Your video is good But ek chiz ap guru dev se jrur puchna "Michhami dukadam" ka arth hai "mera ye pap nishphal ho" ye swayam ke liye apni atma se bola jata hai Hum sabko michhami dukadam karte hai jo galt hai Khame me save jiva save jiva khaman tume Sbhi jiv jantuo se shma mangta hu or sbhi ko shma karta hu Dusro ko kiya jata hai khamat khamna jiska arth hai me apse mafi chahta hu
Jai jinendra sa,sawastari k din ko pishad main rehta hai wo ussi din kaise michmi dukdam kar pyenge ,wo to dusre hi din karna honga.. Kaisa kare guide me
आदरणीय मेहुल भाई सादर जय जिनेन्द्र🙏 जहां तक मुझे ज्ञात है *"मिच्छामि दुक्कडं"* और *"खमत खामणा"*, ये दोनों ही जैन दर्शन के शब्द हैं, लेकिन दोनों समान अर्थ वाले पर्यायवाची वाक्यांश *नहीं* हैं। दोनों के अर्थ *बिल्कुल अलग* हैं। *"मिच्छामि दुक्कडं"* का अर्थ है - मेरा *यह* पाप -दुष्कृत्य मिथ्या हो, निष्फल हो । इसका प्रयोग तभी होता है, जब आपको पता हो कि आप से क्या भूल हुई है। उस पाप -(भूल) को निष्फल करने के लिए *"मिच्छामि दुक्कडं"* का प्रयोग होता है। इसमें न तो क्षमा मांगी जा रही है, न ही क्षमा दी जा रही है। मात्र अपने पाप या दुष्कृत्य को निष्फल करने की कामना और पश्चाताप का भाव लिए होता है *"मिच्छामि दुक्कडं"*। सामान्यत: यह भूल या पाप होते ही या पता चलते ही तुरंत किया जाता है। यह आत्म साक्षी से किया जाता है। इसमें किसी दूसरे की उपस्थिति आवश्यक नहीं होती है। *"खमत खामणा"* का अर्थ क्षमा मांगना भी है, और क्षमा देना भी है। "खमत खामणा" में दोनों क्रियाएं एक साथ हो जाती हैं। *"खमत खामणा"* में क्षमा याचना भी है और यदि किसी की किसी बात से ठेस लगी हो, तो उसे भुलाकर, उसके बिना मांगे क्षमा कर देने का भाव भी है। *"मिच्छामि दुक्कडं"* में इसका पूर्ण अभाव है। यह कहीं भी खमत खामना के मूल भाव के आसपास भी नहीं ठहरता। यह दोनों शब्द अलग-अलग अर्थ लिए हुए हैं और इनका प्रयोग अलग-अलग स्थान होता है। सभी से विनम्र प्रार्थना है कि हम जैन दर्शन के अनुरूप सही शब्दावली का प्रयोग करें और केवल आकर्षक शब्दों के जाल में आकर भेड़ चाल में नहीं बहें। *"खमत खामणा"* सरल मन से सिर्फ अपनी ज्ञात और अज्ञात भूलों, दुष्प्रवृत्तियों और दुष्कृत्यों के लिए क्षमा याचना नहीं है बल्कि हमारे सही होते हुए भी यदि किसी को कष्ट पहुंचा हो तो उसके लिए भी क्षमा याचना है। दोनों के सही प्रयोग का उदाहरण यह है कि मेरे इस आलेख से किसी के मन को कष्ट पहुंचा हो तो मैं *खमत खामना* करती हूं।
Mahul bhi a badhu 1 almban 6 Apde vivak may bani ne Samta rakhi har bhav apde badahane maf karvana 6 Pane Ani sachi rit Kai Ans Vipasna 6 Aje apda jain dharam a agam ma Ani ullekh 6 Apda madaha krya &all ma rachya pachya rahi gaya
Much as I admire your efforts to explain concepts of Jainism, may I humbly request you to stop perpetuating myths about Jainism ? 🙏 First & foremost, pls make yourself aware of the principle of "Khamatkhamna" , its difference from 'Michhami Dukkadam' and the principle behind the practice. Second, pls understand the concept of Anekantvad I.e. plurality of thought, in the Jain philosophy. Do not tie us to a book or just 1 view point of any 1 Maharaj Saheb. U may follow , whichever concepts you deem fit; but do not claim it to be the ONLY way. This is my earnest request, kind Sir. I reiterate my appreciation for your efforts.
N pride of Jainism n heart touching michamidukdm to all
जय जिनशासन!
जय भगवान महावीर!
भैयाजी!आपके जैन मीडिया से जैन धर्म के बारे में अच्छी अच्छी बातें सीखने को मिलती हैं।
🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽
Superb explanation thanks Jain Media team for the clarification otherwise I have also forwarded messages of Michami Dukdam
Very nice explanation 👌
Keep going... Apke jaise logo ki bhut jroort hai
All the best
Jai jinendra ❤️
Jai jinendra mehulbhai thankyu so much this is so imp as people are just forwarding without understanding
धन्यवाद भाई
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
जय महावीर स्वामी 🙏🏻🙏🏻
जय श्रीराम🚩🚩
Outstanding... Channel and Outstanding Videos...Khub Khub ANUMODANA....
Awesum thankyu
Thankyou for this massage
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
AllRight। Jai। Jinedra
Jai jinendra🙏🙏🙏
Super explained
We hve to daily pratikraman karke roj Michami dukadam karna hai
Great explainaed
बहुत ही महत्व पूर्ण जानकारी आपने दी है ..जागरूक होने की जरूरत है
Alwayzzz good n superb information..... great.....
