Chakravarty Samrat Ashok प्रियदर्शी सम्राट अशोक

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  • เผยแพร่เมื่อ 17 ต.ค. 2024

ความคิดเห็น • 1.1K

  • @sushamamisal1650
    @sushamamisal1650 3 ปีที่แล้ว +23

    प्रियदर्शी सम्राट अशोक के बारें में बहुत ही सुंदर जानकारी , संपादन , चित्रण तथा निवेदन किया गया है । पार्श्वसंगीत भी बहुत बढ़िया है👌👌👍🙏 .

  • @robincereyansh16
    @robincereyansh16 5 ปีที่แล้ว +63

    मौर्यवंश की वीर गाथा की एक महान और शानदार इतिहास की एक झलक ।
    जय सूर्यवंश

    • @prityushraj1390
      @prityushraj1390 3 ปีที่แล้ว +5

      Jai samrat ashok aap jaisa koi nahi

  • @bhagchandpingoliya725
    @bhagchandpingoliya725 4 ปีที่แล้ว +16

    ऐतिहासिक सम्राट अशोक के बौद्धमयी भारतवर्ष के इतिहास के सबसे बड़े एवं महान् शासन काल पर आपका प्रयास सराहनीय है।
    आवाज इंडिया को सेल्यूट

  • @shakyagopal2727
    @shakyagopal2727 6 ปีที่แล้ว +111

    जय हो महान सम्राट अशोक मौर्य की ।

  • @AbhishekMaurya-cb9fo
    @AbhishekMaurya-cb9fo 6 ปีที่แล้ว +198

    🌹 बुध्दं शरणं गच्छामि 💕
    🌹 शंघम् शरणं गच्छामि 💕
    🌹 धम्मं शरणं गच्छामि 💕
    🇮🇳 सत्यमेव जयते 🇮🇳
    हमें गर्व है भारत के गौरवशाली इतिहास पर, हम सबको इस देश के महान शासकों का सम्मान करना चाहिए जिन्होंने अपने देश की रक्षा के लिए सिकंदर जैसे शासक को उसके भारतविजय का स्वप्न चकनाचूर कर दिया और उसे खाली हाथ लौटने को मजबूर कर दिया ।

  • @SojolB75
    @SojolB75 6 ปีที่แล้ว +58

    Thank you very much for taking the history of Emperor Ashok, सम्राट अशोक का इतिहास लेने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

  • @omprakashausar
    @omprakashausar 6 ปีที่แล้ว +35

    बहोत सुंदर ,अशोक का जीवन प्रत्येक भारतीय को प्रेरणा देता रहेगा#omprakashausar

    • @aquibhyaat3385
      @aquibhyaat3385 3 ปีที่แล้ว

      गौर किया जाए कि सम्राट अशोक एक राजपूत था। और बुद्ध धर्म राजपूतों का धर्म था। बुद्ध ने कोई घर संसार नहीं छोड़ा था जैसा कि बताया जाता है। गौतम बुद्ध को यह बात हृदय पर चुभती थी कि सिंहासन पर बैठे राजपूत नरेश अशोक, बौद्ध धर्म के नियंत्रण में ना होकर ब्राह्मण पुरोहित बाद के नियंत्रण में क्यों है।
      बौद्ध धर्म अपने उभार के मात्र 10 वर्ष के बाद ही प्रतिक्रिया की लपेट में आ गया। ना तो उसने दास प्रथा ही तोड़ सका और ना राज्यों को टूटने से ही बचा सका।
      ब्राह्मण पुरोहितवाद किसी भी कीमत पर नहीं चाहता था कि बौद्ध धर्म राजकीय धर्म बने। लेकिन ब्राह्मणों को डर सता रहा था। वह इसलिए क्योंकि राजा भी राजपूत था और बुद्ध धर्म भी राजपूतों का धर्म था।
      यह हाल बिल्कुल ऐसा था मानो आपकी पत्नी किसी और से मुंह मरा रही हो और आपको गुस्सा चढ़ रहा हो। यही गुस्सा बौद्ध धर्म को अशोक से था जिसने घर के धर्म को छोड़कर ब्राह्मणों के धर्म को महत्व दिया हुआ था।
      बहरहाल, एक ऐसा दिन भी आया जब अशोक को कलिंग के युद्ध के बाद बदनाम होना पड़ा। ब्राह्मण पुरोहितवाद के इशारे पर ही यह युद्ध लड़ा गया था, वह इसलिए क्योंकि उन दिनों उड़ीसा का अधिकांश क्षेत्र ब्राह्मण पुरोहितवाद के नियंत्रण में नहीं था और वहां मंदिरों का विस्तार करके लोगों को धार्मिक नियंत्रण में कसना आवश्यक हो गया था।
      राजनीति का परिदृश्य बदलता रहा है लेकिन राजनीतिक चालें किसी भी दौर में नहीं बदली। उन दिनों बौद्ध धर्म और ब्राह्मण पुरोहितवाद के बीच का झगड़ा आज के बीजेपी और कांग्रेस के बीच के झगड़े के समान है।
      कलिंग युद्ध और साम्राज्य विस्तार के बाद, अशोक भारतवर्ष में बदनाम हो गया। श्रेष्ठियों ने उसे आगे युद्ध के लिए धन देना बंद कर दिया। जनता अब ऐसे राजा को पसंद नहीं करने लगी जो हिंसा के लिए बदनाम हो चुका था।
      अब ब्राह्मण पुरोहितवाद के ही इशारे पर, अशोक बौद्ध धर्म के शरण में आ गया। चुंकि बौद्ध धर्म तो अहिंसा के लिए प्रसिद्ध था, इसलिए क्रूर राजा को इस धर्म में शरण पाते देख जनता का आक्रोश बहुत हद तक कम हो गया। और इस तरह "सहसा हृदय परिवर्तन" हो जाना घोषित करवा कर यह प्रचारित करवा दिया गया कि अशोक को बौद्ध धर्म से सच्चा ज्ञान प्राप्त हो गया है और अब वह क्रूरता के मार्ग पर नहीं चलेगा, जो एक कूटनीतिक अनिवार्यता थी। और वैसे भी, लंबे इंतजार के बाद, बड़ी मुश्किल से बौद्ध धर्म ने राजा को अपने नियंत्रण में लिया था। इस कसाव और पकड़ को वह ढीला नहीं छोड़ना चाहता था। और इस तरह बौद्ध धर्म अशोक को राजनीतिक संकट से उबार कर राजधर्म पाने का इनाम पा गया। इसीलिए तो शक्ति ग्रहण करने के तत्पश्चात ही बौद्ध धर्म के ही इशारे पर कई ब्राह्मणों की हत्या की गई। जो कि खैर बहुत जरूरी भी थी। लेकिन आज स्थिति यह है कि इसी भूमि पर उपजे बौद्ध धर्म ब्राह्मण पुरोहितवाद से लंबी लड़ाई के बाद यहां से छिटक कर बाहर निकल गया और दूसरे देश का राष्ट्रीय धर्म बन गया। इसलिए जिन जिन देशों में बौद्ध धर्म है उन सभी देशों का भारत से झगड़ा है।
      बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अशोक भी ब्राह्मण पुरोहितवाद की नजरों में दुश्मन बन गया था। सभी मुख्य कारणों में, पहला कारण यह था अशोक ने राजकोष की मुद्रा का दुरुपयोग बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए किया। और दूसरा कारण यह था कि अशोक ने बौद्ध धर्म के इशारे पर ही साम्राज्य में ब्राह्मण कर्मचारियों की संख्या घटा दी थी

  • @manishjadhav8874
    @manishjadhav8874 4 ปีที่แล้ว +237

    दुनिया ने इस देश से बुद्ध लिया इस देश का नाम दुनिया में भगवान बुद्ध, चक्रवर्ती सम्राट अशोक और बाबासाहब कि वजह से हि अमर हे...नमो बुध्दाय जय सम्राट अशोक🙏🙏

    • @siddharthsalave6437
      @siddharthsalave6437 4 ปีที่แล้ว +6

      दजटजटदटटदडटजदटजटजटजटजजटटजटदटटजददद

    • @khandeshawargadade4504
      @khandeshawargadade4504 3 ปีที่แล้ว +7

      Galit fami hai

    • @sanjayjadhav3981
      @sanjayjadhav3981 3 ปีที่แล้ว +10

      आक्रमणकारी और घुसबैठीयो मे फर्क होता है ! भारतपर आक्रमण करणेवाले हो या कोई भी आक्रमणकारी साम्राज्यविस्तार
      उनका मकसद होता है ! वे प्रजाके धार्मिक बाबीयोमे कभी हस्तक्षेप नही करेंगे क्योंकी उन्हे उनके भरोसे ही वहापर सत्ता कायम करणी होती है किसीके परसनल मॅटर या घरगुती मामले मे हस्तक्षेप करेंगे तो लोग धार्मिक आझादी के लिए उनके खिलाफ होकर उस सत्ता से बगावत करेंगे जैसा की शिक्षाबंदी करके शिक्षा के एकाधिकार से पढे़नेलिखे होने के कारण शुरुवात मे अंग्रेजो की चमचेगीरी कर साथ देनेवाले बारामनोने की थी जब अंग्रेजोने उनके धार्मिक मॅटर या कुप्रथावो को बंद करना शुरु कर दिया तब उन्हे अंग्रेज उनके स्वार्थ के लिए बनाए पाखंडके लिए खतरा
      लगने लगे तब जाके उन्होने भारत के नौजवानो को उनकी खुद की धार्मिक आझादी के लिए अंग्रेजो के खिलाप भडकाया ! भारत की या भारतीयो की आझादी के लिए नही !
      दुनियाके कोई भी आक्रमणकारीयोने कभी किसी का धर्मपरिवर्तन जबरदस्ती नही किया भारतीयोने उनका धर्मपरिवर्तन तो विदेशी बारामण घुसबैठीए चोरो के अन्याय,अत्याचार,जातीवर्ण भेदभाव के कारण पिडीत,वंचीतोने किया है !
      अगर धर्मपरिवर्तन या संस्कृती थोपना आक्रमणकारीयो का मकसद होता तो आज भारत मे सभी या तो मोगल होते या तो अंग्रेज आज सभी भारतीय या तो मोगल होते या तो अंग्रेज होते !
      भारतीयो का धर्मपरिवर्तन तो भारत के प्राचीन बौध्दस्थलोपर कब्जा करनेवाले स्वार्थी घुसबैठीए बारामण चोरोने किया है जिन्होने भारत के बौध्दस्थलोपर बौध्द मठो,संघोमे,विश्वप्रसिध्द विश्वविद्यालयो मे शिक्षा के बहाने या बुध्दधम्म को अपनाने के बहाने वहापर घुसबैठ कर कब्जा कर लिया है और पाखंडसे भारतीयोपर खुद की गाली और संस्कृती थोपकर उसी थोपी हुई गालीपर उन्होने हमे गर्व करने को बोला है !🕯✨दिपदानोत्सव, 84000अशोकस्थंभ⛩️

    • @amitgautam4491
      @amitgautam4491 3 ปีที่แล้ว +4

      @@khandeshawargadade4504 sahi hai ese swikar karo

    • @storieskathiksiddhkb6298
      @storieskathiksiddhkb6298 3 ปีที่แล้ว +4

      नमो बुद्धाय

  • @rambabumaurya5677
    @rambabumaurya5677 3 ปีที่แล้ว +42

    वह एक समय था जब भारत सोने की चिड़िया था । आशोक सम्राट के शासन काल में जानता बहुत सुखद जीवन जी रहे थे । ऐसा सम्राट लोगों के दिलों बस चुका था
    नमो बुध्दाय जय सम्राट

    • @vilasgavade87
      @vilasgavade87 ปีที่แล้ว

      🎉videshi bramhan mule dagle sample

  • @sushilsinghmaurya8989
    @sushilsinghmaurya8989 4 ปีที่แล้ว +196

    जैसे करोड़ों नक्षत्रो में चंद्रमा चमकता है उसी प्रकार विश्व के सभी राजा तथा सम्राटों में सम्राट अशोक का नाम सबसे ऊंचा है तथा सर्वोपरि है तथा सबसे चमकीला है जय मौर्यवंशी जय सम्राट अशोक

    • @chakradharhadke4063
      @chakradharhadke4063 3 ปีที่แล้ว +3

      BY H. G. WELLS🏆🏆.

