श्री लखमीचन्द-चालीसा जय लखमीचन्द जय महाज्ञानी । अमर है तेरी जग में कहानी ।। हे गन्धर्व कलियुग-अवतारी।माने तुमको दुनिया सारी ।। उस भूमि के हैं भाग्य सवाये।लेकर जन्म जहाँ तुम आये।। जांटी कला वो गाँव है प्यारा ।उदमीराम-घर जन्म तुम्हारा ।। पास में बहती यमुना माई।पावन नाम अति सुखदाई।। गौड़ विप्र कुल गौत्र कौशिका।कोई नहीं है तेरे सरीखा ।। बचपन बीता यमुना-तीरे ।गुण प्रगट हुए धीरे-धीरे ।। संग धेनु के वन में जाना ।मीठे स्वर से गाना गाना।। मानसिंह गुरू धारण कीन्हा।दीक्षाऔर गुरूमंत्र लीन्हा।। दिल में बस गया नाम बसौदी।सदा ही पूजा धाम बसौदी।। सद्गुरु सम नहीं कोई दूजा।चरण-कमल की कीन्ही पूजा।। गुरू चरण-रज समझके चन्दन।मस्तक लगाई करके वन्दन।। गुरू की ऐसी दृष्टि होई।तुम सम नज़र ना आये कोई ।। पद-पद में गुरूवर दर्शाये।आनंदकंद के छन्द बनाये।। कोस अढाई धाम ननेरा।जगदम्बे का जहाँ पर डेरा।। मनसा देवी आदि शक्ति।सच्चे मन से की पूजा भक्ति।। हृदय राम-नाम प्रकाशा।कंठ सरस्वती माँ का वासा।। सतगुरुजी से आज्ञा लीन्ही ।भजन रागनी बहुत कथ दीन्ही।। सुने-गुने सद् ग्रन्थ पुराने।शास्त्र वेद पुराण बखाने।। कभी ना पीछे मुड़कर देखा।चमक उठी भाग्य की रेखा।। सूर्यकवि अभिनेता गायक।गुणियों में तुम बन गये नायक।। आशुकवि बन गये तत्काली।हर रचना है तेरी निराली।।कथा सांग हो या कोई किस्सा।मानव-जीवन का है हिस्सा।। कहने को तूने कुछ नहीं छोड़ा।भले ही जीवन रहा तेरा थोड़ा।। अलंकृत सब माला गूंथी।चिन्तन मनन से लग जाये श्रुति।। सरस सहज और गूढ़ है वर्णन।सब रागों का सुन्दर मिश्रण।। कविता तेरी बड़ी अनूठी।बात नहीं कोई तेरी झूठी।। भक्ति-शक्ति सूक्ति- मुक्ति।धर्म-कर्म की बताई युक्ति।। भूत भविष्य और वर्तमाना ।तीनों काल को तूने बखाना।। ब्रह्मज्ञान मुक्ति का साधन।सच्ची अर्चना और आराधन।। जप-तप व्रत भजन और सन्ध्या।तीन ताप का कट जाये फन्दा।। रामायण गंगा और गीता।काव्य-रचना बड़ी पुनीता।। हरिश्चन्द्र-कथा अति पावन।पूरण भगत जगत-मनभावन।। ताराचंद सत्यवान-सावित्री ।मोक्षदायिनी जैसे गायत्री।। जीव-पुरंजन नल दमयन्ती ।सोमवती मीरा सतवन्ती।। अमर रहेगी तेरी वाणी।युग-युगांतर गायें प्राणी।। सिंघु-बोर्डर तेरी पाठशाला ।उमरावत बना भवन निराला।। जय-जय-जय हरियाणा- माटी ।जुग-जुग बसियो सेरसा -जांटी।। राजेश शर्मा तेरा अनुरागी।लौ हृदय में तेरी जागी सुने-गुने जो बात हमेशा। जन्म-जन्म के मिटें क्लेशा ।। --------------- जय म्हारी संस्कृति म्हारा स्वाभिमान संगठन हरियाणा ।। जय हो दादा गुरू देव पंडित लखमीचन्द जी की।।
जय हो हरियाणा की आन बान और शान सुर्यकवि पण्डित श्री लखमीचन्द को कोटी कोटी प्रणाम करता हूं बालकिशन शर्मा वत्स थुराणा हिसार से जय हो श्री लखमीचन्द कि जय हो
अतिशय जीवन्त कला का मंचन किया है, श्री पंडित लखमीचन्द जी की विलक्षण प्रतिभा का सजीव प्रदर्शन कर प्राचीन संस्कृति का हृदय स्पर्शी मंचन कर मन को अलौकिक आनंद प्रदान किया है, उसके लिए संपूर्ण मंचन मंडली को करबद्ध प्रणाम करता हूं। ईश्वर सभी को जीवन पर्यन्त स्वस्थ और हर दृष्टि से समृद्ध बनाने की कृपा करें!!!!
