ऋषिकेश यात्रा - Day 2

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  • เผยแพร่เมื่อ 23 ต.ค. 2024

ความคิดเห็น • 2

  • @pratimatiwari7145
    @pratimatiwari7145 4 หลายเดือนก่อน +1

    हरे कृष्णा 🙏🏻

  • @yajananandbr4009
    @yajananandbr4009 4 หลายเดือนก่อน

    अन्तःकरण की शुद्धि कैसे की जाय?
    तो पुनः हम श्रुति की ओर ध्यान दें। बृहदारण्यकोपनिषद् में यह वर्णन आया है कि मन
    पिता है, वाक् स्त्री है तथा प्राण पुत्र है।
    ..मन एवास्यात्मा वाग्जाया प्राणः प्रजा.
    (बृहदारण्यकोपनिषद् १/४/१७)
    यानि जब वाक् (मन्त्र) का मन से योग कराया जायेगा तो प्राण रूपी पुत्र का साक्षात्कार होगा। जब मन, मन्त्र से एकीभूत होगा तो हमारे भीतर के मुख्य प्राण से साक्षात्कार होगा। जब इसी मुख्य प्राण से उद्गीथ होगा तो असुरों का पराभव होगा।