    • @ankushraut2777
      @ankushraut2777 2 ปีที่แล้ว +2

      Ake ram sahi sashi 100 taka sahi he nais samrata Asoka 🌹🌹🥀🥀

    • @samratmunnasingh6212
      @samratmunnasingh6212 2 ปีที่แล้ว +2

      Thanks you

    • @theknightsky3834
      @theknightsky3834 2 ปีที่แล้ว +1

      🙏🙏🙏🙏🙏

    • @mauryan_shorts
      @mauryan_shorts 2 ปีที่แล้ว +6

      जय मौर्यवंश 👍👍👍👍👍👍👍👍👍

  • @govindnarayanreger8314
    @govindnarayanreger8314 3 ปีที่แล้ว +152

    महान सम्राट अशोक के जीवन गाथा को सम्पूर्ण भारत में प्रचार प्रसार करना चाहिए।

    • @aquibhyaat3385
      @aquibhyaat3385 3 ปีที่แล้ว +1

      गौर किया जाए कि सम्राट अशोक एक राजपूत था। और बुद्ध धर्म राजपूतों का धर्म था। बुद्ध ने कोई घर संसार नहीं छोड़ा था जैसा कि बताया जाता है। गौतम बुद्ध को यह बात हृदय पर चुभती थी कि सिंहासन पर बैठे राजपूत नरेश अशोक, बौद्ध धर्म के नियंत्रण में ना होकर ब्राह्मण पुरोहित बाद के नियंत्रण में क्यों है।
      बौद्ध धर्म अपने उभार के मात्र 10 वर्ष के बाद ही प्रतिक्रिया की लपेट में आ गया। ना तो उसने दास प्रथा ही तोड़ सका और ना राज्यों को टूटने से ही बचा सका।
      ब्राह्मण पुरोहितवाद किसी भी कीमत पर नहीं चाहता था कि बौद्ध धर्म राजकीय धर्म बने। लेकिन ब्राह्मणों को डर सता रहा था। वह इसलिए क्योंकि राजा भी राजपूत था और बुद्ध धर्म भी राजपूतों का धर्म था।
      यह हाल बिल्कुल ऐसा था मानो आपकी पत्नी किसी और से मुंह मरा रही हो और आपको गुस्सा चढ़ रहा हो। यही गुस्सा बौद्ध धर्म को अशोक से था जिसने घर के धर्म को छोड़कर ब्राह्मणों के धर्म को महत्व दिया हुआ था।
      बहरहाल, एक ऐसा दिन भी आया जब अशोक को कलिंग के युद्ध के बाद बदनाम होना पड़ा। ब्राह्मण पुरोहितवाद के इशारे पर ही यह युद्ध लड़ा गया था, वह इसलिए क्योंकि उन दिनों उड़ीसा का अधिकांश क्षेत्र ब्राह्मण पुरोहितवाद के नियंत्रण में नहीं था और वहां मंदिरों का विस्तार करके लोगों को धार्मिक नियंत्रण में कसना आवश्यक हो गया था।
      राजनीति का परिदृश्य बदलता रहा है लेकिन राजनीतिक चालें किसी भी दौर में नहीं बदली। उन दिनों बौद्ध धर्म और ब्राह्मण पुरोहितवाद के बीच का झगड़ा आज के बीजेपी और कांग्रेस के बीच के झगड़े के समान है।
      कलिंग युद्ध और साम्राज्य विस्तार के बाद, अशोक भारतवर्ष में बदनाम हो गया। श्रेष्ठियों ने उसे आगे युद्ध के लिए धन देना बंद कर दिया। जनता अब ऐसे राजा को पसंद नहीं करने लगी जो हिंसा के लिए बदनाम हो चुका था।
      अब ब्राह्मण पुरोहितवाद के ही इशारे पर, अशोक बौद्ध धर्म के शरण में आ गया। चुंकि बौद्ध धर्म तो अहिंसा के लिए प्रसिद्ध था, इसलिए क्रूर राजा को इस धर्म में शरण पाते देख जनता का आक्रोश बहुत हद तक कम हो गया। और इस तरह "सहसा हृदय परिवर्तन" हो जाना घोषित करवा कर यह प्रचारित करवा दिया गया कि अशोक को बौद्ध धर्म से सच्चा ज्ञान प्राप्त हो गया है और अब वह क्रूरता के मार्ग पर नहीं चलेगा, जो एक कूटनीतिक अनिवार्यता थी। और वैसे भी, लंबे इंतजार के बाद, बड़ी मुश्किल से बौद्ध धर्म ने राजा को अपने नियंत्रण में लिया था। इस कसाव और पकड़ को वह ढीला नहीं छोड़ना चाहता था। और इस तरह बौद्ध धर्म अशोक को राजनीतिक संकट से उबार कर राजधर्म पाने का इनाम पा गया। इसीलिए तो शक्ति ग्रहण करने के तत्पश्चात ही बौद्ध धर्म के ही इशारे पर कई ब्राह्मणों की हत्या की गई। जो कि खैर बहुत जरूरी भी थी। लेकिन आज स्थिति यह है कि इसी भूमि पर उपजे बौद्ध धर्म ब्राह्मण पुरोहितवाद से लंबी लड़ाई के बाद यहां से छिटक कर बाहर निकल गया और दूसरे देश का राष्ट्रीय धर्म बन गया। इसलिए जिन जिन देशों में बौद्ध धर्म है उन सभी देशों का भारत से झगड़ा है।
      बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अशोक भी ब्राह्मण पुरोहितवाद की नजरों में दुश्मन बन गया था। सभी मुख्य कारणों में, पहला कारण यह था अशोक ने राजकोष की मुद्रा का दुरुपयोग बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए किया। और दूसरा कारण यह था कि अशोक ने बौद्ध धर्म के इशारे पर ही साम्राज्य में ब्राह्मण कर्मचारियों की संख्या घटा दी थी

    • @rahulmotghare477
      @rahulmotghare477 2 ปีที่แล้ว

      Lolololloololllooolo

    • @DevKumar-wk3co
      @DevKumar-wk3co ปีที่แล้ว

      @@aquibhyaat3385 bramhno ki hatya jaruri hai ,achha bete
      मादरचोदो तभी कटुए काटे जाते है

  • @sudhirbambode8915
    @sudhirbambode8915 4 ปีที่แล้ว +12

    व्वाँव... ऐसेही डाँक्युमेंट्री चाहीये थी...बहोत अच्छी जानकारी दि गई आपके द्वारा...

  • @santoshmourya8011
    @santoshmourya8011 6 ปีที่แล้ว +197

    जय चक्रवर्ती सम्राट अशोक मौर्य विश्व महान जय मौर्यवंश जय अखण्ड भारत नमो बुध्दाय

    • @nitindurge7978
      @nitindurge7978 6 ปีที่แล้ว +2

      hindu ho ya Buddhist?

    • @n.r.dheyda
      @n.r.dheyda 5 ปีที่แล้ว +7

      Namo buddhay

    • @ghanshyammaurya6606
      @ghanshyammaurya6606 5 ปีที่แล้ว +9

      निशांत बौद्ध ।।। जय हो मौर्य वंश ।।

    • @n.r.dheyda
      @n.r.dheyda 5 ปีที่แล้ว +4

      @@ghanshyammaurya6606 Jay morya vans

    • @blindlaw457
      @blindlaw457 4 ปีที่แล้ว +12

      @@nitindurge7978 hindu mtlb murkh.
      Aur hindu word albruni ne diya tha

  • @mukutmani3396
    @mukutmani3396 3 ปีที่แล้ว +47

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति। एंकर को विशेष आभार 🙏🙏🙏

  • @shanking8777
    @shanking8777 4 ปีที่แล้ว +47

    सम्राट बहुत से हुए ओर चले गए पर जो सम्राट लोगो के दिलो में जगह बनाये जो लोगो की भलाई के लिए काम करे वो सम्राट सिर्फ एक था और वो था साम्राट अशोक

    • @gaurav2254
      @gaurav2254 4 ปีที่แล้ว

      Bodhh hi sachcha brahmin ko kaha jata tha, baad me dwesh, irshya, lalach, ahankari, jaatiwaadi aur 5 vikaro ne milke nakli pakhandi paida Kar diye

    • @aquibhyaat3385
      @aquibhyaat3385 3 ปีที่แล้ว

      गौर किया जाए कि सम्राट अशोक एक राजपूत था। और बुद्ध धर्म राजपूतों का धर्म था। बुद्ध ने कोई घर संसार नहीं छोड़ा था जैसा कि बताया जाता है। गौतम बुद्ध को यह बात हृदय पर चुभती थी कि सिंहासन पर बैठे राजपूत नरेश अशोक, बौद्ध धर्म के नियंत्रण में ना होकर ब्राह्मण पुरोहित बाद के नियंत्रण में क्यों है।
      बौद्ध धर्म अपने उभार के मात्र 10 वर्ष के बाद ही प्रतिक्रिया की लपेट में आ गया। ना तो उसने दास प्रथा ही तोड़ सका और ना राज्यों को टूटने से ही बचा सका।
      ब्राह्मण पुरोहितवाद किसी भी कीमत पर नहीं चाहता था कि बौद्ध धर्म राजकीय धर्म बने। लेकिन ब्राह्मणों को डर सता रहा था। वह इसलिए क्योंकि राजा भी राजपूत था और बुद्ध धर्म भी राजपूतों का धर्म था।
      यह हाल बिल्कुल ऐसा था मानो आपकी पत्नी किसी और से मुंह मरा रही हो और आपको गुस्सा चढ़ रहा हो। यही गुस्सा बौद्ध धर्म को अशोक से था जिसने घर के धर्म को छोड़कर ब्राह्मणों के धर्म को महत्व दिया हुआ था।
      बहरहाल, एक ऐसा दिन भी आया जब अशोक को कलिंग के युद्ध के बाद बदनाम होना पड़ा। ब्राह्मण पुरोहितवाद के इशारे पर ही यह युद्ध लड़ा गया था, वह इसलिए क्योंकि उन दिनों उड़ीसा का अधिकांश क्षेत्र ब्राह्मण पुरोहितवाद के नियंत्रण में नहीं था और वहां मंदिरों का विस्तार करके लोगों को धार्मिक नियंत्रण में कसना आवश्यक हो गया था।
      राजनीति का परिदृश्य बदलता रहा है लेकिन राजनीतिक चालें किसी भी दौर में नहीं बदली। उन दिनों बौद्ध धर्म और ब्राह्मण पुरोहितवाद के बीच का झगड़ा आज के बीजेपी और कांग्रेस के बीच के झगड़े के समान है।
      कलिंग युद्ध और साम्राज्य विस्तार के बाद, अशोक भारतवर्ष में बदनाम हो गया। श्रेष्ठियों ने उसे आगे युद्ध के लिए धन देना बंद कर दिया। जनता अब ऐसे राजा को पसंद नहीं करने लगी जो हिंसा के लिए बदनाम हो चुका था।
      अब ब्राह्मण पुरोहितवाद के ही इशारे पर, अशोक बौद्ध धर्म के शरण में आ गया। चुंकि बौद्ध धर्म तो अहिंसा के लिए प्रसिद्ध था, इसलिए क्रूर राजा को इस धर्म में शरण पाते देख जनता का आक्रोश बहुत हद तक कम हो गया। और इस तरह "सहसा हृदय परिवर्तन" हो जाना घोषित करवा कर यह प्रचारित करवा दिया गया कि अशोक को बौद्ध धर्म से सच्चा ज्ञान प्राप्त हो गया है और अब वह क्रूरता के मार्ग पर नहीं चलेगा, जो एक कूटनीतिक अनिवार्यता थी। और वैसे भी, लंबे इंतजार के बाद, बड़ी मुश्किल से बौद्ध धर्म ने राजा को अपने नियंत्रण में लिया था। इस कसाव और पकड़ को वह ढीला नहीं छोड़ना चाहता था। और इस तरह बौद्ध धर्म अशोक को राजनीतिक संकट से उबार कर राजधर्म पाने का इनाम पा गया। इसीलिए तो शक्ति ग्रहण करने के तत्पश्चात ही बौद्ध धर्म के ही इशारे पर कई ब्राह्मणों की हत्या की गई। जो कि खैर बहुत जरूरी भी थी। लेकिन आज स्थिति यह है कि इसी भूमि पर उपजे बौद्ध धर्म ब्राह्मण पुरोहितवाद से लंबी लड़ाई के बाद यहां से छिटक कर बाहर निकल गया और दूसरे देश का राष्ट्रीय धर्म बन गया। इसलिए जिन जिन देशों में बौद्ध धर्म है उन सभी देशों का भारत से झगड़ा है।
      बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अशोक भी ब्राह्मण पुरोहितवाद की नजरों में दुश्मन बन गया था। सभी मुख्य कारणों में, पहला कारण यह था अशोक ने राजकोष की मुद्रा का दुरुपयोग बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए किया। और दूसरा कारण यह था कि अशोक ने बौद्ध धर्म के इशारे पर ही साम्राज्य में ब्राह्मण कर्मचारियों की संख्या घटा दी थी