" आरती " आरती जांटी वाले की। लखमीचन्द निराले की ।। उन्नीस सौ तीन के सन् में, उदमीराम-घर जन्मे। खेले शिवदेई-आँगन में, चराई धेनुका बन में ।। लकुटिया संग,पाली को ढंग,जय हो सच्चे ग्वाले की।।लखमीचन्द निराले की।। आरती------ सतगुरु मानसिंह तेरे, सच्चे मन से सदा टेरे। वे आबाद रहेंगे डेरे, जहाँ पर तुम जैसे हों चेरे।। के सारी उमर,गुरू को सुमर,की पूजा बसौदी विद्याले की।।लखमीचन्द निराले की।। आरती------- तुमको भूले नहीं समाज, तुम हो गुणियों में सरताज। जय-जय गन्धर्व हे कविराज, तुम पर दुनिया करती नाज।। हे हरि-स्वरूप,तेरी छवि है अनूप,के जैसे कृष्ण-काले की।।लखमीचन्द निराले की।। आरती-------- जब तक सूरज का उजियारा, बहे गंगा की निर्मल धारा। जब तक सृष्टि का है पसारा,तब तक नाम रहेगा तुम्हारा।। ना हो मध्यम,जगे हरदम,ज्योत तेरे ज्ञान-उजाले की।।लखमीचन्द निराले की।। आरती--------- जय-जय कलयुग के अवतार, तुझको गाता है संसार। राजेश शर्मा है बलिहार, तेरे भरे ज्ञान-भंडार।। मेरी रखना टेक,घूंट दो-एक,पिलादो अमृत-प्याले की।।लखमीचन्द निराले की।। आरती------- Master Rajesh Sharma 7015228043
मंचन मण्डली के प्रमुख श्रद्धेय पंडित श्री विष्णु कौशिक जी अंतिम श्वास तक राष्टृ का कल्याण करते रहे। प्रभो, पंडित लखमीचन्द जी का ये अमर ज्ञान श्री विष्णु कौशिक जी प्रसाद रूप में चिर यौवन अंदाज में ऐसे ही वितरित करते रहे।
Na jane ish janam mein ichchha puri hogi ya nhi ,kyonki meri kahani,,Suraya kavi lakhmi Chand ,, Mumbai mein registred karwa rakhi hai wo film adhuri hai,puri hogi ki nhi ,ish film ke liyemainy 28 sal lga diye ,mere karm ka dosh hai verna punya aatma ke darshan bhi ho chuke hai ,Vishnu dutt ke bhagya bhi अच्छी है जो अपनी दादा के ज्ञान का प्रचार और प्रसार कर राय हैं
श्री लखमीचन्द-चालीसा
जय लखमीचन्द जय महाज्ञानी । अमर है तेरी जग में कहानी ।।
हे गन्धर्व कलियुग-अवतारी।माने तुमको दुनिया सारी ।।
उस भूमि के हैं भाग्य सवाये।लेकर जन्म जहाँ तुम आये।।
जांटी कला वो गाँव है प्यारा ।उदमीराम-घर जन्म तुम्हारा ।।
पास में बहती यमुना माई।पावन नाम अति सुखदाई।।
गौड़ विप्र कुल गौत्र कौशिका।कोई नहीं है तेरे सरीखा ।।
बचपन बीता यमुना-तीरे ।गुण प्रगट हुए धीरे-धीरे ।।
संग धेनु के वन में जाना ।मीठे स्वर से गाना गाना।।
मानसिंह गुरू धारण कीन्हा।दीक्षाऔर गुरूमंत्र लीन्हा।।
दिल में बस गया नाम बसौदी।सदा ही पूजा धाम बसौदी।।
सद्गुरु सम नहीं कोई दूजा।चरण-कमल की कीन्ही पूजा।।
गुरू चरण-रज समझके चन्दन।मस्तक लगाई करके वन्दन।।