Superb explanation bhai,people should understand this.
🙏🏻🙏🏻
Your video is good
But ek chiz ap guru dev se jrur puchna
"Michhami dukadam" ka arth hai "mera ye pap nishphal ho" ye swayam ke liye apni atma se bola jata hai
Hum sabko michhami dukadam karte hai jo galt hai
Khame me save jiva save jiva khaman tume
Sbhi jiv jantuo se shma mangta hu or sbhi ko shma karta hu
Dusro ko kiya jata hai khamat khamna jiska arth hai me apse mafi chahta hu
Jai jinendra sa,sawastari k din ko pishad main rehta hai wo ussi din kaise michmi dukdam kar pyenge ,wo to dusre hi din karna honga..
Kaisa kare guide me
🙏🙏🙏🙏🙏
Bagvan ki pooja karne ka sahi tarika kya he sarir ke kis kis part per pooja ki jati he
Okkkkkkk
Shanti nath bhagwan ki jai 🙏🙏..24 trithankaro ki Jai 🙏🙏.. aacharya Shri ki Jai 🙏🙏.. sabhi Muni or aarkiyon ki Jai 🙏🙏.. Jai jinendra 🙏🙏
आदरणीय मेहुल भाई
सादर जय जिनेन्द्र🙏
जहां तक मुझे ज्ञात है
*"मिच्छामि दुक्कडं"* और *"खमत खामणा"*, ये दोनों ही जैन दर्शन के शब्द हैं, लेकिन दोनों समान अर्थ वाले पर्यायवाची वाक्यांश *नहीं* हैं। दोनों के अर्थ *बिल्कुल अलग* हैं।
*"मिच्छामि दुक्कडं"* का अर्थ है - मेरा *यह* पाप -दुष्कृत्य मिथ्या हो, निष्फल हो ।
इसका प्रयोग तभी होता है, जब आपको पता हो कि आप से क्या भूल हुई है।
उस पाप -(भूल) को निष्फल करने के लिए *"मिच्छामि दुक्कडं"* का प्रयोग होता है।
इसमें न तो क्षमा मांगी जा रही है, न ही क्षमा दी जा रही है। मात्र अपने पाप या दुष्कृत्य को निष्फल करने की कामना और पश्चाताप का भाव लिए होता है *"मिच्छामि दुक्कडं"*। सामान्यत: यह भूल या पाप होते ही या पता चलते ही तुरंत किया जाता है।
यह आत्म साक्षी से किया जाता है। इसमें किसी दूसरे की उपस्थिति आवश्यक नहीं होती है।
*"खमत खामणा"* का अर्थ क्षमा मांगना भी है, और क्षमा देना भी है।
"खमत खामणा" में दोनों क्रियाएं एक साथ हो जाती हैं।
*"खमत खामणा"* में क्षमा याचना भी है और यदि किसी की किसी बात से ठेस लगी हो, तो उसे भुलाकर, उसके बिना मांगे क्षमा कर देने का भाव भी है।
*"मिच्छामि दुक्कडं"* में इसका पूर्ण अभाव है। यह कहीं भी खमत खामना के मूल भाव के आसपास भी नहीं ठहरता।
यह दोनों शब्द अलग-अलग अर्थ लिए हुए हैं और इनका प्रयोग अलग-अलग स्थान होता है।
सभी से विनम्र प्रार्थना है कि हम जैन दर्शन के अनुरूप सही शब्दावली का प्रयोग करें और केवल आकर्षक शब्दों के जाल में आकर भेड़ चाल में नहीं बहें।
*"खमत खामणा"* सरल मन से सिर्फ अपनी ज्ञात और अज्ञात भूलों, दुष्प्रवृत्तियों और दुष्कृत्यों के लिए क्षमा याचना नहीं है बल्कि हमारे सही होते हुए भी यदि किसी को कष्ट पहुंचा हो तो उसके लिए भी क्षमा याचना है।
दोनों के सही प्रयोग का उदाहरण यह है कि
मेरे इस आलेख से किसी के मन को कष्ट पहुंचा हो तो मैं *खमत खामना* करती हूं।
Any idea wen shud it be done. Before pratikman or after pratikman.
Mahul bhi a badhu 1 almban 6
Apde vivak may bani ne
Samta rakhi har bhav apde badahane maf karvana 6
Pane Ani sachi rit Kai
Ans
Vipasna 6
Aje apda jain dharam a agam ma Ani ullekh 6
Apda madaha krya &all ma rachya pachya rahi gaya
क्या आप बता सकते है की श्वेतांबर मूर्तिपूजक सवंतसरी पंचम के बदले bhadarva सूद चौथ को क्यूँ मानते है
Agar samasri ky din kuch log ko michami dukkadam dyna rh gaya ho toa.kya pancham ko dy sakty hy?
Bhai aap se baat krna h🙏
Much as I admire your efforts to explain concepts of Jainism, may I humbly request you to stop perpetuating myths about Jainism ? 🙏
First & foremost, pls make yourself aware of the principle of "Khamatkhamna" , its difference from 'Michhami Dukkadam' and the principle behind the practice.
Second, pls understand the concept of Anekantvad I.e. plurality of thought, in the Jain philosophy. Do not tie us to a book or just 1 view point of any 1 Maharaj Saheb. U may follow , whichever concepts you deem fit; but do not claim it to be the ONLY way. This is my earnest request, kind Sir.
I reiterate my appreciation for your efforts.
No time to say sorry
What is this comedy
Jai jinendra 🙏🙏🙏🙏🙏