स्वामी दयानन्द ने काशी के विद्वानों से क्या कहा था ? Swami Dayanand Saraswati | Baten UP Ki
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- เผยแพร่เมื่อ 25 ก.พ. 2022
- भारतीय पंचांग के मुताबिक़ आज यानी की 26 फरवरी को 'वेदों की ओर लौटो' का नारा देने वाले स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती है। उन्होंने वेदों के प्रचार और आर्यावर्त को स्वंत्रता दिलाने के लिए मुम्बई में आर्यसमाज की स्थापना की। वैसे तो स्वामी दयानन्द का जन्म गुजरात राज्य के मोरबी ज़िले के टंकारा नगर में 12 फरवरी 1824 को हुआ था पर माना जाता है की इनका धर्म और आध्यात्म की नगरी बनारस से भी ख़ास नाता रहा।
बताया जाता है की स्वामी दयानंद सरस्वती कुल छह बार काशी आए। इसी दौरान स्वामी जी का शास्त्रार्थ पत्थर की मूर्ती की पूजा करने के मत को लेकर हुआ। बनारस के राजा ईश्वरी नारायण सिंह की अध्यक्षता में स्वामी जी 16 नवंबर, 1869 को पंडित विशुद्धानंद सरस्वती और पं. बालशास्त्री से दुर्गाकुंड स्थित आनंद बाग में शास्त्रार्थ किए। यहां पर मूर्ति पूजा के साथ साथ धर्म, ईश्वर, प्राचीन और नवीन ब्राह्मण, पुराण, इतिहास जैसे गंभीर बिंदुओं पर शास्त्रार्थ हुआ। जिसमें स्वामी दयानन्द ने कई विद्वानों काे निरूत्तर कर दिया। आज इस रास्ते का नाम 'महर्षि दयानंद काशी शास्त्रार्थ मार्ग' रख दिया गया है।
बनारस के विद्वानों ने खुद को हारता देखकर काशी के राजा के सामने असभ्य व्यवहार करने लगे। इस शास्त्रार्थ को अपनी विजय बताकर पंडित गोपीनाथ पाठक ने इस शास्त्रार्थ का प्रकाशन काशी-नरेश ईश्वरी नारायण सिंह के रहते हुए दिसंबर 1926 में "बनारस लाइट प्रेस' से एक बुक पब्लिश करा दिया। पर दयानंद सरस्वती पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। उन्होंने काशी के विद्वानों से दुराग्रह छोड़कर, सच्चाई के साथ चलने की बात कही। इस शास्त्रार्थ का दोबारा से प्रकाशन 1870 में "काशी स्टार प्रेस' और 1880 में "आर्य दर्पण पत्रिका' में हुआ।
स्वधर्म, स्वभाषा, स्वराष्ट्र,स्वसंस्कृति और स्वदेशोन्नति के अग्रदूत स्वामी दयानन्द जी का शरीर 30 अक्टूबर 1883 को दीपावली के दिन पंचतत्व में विलीन हो गया और वे अपने पीछे छोड़ गए एक सिद्धान्त, कृण्वन्तो विश्वमार्यम् - यानी की सारे संसार को श्रेष्ठ मानव बनाओ।
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वेदों की ओर लौटो l
जय महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती जी 🙏🏻🙏🏻
Very nice mam 🙏
आपने सराहनीय प्रयास किया है क्योंकि महर्षि जी के जीवन पर प्रकाश कम ही डाला जाता है।🙏
Thank you
Thanks madam
Nice
धन्यवाद बहन 🕉🙏
👍
दयानन्द सरस्वती जी की जय हो
🙏🙏🙏🙏
Thank you so much Mam
Bahut acha mam ji thanks
Thank you ma'am 🙏🙏
Thanks mam for giving this important news 🥰🥰🥰🥰
🙏🙏🙏❤️❤️❤️🙏🙏🙏
Ati uttam jaankaari 👍👍🙏🏻🙏🏻 thanks mam
अति उत्तम जानकारी...
Thanku mam...
🙏🏿🙏🏿
❤
👌👌👌👌👌👌👌
🌸🌸🙏🌸🌸
Hello Nidhi ji
December 1926
Thoda dout hua ????
जानकारी बहुत ही कम व आधी अधूरी दी गयी ।
Date and events ko galat bataya aapne
Jb 1883 me deth ho gayi
Tb 1926 me jo published huaa uska asar unpar k se hota