विचार ही दुःख है। jiddu Krishnamurti thought in hindi | What is sorrow
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- เผยแพร่เมื่อ 4 ก.พ. 2021
- दुख क्या है?
दुःख से छुटकारा कैसे पाएं?
इंसान दुःखी क्यों है?
दुख का कारण क्या है?
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अंत ही आरंभ है , वासना ही मोह है , ईर्ष्या ही लालच है , अपेक्षाएं ही दुःख है , समझ ही ज्ञान है , एकांत ही सुख है ||
आपने किसी उत्तर में कहा कि मुझे जो समझ आता है उसको अपनी तरह से समझाता हूं। बिलकुल आप ऐसा ही करते रहिए। ॐ श्री
Very impressive.Very good job.I am a big fan of Jid Krishnamurti.
श्री कृष्ण ने गीता में कहा अर्जुन यह संसार दुखालय है। महात्मा बुद्ध ने सर्वं दुखं। भागवत में कहा मन एवं मनुष्याणाम् कारणं सुख दुखयो:। आर्थिक मांसिक शारीरिक सामाजिक पारिवारिक प्राकृतिक जहां देखो दुःख हीं दुःख।जन्म दुःख जरा दुःख व्याधि दुःख मृत्यु दुःख। मनुष्य शरीर पशु शरीर पक्षी शरीर सरीसृप शरीर कीट पतंग मत्स्य आदि बृक्ष लता गुल्म वनस्पतियों में जहां तक मन बुद्धि जाती है दुःख हीं दुःख।ग्रह नक्षत्र पृथ्वी पिंड सागर पर्वत नदिया जंगल सभी भोगते भागते लगते हैं। बनाने वाले को क्या सूझी किसको पता। कृष्णमूर्ति बुद्ध की विचार शून्यता की स्थिति भी कब तक? बहुत अच्छी वीडियो बनाया है आपने। धन्यवाद
इतने नाना प्रकार के जीव ,चराचर,वनस्पति,पहाड़ इत्यादि तो दुःखी नहीं रहते हैं ,क्योंकि उनके पास विचार जैसा कुछ है ही नहीं ,वो प्रकृति के अनुसार जीवन जीते हैं ।दुःखी तो सिर्फ इंसान है क्योंकि इसके पास विचार है, मन है। बनाने वाले ने दुःख नही बनाया ये तो मनुष्य की ईज़ाद है।
सुख दुःख कुछ नहीं होता है यह एक विचार है जो ज्यादा सोच विचार करते हैं मन में तरह तरह की धारणाएँ जन्म लेती है जो संसार में ध्यान की विधियाँ इजाद हुई है सब मन को समझने के लिए है मन को विचार मुक्त करने के लिए है विचार मुक्त होते ही आनंद आनंद है
Yahi. Atal. Satya. Hai
Duniya banane wale kya tere man mai samai,Kahe ko duniya banai.Mukesh Rajkapoor Vahida Super Questions.
@@user-po3oi4lx2bjabtak laalach, moh aur buraiya rahengi sansar me dukh aur ashanti rahegi.
Aisa lagata hai aap ko gyaan ho gya hai sachhi
ऐसी कोई बात नहीं, बस उस पथ का राही जरुर हूँ।
Duniya me teen(3) tarah ke dukh hain.1) prakriti ki taraf se dukh. 2) apne bure karmo ke karan. 3) dusre logo dwara diye hue dukh.
Koi samdhan nahi jab vichar hi hamare khilaaf ho Jai hamesha ke liye
अद्वितीय 💝 it's 2nd 25% turning point of my life, बस अब 2 ओर है वो जल्दी मिल जाए तो I'll become an enlightened💫 😑🙏🏻
Love 💖 from india jharkhand jamshedpur jugsalai
🌹🌹🌹❤❤👍👍,,,,,,,बहुत सुन्दर,,,,👈
That's true that's why we don't feel pain in deep sleep because there are no thoughts
Aisa hi zindagi bhar rhena hai
RIGHT.
Wonderful vedio
आनंद आ गया आपकी वीडियो में
Great 👍👍
Aapka bahut bahut dhanyawad
Very effective....
❤ Hari Om tat sat my friends शुक्रिया
🙏🙏🙏
Thank u buddy
Very good bro
Nice..
Nice video 👍🏻
Thanks sr Jeevanka Ek Koj
दुःख का कारण......Not Accepting *As it is* to self/others/objects/situation
Solution.... *Accept Everything As it is* 😊
❤🙏
👍👍
Very nice
Desire & thoughts our inner sorrowful we feel
Ichcha sabhi dukhon ka Karan hai buddh Bhagwan kab ke kha chuke hai
🙏🌹👍
Adbut sir you are reail hero
धन्यवाद
❤❤❤
😢😢😢🙏🙏🙏🙏
Thank you so much for this video
❤❤❤❤❤❤❤
Thank U sir👍
Good job👍👍👍
धन्यवाद
Thanx
Our birth is biggest sorrow.
