सादर प्रेम सर ये सब मेरे समझ से मनुष्य एक तल पर यंत्रवत जी रहा है क्योंकि आपको बार बार सुनने से पता चला रहा की मैं दूर दूर तक नही दिख रहा सब गहरा से गहरा आदत का गुलाम बना इंसान जी रहा है मुझे जो समझ में आ रहा है सर जैसे भोजन इससे भी सूक्ष्म सेक्स इससे भी सूक्ष्म नीद सबसे गहरा की इन सब के बावजूद भी नही दिखता की वह जीवन जी ही नहीं रहा बल्कि हर क्षण गतिशील के साथ गतिशील होकर जो मिला है अवसर खोते जा रहा है की वह स्वम प्रेम स्वरूप है मार्ग दर्शन के लिए सर बहुत बहुत प्रेम
बहुत अच्छा वीडिओ है। मतलब आंखे मात्र बंद करना ध्यान नहीं है। चौकन्ना हो कर जीना ही ध्यान की यात्रा है। आपके साथ ने काफी कुछ बदला है। धन्यवाद श्रीमान । जैसे जेनोगा सीरिज है ओर सत रज तम का वर्णन है इससे गीता ओर स्पष्ट होती है।
Sar ab aapka video dekhne mein bahut interesting ho raha hai kyunki ab aap practically baat kar rahe hain I believe in practical spirituality thank u for dis kind of video.. aur main bhi kam kar raha hun sar practical spirituality per videos banane ke liye
I am highly intrested in spritual process and at the same time i am skinny as well So should i eat less meal for spritual process or should i try to gain weight by eating 3 good meals a day ????
-Kundalini starts with our food habits- We eat food in order to take impulse so we can decode it. We take impulses through 1. Food(eating) 2. Breathing 3. Visual,hearing,thinking,feeling etc. Through 5 senses we take these impulses. It's all a play of input & output, coding decoding. First, we need to start with food & be Fad (fashion, craze) free. Reduce the amount & the frequency of the food you eat & keep it simpler like fruits, multi grains & all. Never eat food like a hungry tiger, as our food becomes a part of us. So be meditative while eating food, don't be in a hurry. Be full of gratitude while eating your food, treat it like a prashad. Thank God & offer your food to God first & then eat your food mindfully. No tv or anything, just you & your food(prashad).
*साधक का भोजन कैसा हो??* ✍🏻जैसा अन्न वैसा मन। भोजन शुद्ध सात्विक शाकाहारी हो ,परमात्मा की याद में अच्छे संकल्पों के साथ,प्रेम से बनाये अन्न को खाने से खानेवाले व्यक्ति के मन को संतुष्टि , शक्ति और शान्ति मिलती है। मन अच्छा तो सब अच्छा। ✍🏻भोजन साधा और हल्का हो ,सेहत देने वाला हो। जितना हो सके अन्न को नैसर्गिक स्वरूप में खाना चाहिए।फल ,सलाद,ड्राई fruit,juice ऐसे पदार्थ से शरीर मे हल्कापन रहता है। शरीर में भारीपन होने से शरीर मेडिटेशन/ ध्यान में अपनी तरफ खिंचता है। साधक को रात का खाना नही लेना चाहिए या शाम को 7 बजे से पहले हल्का भोजन करना चाहिए। अग्नि पर पकाए हुए खाने में न्यूट्रीशन की कमी होती है। भोजन एकरस हो मतलब एक समय अनेक प्रकार का पदार्थ खाने से बचे। ,फ्रिज में रखा हुआ अन्न या पानी,ज्यादा तला हुआ,ज्यादा मीठा ,मसालेदार,भारी गरिष्ठ खाना अपचन,आलस्य पैदा करता है। आलस्य और नींद साधक के लिए बाधक है। ✍🏻जितनी साधक की आध्यात्मिक प्रगति होती है... उसकी भूख कम कम होती जाती है।क्योकि उसका मन अब शुद्ध है शांत है,कंट्रोल मे है। ✍🏻मन के अशांत होने और ज्यादा भोजन या तामसिक भोजन लेने का आपस मे गहरा सम्बन्द है। मन के विकारों को,भावनाओं दबाने के लिए भी कई बार भोजन की मदद ली जाती हैं। ऐसे में भोजन भी व्यसन (addiction)बन जाता है। ✍🏻साधना की सफलता आपको निरासक्त बनाती है।ये खाऊ ..वो खाऊ ऐसी इच्छा नही होती। साधक खाना स्वाद के लिए नही ,शरीर को स्वस्थ रखने के लिए खाते है। साधक को बाहर रेस्तरां का खाना खाने से बचते है क्योकि वह सूक्ष्म योग अभ्यास में बाधा है। ✍🏻साधक को प्रकृति के सानिध्य में वक्त जरूर बिताना चाहिए। हररोज सुबह की धूप,बगीचे में सैर,sunrise,sunset,moon ,sky gazing करना चाहिये। प्रकृति के स्पर्श और देखने से भी शरीर को डायरेक्ट पोषण मिलता है।और हमारी अन्न पर निर्भरता कम होती जाती है।
