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बोलना क्यों है बहुत? बोलना तब पड़ता है जब तुम जी नहीं रहे होते हो अपने आपको। तब शब्द एक सस्ता विकल्प बनकर आते हैं तुम्हारे पास। बहुत बोलना इसी बात का संकेत है कि जीवन में बड़ी कमी है। -आचार्य प्रशांत
आप सबको प्रणाम ..... आप जैसे समझाते है... सुन कर आनंद से भर जाती हूं.. ओशो.. याने . प्रकाश . या समुद्र मे गोता लगाना... बड़ा आनंद आया है जीवन मे...... दुख और सुख
जी बिलकुल सही कहा सतीश जी। _यह बड़े सौभाग्य की बात है कि आप आचार्य जी के वचनों से जुड़े। अगर आपके जीवन में भी कुछ इस प्रकार के प्रश्न हैं जिन पर आप स्पष्टीकरण चाहते हैं तो एक बार आचार्य जी से मिलने का लाभ जरुर उठायें। धन्यवाद।_ 🌱 विस्तृत जानकारी के लिए निम्न वेब फ़ॉर्म के जरिए संपर्क करें : 📝 *acharyaprashant.org/enquiry?formid=203* अन्य संपर्क सूत्र : ☎ *9643750710, 9650585100*
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बहुत अच्छी सीख है कि संत और मेरे अहंकार में अंतर यह होता है कि संत के अहंकार की दिशा या तो अनन्त के चरणों में नामित रहती है या अपने अनंत(आराध्य) के भाव विभोर होकर गले लगा होता है।
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जीवन के महत्वपूर्ण प्रश्नों के समाधान हेतु: solutions.acharyaprashant.org
संत को तुम्हारे जैसा अहंकार नहीं होता।
संत का अहंकार ऐसा है कि जैसे किसी दास का होता है या किसी प्रेमी का होता है।
-आचार्य प्रशांत
जब जीवन आत्मा की अभिव्यक्ति नहीं होता तो एक वैकल्पिक, नकली अभिव्यक्ति की जरूरत पड़ती है।
-आचार्य प्रशांत
जब आत्मा जीवन से अभिव्यक्त नहीं होती तो होठ अनर्गल ही कुछ न कुछ अभिव्यक्त करने लग जाते हैं।
-आचार्य प्रशांत
अक्सर जिनके पास असली जीवन नहीं होता, उनके पास शब्द बहुत होते हैं।
-आचार्य प्रशांत
⚡⚡💫🌟
Pranam achrya ji...
Anand ke abhaav ke karan hi aaj insaan bina manoranjan ke jee nahi paa raha hai
जो कुछ भी निरुद्देश्य और अकारण है । वह लीला है।
धन्यवाद आचार्य जी ।
Absolutely right acharya ji ❤ ❤🎉
बोलना क्यों है बहुत?
बोलना तब पड़ता है जब तुम जी नहीं रहे होते हो अपने आपको।
तब शब्द एक सस्ता विकल्प बनकर आते हैं तुम्हारे पास।
बहुत बोलना इसी बात का संकेत है कि जीवन में बड़ी कमी है।
-आचार्य प्रशांत
आप सबको प्रणाम ..... आप जैसे समझाते है... सुन कर आनंद से भर जाती हूं.. ओशो.. याने . प्रकाश . या
समुद्र मे गोता लगाना... बड़ा आनंद आया है जीवन मे...... दुख और सुख
Jo Aapko sunega uska Jivan badal jayega🙏🙏🌺🌺🌹🌹
जी बिलकुल सही कहा सतीश जी।
_यह बड़े सौभाग्य की बात है कि आप आचार्य जी के वचनों से जुड़े। अगर आपके जीवन में भी कुछ इस प्रकार के प्रश्न हैं जिन पर आप स्पष्टीकरण चाहते हैं तो एक बार आचार्य जी से मिलने का लाभ जरुर उठायें। धन्यवाद।_ 🌱
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⚡⚡💫🌟
Sant kabir 🙏🏻
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आचार्य प्रशांत के करीबी माहौल की झलकियाँ पाने, एवं उनसे निकटता के लिए: patreon.com/AcharyaPrashantHindi
शत् शत् नमन गुरु जी 🙏🙏
चरण स्पर्श, आचार्य जी...🙏🏻🙇🏻
pranam guruji
बहुत अच्छी सीख है कि संत और मेरे अहंकार में अंतर यह होता है कि संत के अहंकार की दिशा या तो अनन्त के चरणों में नामित रहती है या अपने अनंत(आराध्य) के भाव विभोर होकर गले लगा होता है।
⚡⚡💫🌟
प्रणाम आचार्य जी
Namaskar acharya ji..👌
प्रणाम गुरुदेव
Khub kaha Apne Satya vachen
Hamari har neghah hamari kahani bayan kar rahe hai
❤️🙏💐
Love you sir
🌸🌺🌸🌺🌸🌺
❤️
🌼
mai chahta hu ki apko sabhi sune..
Acharyaji naman
Great
सप्रेम आभार 🙏🌹🙏
Thanks sir
😊😊
🙏
🙏🙏
☑️👍🏻♥️🙏🙏
🙏🙏🙏🌹🌸🌷
🌹🙏🌻
🤍🙏
Absolutely right acharya ji ❤ ❤🎉
Pranam achary ji❤❤
Great
❤❤❤
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🙏🙏🙏🌺❤️
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🙏🙏❤️❤️
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🙏🙏🙏
🙏❣️