सैकड़ों दहेजमुक्त विवाह की ग्राउन्ड रिपोर्ट सतलोक आश्रम बैतूल से | SA NEWS
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- เผยแพร่เมื่อ 19 ก.พ. 2024
- सैकड़ों दहेजमुक्त विवाह की ग्राउन्ड रिपोर्ट सतलोक आश्रम बैतूल से | SA NEWS
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संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य - दहेज मुक्त समाज, नशा मुक्त समाज, रिश्वतखोरी को समाप्त करना आदि आदि ।
जहां दहेज नहीं मिलने पर परिवार के सामने जला दिया जाता है बहू को।
संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में रमैनी के माध्यम से सम्पन्न हो रहे हैं दहेज मुक्त विवाह, जिससे लाखों लोगों को दहेज रूपी राक्षस से मिल रहा है छुटकारा। संत रामपाल जी के सानिध्य में बन रहा है दहेज मुक्त भारत।
मनुष्य जीवन में महत्वपूर्ण दिन वह है जब सतगुरु मिल जाते हैं। उससे पहले का जीवन निरर्थक होता है। 17 फरवरी 1988 के दिन संत रामपाल जी महाराज जी ने नाम दीक्षा ली और कुछ वर्ष बाद अपने पूज्य गुरुदेव से नाम दीक्षा देने का आदेश पाकर करोड़ों लोगों का मार्गदर्शन किया। इसी दिन को बोध दिवस के रूप में मनाया जाता है। संत रामपाल जी महाराज जी के बोध दिवस के उपलक्ष्य में व कबीर परमेश्वर जी के निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में 17-20 फरवरी को 10 सतलोक आश्रमों में विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है जिसमें पूरा विश्व आमंत्रित है।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा सभी सतलोक आश्रम मैं चार दिवसीय महासागर का आयोजन किया गया था जिसमें संपूर्ण विश्व आमंत्रित किया था और इस smagam में शुद्ध देसी घी से बना भंडारा सत्संग निशुल्क नाम दीक्षा ब्लड डोनेशन कैंप तथा दहेज मुक्त विभाग आदि आदि की व्यवस्था है थी संत रामपाल जी महाराज की संपूर्ण विश्व में एकमात्र पूर्ण संत है जो सभी धर्म शास्त्रों के अनुसार पूर्ण परमात्मा की सद्भक्ति बताते हैं जिसे करने से सभी सुख तथा पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है
संत रामपाल जी महाराज के बोध दिवस के उपलक्ष में विशाल भंडारा हुआ और दहेज मुक्त विवाह भी हुए।।
बोध दिवस व निर्वाण दिवस पर भक्तों ने किया रक्तदान।
संत रामपाल जी महाराज अद्वितीय कल्याणकारी विचारधारा के सच्चे समाजसुधारक संत हैं।
संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य समाज को दहेज प्रथा से मुक्त करना है।
संत रामपाल जी महाराज जी का उदेश्य ही समाज में कभी भी बेटी बाेझ नबने इसी उदेश्य से यह दाईजो मुक्त विवाह सम्पन्न हाे रही हैं ।
Sant Rampal Ji Maharaj is the only true Guru in this world 🌎 🙏
कबीर साधु दर्शन राम के, मुख में बसे सुहाग।
दर्श उन्हीं को होते हैं , जिनके पूर्ण भाग्य।।
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य दहेजरहित विवाह (रमैनी) करके समाज के आगे एक आदर्श रखते है।
संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि समाज से पाखंडवाद तथा कुरीतियों को दूर कर देना
दहेज जैसी बुराई का होगा अब जड़ से खात्मा
संत रामपाल जी महाराज नहीं चाहते कि किसी बहन - बेटी की हत्या दहेज के कारण हो।
इसलिए उनके सानिध्य में बिना कुछ लेन देन किए हज़ारों दहेज मुक्त शादियां की गई। जिनसे प्रेरणा लेकर समाज तेजी से उनका अनुसरण कर रहा है।