गुरू की ऐसी दृष्टि होई।तुम सम नज़र ना आये कोई ।।
पद-पद में गुरूवर दर्शाये।आनंदकंद के छन्द बनाये।।
कोस अढाई धाम ननेरा।जगदम्बे का जहाँ पर डेरा।।
मनसा देवी आदि शक्ति।सच्चे मन से की पूजा भक्ति।।
हृदय राम-नाम प्रकाशा।कंठ सरस्वती माँ का वासा।।
सतगुरुजी से आज्ञा लीन्ही ।भजन रागनी बहुत कथ दीन्ही।।
सुने-गुने सद् ग्रन्थ पुराने।शास्त्र वेद पुराण बखाने।।
कभी ना पीछे मुड़कर देखा।चमक उठी भाग्य की रेखा।।
सूर्यकवि अभिनेता गायक।गुणियों में तुम बन गये नायक।।
आशुकवि बन गये तत्काली।हर रचना है तेरी निराली।।कथा सांग हो या कोई किस्सा।मानव-जीवन का है हिस्सा।।
कहने को तूने कुछ नहीं छोड़ा।भले ही जीवन रहा तेरा थोड़ा।।
अलंकृत सब माला गूंथी।चिन्तन मनन से लग जाये श्रुति।।
सरस सहज और गूढ़ है वर्णन।सब रागों का सुन्दर मिश्रण।।
कविता तेरी बड़ी अनूठी।बात नहीं कोई तेरी झूठी।।
भक्ति-शक्ति सूक्ति- मुक्ति।धर्म-कर्म की बताई युक्ति।।
भूत भविष्य और वर्तमाना ।तीनों काल को तूने बखाना।।
ब्रह्मज्ञान मुक्ति का साधन।सच्ची अर्चना और आराधन।।
जप-तप व्रत भजन और सन्ध्या।तीन ताप का कट जाये फन्दा।।
रामायण गंगा और गीता।काव्य-रचना बड़ी पुनीता।।
हरिश्चन्द्र-कथा अति पावन।पूरण भगत जगत-मनभावन।।
ताराचंद सत्यवान-सावित्री ।मोक्षदायिनी जैसे गायत्री।।
जीव-पुरंजन नल दमयन्ती ।सोमवती मीरा सतवन्ती।।
अमर रहेगी तेरी वाणी।युग-युगांतर गायें प्राणी।।
सिंघु-बोर्डर तेरी पाठशाला ।उमरावत बना भवन निराला।।
जय-जय-जय हरियाणा- माटी ।जुग-जुग बसियो सेरसा -जांटी।।
राजेश शर्मा तेरा अनुरागी।लौ हृदय में तेरी जागी
सुने-गुने जो बात हमेशा।
जन्म-जन्म के मिटें क्लेशा ।।
--------------- जय म्हारी संस्कृति म्हारा स्वाभिमान संगठन हरियाणा ।। जय हो दादा गुरू देव पंडित लखमीचन्द जी की।।
😅 g
Beautifully❤ kavitayi super duper😍😍 dono ko dil se salut
CT bu😊
जय हो हरियाणा की आन बान और शान सुर्यकवि पण्डित श्री लखमीचन्द को कोटी कोटी प्रणाम करता हूं बालकिशन शर्मा वत्स थुराणा हिसार से जय हो श्री लखमीचन्द कि जय हो
Very beautiful song 😊
Bahut shandar gianvardhak samajik sang hai.
Pt. Lakhmichad amar rahen.
Amar rahen
Amar rahen. 👏👏
Very nice kavitae pour hariyanvi sanskriti jai dada lakmichand
अतिशय जीवन्त कला का मंचन किया है, श्री पंडित लखमीचन्द जी की विलक्षण प्रतिभा का सजीव प्रदर्शन कर प्राचीन संस्कृति का हृदय स्पर्शी मंचन कर मन को अलौकिक आनंद प्रदान किया है, उसके लिए संपूर्ण मंचन मंडली को करबद्ध प्रणाम करता हूं।
ईश्वर सभी को जीवन पर्यन्त स्वस्थ और हर दृष्टि से समृद्ध बनाने की कृपा करें!!!!
