गुरुदेव रा शब्द ह अमोल। सुपर हिट भजन।
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- เผยแพร่เมื่อ 6 ก.พ. 2025
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सिद्धयोग या स्वत:योग से ध्यान करने के लिए आपको तीन कार्य करने होंगे :-
1. शक्तिपात दीक्षा लेना ( एक बार) |
2. मंत्र जाप (प्रतिक्षण)|
3. ध्यान लगाने बैठना (सुबह व शाम 15 -15 मिनट)|
कृपया समस्त निर्देश अच्छी तरह पढें व पुन: 2-3 बार पढ लें, तत्पश्चात पूर्ण पालन करते हुए ध्यान शुरू करें|
1. शक्तिपात दीक्षा लेना :-
समर्थ गुरु श्री रामलाल जी सियाग की दिव्य वाणी में संजीवनी मंत्र को सुनना शक्तिपात दीक्षा कहलाता है | यह स्वयं सिद्ध मंत्र भगवान शिव से योगी मत्स्येन्द्रनाथ , महायोगी गोरखनाथ, गंगाईनाथ तक हजारों लाखों वर्षों की तपस्या से चेतन होकर समर्थ गुरुदेव सियाग को दीक्षा में मिला | नाथ मत के योगियों द्वारा इस मंत्र की प्राण प्रतिष्ठा की हुई है |
यह मंत्र केवल गुरुदेव की आवाज में सुनने के बाद ही कार्य करता है , आप और हमारी आवाज में नहीं |
मंत्र सरल है एवं याद रखने में आसान है | मंत्र को बोलना नहीं है, केवल मन ही मन बिना जीभ व होंठ हिलाए जपना है जैसे पुस्तक पढते समय मन ही मन पढते है |
इस मंत्र को गुरुदेव की आवाज में सुनने के निम्न तरीके हैं -
मोबाईल पर कॉल करके - 07533006009
गुरुदेव की वेबसाइट पर -
www.the_comforter.org
अन्य सोशियल मीडिया जैसे फेसबुक, ट्विटर आदि पर ( अधिक जानकारी आगामी लेख में)
2. मंत्र जाप :-
प्रतिक्षण उठते-बैठते, खाते-पीते, कार्य करते हुए जब मौका मिले इस मंत्र को जपते रहना है | शुरु शुरु में बार बार याद करके जपना पड़ेगा, लेकिन कुछ समय बाद अपने आप जपना चालू हो सकता है, ऋषियों ने इसे "अजपा" (नाम रट) कहा है |
3. ध्यान लगाना :-
प्रतिदिन सुबह शाम दोनों समय खाली पेट 15 मिनट के लिए गुरुदेव की फोटो के सामने बैठ कर ध्यान करना है -
खुली, समतल व हवादार जगह में जमीन पर आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं |
गुरुदेव की तस्वीर सामने रखें एवं 1-2 मिनट तक खुली आँखों से एकाग्रता से देखें |
अपनी समस्या के समाधान हेतु गुरुदेव से करुण प्रार्थना करें |
अब आँखें बंद करके गुरुदेव के चित्र को अपने आज्ञाचक्र पर ( जहाँ बिन्दी या तिलक लगाते हैं या शिव के तीसरे नेत्र की जगह) केन्द्रित करते हुए गुरुदेव से 15 मिनट ध्यान लगाने की अरदास करें|
अब गुरुदेव द्वारा बताए गए दिव्य मंत्र का मन ही मन सघन जाप करें |
इस दौरान कोई भी शारीरिक, मानसिक,यौगिक क्रिया हो सकती है , कृपया घबराएं नहीं व इन्हें रोकने का प्रयास ना करें तथा शरीर को ढीला छोड़ दें | ध्यान अवधि पूर्ण होने पर ये क्रियाएं स्वत: रूक जाएगी |
कृपया ध्यान दें :-
ध्यान की अवधि में मंत्र जाप लगातार जारी रखें, आँखें ना खोलें, व बीच में उठें नहीं |
सामूहिक ध्यान कर रहें हैं तो एक दूसरे से पर्याप्त दूरी बनाकर बैठें |
गुरुदेव की तस्वीर के लिए इस लेख में दी गई तस्वीर का स्क्रीनशॉट ले सकते हैं, वेबसाइट से ले सकते हैं , या घर पर मंगवा सकते हैं , इस बारे मे आगामी लेख में विस्तृत जानकारी दी जाएगी |
कृपया मंत्र मुँह से बोलकर किसी को ना बताएं, अगर किसी के समझ में नहीं आ रहा है तो उसे लिख कर बताएं |
किसी भी दिशा में मुँह करके बैठ सकते हैं, कोई धूप अगरबत्ती करने की जरुरत नहीं है |
चटाई, गद्दा आदि आवश्यकतानुसार बिछा सकते हैं |
ताबीज, किसी देवी देवता की मूर्ति पहनी हो तो ध्यान के समय उतार दें |
जमीन पर नहीं बैठ सकते हैं तो कुर्सी, सोफा, चारपाई या पलंग पर बैठ सकते हैं, बैठने की स्थिति में नहीं हैं तो खड़े खड़े या सोते हुए भी ध्यान कर सकते हैं |
ध्यान हेतु केवल 15 मिनट का समय ही मांगना है |
अधिकांश लोगों में 15 मिनट बाद स्वतः आँखें खुल जाती हैं, अगर शुरू शुरू में ऐसा न हो तो अलार्म लगा सकते हैं|
यौगिक क्रियाओं का होना साधक की शारीरिक, मानसिक स्थिति व विश्वास (faith) पर निर्भर करता है | कुछ दिखना - तेज रोशनी, रंग आदि, सुनना, सुगंध आना, महसूस होना, कंपन, झुकना, लेटना, हँसना, रोना, योगासन होना, प्राणायाम होना, ताली बजाना आदि कुछ भी हो सकता है |
ये सब अलग अलग व्यक्तियों में अलग अलग होता है, शरीर की आवश्यकतानुसार होता है|
अगर किसी व्यक्ति के शरीर में कोई क्रिया नहीं होती है तो या तो उसे जरूरत नहीं है या फिर वह अभी नकारात्मक है, ऐसे में विश्वास के साथ लगातार मंत्र जाप व ध्यान में बैठना जारी रखिए , गुरुदेव से प्रार्थना करते रहिए, कुछ दिन या महिनों बाद ध्यान लगना शुरू हो जाएगा |
सबसे अच्छी बात है कि आनंद की अनुभूति प्रत्येक व्यक्ति को होती है जबकि इससे किसी तरह का कोई नुकसान कभी नहीं होता है , अतः बेफिक्र ध्यान लगाने हेतु बैठें
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