कबीर, पीछे लाग्या जाऊं था, मैं लोक वेद के साथ।
रास्ते में सतगुरु मिले, मौहे दीपक दीन्हा हाथ।।
तीन देवा कमल दल बसें, ब्रह्मा विष्णु महेश।
प्रथम इनकी वन्दना ,फिर सुनो सत गुरु उपदेश।
हिन्दू व मुसलमान में जो भाईचारे, धार्मिक सामंजस्य का बीज परमेश्वर कबीर जी बो गए थे, उसकी मिसाल मगहर में आज भी देखी जा सकती है। मगहर से परमेश्वर कबीर जी सशरीर सतलोक गए थे। उस स्थान पर हिन्दू व मुसलमानों ने मंदिर व मजार 100 - 100 फुट की दूरी में यादगार बना रखी है।
कबीर, विहंसे कहयो तब तीनसै, मजार करो संभार।
हिन्दू तुरक नहीं हो, ऐसा वचन हमार।।
17 फरवरी को उस महापुरुष का बोध दिवस है जिन्होंने दहेज मुक्त, नशा मुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त समाज तथा विश्व शांति का बीड़ा उठाया है। विश्व कल्याण के लिये प्रकट वह महापुरुष जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी हैं।
🙏🌺🙏Sat Saheb ji 🙏🌺🙏Bandi chod sat guru Rampal ji ki charno me koti koti dandwat charan sparsh 🙏🌺🙏Sat Saheb🙏🌺🙏
संत रामपाल जी महाराज ने सतभक्ति साधना के साथ परमार्थ करने को श्रेष्ठ बताया है। इसी कारण उनके अनुयायी आए दिन जरूरत मंदों की सेवा में सदैव तत्पर रहते हैं। संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी जरूरत मंद लोगों के लिए रक्तदान सेवा में लगे हुए हैं
दहेज मुक्त समाज का निर्माण कर रहे हैं जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी।
भगवान को तो मैंने देखा नहीं लेकिन एक बात जरूर सिद्ध है कि संत रामपाल जी महाराज जी के सामने भगवान भी कुछ नहीं नजर आता इस मृत मंडल पर संत रामपाल जी द्वारा नशा मुक्ति, दहेज मुक्त ,रक्तदान और विश्व को सत भक्ति जैसे काम किया जा रहा है।
अब बेटी बोझ नहीं रहेगी क्योंकि संत रामपाल जी महाराज जी बना रहे हैं दहेज मुक्त समाज।
संत रामपालजी महाराज सभी कुरीतियों को समाप्त कर सत ज्ञान दे रहे हैं
दहेज के अत्याचारों से गयी बहु की जान।अब नहीं सहेगी बेटियां दहेज का अपमान।। संत रामपाल जी महाराज चला रहे हैं सफलतम दहेज मुक्त भारत अभियान ।।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा चलाई गई दहेज मुक्त समाज की मुहिम से आज लाखों बेटियां शांतिपूर्वक सुखी जीवन जी रही हैं। और पहले जो बेटियों की भ्रूण हत्या होती थी वह समाप्त हो रही है। संत रामपाल जी महाराज के प्रयास से आज समाज में बेटा बेटी का अंतर समाप्त हो रहा है।
अब बेटी बोझ नहीं।
बोध दिवस व निर्वाण दिवस पर हुए विशाल भंडारे व सत्संग समागम में रक्तदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने बढ़ चढ़कर रक्तदान किया।❤❤❤
संत रामपाल जी महराज के बोध दिवस और कवीर परमेश्वर के निर्वाण दिवस पर हुए दहेज मुक्त विवाह।
दहेज के लालच में हो रही है बेटी की हत्या लेकिन अब नहीं जाएगी दहेज के लिए बेटी की जान। क्योंकि संत रामपाल जी महाराज बना रहे हैं दहेज मुक्त भारत अभियान।।
दहेज मुक्त समाज ही सुख पूर्वक रह सकता है
मानव इतिहासको महान् समाज सुधारक सन्त रामपालजी महाराजले समाजमा व्याप्त विभिन्न कुरीतिहरू, दाइजो प्रथा, भ्रूण हत्या, घुसखोरी, नशा, माँसाहार, आदिलाई पूर्णरूपेण समाप्त पार्ने सफल प्रयास गर्नु भएको छ ।
गुरु बिन ज्ञान पड़े जो प्राणी समझे ना ज्ञान रहे अज्ञानी।।🎉🎉
Jai Bandi chhod ki sat saheb ji