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❤❤❤
वेरीगुड
Very nice Vishnu 👌
Guru ji Vishnu dut ko Naresh bhardwaj ki terf se Hardik subh kamna God bless you village gochhi
" आरती "
आरती जांटी वाले की।
लखमीचन्द निराले की ।।
उन्नीस सौ तीन के सन् में, उदमीराम-घर जन्मे।
खेले शिवदेई-आँगन में,
चराई धेनुका बन में ।।
लकुटिया संग,पाली को ढंग,जय हो सच्चे ग्वाले की।।लखमीचन्द निराले की।।
आरती------
सतगुरु मानसिंह तेरे,
सच्चे मन से सदा टेरे।
वे आबाद रहेंगे डेरे,
जहाँ पर तुम जैसे हों चेरे।।
के सारी उमर,गुरू को सुमर,की पूजा बसौदी विद्याले की।।लखमीचन्द निराले की।।
आरती-------
तुमको भूले नहीं समाज,
तुम हो गुणियों में सरताज।
जय-जय गन्धर्व हे कविराज,
तुम पर दुनिया करती नाज।।
हे हरि-स्वरूप,तेरी छवि है अनूप,के जैसे कृष्ण-काले की।।लखमीचन्द निराले की।।
आरती--------
जब तक सूरज का उजियारा,
बहे गंगा की निर्मल धारा।
जब तक सृष्टि का है पसारा,तब तक नाम रहेगा तुम्हारा।।
ना हो मध्यम,जगे हरदम,ज्योत तेरे ज्ञान-उजाले की।।लखमीचन्द निराले की।।
आरती---------
जय-जय कलयुग के अवतार,
तुझको गाता है संसार।
राजेश शर्मा है बलिहार,
तेरे भरे ज्ञान-भंडार।।
मेरी रखना टेक,घूंट दो-एक,पिलादो अमृत-प्याले की।।लखमीचन्द निराले की।।
आरती-------
Master Rajesh Sharma
7015228043
😂😭😂😭😂lpp0p
बहुत शुदंर भाई जी बहुत प्यारी रचना बधाई ❤🇨🇮🙏
@@somduttsharma6426by
Jai ho dada lakhmichand ki
Jai ho dada ki jai shri krishna
सांग मंडली को नमस्ते, हार्दिक शुभकामनाएँ कृष्ण सरधना मेरठ🙏🙏🕉️🙏🙏✍🏼
Bahoot hee achchha.
Bhotachaprogramh
Thanks vishnu Sharma ji
Jai ho dada lakhamichand ji jai ho visnu dutt ji. Sanskriti rakshak Naman h apko
Sunil kalpna motors Rohtak
Poem loop
Waha dada lakhmichand salute you
1
P
Nice dada lakhmichand ka sahag
Bahut,hi,achha,sang,sunaya,pt,visnu,duty,sharmaji
मंचन मण्डली के प्रमुख श्रद्धेय पंडित श्री विष्णु कौशिक जी अंतिम श्वास तक राष्टृ का कल्याण करते रहे।
प्रभो, पंडित लखमीचन्द जी का ये अमर ज्ञान श्री विष्णु कौशिक जी प्रसाद रूप में चिर यौवन अंदाज में ऐसे ही वितरित करते रहे।
L. 5
P
Jati ke mein mila nazara na chhodu dharm karm n,lakhmi chand ki jagah samajh k pujan sada aap n.
Pt. Lakhmi chand ke mukhar bind se nikli vani barham gyan hai ,wo Chitar rath gandhav ka avtar thhy,unko nitya parnam hai
),
Na jane ish janam mein ichchha puri hogi ya nhi ,kyonki meri kahani,,Suraya kavi lakhmi Chand ,, Mumbai mein registred karwa rakhi hai wo film adhuri hai,puri hogi ki nhi ,ish film ke liyemainy 28 sal lga diye ,mere karm ka dosh hai verna punya aatma ke darshan bhi ho chuke hai ,Vishnu dutt ke bhagya bhi अच्छी है जो अपनी दादा के ज्ञान का प्रचार और प्रसार कर राय हैं
Pp hai|+
14:19 14:19
Ati tar saaptak ki gayaki ,sab ke bas ke nahe he.
Lakhmlchandjendad
जैसी भाषा का इस्तेमाल हो रहा है यह ठीक नहीं है
Bakwas jyada kar rahe hai