सादर प्रेम
सर ये सब मेरे समझ से मनुष्य एक तल पर यंत्रवत जी रहा है क्योंकि आपको बार बार सुनने से पता चला रहा की मैं दूर दूर तक नही दिख रहा सब गहरा से गहरा आदत का गुलाम बना इंसान जी रहा है मुझे जो समझ में आ रहा है सर जैसे भोजन इससे भी सूक्ष्म सेक्स इससे भी सूक्ष्म नीद सबसे गहरा की इन सब के बावजूद भी नही दिखता की वह जीवन जी ही नहीं रहा बल्कि हर क्षण गतिशील के साथ गतिशील होकर जो मिला है अवसर खोते जा रहा है की वह स्वम प्रेम स्वरूप है
मार्ग दर्शन के लिए सर बहुत बहुत प्रेम
बहुत अच्छा वीडिओ है। मतलब आंखे मात्र बंद करना ध्यान नहीं है। चौकन्ना हो कर जीना ही ध्यान की यात्रा है। आपके साथ ने काफी कुछ बदला है। धन्यवाद श्रीमान । जैसे जेनोगा सीरिज है ओर सत रज तम का वर्णन है इससे गीता ओर स्पष्ट होती है।
Beautiful Shiv
Gratitude is the best Attitude 😊🙏🏻
Thank you Universe 🙏🏻
Thanks Sir amazing speech that support in spirituality
Thank you so much is best knowledge ko TH-cam per laane ke liye
Sar ab aapka video dekhne mein bahut interesting ho raha hai kyunki ab aap practically baat kar rahe hain I believe in practical spirituality thank u for dis kind of video.. aur main bhi kam kar raha hun sar practical spirituality per videos banane ke liye
Thnku🙏
i feel so lucky to be on the path to decode spiritual texts and not blindly believing them. Thank you so much Sir.
me too lucky
How many people believe in spirituality ?
✋
Jai Sachidanand ji
Thank you so much 💕
Happy New year to all zenoga family💕
Thanks sir
Thank you soooooooo
much Sir 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
अति सुंदर
सूक्ष्म ज्ञान ...दे रहे है..सर जी.. धन्यवाद
वह सबसे अधिक ज्ञानवर्धक वीडियो
Yes very imp
🙏 Thanks Sir, for such a valuable knowledge of power of food on our body.
Ranveer Allahabadia ji toh kuch alag hi sikha rahe hai spirituality ke naam par
Aaj yog batane wale jyada aur sikhne wale kam milte hai .
Thank you, sir.
Eye 👁️ mind knows
🙏 Jai Ho Sir!
Thanku so much sir 🙏🙏
प्रणाम साहेब 🙏
Thanku sir 😊
thank you very much for explaination
Very very valuable information. thank you so much sir
Wah
Great Sir
Very nice 💕🙏💕
Excellent, Excellent & Excellent. Please continue Sir. Thank you very much Sir & Happy New Year Sir 🙏🙏
Thank you for your advise
holy science by sri yukhateswar
Namaste sir ji happy new year
sir i believe zen yoga by pj saher
autobiography of yogi
map of consciousness by dr hawkins
holy science are great books
Happy New year dr. Ashish ji
Sir🙏🙏
❤
❤❤❤🙏🙏
Sir, khana kam kar denge to body kaise banega aur kamjori aajayega to.
sir sri m himalayan yogi also great book aliens
sir takes about sirpalokha patanjali yoga sutra ia also a sirphalokha
Happy new year sir..♥️
🌷🙏🌷
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
I am highly intrested in spritual process and at the same time i am skinny as well
So should i eat less meal for spritual process or should i try to gain weight by eating 3 good meals a day ????