Saint Rampal Ji Maharaj is Very Very Great Social Reformer
कबीर, तीनों देवों कमल दल बसे, ब्रम्हा विष्णु महेश।
पहले इनकी वंदना, फिर सून सतगुरु उपदेश।।
जब पृथ्वी पर पापीयों का एक छत्र साम्राज्य हो जाता है। तब भगवान पृथ्वी पर अवतरित होते हैं।
वर्तमान में परमात्मा संत रामपाल जी महाराज जी के रूप में अवतरित हुए है।
इसी उपलक्ष्य में देशभर के 10 सतलोक आश्रमों में विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सामूहिक दहेज मुक्त विवाह, रक्तदान शिविर, निःशुल्क नामदीक्षा तथा खुले पाठ का आयोजन किया जा रहा है।
जहां समाज में आज भी दहेज के लिए बहू को जला दिया जाता है।
वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य आध्यात्मिक ज्ञान को समझने के बाद यह जान चुके हैं कि दहेज विष के समान है। और दहेज मुक्त अंतर्जातीय विवाह करके समाज से इस कुरीति को जड़ से खत्म कर रहे हैं
अमरापुर से आया बन्दे , फेर अमरापुर जाणा रे।
कहे कबीर सुणो भाई साधो , ऐसी लगन लगाना रे।।
🛸कबीर परमेश्वर मगहर से सशरीर सतलोक गए थे।
उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल पाए गए जो कबीर परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार दोनों धर्मों ने आपस में लेकर मगहर में 100 फुट के अंतर से एक-एक यादगार बनाई जो आज भी विद्यमान है।
यह दोनों धर्मों हिंदुओं और मुसलमानों में आपसी भाईचारे व सद्भावना की एक मिसाल का प्रमाण है।
गरीब, बिरसिंघ बघेला करै बीनती, बिजली खाँन पठाना हो।
दो चदरि बकसीस करी है, दीना यौह प्रवांना हो।।
20 फरवरी कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस
मगहर में यह अफवाह फैला रखी थी कि जो काशी में मरेगा वह स्वर्ग जायेगा तथा जो मगहर में मरेगा वह गधा बनेगा।
परमेश्वर कबीर जी कहते थे कि जैसी काशी है वैसा ही मगहर है, केवल हृदय में सच्चा राम होना चाहिए, यदि आप सतभक्ति करते हो तो आप कहीं भी प्राण त्यागो, आप मोक्ष के अधिकारी हो।
माघ महीना, शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी, विक्रम संवत 1575, सन् 1518 को कबीर परमेश्वर मगहर से सशरीर सतलोक गए।
दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराई को सत्य तत्व ज्ञान सत् भक्ति के माध्यम से जड़ से समाप्त कर रहे हैं
कबीर साहेब अविनाशी हैं। यहीं प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3 में है कि पूर्ण परमात्मा सशरीर शिशु रूप में प्रकट होता है और सशरीर अपने निज लोक को चला जाता है।
Sant Rampal Ji Maharaj
Saint Rampal Ji Maharaj is Supreme Saint
कबीर,तीन लोक का राज है ब्रम्हा विष्णु महेश।
ऊंचा धाम कबीर का, सतलोक प्रदेश ।।गरीब ,जल थल पृथ्वी गगन में,बाहर भीतर एक।
पूर्ण ब्रह्म कबीर है, अविगत पुरुष अलेख।।
आदरणीय धर्मदास जी ने बताया कि जब परमेश्वर कबीर जी मगहर से सशरीर सतलोक गये तब हिन्दू मुसलमान आपस में कबीर साहेब के शरीर का अपनी धार्मिक रीति से अंतिम संस्कार करने के लिए लड़ने को तैयार थे लेकिन उन्हें वहां कबीर साहिब जी का शरीर नहीं मिला अर्थात कबीर साहिब अविनाशी परमेश्वर हैं।
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर।
हिन्दू के तुम देव कहाये, मुसलमान के पीर।
दोनों दीन का झगड़ा छिड़ गया, टोहे ना पाये शरीर
जय हो बंदी छोड़ की
दहेज रूपी राक्षस का अंत हो रहा है।
