मेवाड़ का देश गर्व करता है व सिसोदिया जाति घमंड करतीहै

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  • เผยแพร่เมื่อ 10 มิ.ย. 2024
  • एक समय जोधपुर में अंग्रेज सरकार के खिलाफ बहुत उपद्रव होने लगे, तो अंग्रेजों की एक पलटन जोधपुर भेजी गई। जोधपुर महाराजा मानसिंह ने अपने सर्दारों से सलाह की, तो सर्दारों ने अंग्रेजी फौज को प्रबल बताया। कुचामन ठाकुर ने कहा कि "प्रबल हुकूमत से बगावत करना ठीक नहीं होगा महाराज साहब। मेवाड़ के महाराणा प्रताप लड़े थे बादशाह से, तो पैर-पैर पर्वतों
    में फिरे थे।"
    तब महाराजा मानसिंह ने कुचामन ठाकुर के कथन के विरोध में ये दोहा फर्माया :- "गिरपुर देस गमाड़, भमिया पग-पग भाखरां। सह अँजसै मेवाड़, अँजसै सिसोदिया।।"
    अर्थात् अपने पर्वत, नगर और देश गमाकर पैदल ही पर्वतों में संघर्षरत रहे, पर महाराणा ने अपने धर्म की रक्षा की, जिससे आज मेवाड़ का देश गर्व करता है व सिसोदिया जाति घमंड करती है।
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