saraswati nadi ka rehesy सरस्वती नदी कैसे लुप्त हुई | सरस्वती नदी का सच saraswati nadi uttrakhand

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  • เผยแพร่เมื่อ 12 ก.ย. 2024
  • भारतीय पुरातत्व परिषद् के अनुसार सरस्वती का उद्गम उत्तरांचल में रूपण नाम के हिमनद (ग्लेशियर) से होता था। रूपण ग्लेशियर को अब सरस्वती ग्लेशियर भी कहा जाने लगा है।
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    नैतवार में आकर यह हिमनद जल में परिवर्तित हो जाता था, फिर जलधार के रूप में आदिबद्री तक सरस्वती बहकर आती थी और आगे चली जाती थी।
    ऋग्वेद में भी सरस्वती नदी का उल्लेख मिलता है. महाभारत में भी सरस्वती का उल्लेख है और इसे लुप्त हो गई नदी कहा गया है. जिस स्थान पर यह नदी गायब हुई, उस स्थान को विनाशना अथवा उपमज्जना का नाम दिया गया. महाभारत में सरस्वती नदी का प्लक्षवती नदी, वेदस्मृति, वेदवती आदि कई नाम हैं.
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    ज्ञान की इस देवी ने एक बार ऐसा काम किया जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। उस एक गलती के कारण देवी सरस्वती को ऐसा शाप मिला कि धरती पर नदी बनकर उतरना पड़ा। इसी शाप का परिणाम था कि यमुना और गंगा भी नदी बन गई और देवी लक्ष्मी विष्णु प्रिय वृंदा यानी तुलसी का पौधा बन गई।
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