    • @amitgautam4491
      @amitgautam4491 3 ปีที่แล้ว

      @@gaurav2254 nahi

    • @shilwantkamble6691
      @shilwantkamble6691 3 ปีที่แล้ว

      Right

  • @sudarshanbuddha5636
    @sudarshanbuddha5636 4 ปีที่แล้ว +54

    बहुत बहुत अच्छा है मौर्यवंश का इतिहास पूरी दुनिया में सही मार्ग पर ले जाता है ।

    • @kalpanabadole1789
      @kalpanabadole1789 3 ปีที่แล้ว +1

      Phir se kom ko jagane kam kiya
      Hai

    • @aquibhyaat3385
      @aquibhyaat3385 3 ปีที่แล้ว

      गौर किया जाए कि सम्राट अशोक एक राजपूत था। और बुद्ध धर्म राजपूतों का धर्म था। बुद्ध ने कोई घर संसार नहीं छोड़ा था जैसा कि बताया जाता है। गौतम बुद्ध को यह बात हृदय पर चुभती थी कि सिंहासन पर बैठे राजपूत नरेश अशोक, बौद्ध धर्म के नियंत्रण में ना होकर ब्राह्मण पुरोहित बाद के नियंत्रण में क्यों है।
      बौद्ध धर्म अपने उभार के मात्र 10 वर्ष के बाद ही प्रतिक्रिया की लपेट में आ गया। ना तो उसने दास प्रथा ही तोड़ सका और ना राज्यों को टूटने से ही बचा सका।
      ब्राह्मण पुरोहितवाद किसी भी कीमत पर नहीं चाहता था कि बौद्ध धर्म राजकीय धर्म बने। लेकिन ब्राह्मणों को डर सता रहा था। वह इसलिए क्योंकि राजा भी राजपूत था और बुद्ध धर्म भी राजपूतों का धर्म था।
      यह हाल बिल्कुल ऐसा था मानो आपकी पत्नी किसी और से मुंह मरा रही हो और आपको गुस्सा चढ़ रहा हो। यही गुस्सा बौद्ध धर्म को अशोक से था जिसने घर के धर्म को छोड़कर ब्राह्मणों के धर्म को महत्व दिया हुआ था।
      बहरहाल, एक ऐसा दिन भी आया जब अशोक को कलिंग के युद्ध के बाद बदनाम होना पड़ा। ब्राह्मण पुरोहितवाद के इशारे पर ही यह युद्ध लड़ा गया था, वह इसलिए क्योंकि उन दिनों उड़ीसा का अधिकांश क्षेत्र ब्राह्मण पुरोहितवाद के नियंत्रण में नहीं था और वहां मंदिरों का विस्तार करके लोगों को धार्मिक नियंत्रण में कसना आवश्यक हो गया था।
      राजनीति का परिदृश्य बदलता रहा है लेकिन राजनीतिक चालें किसी भी दौर में नहीं बदली। उन दिनों बौद्ध धर्म और ब्राह्मण पुरोहितवाद के बीच का झगड़ा आज के बीजेपी और कांग्रेस के बीच के झगड़े के समान है।
      कलिंग युद्ध और साम्राज्य विस्तार के बाद, अशोक भारतवर्ष में बदनाम हो गया। श्रेष्ठियों ने उसे आगे युद्ध के लिए धन देना बंद कर दिया। जनता अब ऐसे राजा को पसंद नहीं करने लगी जो हिंसा के लिए बदनाम हो चुका था।
      अब ब्राह्मण पुरोहितवाद के ही इशारे पर, अशोक बौद्ध धर्म के शरण में आ गया। चुंकि बौद्ध धर्म तो अहिंसा के लिए प्रसिद्ध था, इसलिए क्रूर राजा को इस धर्म में शरण पाते देख जनता का आक्रोश बहुत हद तक कम हो गया। और इस तरह "सहसा हृदय परिवर्तन" हो जाना घोषित करवा कर यह प्रचारित करवा दिया गया कि अशोक को बौद्ध धर्म से सच्चा ज्ञान प्राप्त हो गया है और अब वह क्रूरता के मार्ग पर नहीं चलेगा, जो एक कूटनीतिक अनिवार्यता थी। और वैसे भी, लंबे इंतजार के बाद, बड़ी मुश्किल से बौद्ध धर्म ने राजा को अपने नियंत्रण में लिया था। इस कसाव और पकड़ को वह ढीला नहीं छोड़ना चाहता था। और इस तरह बौद्ध धर्म अशोक को राजनीतिक संकट से उबार कर राजधर्म पाने का इनाम पा गया। इसीलिए तो शक्ति ग्रहण करने के तत्पश्चात ही बौद्ध धर्म के ही इशारे पर कई ब्राह्मणों की हत्या की गई। जो कि खैर बहुत जरूरी भी थी। लेकिन आज स्थिति यह है कि इसी भूमि पर उपजे बौद्ध धर्म ब्राह्मण पुरोहितवाद से लंबी लड़ाई के बाद यहां से छिटक कर बाहर निकल गया और दूसरे देश का राष्ट्रीय धर्म बन गया। इसलिए जिन जिन देशों में बौद्ध धर्म है उन सभी देशों का भारत से झगड़ा है।
      बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अशोक भी ब्राह्मण पुरोहितवाद की नजरों में दुश्मन बन गया था। सभी मुख्य कारणों में, पहला कारण यह था अशोक ने राजकोष की मुद्रा का दुरुपयोग बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए किया। और दूसरा कारण यह था कि अशोक ने बौद्ध धर्म के इशारे पर ही साम्राज्य में ब्राह्मण कर्मचारियों की संख्या घटा दी थी

    • @nilamkumari-wf1dm
      @nilamkumari-wf1dm 3 ปีที่แล้ว

      @@aquibhyaat3385 samrat Ashok buddh bhagwan ko mante the

  • @baijnathram7264
    @baijnathram7264 3 ปีที่แล้ว +17

    सम्राट अशोक की जय!भगवान बुद्ध को नमन!!

  • @nitinbhaware
    @nitinbhaware 4 ปีที่แล้ว +67

    महान राजा सम्राट अशोका द ग्रेट
    जय भीम नमो बुद्धाय

    • @aquibhyaat3385
      @aquibhyaat3385 3 ปีที่แล้ว +2

      गौर किया जाए कि सम्राट अशोक एक राजपूत था। और बुद्ध धर्म राजपूतों का धर्म था। बुद्ध ने कोई घर संसार नहीं छोड़ा था जैसा कि बताया जाता है। गौतम बुद्ध को यह बात हृदय पर चुभती थी कि सिंहासन पर बैठे राजपूत नरेश अशोक, बौद्ध धर्म के नियंत्रण में ना होकर ब्राह्मण पुरोहित बाद के नियंत्रण में क्यों है।
      बौद्ध धर्म अपने उभार के मात्र 10 वर्ष के बाद ही प्रतिक्रिया की लपेट में आ गया। ना तो उसने दास प्रथा ही तोड़ सका और ना राज्यों को टूटने से ही बचा सका।
      ब्राह्मण पुरोहितवाद किसी भी कीमत पर नहीं चाहता था कि बौद्ध धर्म राजकीय धर्म बने। लेकिन ब्राह्मणों को डर सता रहा था। वह इसलिए क्योंकि राजा भी राजपूत था और बुद्ध धर्म भी राजपूतों का धर्म था।
      यह हाल बिल्कुल ऐसा था मानो आपकी पत्नी किसी और से मुंह मरा रही हो और आपको गुस्सा चढ़ रहा हो। यही गुस्सा बौद्ध धर्म को अशोक से था जिसने घर के धर्म को छोड़कर ब्राह्मणों के धर्म को महत्व दिया हुआ था।
      बहरहाल, एक ऐसा दिन भी आया जब अशोक को कलिंग के युद्ध के बाद बदनाम होना पड़ा। ब्राह्मण पुरोहितवाद के इशारे पर ही यह युद्ध लड़ा गया था, वह इसलिए क्योंकि उन दिनों उड़ीसा का अधिकांश क्षेत्र ब्राह्मण पुरोहितवाद के नियंत्रण में नहीं था और वहां मंदिरों का विस्तार करके लोगों को धार्मिक नियंत्रण में कसना आवश्यक हो गया था।
      राजनीति का परिदृश्य बदलता रहा है लेकिन राजनीतिक चालें किसी भी दौर में नहीं बदली। उन दिनों बौद्ध धर्म और ब्राह्मण पुरोहितवाद के बीच का झगड़ा आज के बीजेपी और कांग्रेस के बीच के झगड़े के समान है।
      कलिंग युद्ध और साम्राज्य विस्तार के बाद, अशोक भारतवर्ष में बदनाम हो गया। श्रेष्ठियों ने उसे आगे युद्ध के लिए धन देना बंद कर दिया। जनता अब ऐसे राजा को पसंद नहीं करने लगी जो हिंसा के लिए बदनाम हो चुका था।
      अब ब्राह्मण पुरोहितवाद के ही इशारे पर, अशोक बौद्ध धर्म के शरण में आ गया। चुंकि बौद्ध धर्म तो अहिंसा के लिए प्रसिद्ध था, इसलिए क्रूर राजा को इस धर्म में शरण पाते देख जनता का आक्रोश बहुत हद तक कम हो गया। और इस तरह "सहसा हृदय परिवर्तन" हो जाना घोषित करवा कर यह प्रचारित करवा दिया गया कि अशोक को बौद्ध धर्म से सच्चा ज्ञान प्राप्त हो गया है और अब वह क्रूरता के मार्ग पर नहीं चलेगा, जो एक कूटनीतिक अनिवार्यता थी। और वैसे भी, लंबे इंतजार के बाद, बड़ी मुश्किल से बौद्ध धर्म ने राजा को अपने नियंत्रण में लिया था। इस कसाव और पकड़ को वह ढीला नहीं छोड़ना चाहता था। और इस तरह बौद्ध धर्म अशोक को राजनीतिक संकट से उबार कर राजधर्म पाने का इनाम पा गया। इसीलिए तो शक्ति ग्रहण करने के तत्पश्चात ही बौद्ध धर्म के ही इशारे पर कई ब्राह्मणों की हत्या की गई। जो कि खैर बहुत जरूरी भी थी। लेकिन आज स्थिति यह है कि इसी भूमि पर उपजे बौद्ध धर्म ब्राह्मण पुरोहितवाद से लंबी लड़ाई के बाद यहां से छिटक कर बाहर निकल गया और दूसरे देश का राष्ट्रीय धर्म बन गया। इसलिए जिन जिन देशों में बौद्ध धर्म है उन सभी देशों का भारत से झगड़ा है।
      बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अशोक भी ब्राह्मण पुरोहितवाद की नजरों में दुश्मन बन गया था। सभी मुख्य कारणों में, पहला कारण यह था अशोक ने राजकोष की मुद्रा का दुरुपयोग बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए किया। और दूसरा कारण यह था कि अशोक ने बौद्ध धर्म के इशारे पर ही साम्राज्य में ब्राह्मण कर्मचारियों की संख्या घटा दी थी

    • @nitinbhaware
      @nitinbhaware 3 ปีที่แล้ว +6

      @@aquibhyaat3385 सर पर गिरे हो क्या।
      इतिहास ठीक से पढ़ लो
      नालंदा तक्षशिला विश्वविद्यालय को जान लो
      भारत बुद्ध का देश था है और रहेगा
      बुद्ध के मानवतावाद को सारे दुनियाने अपनाया।
      जग में बुद्धा का नाम है एहि भारत की शान है !!!
      जय भीम नमो बुद्धाय

    • @Mjadav4435
      @Mjadav4435 11 หลายเดือนก่อน +1

      ​@@aquibhyaat3385Tum Brahman log ki akalanshakti dimakh ke bahar kyo hoti hai. Katha kahani likhane ka tumhe bahot shouk hai. Buddha kal me aisehi kalp anik tathyahin katha kahani likhkar tumane bharatvasiyo ko murkha banaya hai. Vastavikata ko chupa kar jhute asatya katha logo ke samane rakhate ho. Itihas ka jnyan bilkul hai nahi. 'The great emperor of ashok samrat' yah granth London ke musium me hai jakar padh lo akal me a jayega. Vishva vijeta ashok vijaya dashami. Bharat me isase mahan aur parakrami raja dusara koyi nahi huva tha.

