रथयात्रा के पद (Pushtimarg Rathyatra ke kirtan)

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  • เผยแพร่เมื่อ 25 ต.ค. 2024

ความคิดเห็น • 5

  • @ketanpatel1511
    @ketanpatel1511 ปีที่แล้ว +2

    राग मल्हार (३)
    जे श्रीजगन्नाथ हरि देवा ॥ रथ बैठे प्रभु अधिक बिराजत जगत करत सब सेवा ॥ १ ॥ सनक सनंदन और ब्रह्मादिक इन्द्रादिक जुर आये | अपनी अपनी भेटसबे ले गगन विमानन छाये ॥ २ ॥
    रत्नजटित रथनीको लागत चंचल अश्व लगाये ॥ नरनारी आनंदभये अति प्रमुदित मंगल गाये || ३ || गारीदेत दिवावत अपनपे यह विधि रथहिं चलाये ॥ रामराय श्रीगोवर्धनवासी नगर उडीसा आये ॥४ ॥

  • @ketanpatel1511
    @ketanpatel1511 ปีที่แล้ว +2

    राग मल्हार (२)
    लालके रथकी शोभा देखी ।। कर्यो मनोरथ व्रजकी बनिता मानिक जडित विशेखी ॥ १ ॥ वागो कुलही सारी चोली चित्रित कोमल सेती ॥ दोउ भोग दोउ मिल अरपत तीजो सखी समेत ॥ २ ॥
    बीथन कीरत सुनत जो श्रवनन झांक झरोखन देखत ॥ बंक विलोकन चितई चन्द्रमुखी धन्य भाग्य जिय लेखत || ३ || सिंघद्वार आये तब जसोमति गावत मंगल चार । पट की ओट कराय चहुंदिश लाई धरावन थार ॥४ ॥
    बीरा देय दिवाय सबनकों हितसों आरति वारी ॥ द्वारकेश प्रभुकों ले आई राई लोन उतारी ॥ ५ ॥

  • @ketanpatel1511
    @ketanpatel1511 ปีที่แล้ว +2

    राग मल्हार (१)
    आज व्रज सोभा की निधि आई । जसोदा नँदन रथ पर बैठें व्रज जन अति सुखदाई ॥ १ ॥ कुलह सेत सेत ही बागो ओर सुन सेत सुहाई ॥ भूषन विविध कहालों बरनों बरनत बरनी न ॥ २ ॥
    वधू मिलि रथ खैचति अपने घर पधराई ॥ विविध भाँति सामग्री सीतल करि मनुहार लिवाई ॥ ३ ॥ जल अचवाय बीरी खवावति प्रेम हरखि न समाई ॥ करत आरती जुगल रूप पर न्यौछावर बहुत दिवाई ॥४ ॥
    इही विधि ब्रज घर घर प्रति आवत भक्त जन सुखदाई ॥'व्रजपति' तब निरखि सुख बाढ्यों मात चरन बलि जाई ॥५ ॥

  • @ketanpatel1511
    @ketanpatel1511 ปีที่แล้ว

    🙏🙏 જય શ્રી કૃષ્ણ 🙏 🙏

  • @chandrikakhatau3473
    @chandrikakhatau3473 ปีที่แล้ว

    😊😊thanks once again enjoyed singing also because the wording were available 😊Jay Shree Krushna bhai