Guru ji charan spars Om Guru ji kuch log kehte h jab har jaghe bhagwan h to murti main bhi honge to murte puja ke ja sakte h? Kripya uttar jaroor de Om
नमस्ते जी। सब जगह भगवान है तो मूर्ति में भी है। किंतु मूर्ति पूजा नहीं कि जा सकती। "न तस्य प्रतिमा अस्ति" ये प्रमाण है वेद का इसमें कहा कि ईश्वर की कोई मूर्ति नहीं होती, फिर यजुर्वेद के 40 अध्याय में 8 वा मंत्र है वह ईश्वर को सर्वत्र व्यापक, निराकार निर्विकार कह रहा है। ऐसे अनेकों प्रमाण है, जिनसे ईश्वर सर्वव्यापक सर्वान्तर्यामी निराकार सिध्द होता है। जो ईश्वर सर्वत्र व्यापक है यदि उसकी मूर्ति हो तो पूज लो, मंदिरों में जिनकी मूर्ति है वह किसी के पुत्र, पिता, पति, राजा आदि आदि थे उनका जन्म भी हुआ और मृत्यु भी। उन महापुरुषों की पूजा भी कोई महत्व की नहीं, वास्तविक पूजा तो तब माने जब उनके बताए मार्ग पर चले, उनका अनुकरन करे। संक्षेप में मूर्ति में ईश्वर की पूजा असम्भव अव्यवहारिक है।
Sadar Pranam🕉️🙏
दंडवत प्रणाम गुरु जी
🙏🙏🙏
अत्युत्तम श्रद्धेय स्वामी जी🙏🏾🌷🙏🏾🚩
Om
Param pujya Swami ji ko Sadar Naman Abhinandan Jay Arya Jay Arya samaj bhed Bhagwan ki Jay Om Om
Baijayanti sadare namastey Swamiji Maharaj ji 🙏
Pranam swami Ji 🙏🙏🙏🙏🙏💐
🙏🙏🙏🌼🌼🌼
🕉🕉🕉🙏
Sader namste Swami ji pervachan ke liye thanks 🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽👍
Swami ji, excellent way of teaching how to do meditation 🧘♂️👏👍May you keep doing it for the benefit of practioners
सादर नमस्ते जी
वाह! अतिउत्तम प्रिय आचार्य🚩❣️💖🙏❤️
सादर नमस्ते स्वामी जी 👏👏👏💐💐💐💐💐
Thank u so much guru ji
गुरुजी कृपया गायत्री मंत्र का असली अर्थ बताइये।
🙏
Perday sandhya ma bolie sie
🙏💝❤️💖❣️🚩🙏
Swamiji sadar namaste.
Jai guruji
jai shree ram
Nmsteji swamiji
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जय हो स्वामी जी चरण स्पर्श
आपका मुकाम कहा हे स्वामी की
दर्शन की अभिप्षा 🙏🙏
In the high
Guru ji charan spars
Om
Guru ji kuch log kehte h jab har jaghe bhagwan h to murti main bhi honge to murte puja ke ja sakte h?
Kripya uttar jaroor de
Om
नमस्ते जी।
सब जगह भगवान है तो मूर्ति में भी है। किंतु मूर्ति पूजा नहीं कि जा सकती। "न तस्य प्रतिमा अस्ति" ये प्रमाण है वेद का इसमें कहा कि ईश्वर की कोई मूर्ति नहीं होती, फिर यजुर्वेद के 40 अध्याय में 8 वा मंत्र है वह ईश्वर को सर्वत्र व्यापक, निराकार निर्विकार कह रहा है।
ऐसे अनेकों प्रमाण है, जिनसे ईश्वर सर्वव्यापक सर्वान्तर्यामी निराकार सिध्द होता है। जो ईश्वर सर्वत्र व्यापक है यदि उसकी मूर्ति हो तो पूज लो,
मंदिरों में जिनकी मूर्ति है वह किसी के पुत्र, पिता, पति, राजा आदि आदि थे उनका जन्म भी हुआ और मृत्यु भी। उन महापुरुषों की पूजा भी कोई महत्व की नहीं, वास्तविक पूजा तो तब माने जब उनके बताए मार्ग पर चले, उनका अनुकरन करे।
संक्षेप में मूर्ति में ईश्वर की पूजा असम्भव अव्यवहारिक है।
@@yogeshvedic Om, Aapka Bahut Bahut Aabhar
@ईश्वर अभ्यास Om
Namaste ji
Bahut Sundar 🙏
Acharya ji ye sab bolte hue dhyaan kaha pe lagaye
Ishwar ka koi swaroop nahi hai to aapne jis andhkar ki kalpna ki thi apne charo taraf usime dhyan lagana hai
shesh narayan akinchan om om om. swami jee ko shat shat naman
🙏🙏🙏आदरणीय स्वामी जी सादर प्रणाम 🙏🙏🙏
sarda nameste guruji
Bakar
🙏🙏🙏