  • @minalama6412
    @minalama6412 5 ปีที่แล้ว +110

    सम्राट् अशोक कि जय जय जय हो सदा सदा के लिये । मै बहुत ही भभुक हुइ सम्राट अशोक कि सत्य कहानी सुन्के ! 😭😭😭

    • @RCVivek-ql3we
      @RCVivek-ql3we 3 ปีที่แล้ว +4

      Nice history of Ashoka

    • @aquibhyaat3385
      @aquibhyaat3385 3 ปีที่แล้ว +1

      गौर किया जाए कि सम्राट अशोक एक राजपूत था। और बुद्ध धर्म राजपूतों का धर्म था। बुद्ध ने कोई घर संसार नहीं छोड़ा था जैसा कि बताया जाता है। गौतम बुद्ध को यह बात हृदय पर चुभती थी कि सिंहासन पर बैठे राजपूत नरेश अशोक, बौद्ध धर्म के नियंत्रण में ना होकर ब्राह्मण पुरोहित बाद के नियंत्रण में क्यों है।
      बौद्ध धर्म अपने उभार के मात्र 10 वर्ष के बाद ही प्रतिक्रिया की लपेट में आ गया। ना तो उसने दास प्रथा ही तोड़ सका और ना राज्यों को टूटने से ही बचा सका।
      ब्राह्मण पुरोहितवाद किसी भी कीमत पर नहीं चाहता था कि बौद्ध धर्म राजकीय धर्म बने। लेकिन ब्राह्मणों को डर सता रहा था। वह इसलिए क्योंकि राजा भी राजपूत था और बुद्ध धर्म भी राजपूतों का धर्म था।
      यह हाल बिल्कुल ऐसा था मानो आपकी पत्नी किसी और से मुंह मरा रही हो और आपको गुस्सा चढ़ रहा हो। यही गुस्सा बौद्ध धर्म को अशोक से था जिसने घर के धर्म को छोड़कर ब्राह्मणों के धर्म को महत्व दिया हुआ था।
      बहरहाल, एक ऐसा दिन भी आया जब अशोक को कलिंग के युद्ध के बाद बदनाम होना पड़ा। ब्राह्मण पुरोहितवाद के इशारे पर ही यह युद्ध लड़ा गया था, वह इसलिए क्योंकि उन दिनों उड़ीसा का अधिकांश क्षेत्र ब्राह्मण पुरोहितवाद के नियंत्रण में नहीं था और वहां मंदिरों का विस्तार करके लोगों को धार्मिक नियंत्रण में कसना आवश्यक हो गया था।
      राजनीति का परिदृश्य बदलता रहा है लेकिन राजनीतिक चालें किसी भी दौर में नहीं बदली। उन दिनों बौद्ध धर्म और ब्राह्मण पुरोहितवाद के बीच का झगड़ा आज के बीजेपी और कांग्रेस के बीच के झगड़े के समान है।
      कलिंग युद्ध और साम्राज्य विस्तार के बाद, अशोक भारतवर्ष में बदनाम हो गया। श्रेष्ठियों ने उसे आगे युद्ध के लिए धन देना बंद कर दिया। जनता अब ऐसे राजा को पसंद नहीं करने लगी जो हिंसा के लिए बदनाम हो चुका था।
      अब ब्राह्मण पुरोहितवाद के ही इशारे पर, अशोक बौद्ध धर्म के शरण में आ गया। चुंकि बौद्ध धर्म तो अहिंसा के लिए प्रसिद्ध था, इसलिए क्रूर राजा को इस धर्म में शरण पाते देख जनता का आक्रोश बहुत हद तक कम हो गया। और इस तरह "सहसा हृदय परिवर्तन" हो जाना घोषित करवा कर यह प्रचारित करवा दिया गया कि अशोक को बौद्ध धर्म से सच्चा ज्ञान प्राप्त हो गया है और अब वह क्रूरता के मार्ग पर नहीं चलेगा, जो एक कूटनीतिक अनिवार्यता थी। और वैसे भी, लंबे इंतजार के बाद, बड़ी मुश्किल से बौद्ध धर्म ने राजा को अपने नियंत्रण में लिया था। इस कसाव और पकड़ को वह ढीला नहीं छोड़ना चाहता था। और इस तरह बौद्ध धर्म अशोक को राजनीतिक संकट से उबार कर राजधर्म पाने का इनाम पा गया। इसीलिए तो शक्ति ग्रहण करने के तत्पश्चात ही बौद्ध धर्म के ही इशारे पर कई ब्राह्मणों की हत्या की गई। जो कि खैर बहुत जरूरी भी थी। लेकिन आज स्थिति यह है कि इसी भूमि पर उपजे बौद्ध धर्म ब्राह्मण पुरोहितवाद से लंबी लड़ाई के बाद यहां से छिटक कर बाहर निकल गया और दूसरे देश का राष्ट्रीय धर्म बन गया। इसलिए जिन जिन देशों में बौद्ध धर्म है उन सभी देशों का भारत से झगड़ा है।
      बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अशोक भी ब्राह्मण पुरोहितवाद की नजरों में दुश्मन बन गया था। सभी मुख्य कारणों में, पहला कारण यह था अशोक ने राजकोष की मुद्रा का दुरुपयोग बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए किया। और दूसरा कारण यह था कि अशोक ने बौद्ध धर्म के इशारे पर ही साम्राज्य में ब्राह्मण कर्मचारियों की संख्या घटा दी थी

    • @imright129
      @imright129 3 ปีที่แล้ว +3

      @@aquibhyaat3385 ja beta , school ja😢😢😢😢

    • @jayBharatiraanga6425
      @jayBharatiraanga6425 3 ปีที่แล้ว +3

      Chaloo Buddha ke aur 👍

    • @amitgautam4491
      @amitgautam4491 3 ปีที่แล้ว +1

      @@aquibhyaat3385 nahi tha

  • @lbkushwaha2752
    @lbkushwaha2752 4 ปีที่แล้ว +27

    भगवान बुद्ध के दिए हुए उपदेश पर जितने मनुष्य एवं देश माने उनका उपकार हुआ। जय सम्राट अशोक जय हो अशोक के वंशजों। मैं आपका अभारी रहुगा

  • @priyambadamishra4516
    @priyambadamishra4516 4 ปีที่แล้ว +20

    यह बात उतनी महत्वपूर्ण नहीं कि अशोक किस जाति एवं कुल से थे महत्वपूर्ण यह है की मानव से महामानव तक का सफर उन्होंने तय किया असाधारण है धर्म शिक्षा कला वीरता उदारता का अद्भुत सममिश्रण मनुष्योचित नहीं देवी गुण है आज हम सब भारतवासी वासियों को चक्रवर्ती सम्राट देवा नाम प्रिय अशोक पर गर्व है जिन के द्वारा दिए गए धर्म चक्र चार शेरों का चिन्ह और उत्तर से दक्षिण पूरब से पश्चिम अखंड भारत राष्ट्र की परिकल्पना हमारे देश को एक राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान करता है

  • @harishchandraprasadmaurya7892
    @harishchandraprasadmaurya7892 3 ปีที่แล้ว +6

    अखंड भारत के निर्माता सम्राट अशोक महान का शासन का वर्णन सोने के अक्षरों में इतिहास में दर्ज है। जय हो मौर्य साम्राज्य, जय भारत।

  • @mouryvanshialokshakyaupp4645
    @mouryvanshialokshakyaupp4645 3 ปีที่แล้ว +8

    सबसे पहले हम सब को प्रियदर्शी सम्राट अशोक महान को अपने दिल में बसाना चाहिए।उनका प्रचार प्रसार करना चाहिए 🙏🙏

  • @vickypathade4008
    @vickypathade4008 3 ปีที่แล้ว +10

    खर्या अर्थाने प्रसार आणि प्रचार करणारे प्रियदर्शनी सम्राट आशोक की जय .

  • @Arunkumar-ok8yy
    @Arunkumar-ok8yy 3 ปีที่แล้ว +8

    प्रियदर्शी सम्राट अशोक बहुत ही महान बौद्धिस्ट राजा थे

  • @AnilKumar-lh7jo
    @AnilKumar-lh7jo 6 ปีที่แล้ว +68

    बहुत ही सुंदर तरीके से आपने इसमें दिखाया और बताया यह मौर्य वंश के नहीं थे यह मानव बन चुके थे इसीलिए इनका नाम महान अशोक बताया जाता

    • @AnoopSingh-bn9cc
      @AnoopSingh-bn9cc 4 ปีที่แล้ว +4

      Dost maski ka laghu shila lekh pado , jis me Mahaan Samrat Ashok ne apne aap ko maurya shakya bauddh bataya hai .

    • @ravimaurya5366
      @ravimaurya5366 4 ปีที่แล้ว

      Gujrat ka silalekh dekh ke aavo bhai

    • @ramawadhverma6153
      @ramawadhverma6153 2 ปีที่แล้ว +2

      मौर्य वंश) शाक्य वंश के ही थे जिनका जन जन कल्याणकारी योजनाओं और शासन-प्रशासन का विश्व में कोई शानी नहीं है।👌👏👏👏👍🙏🙏🙏
      सब पर तथागत गोतम की करूणा हो।सबका बहुत मंगल हो।🙏🙏🙏💐💐💐🇮🇳🇮🇳🇮🇳

    • @DevKumar-wk3co
      @DevKumar-wk3co ปีที่แล้ว

      @@ravimaurya5366 ye bhimte unhe apna saabit karna chahte hai

  • @dhanrajtayade6847
    @dhanrajtayade6847 6 ปีที่แล้ว +30

    Greatest king in the world.
    True follower of bauddha Dharma. Naman to samrat Ashok.

    • @aquibhyaat3385
      @aquibhyaat3385 3 ปีที่แล้ว

      गौर किया जाए कि सम्राट अशोक एक राजपूत था। और बुद्ध धर्म राजपूतों का धर्म था। बुद्ध ने कोई घर संसार नहीं छोड़ा था जैसा कि बताया जाता है। गौतम बुद्ध को यह बात हृदय पर चुभती थी कि सिंहासन पर बैठे राजपूत नरेश अशोक, बौद्ध धर्म के नियंत्रण में ना होकर ब्राह्मण पुरोहित बाद के नियंत्रण में क्यों है।
      बौद्ध धर्म अपने उभार के मात्र 10 वर्ष के बाद ही प्रतिक्रिया की लपेट में आ गया। ना तो उसने दास प्रथा ही तोड़ सका और ना राज्यों को टूटने से ही बचा सका।
      ब्राह्मण पुरोहितवाद किसी भी कीमत पर नहीं चाहता था कि बौद्ध धर्म राजकीय धर्म बने। लेकिन ब्राह्मणों को डर सता रहा था। वह इसलिए क्योंकि राजा भी राजपूत था और बुद्ध धर्म भी राजपूतों का धर्म था।
      यह हाल बिल्कुल ऐसा था मानो आपकी पत्नी किसी और से मुंह मरा रही हो और आपको गुस्सा चढ़ रहा हो। यही गुस्सा बौद्ध धर्म को अशोक से था जिसने घर के धर्म को छोड़कर ब्राह्मणों के धर्म को महत्व दिया हुआ था।
      बहरहाल, एक ऐसा दिन भी आया जब अशोक को कलिंग के युद्ध के बाद बदनाम होना पड़ा। ब्राह्मण पुरोहितवाद के इशारे पर ही यह युद्ध लड़ा गया था, वह इसलिए क्योंकि उन दिनों उड़ीसा का अधिकांश क्षेत्र ब्राह्मण पुरोहितवाद के नियंत्रण में नहीं था और वहां मंदिरों का विस्तार करके लोगों को धार्मिक नियंत्रण में कसना आवश्यक हो गया था।
      राजनीति का परिदृश्य बदलता रहा है लेकिन राजनीतिक चालें किसी भी दौर में नहीं बदली। उन दिनों बौद्ध धर्म और ब्राह्मण पुरोहितवाद के बीच का झगड़ा आज के बीजेपी और कांग्रेस के बीच के झगड़े के समान है।
      कलिंग युद्ध और साम्राज्य विस्तार के बाद, अशोक भारतवर्ष में बदनाम हो गया। श्रेष्ठियों ने उसे आगे युद्ध के लिए धन देना बंद कर दिया। जनता अब ऐसे राजा को पसंद नहीं करने लगी जो हिंसा के लिए बदनाम हो चुका था।
      अब ब्राह्मण पुरोहितवाद के ही इशारे पर, अशोक बौद्ध धर्म के शरण में आ गया। चुंकि बौद्ध धर्म तो अहिंसा के लिए प्रसिद्ध था, इसलिए क्रूर राजा को इस धर्म में शरण पाते देख जनता का आक्रोश बहुत हद तक कम हो गया। और इस तरह "सहसा हृदय परिवर्तन" हो जाना घोषित करवा कर यह प्रचारित करवा दिया गया कि अशोक को बौद्ध धर्म से सच्चा ज्ञान प्राप्त हो गया है और अब वह क्रूरता के मार्ग पर नहीं चलेगा, जो एक कूटनीतिक अनिवार्यता थी। और वैसे भी, लंबे इंतजार के बाद, बड़ी मुश्किल से बौद्ध धर्म ने राजा को अपने नियंत्रण में लिया था। इस कसाव और पकड़ को वह ढीला नहीं छोड़ना चाहता था। और इस तरह बौद्ध धर्म अशोक को राजनीतिक संकट से उबार कर राजधर्म पाने का इनाम पा गया। इसीलिए तो शक्ति ग्रहण करने के तत्पश्चात ही बौद्ध धर्म के ही इशारे पर कई ब्राह्मणों की हत्या की गई। जो कि खैर बहुत जरूरी भी थी। लेकिन आज स्थिति यह है कि इसी भूमि पर उपजे बौद्ध धर्म ब्राह्मण पुरोहितवाद से लंबी लड़ाई के बाद यहां से छिटक कर बाहर निकल गया और दूसरे देश का राष्ट्रीय धर्म बन गया। इसलिए जिन जिन देशों में बौद्ध धर्म है उन सभी देशों का भारत से झगड़ा है।
      बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अशोक भी ब्राह्मण पुरोहितवाद की नजरों में दुश्मन बन गया था। सभी मुख्य कारणों में, पहला कारण यह था अशोक ने राजकोष की मुद्रा का दुरुपयोग बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए किया। और दूसरा कारण यह था कि अशोक ने बौद्ध धर्म के इशारे पर ही साम्राज्य में ब्राह्मण कर्मचारियों की संख्या घटा दी थी