Pune me aap kab ane wale he sir je
Hello sir
Mujhe bhi yesha hi hua tha or Kano mai avaj ati thi or mai bahut dartha tha koi mujhe Marne aa raha hai aab thik hu pagal ho gaya tha
🙏🙏🙏🙏
-Kundalini starts with our food habits-
We eat food in order to take impulse so we can decode it.
We take impulses through
1. Food(eating)
2. Breathing
3. Visual,hearing,thinking,feeling etc.
Through 5 senses we take these impulses. It's all a play of input & output, coding decoding.
First, we need to start with food & be Fad (fashion, craze) free.
Reduce the amount & the frequency of the food you eat & keep it simpler like fruits, multi grains & all.
Never eat food like a hungry tiger, as our food becomes a part of us. So be meditative while eating food, don't be in a hurry. Be full of gratitude while eating your food, treat it like a prashad. Thank God & offer your food to God first & then eat your food mindfully. No tv or anything, just you & your food(prashad).
Sir made video on reiki healing
🙏✨🪷🪔
*साधक का भोजन कैसा हो??*
✍🏻जैसा अन्न वैसा मन।
भोजन शुद्ध सात्विक शाकाहारी हो ,परमात्मा की याद में अच्छे संकल्पों के साथ,प्रेम से बनाये
अन्न को खाने से खानेवाले व्यक्ति के मन को संतुष्टि , शक्ति और शान्ति मिलती है।
मन अच्छा तो सब अच्छा।
✍🏻भोजन साधा और हल्का हो ,सेहत देने वाला हो।
जितना हो सके अन्न को नैसर्गिक स्वरूप में खाना चाहिए।फल ,सलाद,ड्राई fruit,juice ऐसे पदार्थ से शरीर मे हल्कापन रहता है।
शरीर में भारीपन होने से शरीर मेडिटेशन/ ध्यान में अपनी तरफ खिंचता है।
साधक को रात का खाना नही लेना चाहिए या शाम को 7 बजे से पहले हल्का भोजन करना चाहिए।
अग्नि पर पकाए हुए खाने में न्यूट्रीशन की कमी होती है।
भोजन एकरस हो मतलब एक समय अनेक प्रकार का पदार्थ खाने से बचे।
,फ्रिज में रखा हुआ अन्न या पानी,ज्यादा तला हुआ,ज्यादा मीठा ,मसालेदार,भारी गरिष्ठ खाना अपचन,आलस्य पैदा करता है।
आलस्य और नींद साधक के लिए बाधक है।
✍🏻जितनी साधक की आध्यात्मिक प्रगति होती है... उसकी भूख कम कम होती जाती है।क्योकि उसका मन अब शुद्ध है शांत है,कंट्रोल मे है।
✍🏻मन के अशांत होने और ज्यादा भोजन या तामसिक भोजन लेने का आपस मे गहरा सम्बन्द है।
मन के विकारों को,भावनाओं दबाने के लिए भी कई बार भोजन की मदद ली जाती हैं।
ऐसे में भोजन भी व्यसन (addiction)बन जाता है।
✍🏻साधना की सफलता आपको निरासक्त बनाती है।ये खाऊ ..वो खाऊ ऐसी इच्छा नही होती।
साधक खाना स्वाद के लिए नही ,शरीर को स्वस्थ रखने के लिए खाते है।
साधक को बाहर रेस्तरां का खाना खाने से बचते है क्योकि वह सूक्ष्म योग अभ्यास में बाधा है।
✍🏻साधक को प्रकृति के सानिध्य में वक्त जरूर बिताना चाहिए।
हररोज सुबह की धूप,बगीचे में सैर,sunrise,sunset,moon ,sky gazing करना चाहिये।
प्रकृति के स्पर्श और देखने से भी शरीर को डायरेक्ट पोषण मिलता है।और हमारी अन्न पर निर्भरता कम होती जाती है।
Yes sir
Bahut bahut Badhiya 👌👌👌👌
Thank you so much sir.
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🙏🙏🙏🙏
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Thank you sir
🙏🙏
🙏🙏