चित्तौड़गढ़ के प्रसिद्ध कविराज श्री चैनरामजी गौड़ लिखते हैं दुर्गा दुख भंजन दुर्ग चित्तौड़ पे करे राज कालिका 1)चित्तौड़ दुर्ग पे बैठी कालिका,चारों ई खूंट पे गाजे। अद्भुत आयुध धार भवानी, शक्ति सिंह विराजे । शक्ति सिंह बिराजे, भक्तां ने उबारणी, देवों की कर रक्षा,दानव मारणी....... करे राज कालिका 2)बड़े बड़े बलवान भूपति, हुए जी गढ़ चित्तौड़। जिनकी इस पृथ्वी मंडल पे,करे न कोई होड़। करे न कोई होड़, रण में रणधीर की, गाए सकल इतिहास, मेवाड़ी वीर की ।।.... करे राज कालिका 3)महाराणा सांगा और कुंभा, प्रतापसिंह प्रण धारी। गोरा बादल जयमल पत्ता, कल्ला राठौड़ बट भारी। कल्ला राठौड़ बट भारी,बहाई नदी खून की, गए अमरपुर छोड़,छापना आ मुंडकी ।। करे राज..... 4)देश गौरव हित धर्म गौरव हित,लड़े युद्ध कईं बार । रण कौशल रण धार वीरों में,रण चण्डी तलवार ।। रणचण्डी तलवार, विजय की चलाय के विजय पताका, विजय स्तंभ फहराय के.....।। करे राज कालिका..... 5)स्वामीभक्ति पन्नाधाय भई,मीरां वो भक्त हरि की। कूद आग में जौहर किनो,पदमण फूल सरीखी ।। पदमण फूल सरीखी,संग कईं राणियां, "चैनराम"मौजूद ,किले पे निशाणियां।।.... करै राज कालिका...।. 👏👏🙏🙏🏻🙏🏻इस भजन रूपी काव्य में हमारे मेवाड़ की शक्ति,भक्ति,त्याग और बलिदान के गौरव को पं.साहब चैनरामजी गौड़ ने जीवंत कर दिया। उनकी इस रचना को मेरा कोटि कोटि वंदन ...। जय मेवाड़ जय चित्तौड़ लोकेश कुमार सेन अध्यापक, मॉडल स्कूल राशमी
अदभुत भजन
चित्तौड़गढ़ के प्रसिद्ध कविराज श्री चैनरामजी गौड़ लिखते हैं
दुर्गा दुख भंजन दुर्ग चित्तौड़ पे करे राज कालिका
1)चित्तौड़ दुर्ग पे बैठी कालिका,चारों ई खूंट पे गाजे।
अद्भुत आयुध धार भवानी, शक्ति सिंह विराजे ।
शक्ति सिंह बिराजे, भक्तां ने उबारणी,
देवों की कर रक्षा,दानव मारणी....... करे राज कालिका
2)बड़े बड़े बलवान भूपति, हुए जी गढ़ चित्तौड़।
जिनकी इस पृथ्वी मंडल पे,करे न कोई होड़।
करे न कोई होड़, रण में रणधीर की,
गाए सकल इतिहास, मेवाड़ी वीर की ।।.... करे राज कालिका
3)महाराणा सांगा और कुंभा, प्रतापसिंह प्रण धारी।
गोरा बादल जयमल पत्ता, कल्ला राठौड़ बट भारी।
कल्ला राठौड़ बट भारी,बहाई नदी खून की,
गए अमरपुर छोड़,छापना आ मुंडकी ।। करे राज.....
4)देश गौरव हित धर्म गौरव हित,लड़े युद्ध कईं बार ।
रण कौशल रण धार वीरों में,रण चण्डी तलवार ।।
रणचण्डी तलवार, विजय की चलाय के
विजय पताका, विजय स्तंभ फहराय के.....।। करे राज कालिका.....
5)स्वामीभक्ति पन्नाधाय भई,मीरां वो भक्त हरि की।
कूद आग में जौहर किनो,पदमण फूल सरीखी ।।
पदमण फूल सरीखी,संग कईं राणियां,
"चैनराम"मौजूद ,किले पे निशाणियां।।.... करै राज कालिका...।.
👏👏🙏🙏🏻🙏🏻इस भजन रूपी काव्य में हमारे मेवाड़ की शक्ति,भक्ति,त्याग और बलिदान के गौरव को पं.साहब चैनरामजी गौड़ ने जीवंत कर दिया। उनकी इस रचना को मेरा कोटि कोटि वंदन ...।
जय मेवाड़
जय चित्तौड़
लोकेश कुमार सेन
अध्यापक, मॉडल स्कूल राशमी
सर अपका बहुत बहुत धन्यवाद ये माता की लावणी काफी समय से में ढूंढ रहा था आज आपके द्वारा मुझे पूरी मिली। धन्यवाद सर
Jai ho
Jai ho
Shane off Mevaad 🙏