Waiting
Vichar do prakar ke hote Hain acche aur bure...acche vichar Shanti dete hain.aur.bure vichar dukh dete hain...
क्या अच्छा है क्या बुरा इसे तय करना इतना आसान नहीं है ।जैसा व्यक्ति होगा उसके अनुसार अच्छा और बुरा का परिभाषा भी तय होता है।कभी कभी आपके लिए जो अच्छा होगा वहीं विचार आपको दुःखद लगेगा।जो बुरा होगा वहीं सुखकारक लगेगा।
Jo vichar man ko Nirmal karta hain vo accha vichar..aur jo khudh vakul karta hain raag ya dwesh pida karta hain wo bura vichar...nirmla man ka vichar kisiko aur ko dukh de hi nhi sakta...
Do Vippasana meditation course
@@nageshramteke6437 किसलिए?
तो कैसे जाने खुद को
पहले तो यह इच्छा बलवती होनी चाहिए कि खुद को कैसे जानूं। फिर आप वैसे बातें भी पढ़ेंगे, सुनेंगे जिसमें बताया गया हो कि खुद को कैसे जाने। अध्यात्म आपको इस दिशा में मददगार साबित होगा। सबसे बेहतर विधि है आत्मावलोकन, जो कुछ भी हमारे जीवन में चल रहा है उसके जड़ तक पहुंचना। यह देख लेना कि जो कुछ जीवन में घटित हो रहा है वो आ कहाँ से रहा है। वैसे हमारे देश के ही बहुत सारे आध्यात्मिक व्यक्ति हुए जिन्हें पढ़ सकते हैं जैसे कि कृष्णमूर्ति, ओशो, रामकृष्ण ,विवेकानंद, रमन महर्षि। और आज के युग में अभी जीवित रूप से मौजूद है आचार्य प्रशान्त जिनका कोई जवाब ही नहीं। आप उन्हें सुनिये आपके जीवन में चमत्कारिक रूप से बदलाव होगा।
@@tribhuvan900 AP ji ka sunta duniya fake lagne lagi hai
विचार अच्छे है लेकीन आप बहोत घुमफिराकै विचार रखते हो
Please post more videos on J k 🙏
आपके सुझाव के लिए धन्यवाद
SO WHAT SHOULD WE DO? SHOULD WE LEAVE THINKING?LEST LIFE BECOMES THE HEI.L BUT THINKING MUST CONTINUE ALL WELL!!!
सोचना नहीं छोड़ना है बस ये जानना है की सोचने वाला कौन है?who is the thinker?एक बार आपको पता चल गया तो विचार दुःख के कारण नहीं बनेंगे।
@@tribhuvan900 do we have dual or double personalities all?
I think,therefore I am-none else alongside me.
@@sudarsanmishro1756 हाँ बिल्कुल हम द्वंद में जीते हैं पर इसका हमें बिल्कुल अंदाजा नहीं होता। आप सोच कर देखें आप जो खुद को मानते हैं ,जिस छवि में आप जीते हैं उसे बनाने वाला कौन है?आप या समाज? जब आप अपने आप का धीरे धीरे अवलोकन करेंगे, अपने मन को जानेंगे तो पता चलेगा कि आप जो खुद को मानते हैं वो कितना झूठा है, उसमें आपका कोई योगदान ही नहीं। संस्कार और समाज ने आपके भीतर मैं का निर्माण किया है।इसलिए बार बार आत्मज्ञान पर जोर दिया जाता है ताकि हम इस सच्चाई को देख सकें कि इस मैं को बनाने वाला समाज है, यह मैं बिल्कुल झूठा है। फिर हमारे भीतर का द्वंद मिटता है हम अपने असल रूप में आते हैं।
@@tribhuvan900 How can a solute isolate itself from the solvent unless otherwise compelled?Going against situations and especially going against nature is not so easy.What shall it mean to think yourself or the core matter of yourself to be something different from it’s sheath?
Main jo bhi hun main bhi hun aur Jagat bhi hun.main chit bhi hun aur Jagat bhi hun.if I isolate what I experience around me what would it mean?An eye having nothing around to see.if I isolate myself from everywhere and throw it to oblivion,what would happen?The world would still be there but the eye would be lost?So what would a vision mean without a visionary?Therefore I am the both,not any part thereof.