  • @hariommaurya2565
    @hariommaurya2565 3 ปีที่แล้ว +11

    प्रियदर्शी सम्राट अशोक के नियमो को पूरे भारत में प्रचार प्रसार करना चाहिए

  • @r.s.saarom9494
    @r.s.saarom9494 5 ปีที่แล้ว +14

    बुद्धम शरणम गच्छामि संघम शरणम गच्छामि धम्मम शरणम गच्छामि जय अशोक जय बुध

  • @sharadsinghsaini9343
    @sharadsinghsaini9343 6 ปีที่แล้ว +86

    सैनी, मोर्य ,कुशवाह ,माली जाती के पुर्वज --सम्राट अशोक को कोटी कोटी नमन ,

    • @visrshraj8445
      @visrshraj8445 6 ปีที่แล้ว +1

      Sharadsingh Saini ye dsbi csaste chtriu rsjput me aati hai smrat ashok gotm budh ye rajput the

    • @PramodKumar....
      @PramodKumar.... 6 ปีที่แล้ว +8

      Ashok koi jaati ko nhi maante they smjhe.
      Agar Ashok saini , kushwaha, maali hote to aaj k sbhi saini, kushwaha buddhist hote.

    • @kamartaj3010
      @kamartaj3010 6 ปีที่แล้ว

      Pramod Prabhakar sahi kaha.

    • @kamartaj3010
      @kamartaj3010 6 ปีที่แล้ว +4

      Visrsh Raj beta woh kshatriya the rajput nahi. Rajput Huns Scythian hepthalites k mix breed hai

    • @brajeshkr9826
      @brajeshkr9826 5 ปีที่แล้ว +1

      ashok gadariya caste ke the

  • @ramawadhverma6153
    @ramawadhverma6153 2 ปีที่แล้ว +5

    साधुवाद इस प्रस्तुति के लिए
    सबका बहुत मंगल हो।
    जय हो शाक्य वंश/मौर्य वंश और उनकी जन जन कल्याणकारी योजनाओं और शासन-प्रशासन की।🙏🙏🙏💐💐💐🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

  • @pramodsinghkushwaha4483
    @pramodsinghkushwaha4483 4 ปีที่แล้ว +12

    जय सम्राट अशोक महान
    जय चंद्रगुप्त मौर्य

  • @AnilKumar-lh7jo
    @AnilKumar-lh7jo 6 ปีที่แล้ว +293

    ऐसे ही सम्राट की वजह से हमारे देश का नाम पूरी दुनिया में लिया जाता है जय भीम जय भारत

    • @n.r.dheyda
      @n.r.dheyda 5 ปีที่แล้ว +14

      You are right brother

    • @harishrupawane9433
      @harishrupawane9433 5 ปีที่แล้ว +4

      ķ

    • @janardanshahare8662
      @janardanshahare8662 4 ปีที่แล้ว +1

      @@n.r.dheyda )

    • @gaurav2254
      @gaurav2254 4 ปีที่แล้ว +3

      Samrat Ashok bhi Bhagwan. Shree Krishna ka hi rup the, ye baat mat bhulo!

    • @imright129
      @imright129 4 ปีที่แล้ว +11

      @@gaurav2254 aree kaise chutiye ho yaar aap matlab 😆

  • @thekoregaon4601
    @thekoregaon4601 4 ปีที่แล้ว +27

    आपका बहुत बहुत साधुवाद ।
    हमारे महान पिता की शौर्य गाथा सुनकर सहसा रोना सा आ गया ।

    • @aquibhyaat3385
      @aquibhyaat3385 3 ปีที่แล้ว

      गौर किया जाए कि सम्राट अशोक एक राजपूत था। और बुद्ध धर्म राजपूतों का धर्म था। बुद्ध ने कोई घर संसार नहीं छोड़ा था जैसा कि बताया जाता है। गौतम बुद्ध को यह बात हृदय पर चुभती थी कि सिंहासन पर बैठे राजपूत नरेश अशोक, बौद्ध धर्म के नियंत्रण में ना होकर ब्राह्मण पुरोहित बाद के नियंत्रण में क्यों है।
      बौद्ध धर्म अपने उभार के मात्र 10 वर्ष के बाद ही प्रतिक्रिया की लपेट में आ गया। ना तो उसने दास प्रथा ही तोड़ सका और ना राज्यों को टूटने से ही बचा सका।
      ब्राह्मण पुरोहितवाद किसी भी कीमत पर नहीं चाहता था कि बौद्ध धर्म राजकीय धर्म बने। लेकिन ब्राह्मणों को डर सता रहा था। वह इसलिए क्योंकि राजा भी राजपूत था और बुद्ध धर्म भी राजपूतों का धर्म था।
      यह हाल बिल्कुल ऐसा था मानो आपकी पत्नी किसी और से मुंह मरा रही हो और आपको गुस्सा चढ़ रहा हो। यही गुस्सा बौद्ध धर्म को अशोक से था जिसने घर के धर्म को छोड़कर ब्राह्मणों के धर्म को महत्व दिया हुआ था।
      बहरहाल, एक ऐसा दिन भी आया जब अशोक को कलिंग के युद्ध के बाद बदनाम होना पड़ा। ब्राह्मण पुरोहितवाद के इशारे पर ही यह युद्ध लड़ा गया था, वह इसलिए क्योंकि उन दिनों उड़ीसा का अधिकांश क्षेत्र ब्राह्मण पुरोहितवाद के नियंत्रण में नहीं था और वहां मंदिरों का विस्तार करके लोगों को धार्मिक नियंत्रण में कसना आवश्यक हो गया था।
      राजनीति का परिदृश्य बदलता रहा है लेकिन राजनीतिक चालें किसी भी दौर में नहीं बदली। उन दिनों बौद्ध धर्म और ब्राह्मण पुरोहितवाद के बीच का झगड़ा आज के बीजेपी और कांग्रेस के बीच के झगड़े के समान है।
      कलिंग युद्ध और साम्राज्य विस्तार के बाद, अशोक भारतवर्ष में बदनाम हो गया। श्रेष्ठियों ने उसे आगे युद्ध के लिए धन देना बंद कर दिया। जनता अब ऐसे राजा को पसंद नहीं करने लगी जो हिंसा के लिए बदनाम हो चुका था।
      अब ब्राह्मण पुरोहितवाद के ही इशारे पर, अशोक बौद्ध धर्म के शरण में आ गया। चुंकि बौद्ध धर्म तो अहिंसा के लिए प्रसिद्ध था, इसलिए क्रूर राजा को इस धर्म में शरण पाते देख जनता का आक्रोश बहुत हद तक कम हो गया। और इस तरह "सहसा हृदय परिवर्तन" हो जाना घोषित करवा कर यह प्रचारित करवा दिया गया कि अशोक को बौद्ध धर्म से सच्चा ज्ञान प्राप्त हो गया है और अब वह क्रूरता के मार्ग पर नहीं चलेगा, जो एक कूटनीतिक अनिवार्यता थी। और वैसे भी, लंबे इंतजार के बाद, बड़ी मुश्किल से बौद्ध धर्म ने राजा को अपने नियंत्रण में लिया था। इस कसाव और पकड़ को वह ढीला नहीं छोड़ना चाहता था। और इस तरह बौद्ध धर्म अशोक को राजनीतिक संकट से उबार कर राजधर्म पाने का इनाम पा गया। इसीलिए तो शक्ति ग्रहण करने के तत्पश्चात ही बौद्ध धर्म के ही इशारे पर कई ब्राह्मणों की हत्या की गई। जो कि खैर बहुत जरूरी भी थी। लेकिन आज स्थिति यह है कि इसी भूमि पर उपजे बौद्ध धर्म ब्राह्मण पुरोहितवाद से लंबी लड़ाई के बाद यहां से छिटक कर बाहर निकल गया और दूसरे देश का राष्ट्रीय धर्म बन गया। इसलिए जिन जिन देशों में बौद्ध धर्म है उन सभी देशों का भारत से झगड़ा है।
      बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अशोक भी ब्राह्मण पुरोहितवाद की नजरों में दुश्मन बन गया था। सभी मुख्य कारणों में, पहला कारण यह था अशोक ने राजकोष की मुद्रा का दुरुपयोग बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए किया। और दूसरा कारण यह था कि अशोक ने बौद्ध धर्म के इशारे पर ही साम्राज्य में ब्राह्मण कर्मचारियों की संख्या घटा दी थी

    • @thekoregaon4601
      @thekoregaon4601 3 ปีที่แล้ว

      @@aquibhyaat3385 चुतिया बनाना छोड़ और सही बात समझ ले , 1166 में ब्राह्मणों ने अपने ही जाती के ब्राह्मणों को राजपूत बनाया था जिसका 1178 में पृथ्वीराज राजपूत नाम का पहला राजा बना ।
      जिसकी बहुजनो पर अत्याचार की निति की वजह से मुहम्मद गोरी ने मार डाला ।
      जब तक भारत में बौद्ध धम्म के राजाओ का राज था कोई राज हार नहीं पाया और बाद में कोई भी ब्राह्मण राजा और 1166 में बनी राजपूत जाती का कोई भी राज एक भी युद्ध जीत नहीं पाया ।
      #हिन्दू इतिहास हारों की दास्तान नामक किताब पढ़ सब पता चल जायेगा ।
      अकबर और उससे पहले राजपूतो ने अपनी बेटियो को 60-60 वर्ष के मुसलमानो से शादियां कर के गुलामी में राज किया है ।
      शर्म नहीं आती बकवास करते हुए !!

    • @aquibhyaat3385
      @aquibhyaat3385 3 ปีที่แล้ว

      @@thekoregaon4601 भारत में इस्लाम के आगमन के पश्चात यहां की त्रस्त हिंदू जनता ब्राह्मण की गलाजत से छुटकारा पाने के लिए स्वेक्षा से इस्लाम कबूल किया। मोहम्मद गोरी ने वैसे किताबों को जला दिया जो धार्मिक मतांधता को बढ़ावा देते थे जो पुस्तक ब्राह्मणों के लिए गुलाम पैदा करते थे। तुम्हारे अंदर सच सुनने का शक्ति नहीं है। तुम सब दिन ब्राह्मणों के सुझाए हुए धार्मिक कर्मकांड के ही गुलाम रहोगे। मुझे लगा था ऐसे ज्ञान की वर्षा में तुम नहा उठोगे। सांख्य दर्शन हमारे देश के ही सांस्कृतिक धरोहर थी जो पुरुष से प्रकृति का विकास मानता है लेकिन इसे विकसित करने की बजाय ब्राह्मणों ने धर्म के चक्रव्यूह में फंसा दिया।
      खैर मुझे तुमसे बहस नहीं करना है लेकिन तुम्हारी अज्ञानता पर मुझे दया है।

    • @aquibhyaat3385
      @aquibhyaat3385 3 ปีที่แล้ว

      @@thekoregaon4601 "हिंदू समाज के पथभ्रष्टटक : तुलसीदास" के भी किताब पढ़ लेना।

  • @dhanirammorya9960
    @dhanirammorya9960 4 ปีที่แล้ว +10

    सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य की जय जिन्होंने आचार्य चाणक्य की सहायता से महान अखन्ड भारत जैसा साम्राज्य स्थापित किया औरपश्चिम एशिया केएवन यूनानी आतताइयों के आक्रमण से भारत की रक्षा की।इसका भारतबंशियों को गर्व होना चाहिये।जयहिन्द

    • @jayBharatiraanga6425
      @jayBharatiraanga6425 2 ปีที่แล้ว +1

      Aap kae Naam Sae Ram Nekalo 🗣️📢🇮🇳

    • @DevKumar-wk3co
      @DevKumar-wk3co ปีที่แล้ว

      @@jayBharatiraanga6425 bharat bhi majharaj shantanu ke pita ka nam tha
      Bhn ke lnd

  • @ashishashish4473
    @ashishashish4473 4 ปีที่แล้ว +8

    किंग ऑफ इंडिया सम्राट अशोक ✌️❣️

  • @bharatsahare517
    @bharatsahare517 3 ปีที่แล้ว +6

    नमो बुद्धाय जय सम्राट अशोक 🇮🇳बाबासाहब आंबेडकर जी कि वजह से अमर है 🌷🌷🌷🌷🌷☸️

  • @pravinsalunke...1762
    @pravinsalunke...1762 6 ปีที่แล้ว +64

    JAI BUDDHA..JAI ASHOKA..JAI BHIM..

