें...२, विष निरविषता थाए ||9|| प्रभु पे...२ प्रभु पे जल्लर लटके,
    प्रभु पे जल्लर लटके, जल्लर लटके प्रभु पे जल्लर लटके ...
    चक्री खगधर इंद्र पद, मिलें आप ते आप |
    अनुक्रम करि शिवपद लहैं, नेम सकल हनि पाप ||10||
    तुम बिन मैं व्याकुल भयो, जैसे जल बिन मीन |
    जन्म-जरा मोहि हरो, करो मोहि स्वाधीन ||11||
    पतित बहुत पावन किये, गिनती कौन करेव |
    अंजन से तारे कुधी...२ जय जय जय जिनदेव ||12|| प्रभु पे...२प्रभु पे जल्लर लटके...२
    रजा राणा छत्रपति हाथिन के असवार
    मरना सब को एक दिन अपनी अपनी बार
    प्रभु पे जल्लर लटके...२
    थकी नाव भवदधि विशैं, तुम प्रभु पार करेव |
    खेवटिया तुम हो प्रभु, जय जय जय जिनदेव ||13||
    राग सहित जग में रुल्यो, मिले सरागी देव |
    वीतराग भेट्यों अबें, मेटो राग कुटेव ||14||
    कित निगोद कित नारकी, कित तिर्यंच अज्ञान |
    आज धन्य मानुष भयो...२, पायो जिनवर थान ||15|| प्रभु पे...२ प्रभु पे जल्लर लटके,
    प्रभु पे जल्लर लटके, जल्लर लटके प्रभु पे जल्लर लटके ...
    तुमकों पूजें सुरपति, अहिपति नरपति देव |
    धन्य भाग्य मेरो भयो, करन लग्यो तुम सेव ||16||
    अशरण के तुम शरण हो, निराधार आधार |
    मैं डूबत भव सिन्धु में, खेव लगाओ पार ||17||
    इन्द्रादिक गणपति थके, कर विनती भगवान |
    अपनो विरद निहारिकैं...२ कीजे आप समान ||18|| प्रभु पे...२प्रभु पे जल्लर लटके...२
    शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करू प्रणाम
    उपाध्याय आचार्य का ले शुभकारी नाम
    प्रभु पे जल्लर लटके...२
    तुमरी नेक सुदृष्टि तैं, जग उतरत है पार |
    हाँ हाँ डूब्यों जात हों, नेक निहार निकार ||19||
    जो मैं कहूं और सौं, तो न मिटे उरभार |
    मेरी तो तोसों बनी, यातैं करो पुकार ||20||
    वन्दों पाचों परमगुरु, सुरगुरु वन्दत जास |
    विघ्नहरन मंगलकरन...२, पूरन परम प्रकाश ||21|| प्रभु पे...२ प्रभु पे जल्लर लटके,
    प्रभु पे जल्लर लटके, जल्लर लटके प्रभु पे जल्लर लटके ...
    चौबीसों जिनपद नमों, नमों शारदा माय |
    शिवमग साधक साधू नमि, रच्यो पाठ सुखदाय ||22||
    मंगल मूर्ति परम पद, पंच धरो नित ध्यान |
    हरो अमंगल विश्व का, मंगलमय भगवान ||23||
    मंगल जिनवर पद नमों, मंगल अर्हत देव |
    मंगलकारी सिद्ध पद...२, सो वंदो स्वयमेव ||24|| प्रभु पे...२प्रभु पे जल्लर लटके...२
    आदि पुरुष आदिश जिन, आदि सुविधि करतार
    धरम धुरंधरपरम गुरु, नमो आदि अवतार
    प्रभु पे जल्लर लटके...२
    मंगल आचारज मुनि, मंगल गुरु उवझाय |
    सर्व साधू मंगल करो, वंदो मन-वच-काय ||25|| प्रभुजी जग हितकारी...
    मंगल सरस्वती मात का, मंगल जिनवर धर्म |
    मंगलमय मंगल करो, हरो असाता कर्म ||26||
    या विधि मंगल से, सदा जग में मंगल होत |
    मंगल नाथूराम यह भव सागर दृढ पोत ||27||
    भजन करूँ श्री आदि का, अंत नाम महावीर
    तीर्थंकर चोबीस को, नमू हाथ धर सीश ||28|| प्रभु पे...२प्रभु पे जल्लर लटके...२
    कागज की एक नाव बनाई, छोड़ी जल के पार
    धर्मी कर्मी तर गए, पापी गोता खाय
    प्रभु पे जल्लर लटके...२
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ความคิดเห็น • 1

  • @Slayer0637
    @Slayer0637 ปีที่แล้ว

    👌🏼👌🏼👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