सभी ने दहेज की मांग के कारण हो रही हत्याओं की खबरें पढ़ी होंगी।लेकिन हाथ जोड़ कर यह कहने वाले कि "हमें दहेज के रुप में एक रुपया भी नही चाहिए"। ऐसे लोगों को देखना है तो संत रामपाल जी महाराज के आश्रमों में आइए।
The name of God is KavirDev i.e. Kabir Parmeshwar, who has created everything. The God who is immovable means in reality imperishable.
- Holy Atharvaveda Kanda 4 Anuvak 1 Mantra 7
Sant Rampal Ji Maharaj
Sant Rampal Ji Maharaj is the one who is eliminating all the vuraiyas from the society.
Sat.sahebji
सन् 1518 वि. स. 1575, महीना माघ, शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को कबीर साहेब जी मगहर से सशरीर सतलोक गये थे।
परमात्मा कबीर जी चार दाग से न्यारे हैं।
चदरि फूल बिछाये सतगुरु, देखे सकल जिहाना हो।
च्यारि दाग से रहत जुलहदी, अविगत अलख अमाना हो।।
Sant rampal ji Maharaj ji Maharaj is supereme God
महात्मा लड़का लड़की का विवाह पहले ही कर देता है । संत रामपाल जी महाराज महाराज के आडंबर के विवाह कर रहे हैं
मगहर से सशरीर सतलोक गमन
कबीर परमेश्वर माघ माह शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को मगहर से सशरीर सतलोक गये तो उनके शरीर के बराबर सुगंधित फूल मिले। जिसे हिन्दू व मुसलमानों ने आपस में आधे - आधे बाँटकर यादगार रूप में हिन्दुओं ने मंदिर और मुसलमानों ने मजार बना ली तथा हिंदुओं ने कुछ फूल ले जाकर काशी में कबीर चौरा बना दिया।
तहां वहां अविगत फूल सुवासी, मगहर घोर और चौरा काशी।
Dahej.muk vivah hai sat.sahebji
Sat guru dew ki jay sarkar ne nahi kar paya yaisa Jo ki sant rampalji Maharaj k daya se dahej mukta Saadi sambha hai
Satsaheb 🙏🙏
कबीर साहेब मगहर से सशरीर सतलोक गये।
कीन्हा मगहर पियाना सतगुरु, कीन्हा मगहर पियाना हो।
दोनो दीन चले संग जाके, हिन्दू-मुसलमाना हो।।
माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी वि.सं.1575 सन् 1518 को अविनाशी परमात्मा कबीर साहेब मगहर से सशरीर सतलोक गये। उनके शरीर के स्थान पर केवल सुगन्धित पुष्प मिले थे।
परमेश्वर कबीर जी माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को सशरीर सतलोक गए थे। कबीर साहेब अविनाशी हैं। सशरीर प्रकट होते हैं, सशरीर चले जाते हैं - प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3
गरीब, पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर |
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर ||
मानव समाज के लिए दहेज एक अभिशाप है बेटियों को गर्भ में ही मार दिया जाता है। उन्हें जन्म लेने ही नहीं दिया जाता। इसका कारण केवल और केवल दहेज है। संत रामपाल जी महाराज जी ने बीड़ा उठाया है दहेज मुक्त समाज का निर्माण करना। संत रामपाल जी महाराज जी सत्संग के माध्यम से बताते हैं दहेज लेना अपराध है। इससे न तो बेटी सुखी हो सकती है और न ही दहेज लेने वाला सुखी हो सकता है।
Sant Rampal Ji Maharaj ka ek hi Sapna Dahej Mukt Ho Bharat apna
🌹🌹जात पात सब झूठ हे भ्रम में पढ़ो मत कोई जत नहीं जगदीश की तब औरों की क्या हुई 🌹🌹
अब गरीब और अमीर लोग भी शादी करेगे बिना दहेज।
अद्भुत
The followers of Sant Rampal Ji Maharaj are creating a dowry Free society by solemnising marriage in 17 minutes without any show off.