@@sudarsanmishro1756 प्रकृति के विपरीत शरीर को नहीं जाना है ,हमारे शरीर के अंग वैसे ही काम करेंगे जैसे अभी करते हैं। दिक्कत ये होती है इंसान अपने को शरीर मान कर जीता है जो बिल्कुल झूठ है शरीर तो बस एक उपकरण है और कुछ नहीं है। जो बेचैनी है, पीड़ा है, उलझन है, दुःख है उसका कारण सिर्फ और सिर्फ हमारा मन है जिसका निर्माण बारीकी से हुआ है। बस इसे समझ लेना है की ये बनता कैसे है अभी से ये नहीं सोचना है कि आगे क्या होगा?क्या अनुभव होंगे? क्योंकि वो तभी पता चलेगा जब आपकी चेतना की वो अवस्था होगी। सब वहीं रहेगा बस भीतर का केंद्र बदल जायेगा।
Can u please share original video link..?
यहीं original है
at least written mein bhi daalte j krishnamurthi quote ppt banake along with the sound voice.
मेरी आँखों में दिक्कत है इसलिए मैं वीडियो की ज्यादा एडिटिंग नहीं करता हूँ।
Original video please.
Ye original hi to h
@@tribhuvan900 🙏🙏🙏Agree with you .
Mere paas pati h pr mera nahi ,gr h sukh nahi bache h pr sukh nahi bs mrne ka mn karta h
अध्यात्म के तरफ आईए तभी जीवन का असली उद्देश्य समझ आएगा, जीवन जीने की सीख मिलेगी।
@@tribhuvan900 🙏🙏🙏
Wichar ko dimag se kaise nikala jay
विचार को दिमाग से निकालना नहीं है बस समझ जाना है कि सत्य क्या विचार या आप ।हम विचार को ज्यादा महत्व दे देते हैं इसलिए यह हम पर हावी हो जाता है।हमारे पास दिमाग है तो विचार रहेगा ही बस विचार की वास्तविकता को समझिए , खुद को जानिये यह अपने आप कमजोर पड़ जाएगा।
Speech not clear
main bat bataye ki vichaar se mukt kaise ho
kya khopdi udaa de😂😂
जी नहीं ,बस आपको यह देख लेना है की आप विचार से कहीं बड़े हो, फिर विचार आपके लिए सहायक सिद्ध होगा।वो उपकरण बन जाएगा। अभी तो आप विचार बनकर जीते इसलिए विचार दुःख का कारण है।
@@tribhuvan900 apne phir main bat nhi bataya
yahi ki mukt hona kaise hai
tarika kya hai
society me rehne ke bad life ki responsibilty nibhaana hai to ideas ke bina to ek kadam bhi nhi chal sakte
to ideas se alag kaise honge
@@arjunkumar962 अभी जिस जगह से आपको idea आते हैं उस जगह को बनाने वाला खुद समाज है ,वो केंद्र जिसे आप मैं बोलते हैं वो समाज के कंडीशनिंग के कारण बना है । इस कारण आपके या किसी के भी सारे विचार समाज से ज्यादा हटके नहीं होते। बस उसी केंद्र को बदलना है जहाँ से idea उत्पन्न हो रहे हैं फिर idea खुद ब खुद बदल जाएगा।और आपको समाज के कोई कार्य करने में भी दिक्कत नहीं होगी। थोड़ा अपने भीतर गहरे उतरिये, जीवन को समझिए, इसके लिए आप किसी को पढ़ या सुन सकते हैं।फिर आपको सारी बातें समझ आएगी।
जिद्दू जी की बात कहो आपके हिसाब से न समझाओ कोई गहराई नही आपके समझाने में चलो हम समझते हैं करके किसी भी महान चिंतक की बात उन्होंने जेसे जो कहा वही पर कहना चाहीए नही तो कोई गहराई नही रह जाती 👎👎👎
तब तो आपको सिर्फ उन्हें ही पढ़ना चाहिए, क्योंकि जब भी किसी और को सुनेंगे वो अपनी समझ उसमें देगा ही। मुझे तुलना नहीं करना है कि मैं जिद्दू कृष्णमूर्ति जितना गहराई रखता हूँ बस उन बातों की जो मेरी चेतना की स्तर पर समझ है उसको मैंने बोला है। मुझे उनकी बातों को सिर्फ पढ़कर सुनाना नहीं है जो समझा हूँ वो बता रहा हूँ।
उनके कहने का अर्थ है मन मे एक भी विचार होना दुःख है।
इस लिए तो संत निर्विचार की बात करते है।
ऐसे यूटूबर् चैनल से दूर रहिये
मन विचारों के सिवा है ही क्या?
@@tribhuvan900 मन याने विचार पर मन से उपर उठा जा सकता है. पर मन को पुरा समझना होगा।
@@ganeshzinge9575 मैंने तो नहीं कहा कि ऊपर उठा नहीं जा सकता, जब हम खुद को जान जाएंगे फिर यह मन अपने आप हमारे नियंत्रण में होगा ।
@@tribhuvan900 🙏🙏🙏
खाली बडबड 😢
अपनी अपनी समझ
🙏🙏🙏
🙏🙏🙏
🙏🙏🙏