  • @junebhattacharjee9669
    @junebhattacharjee9669 5 ปีที่แล้ว +45

    Ashoka The Great was the greatest ruler in lndian History no other King can be compared with him

  • @badekumar8670
    @badekumar8670 5 ปีที่แล้ว +14

    बहुत सही विडियो जयबुद्धाय नमः अशोक सम्राट धन्यवाद भाई sजी जो आप ने विडियो बनाऐ

  • @abhishekkumarrathore9807
    @abhishekkumarrathore9807 3 ปีที่แล้ว +16

    I got goosebumps thanks for the great Indian Kingdom SAMRAT ASHOKA

  • @ARUNKUMAR-sk1mw
    @ARUNKUMAR-sk1mw 7 ปีที่แล้ว +76

    I really love Samrat Ashoka....

  • @nitinbhaware
    @nitinbhaware 4 ปีที่แล้ว +42

    विश्व का सबसे महान राजा

    • @jaitours8
      @jaitours8 ปีที่แล้ว

      Yes 💯 one of the all times best ruler....

  • @hariommaurya2565
    @hariommaurya2565 3 ปีที่แล้ว +10

    ऐसे महान लोगो के बारे में आप जो सच्चाई बता रहे है हमे आप पर गर्व महसूस है

  • @rajendrabirhade5527
    @rajendrabirhade5527 6 ปีที่แล้ว +10

    Great Samrat Ashok , useful information, Thanks for video,,because of him we came to know Buddhism otherwise manuvadi peoples fully tried to demolish Buddha's vachan/ speech , samrat ashok spread it out of India sothat it preserved so Thanks Samrat Ashok,all Bhante, Bhante Mahendra,Dr Babasaheb Ambedkar n great Lord Budha,,,Mrs Nileema Birhade. Nasikroad

  • @AmanDixit1994
    @AmanDixit1994 3 ปีที่แล้ว +5

    नमो बुध्दय
    जय अशोक दादा😊😘🙇🙏 from Nalanda (Rajgir)

  • @RashmiSingh-kf8qv
    @RashmiSingh-kf8qv 3 ปีที่แล้ว +16

    जब तक सूरज चांद रहेगा सम्राट अशोक जी का नाम रहेगा जय भीम नमो बुद्धाय।

  • @vijithfernando6964
    @vijithfernando6964 4 ปีที่แล้ว +11

    Chakrawarthi ashoka 🙏🏻respect from Sri Lanka

  • @jagdishgedam7692
    @jagdishgedam7692 4 ปีที่แล้ว +7

    समराट अशोक महान राजा थे यह एक स्वर्ण युग के एतिहासिक राजा है.

  • @DharmendraKumar-ct5kj
    @DharmendraKumar-ct5kj 3 ปีที่แล้ว +28

    Light of Asia-Buddha
    Light of India-Ambedkar
    King of Asia-samrat Ashok

    • @GMIIW
      @GMIIW 2 ปีที่แล้ว +9

      Buddha is not the light of Asia but also the whole world. If all people in the world will follow buddhism the world will be a heaven. Namo buddhaya.Im a Buddhist from sri lanka 🇱🇰☸🙏

  • @rameshkatke6963
    @rameshkatke6963 4 ปีที่แล้ว +12

    We are proud and excited to hear all episodes of Awaz India TV. These all are much informative and useful to all those who are having interest in Buddha Dhamma and Sangha. Dr Phule sir's narration touches to heart.
    NAMO Buddhay Jay Bhim

  • @manishranjan571
    @manishranjan571 5 ปีที่แล้ว +11

    Salaa.dil pighal jata hai inka story sun k....jai bhim jai ashok

  • @roshankhirade3319
    @roshankhirade3319 5 ปีที่แล้ว +13

    मुलनिवासी सम्राठ अशोक विजई रहे ....✊🏻

    • @aquibhyaat3385
      @aquibhyaat3385 3 ปีที่แล้ว

      गौर किया जाए कि सम्राट अशोक एक राजपूत था। और बुद्ध धर्म राजपूतों का धर्म था। बुद्ध ने कोई घर संसार नहीं छोड़ा था जैसा कि बताया जाता है। गौतम बुद्ध को यह बात हृदय पर चुभती थी कि सिंहासन पर बैठे राजपूत नरेश अशोक, बौद्ध धर्म के नियंत्रण में ना होकर ब्राह्मण पुरोहित बाद के नियंत्रण में क्यों है।
      बौद्ध धर्म अपने उभार के मात्र 10 वर्ष के बाद ही प्रतिक्रिया की लपेट में आ गया। ना तो उसने दास प्रथा ही तोड़ सका और ना राज्यों को टूटने से ही बचा सका।
      ब्राह्मण पुरोहितवाद किसी भी कीमत पर नहीं चाहता था कि बौद्ध धर्म राजकीय धर्म बने। लेकिन ब्राह्मणों को डर सता रहा था। वह इसलिए क्योंकि राजा भी राजपूत था और बुद्ध धर्म भी राजपूतों का धर्म था।
      यह हाल बिल्कुल ऐसा था मानो आपकी पत्नी किसी और से मुंह मरा रही हो और आपको गुस्सा चढ़ रहा हो। यही गुस्सा बौद्ध धर्म को अशोक से था जिसने घर के धर्म को छोड़कर ब्राह्मणों के धर्म को महत्व दिया हुआ था।
      बहरहाल, एक ऐसा दिन भी आया जब अशोक को कलिंग के युद्ध के बाद बदनाम होना पड़ा। ब्राह्मण पुरोहितवाद के इशारे पर ही यह युद्ध लड़ा गया था, वह इसलिए क्योंकि उन दिनों उड़ीसा का अधिकांश क्षेत्र ब्राह्मण पुरोहितवाद के नियंत्रण में नहीं था और वहां मंदिरों का विस्तार करके लोगों को धार्मिक नियंत्रण में कसना आवश्यक हो गया था।
      राजनीति का परिदृश्य बदलता रहा है लेकिन राजनीतिक चालें किसी भी दौर में नहीं बदली। उन दिनों बौद्ध धर्म और ब्राह्मण पुरोहितवाद के बीच का झगड़ा आज के बीजेपी और कांग्रेस के बीच के झगड़े के समान है।
      कलिंग युद्ध और साम्राज्य विस्तार के बाद, अशोक भारतवर्ष में बदनाम हो गया। श्रेष्ठियों ने उसे आगे युद्ध के लिए धन देना बंद कर दिया। जनता अब ऐसे राजा को पसंद नहीं करने लगी जो हिंसा के लिए बदनाम हो चुका था।
      अब ब्राह्मण पुरोहितवाद के ही इशारे पर, अशोक बौद्ध धर्म के शरण में आ गया। चुंकि बौद्ध धर्म तो अहिंसा के लिए प्रसिद्ध था, इसलिए क्रूर राजा को इस धर्म में शरण पाते देख जनता का आक्रोश बहुत हद तक कम हो गया। और इस तरह "सहसा हृदय परिवर्तन" हो जाना घोषित करवा कर यह प्रचारित करवा दिया गया कि अशोक को बौद्ध धर्म से सच्चा ज्ञान प्राप्त हो गया है और अब वह क्रूरता के मार्ग पर नहीं चलेगा, जो एक कूटनीतिक अनिवार्यता थी। और वैसे भी, लंबे इंतजार के बाद, बड़ी मुश्किल से बौद्ध धर्म ने राजा को अपने नियंत्रण में लिया था। इस कसाव और पकड़ को वह ढीला नहीं छोड़ना चाहता था। और इस तरह बौद्ध धर्म अशोक को राजनीतिक संकट से उबार कर राजधर्म पाने का इनाम पा गया। इसीलिए तो शक्ति ग्रहण करने के तत्पश्चात ही बौद्ध धर्म के ही इशारे पर कई ब्राह्मणों की हत्या की गई। जो कि खैर बहुत जरूरी भी थी। लेकिन आज स्थिति यह है कि इसी भूमि पर उपजे बौद्ध धर्म ब्राह्मण पुरोहितवाद से लंबी लड़ाई के बाद यहां से छिटक कर बाहर निकल गया और दूसरे देश का राष्ट्रीय धर्म बन गया। इसलिए जिन जिन देशों में बौद्ध धर्म है उन सभी देशों का भारत से झगड़ा है।
      बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अशोक भी ब्राह्मण पुरोहितवाद की नजरों में दुश्मन बन गया था। सभी मुख्य कारणों में, पहला कारण यह था अशोक ने राजकोष की मुद्रा का दुरुपयोग बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए किया। और दूसरा कारण यह था कि अशोक ने बौद्ध धर्म के इशारे पर ही साम्राज्य में ब्राह्मण कर्मचारियों की संख्या घटा दी थी

    • @SandeepYadav-gx3nj
      @SandeepYadav-gx3nj 3 ปีที่แล้ว +2

      अशोक मौर्य क्षत्रीय वंश का था ।मौर्य उस समय बहुत राजा थे। बाद में उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति कमजोर हो गई थी।और आज ये ओबीसी वर्ग में शामिल है परंतु ये इस समय सबसे ताकतवर वंश था जहाँ तक मेरी जानकारी है।

    • @SandeepYadav-gx3nj
      @SandeepYadav-gx3nj 3 ปีที่แล้ว

      @@aquibhyaat3385 बहुत हद तक सही है

    • @aquibhyaat3385
      @aquibhyaat3385 3 ปีที่แล้ว +1

      @@SandeepYadav-gx3nj जो भी हो आपकी भाषा बड़ी मधुर है। सौम्यता है आपके अंदर। शांत मिजाजी व्यक्ति हैं आप। अध्ययन प्रिय भी है आप। bye Sandeep ji

    • @roshankhirade3319
      @roshankhirade3319 3 ปีที่แล้ว +3

      क्षत्रिय वंश नहीं वर्ण है. , ओर भारतीय मुलनिवासी लोगो का वंश नागवंश है. ओर विदेश युरेशियन ब्राम्हणों का वंश उन्हे ही पता होगा ....

  • @SandeepYadav-gx3nj
    @SandeepYadav-gx3nj 3 ปีที่แล้ว +6

    महान चक्रवर्ती आर्य हिन्दू सम्राट अशोक मौर्य महान की विजय गाथा सदैव अमर रहेगी। बुद्ध भी अपने है वो भी हर सनातनी के लिए आदर के पात्र है।

    • @samratasoka3739
      @samratasoka3739 2 ปีที่แล้ว +3

      😂😂😂😂hindu raja...

    • @SandeepYadav-gx3nj
      @SandeepYadav-gx3nj 2 ปีที่แล้ว

      @@samratasoka3739 dear bro ashok ke smay bodh ek dhrm ke rup me nhi snatan dhrm me ek reform ke rup me tha us smay aaj ki trh ka religion ka concept hi nhi tha ye religion ka concept to yha pr muslimo aur isaiyo ke aane ke bad aaya..hmare yha dhrm ka arth religion nhi blki achhe kamo se liya jata tha n ki kisi puja pdhati se.. jb ashok ne pure bhart ko jeeta us smay vo ek snatani tha bad me usne bodh shikasho ko sveekar kiya .is pkar ashok jb chkrvtei smrat bna us smay vo ek vedic dhrm ko mamane vala raja tha ..bodh bnne ke bad to usne koi ladai hi nhi ldi thi ji kuch bhi kiya ek snatni raja ke rup me kiya tha. Vaise budh bhi toh hmare hi hai koi gair thode hi hai hr snatni unka utna hi smman krta h jitna anay mahapurushon ka..