Satlokasram samli up
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Kabir is Supreme God
Kabir is supreme god
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wastwik samaj sudhar ek matr sant rampalji ke sadgyan se ho raha hae
मनुष्य जीवन में महत्वपूर्ण दिन वह है जब सतगुरु मिल जाते हैं। उससे पहले का जीवन निरर्थक होता है। 17 फरवरी 1988 के दिन संत रामपाल जी महाराज जी ने नाम दीक्षा ली और कुछ वर्ष बाद अपने पूज्य गुरुदेव से नाम दीक्षा देने का आदेश पाकर करोड़ों लोगों का मार्गदर्शन किया। इसी दिन को बोध दिवस के रूप में मनाया जाता है। संत रामपाल जी महाराज जी के बोध दिवस के उपलक्ष्य में व कबीर परमेश्वर जी के निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में 17-20 फरवरी को 10 सतलोक आश्रमों में विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है जिसमें पूरा विश्व आमंत्रित है।
संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य समाज को दहेज प्रथा से मुक्त करना है।
20 फरवरी कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस
मगहर में यह अफवाह फैला रखी थी कि जो काशी में मरेगा वह स्वर्ग जायेगा तथा जो मगहर में मरेगा वह गधा बनेगा।
परमेश्वर कबीर जी कहते थे कि जैसी काशी है वैसा ही मगहर है, केवल हृदय में सच्चा राम होना चाहिए, यदि आप सतभक्ति करते हो तो आप कहीं भी प्राण त्यागो, आप मोक्ष के अधिकारी हो।
माघ महीना, शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी, विक्रम संवत 1575, सन् 1518 को कबीर परमेश्वर मगहर से सशरीर सतलोक गए।
जहां समाज में आज भी दहेज के लिए बहू को जला दिया जाता है। वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य आध्यात्मिक ज्ञान को समझने के बाद यह जान चुके हैं कि दहेज विष के समान है। और दहेज मुक्त अंतर्जातीय विवाह करके समाज से इस कुरीति को जड़ से खत्म कर रहे हैं।
कबीर,तीन लोक का राज है ब्रम्हा विष्णु महेश।
ऊंचा धाम कबीर का, सतलोक प्रदेश ।।गरीब ,जल थल पृथ्वी गगन में,बाहर भीतर एक।
पूर्ण ब्रह्म कबीर है, अविगत पुरुष अलेख।।
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कीन्हा मगहर पियाना सतगुरु, कीन्हा मगहर पियाना हो।
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माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी वि.सं.1575 सन् 1518 को अविनाशी परमात्मा कबीर साहेब मगहर से सशरीर सतलोक गये। उनके शरीर के स्थान पर केवल सुगन्धित पुष्प मिले थे।
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