प्रगल्भ से मिलकर अच्छा लगा। बच्चे का बार-बार पूछना कि ‘यह कैसा रास्ता है?’ बालसुलभ जिज्ञासा मन मोह लेती है। मुश्किलों के बावजूद रास्ते पर चलते रहने की कोशिश और कहना ‘कोई बात नहीं’, छोटी उम्र में ही प्रगल्भ के संघर्षशील व्यक्तित्व की झलक देती है। हालांकि ग्रामीण बच्चों के लिए ऐसे रास्ते दैनिक जीवन का हिस्सा है किंतु ऐसे रास्तों से अनजान शहरी बच्चे के लिए यह नया अनुभव है। आपके द्वारा प्रगल्भ को इस तरह का अनुभव करवाना प्रशंसनीय है। बच्चों को माटी के साथ जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। बहुत अच्छा कंटेंट। धन्यवाद।
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प्रगल्भ से मिलकर अच्छा लगा। बच्चे का बार-बार पूछना कि ‘यह कैसा रास्ता है?’ बालसुलभ जिज्ञासा मन मोह लेती है। मुश्किलों के बावजूद रास्ते पर चलते रहने की कोशिश और कहना ‘कोई बात नहीं’, छोटी उम्र में ही प्रगल्भ के संघर्षशील व्यक्तित्व की झलक देती है।
हालांकि ग्रामीण बच्चों के लिए ऐसे रास्ते दैनिक जीवन का हिस्सा है किंतु ऐसे रास्तों से अनजान शहरी बच्चे के लिए यह नया अनुभव है। आपके द्वारा प्रगल्भ को इस तरह का अनुभव करवाना प्रशंसनीय है।
बच्चों को माटी के साथ जोड़ना अत्यंत आवश्यक है।
बहुत अच्छा कंटेंट। धन्यवाद।
प्रगल्भ के लिए यह अनुभव वास्तव में ही नया था. बच्चों को मिट्टी से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है...| सराहना एवं विस्तृत टिप्पणी हेतु धन्यवाद.
सूर्य जी नमस्कार 🙏 प्रगलभ को भी पैदल चलने का एक अच्छा adventure रहा❤❤❤
सही कहा मान्यवर. पसंद करने के लिए धन्यवाद.