    • @samratasoka3739
      @samratasoka3739 2 ปีที่แล้ว +1

      @@SandeepYadav-gx3nj भ्राता अपनी थ्योरी अपने पास रखो।
      सम्राट असोक के समय आजिवक अलारकालाम निगुंठनाथपट्ट कश्यप और बुद्ध बस इनकी विचारधारा चलती थी ।
      और सनातन तो विशेषण है कोई नाम नही है। जैसे हिंदु नाम है जो बहुत बाद मे आया लगभग फायहान के बाद और अल्बरुनी से पहले।
      और असोक के शिलालेखो से पता चलता है की असोक ने कलिंग युद्ध के 2वर्ष पहले ही बुद्ध को अपनाना शुरु कर दिया था।
      और असोक के कोई भी शिलालेख मे सनातन का कोई उल्लेख नही है तो अपनी गपोड कहानी अपने पास रखो

    • @samratasoka3739
      @samratasoka3739 2 ปีที่แล้ว

      @@SandeepYadav-gx3nj तुम्हे ज्ञान नही है शायद मौर्य काल का किसी वॉटसप यूनिवर्सिटी वाले लगते हो।

    • @SandeepYadav-gx3nj
      @SandeepYadav-gx3nj 2 ปีที่แล้ว

      @@samratasoka3739 भाई तुम शायद अनार्य मुलनिवासी हो इसलिये हर वो चीज जो आर्यो से जुड़ी होती है आपको अछि नही लगती।।

  • @chhayapatel2328
    @chhayapatel2328 7 ปีที่แล้ว +116

    👏👏👏👏👏👌👌👌👌chakravrtin samrat ashok ki jai

  • @shakyasingh1404
    @shakyasingh1404 2 ปีที่แล้ว +1

    🇮🇳🦚☸अखंड भारत के निर्माता प्रथम 👑चक्रवर्ती सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य! अखंड भारत के संरक्षक विश्वविजेता 👑चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान मौर्य की जय!! ☸विश्व गुरु तथागत भगवान गौतम बुद्ध की करूणा हो!!! नमो बुद्धाय! सम्राट अशोक महान के पूर्वज बुद्धिस्ट और क्षत्रिय हैं!जय मौर्यवंशी! 🇮🇳🦚☸🌸❤️🌺💐🌹✌️🙏

  • @pravinsalunke...1762
    @pravinsalunke...1762 6 ปีที่แล้ว +25

    NAMO BUDDHAY....JAI ASHOKA..JAI BHIM....

  • @samratashok6372
    @samratashok6372 4 ปีที่แล้ว +58

    अखंड भारत की क्या पहचान सम्राट स्तंभ चक्र निशान

    • @aquibhyaat3385
      @aquibhyaat3385 3 ปีที่แล้ว +1

      गौर किया जाए कि सम्राट अशोक एक राजपूत था। और बुद्ध धर्म राजपूतों का धर्म था। बुद्ध ने कोई घर संसार नहीं छोड़ा था जैसा कि बताया जाता है। गौतम बुद्ध को यह बात हृदय पर चुभती थी कि सिंहासन पर बैठे राजपूत नरेश अशोक, बौद्ध धर्म के नियंत्रण में ना होकर ब्राह्मण पुरोहित बाद के नियंत्रण में क्यों है।
      बौद्ध धर्म अपने उभार के मात्र 10 वर्ष के बाद ही प्रतिक्रिया की लपेट में आ गया। ना तो उसने दास प्रथा ही तोड़ सका और ना राज्यों को टूटने से ही बचा सका।
      ब्राह्मण पुरोहितवाद किसी भी कीमत पर नहीं चाहता था कि बौद्ध धर्म राजकीय धर्म बने। लेकिन ब्राह्मणों को डर सता रहा था। वह इसलिए क्योंकि राजा भी राजपूत था और बुद्ध धर्म भी राजपूतों का धर्म था।
      यह हाल बिल्कुल ऐसा था मानो आपकी पत्नी किसी और से मुंह मरा रही हो और आपको गुस्सा चढ़ रहा हो। यही गुस्सा बौद्ध धर्म को अशोक से था जिसने घर के धर्म को छोड़कर ब्राह्मणों के धर्म को महत्व दिया हुआ था।
      बहरहाल, एक ऐसा दिन भी आया जब अशोक को कलिंग के युद्ध के बाद बदनाम होना पड़ा। ब्राह्मण पुरोहितवाद के इशारे पर ही यह युद्ध लड़ा गया था, वह इसलिए क्योंकि उन दिनों उड़ीसा का अधिकांश क्षेत्र ब्राह्मण पुरोहितवाद के नियंत्रण में नहीं था और वहां मंदिरों का विस्तार करके लोगों को धार्मिक नियंत्रण में कसना आवश्यक हो गया था।
      राजनीति का परिदृश्य बदलता रहा है लेकिन राजनीतिक चालें किसी भी दौर में नहीं बदली। उन दिनों बौद्ध धर्म और ब्राह्मण पुरोहितवाद के बीच का झगड़ा आज के बीजेपी और कांग्रेस के बीच के झगड़े के समान है।
      कलिंग युद्ध और साम्राज्य विस्तार के बाद, अशोक भारतवर्ष में बदनाम हो गया। श्रेष्ठियों ने उसे आगे युद्ध के लिए धन देना बंद कर दिया। जनता अब ऐसे राजा को पसंद नहीं करने लगी जो हिंसा के लिए बदनाम हो चुका था।
      अब ब्राह्मण पुरोहितवाद के ही इशारे पर, अशोक बौद्ध धर्म के शरण में आ गया। चुंकि बौद्ध धर्म तो अहिंसा के लिए प्रसिद्ध था, इसलिए क्रूर राजा को इस धर्म में शरण पाते देख जनता का आक्रोश बहुत हद तक कम हो गया। और इस तरह "सहसा हृदय परिवर्तन" हो जाना घोषित करवा कर यह प्रचारित करवा दिया गया कि अशोक को बौद्ध धर्म से सच्चा ज्ञान प्राप्त हो गया है और अब वह क्रूरता के मार्ग पर नहीं चलेगा, जो एक कूटनीतिक अनिवार्यता थी। और वैसे भी, लंबे इंतजार के बाद, बड़ी मुश्किल से बौद्ध धर्म ने राजा को अपने नियंत्रण में लिया था। इस कसाव और पकड़ को वह ढीला नहीं छोड़ना चाहता था। और इस तरह बौद्ध धर्म अशोक को राजनीतिक संकट से उबार कर राजधर्म पाने का इनाम पा गया। इसीलिए तो शक्ति ग्रहण करने के तत्पश्चात ही बौद्ध धर्म के ही इशारे पर कई ब्राह्मणों की हत्या की गई। जो कि खैर बहुत जरूरी भी थी। लेकिन आज स्थिति यह है कि इसी भूमि पर उपजे बौद्ध धर्म ब्राह्मण पुरोहितवाद से लंबी लड़ाई के बाद यहां से छिटक कर बाहर निकल गया और दूसरे देश का राष्ट्रीय धर्म बन गया। इसलिए जिन जिन देशों में बौद्ध धर्म है उन सभी देशों का भारत से झगड़ा है।
      बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अशोक भी ब्राह्मण पुरोहितवाद की नजरों में दुश्मन बन गया था। सभी मुख्य कारणों में, पहला कारण यह था अशोक ने राजकोष की मुद्रा का दुरुपयोग बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए किया। और दूसरा कारण यह था कि अशोक ने बौद्ध धर्म के इशारे पर ही साम्राज्य में ब्राह्मण कर्मचारियों की संख्या घटा दी थी

    • @amitgautam4491
      @amitgautam4491 3 ปีที่แล้ว

      @@aquibhyaat3385 nahi

    • @amitgautam4491
      @amitgautam4491 3 ปีที่แล้ว

      @@aquibhyaat3385 chandragupat maury shudra tha tO ashok kaise rajput ho jayega

    • @aquibhyaat3385
      @aquibhyaat3385 3 ปีที่แล้ว +1

      @@amitgautam4491 the use of Rajput word alludes to a warrior, but not caste. Now it is considered as caste. Then it was considered as warriors

  • @civilengineerandallsolutio5010
    @civilengineerandallsolutio5010 4 ปีที่แล้ว +16

    One of the greatest Indian Emperor who extended the boundary of India up to Iran border after kalinga war he stopped the war other wise he extended whole Asia and Urope .

    • @sunilbagdi1800
      @sunilbagdi1800 3 ปีที่แล้ว +1

      Unhone kalinga yudh ke baad bhi bahut se desh jeete magar dil se aur dharm se

  • @AKASHKUMAR-zr2ey
    @AKASHKUMAR-zr2ey 3 ปีที่แล้ว +39

    अशोक सिर्फ बौद्ध थे और हम उनको बौद्ध के ही रूप में मानते हैं...आज कल के चूतियों को कौन समझाये की बौद्ध धर्म में जातियां नही होती हैं...नमन सम्राट अशोक🙏

    • @THEKRRAHUL
      @THEKRRAHUL ปีที่แล้ว +4

      ये ब्राह्मणों का चाल है। जब कोई प्रसिद्ध होता तो उसका ब्रह्मणीकरण कर देते हैं। एक अंग्रेज आकर बता गया यहां सम्राट असोक जैसा विशाल राजा नहीं तो ये लोग इतने महान राजा को इतिहास से गायब कर देते।

    • @mamtasharma-activeschool3256
      @mamtasharma-activeschool3256 ปีที่แล้ว +1

      आपके so called बौद्घ में गालियां दी जाती हैं ?

    • @BabuLal-pm3ny
      @BabuLal-pm3ny ปีที่แล้ว

      @@THEKRRAHUL ब्रमाण ही दोषी है सब जगह लोल आरक्षण मिलने के 75 साल बाद भी खुद का दोष दुसरो पर मंढते रहोगे तुम कब इतिहास लिखने वाले बनोगे ब्रामण रावण का नाम लगा कर आदर्श मानेंगे, महिषासुर को पुर्वज बताओ गे, शाक्य बणिया जाती में आये भगवान् बुद्ध को मानोगे खुद बन जाओ ईश्वर जिस तर संत रामपाल बन बैठा है

    • @MukundK-ci8dl
      @MukundK-ci8dl ปีที่แล้ว +2

      सम्राट अशोक का इतिहास महान है

    • @rajeevkamra9120
      @rajeevkamra9120 11 หลายเดือนก่อน

      ​@@mamtasharma-activeschool3256 तो आपके सो कॉल्ड हिंदुवो में दुसरे धर्मो को बदनाम किया जाता है? और अपना धर्म दुसरो पर थोपा जाता है? भगवा दहशतवाद किसे केहते है?

  • @j.k.yyadav5597
    @j.k.yyadav5597 2 ปีที่แล้ว +4

    भारत के सम्राट अशोक दी ग्रेट
    जय भीम जय भारत जय संविधान नमो बुद्धाय

  • @pravinsalunke...1762
    @pravinsalunke...1762 6 ปีที่แล้ว +44

    KING of ASIA...SAMRAT ASHOKA....

    • @killhaters1612
      @killhaters1612 2 ปีที่แล้ว +2

      @rohan loni9729 tere kyu jal rahi hai bhai sach kha raha hai Ashoka ka naam world ke Great king main aata hai top pe Google kar le lol

    • @skyop3206
      @skyop3206 2 ปีที่แล้ว

      @@killhaters1612 Pandit hoga inlogo bohod jalti hy such sun neme buddha dharma kabja karke Hindu logo loot rahe

    • @killhaters1612
      @killhaters1612 2 ปีที่แล้ว

      @@skyop3206 Right Right

  • @yogeshpatil8313
    @yogeshpatil8313 5 ปีที่แล้ว +9

    सम्राट अशोक के सम्राट बनने का सफर भी जानना है मुझे. बौद्ध धर्म स्वीकारने से पहले.

  • @sanilyadav1450
    @sanilyadav1450 3 ปีที่แล้ว +4

    बोलो *देवनाम प्रिय प्रियदर्शी सम्राट अशोक की जय.......*

  • @vijaykumargautam6975
    @vijaykumargautam6975 3 ปีที่แล้ว +7

    आप को 🙏शत-शत 🙏नमन करते है🙏🙏 नमो बुद्धाय जय भीम🙏🙏

  • @shyamsunderkemwal9763
    @shyamsunderkemwal9763 3 ปีที่แล้ว +6

    "Great Ashoka King" of the world
    " Great salute"
    Namo Budhai 🙏🙏🙏

  • @akg4974
    @akg4974 7 ปีที่แล้ว +68

    Nice documentary namo Buddhay Jai Bhim Jai Ashoka

  • @jayantiprakashshakya8056
    @jayantiprakashshakya8056 4 ปีที่แล้ว +17

    Thank you so much for giving us this knowledge with accuracy

    • @aquibhyaat3385
      @aquibhyaat3385 3 ปีที่แล้ว

      गौर किया जाए कि सम्राट अशोक एक राजपूत था। और बुद्ध धर्म राजपूतों का धर्म था। बुद्ध ने कोई घर संसार नहीं छोड़ा था जैसा कि बताया जाता है। गौतम बुद्ध को यह बात हृदय पर चुभती थी कि सिंहासन पर बैठे राजपूत नरेश अशोक, बौद्ध धर्म के नियंत्रण में ना होकर ब्राह्मण पुरोहित बाद के नियंत्रण में क्यों है।
      बौद्ध धर्म अपने उभार के मात्र 10 वर्ष के बाद ही प्रतिक्रिया की लपेट में आ गया। ना तो उसने दास प्रथा ही तोड़ सका और ना राज्यों को टूटने से ही बचा सका।
      ब्राह्मण पुरोहितवाद किसी भी कीमत पर नहीं चाहता था कि बौद्ध धर्म राजकीय धर्म बने। लेकिन ब्राह्मणों को डर सता रहा था। वह इसलिए क्योंकि राजा भी राजपूत था और बुद्ध धर्म भी राजपूतों का धर्म था।
      यह हाल बिल्कुल ऐसा था मानो आपकी पत्नी किसी और से मुंह मरा रही हो और आपको गुस्सा चढ़ रहा हो। यही गुस्सा बौद्ध धर्म को अशोक से था जिसने घर के धर्म को छोड़कर ब्राह्मणों के धर्म को महत्व दिया हुआ था।
      बहरहाल, एक ऐसा दिन भी आया जब अशोक को कलिंग के युद्ध के बाद बदनाम होना पड़ा। ब्राह्मण पुरोहितवाद के इशारे पर ही यह युद्ध लड़ा गया था, वह इसलिए क्योंकि उन दिनों उड़ीसा का अधिकांश क्षेत्र ब्राह्मण पुरोहितवाद के नियंत्रण में नहीं था और वहां मंदिरों का विस्तार करके लोगों को धार्मिक नियंत्रण में कसना आवश्यक हो गया था।
      राजनीति का परिदृश्य बदलता रहा है लेकिन राजनीतिक चालें किसी भी दौर में नहीं बदली। उन दिनों बौद्ध धर्म और ब्राह्मण पुरोहितवाद के बीच का झगड़ा आज के बीजेपी और कांग्रेस के बीच के झगड़े के समान है।
      कलिंग युद्ध और साम्राज्य विस्तार के बाद, अशोक भारतवर्ष में बदनाम हो गया। श्रेष्ठियों ने उसे आगे युद्ध के लिए धन देना बंद कर दिया। जनता अब ऐसे राजा को पसंद नहीं करने लगी जो हिंसा के लिए बदनाम हो चुका था।
      अब ब्राह्मण पुरोहितवाद के ही इशारे पर, अशोक बौद्ध धर्म के शरण में आ गया। चुंकि बौद्ध धर्म तो अहिंसा के लिए प्रसिद्ध था, इसलिए क्रूर राजा को इस धर्म में शरण पाते देख जनता का आक्रोश बहुत हद तक कम हो गया। और इस तरह "सहसा हृदय परिवर्तन" हो जाना घोषित करवा कर यह प्रचारित करवा दिया गया कि अशोक को बौद्ध धर्म से सच्चा ज्ञान प्राप्त हो गया है और अब वह क्रूरता के मार्ग पर नहीं चलेगा, जो एक कूटनीतिक अनिवार्यता थी। और वैसे भी, लंबे इंतजार के बाद, बड़ी मुश्किल से बौद्ध धर्म ने राजा को अपने नियंत्रण में लिया था। इस कसाव और पकड़ को वह ढीला नहीं छोड़ना चाहता था। और इस तरह बौद्ध धर्म अशोक को राजनीतिक संकट से उबार कर राजधर्म पाने का इनाम पा गया। इसीलिए तो शक्ति ग्रहण करने के तत्पश्चात ही बौद्ध धर्म के ही इशारे पर कई ब्राह्मणों की हत्या की गई। जो कि खैर बहुत जरूरी भी थी। लेकिन आज स्थिति यह है कि इसी भूमि पर उपजे बौद्ध धर्म ब्राह्मण पुरोहितवाद से लंबी लड़ाई के बाद यहां से छिटक कर बाहर निकल गया और दूसरे देश का राष्ट्रीय धर्म बन गया। इसलिए जिन जिन देशों में बौद्ध धर्म है उन सभी देशों का भारत से झगड़ा है।
      बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अशोक भी ब्राह्मण पुरोहितवाद की नजरों में दुश्मन बन गया था। सभी मुख्य कारणों में, पहला कारण यह था अशोक ने राजकोष की मुद्रा का दुरुपयोग बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए किया। और दूसरा कारण यह था कि अशोक ने बौद्ध धर्म के इशारे पर ही साम्राज्य में ब्राह्मण कर्मचारियों की संख्या घटा दी थी

    • @amitgautam4491
      @amitgautam4491 3 ปีที่แล้ว

      @@aquibhyaat3385 tu kha kha batayega link bhejo hm bhi jane

  • @RiteshKumar-ek3pg
    @RiteshKumar-ek3pg 3 ปีที่แล้ว +3

    सम्राट अशोक जैसा सम्राट आज तक ना कोई हुआ ना कोई होगा

  • @min_yubinq1239
    @min_yubinq1239 6 ปีที่แล้ว +21

    best documentary. jaibhim jai ashoka jai maurya vaishi. namo bauddhay.

    • @gaurav2254
      @gaurav2254 4 ปีที่แล้ว

      Ye vishwa jaati ke logo ki wajah se sarkar chal rahi hai

    • @aditya_telugu
      @aditya_telugu 3 ปีที่แล้ว +1

      Buddha is also a aryan

    • @jayBharatiraanga6425
      @jayBharatiraanga6425 2 ปีที่แล้ว

      Practice Vipassana Campaign Canvass for Same Watch All Videos From Kapilvastu to Kushinagar 🤧✍️📢

  • @Naveen-ry5xo
    @Naveen-ry5xo 6 ปีที่แล้ว +34

    नमो बुद्धाय... Ashoka tha great

  • @rstechnical8007
    @rstechnical8007 7 ปีที่แล้ว +25

    Jay samrat ashok ji
    Aapko tahh dil se nmn krte hai

  • @sumitgolapoorvb.s.p.gwalio4354
    @sumitgolapoorvb.s.p.gwalio4354 7 ปีที่แล้ว +49

    Samrat Ashok ka Bharat thha jab gharo me taale nahi lagte thhe jab bharat sone ki chidiya kahlata thha.. Kanshiram ji yahi samrat Ashok ka Bharat chahte thhe.. Jaybhim sathiyo

    • @PankajKumar-mn4bc
      @PankajKumar-mn4bc 4 ปีที่แล้ว +2

      इसी भारत को हम यहाँ स्थापित करके रहेंगे!

    • @aquibhyaat3385
      @aquibhyaat3385 3 ปีที่แล้ว

      गौर किया जाए कि सम्राट अशोक एक राजपूत था। और बुद्ध धर्म राजपूतों का धर्म था। बुद्ध ने कोई घर संसार नहीं छोड़ा था जैसा कि बताया जाता है। गौतम बुद्ध को यह बात हृदय पर चुभती थी कि सिंहासन पर बैठे राजपूत नरेश अशोक, बौद्ध धर्म के नियंत्रण में ना होकर ब्राह्मण पुरोहित बाद के नियंत्रण में क्यों है।
      बौद्ध धर्म अपने उभार के मात्र 10 वर्ष के बाद ही प्रतिक्रिया की लपेट में आ गया। ना तो उसने दास प्रथा ही तोड़ सका और ना राज्यों को टूटने से ही बचा सका।
      ब्राह्मण पुरोहितवाद किसी भी कीमत पर नहीं चाहता था कि बौद्ध धर्म राजकीय धर्म बने। लेकिन ब्राह्मणों को डर सता रहा था। वह इसलिए क्योंकि राजा भी राजपूत था और बुद्ध धर्म भी राजपूतों का धर्म था।
      यह हाल बिल्कुल ऐसा था मानो आपकी पत्नी किसी और से मुंह मरा रही हो और आपको गुस्सा चढ़ रहा हो। यही गुस्सा बौद्ध धर्म को अशोक से था जिसने घर के धर्म को छोड़कर ब्राह्मणों के धर्म को महत्व दिया हुआ था।
      बहरहाल, एक ऐसा दिन भी आया जब अशोक को कलिंग के युद्ध के बाद बदनाम होना पड़ा। ब्राह्मण पुरोहितवाद के इशारे पर ही यह युद्ध लड़ा गया था, वह इसलिए क्योंकि उन दिनों उड़ीसा का अधिकांश क्षेत्र ब्राह्मण पुरोहितवाद के नियंत्रण में नहीं था और वहां मंदिरों का विस्तार करके लोगों को धार्मिक नियंत्रण में कसना आवश्यक हो गया था।
      राजनीति का परिदृश्य बदलता रहा है लेकिन राजनीतिक चालें किसी भी दौर में नहीं बदली। उन दिनों बौद्ध धर्म और ब्राह्मण पुरोहितवाद के बीच का झगड़ा आज के बीजेपी और कांग्रेस के बीच के झगड़े के समान है।
      कलिंग युद्ध और साम्राज्य विस्तार के बाद, अशोक भारतवर्ष में बदनाम हो गया। श्रेष्ठियों ने उसे आगे युद्ध के लिए धन देना बंद कर दिया। जनता अब ऐसे राजा को पसंद नहीं करने लगी जो हिंसा के लिए बदनाम हो चुका था।
      अब ब्राह्मण पुरोहितवाद के ही इशारे पर, अशोक बौद्ध धर्म के शरण में आ गया। चुंकि बौद्ध धर्म तो अहिंसा के लिए प्रसिद्ध था, इसलिए क्रूर राजा को इस धर्म में शरण पाते देख जनता का आक्रोश बहुत हद तक कम हो गया। और इस तरह "सहसा हृदय परिवर्तन" हो जाना घोषित करवा कर यह प्रचारित करवा दिया गया कि अशोक को बौद्ध धर्म से सच्चा ज्ञान प्राप्त हो गया है और अब वह क्रूरता के मार्ग पर नहीं चलेगा, जो एक कूटनीतिक अनिवार्यता थी। और वैसे भी, लंबे इंतजार के बाद, बड़ी मुश्किल से बौद्ध धर्म ने राजा को अपने नियंत्रण में लिया था। इस कसाव और पकड़ को वह ढीला नहीं छोड़ना चाहता था। और इस तरह बौद्ध धर्म अशोक को राजनीतिक संकट से उबार कर राजधर्म पाने का इनाम पा गया। इसीलिए तो शक्ति ग्रहण करने के तत्पश्चात ही बौद्ध धर्म के ही इशारे पर कई ब्राह्मणों की हत्या की गई। जो कि खैर बहुत जरूरी भी थी। लेकिन आज स्थिति यह है कि इसी भूमि पर उपजे बौद्ध धर्म ब्राह्मण पुरोहितवाद से लंबी लड़ाई के बाद यहां से छिटक कर बाहर निकल गया और दूसरे देश का राष्ट्रीय धर्म बन गया। इसलिए जिन जिन देशों में बौद्ध धर्म है उन सभी देशों का भारत से झगड़ा है।
      बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अशोक भी ब्राह्मण पुरोहितवाद की नजरों में दुश्मन बन गया था। सभी मुख्य कारणों में, पहला कारण यह था अशोक ने राजकोष की मुद्रा का दुरुपयोग बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए किया। और दूसरा कारण यह था कि अशोक ने बौद्ध धर्म के इशारे पर ही साम्राज्य में ब्राह्मण कर्मचारियों की संख्या घटा दी थी

  • @d.pbhorkhade3943
    @d.pbhorkhade3943 6 ปีที่แล้ว +8

    नमो बूध्दाय सम्राट अशोक मौर्य की जय

  • @ngadup8555
    @ngadup8555 6 ปีที่แล้ว +44

    बौद्ध के बाद तीन महान लोग आए, धर्म कीर्ति अशोक और शांति देव। उन तीन लोगों ने बौद्ध धर्म को भारत में बहुत मजबूत किया, धर्म कीर्ति ने बहस या तर्क से बौद्ध का प्रसार किया, अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनी शक्ति से फैलाया, शांति देव ने शांति से बौद्ध का प्रसार किया।

  • @MrRAM-yj4ln
    @MrRAM-yj4ln 3 ปีที่แล้ว +1

    न्याय प्रिय चक्रवर्ती सम्राट अशोक... ❤️

  • @apk2430
    @apk2430 7 ปีที่แล้ว +12

    You are your own master, make your own future....Lord Buddha

  • @PankajKumar-mn4bc
    @PankajKumar-mn4bc 4 ปีที่แล้ว +8

    इसका Download लिंक active कीजिए, जिससे हम इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा बहुजनों को दिखा सके और बौद्ध धम्म और सम्राट अशोका की प्रतिभा को और फैला सके!

    • @rohitk9859
      @rohitk9859 4 ปีที่แล้ว +1

      Bhai aap snaptube me 1 minute me download kar lijiye fir
      whats app par share kijiye
      Pehle play store se snaptube download karo fir usme type kar do is video ka naam

  • @kirankumarbauddh7469
    @kirankumarbauddh7469 3 ปีที่แล้ว +7

    नमो बुद्धाय जय अशोक सम्राट जय भीम

  • @sonawanechandramani2402
    @sonawanechandramani2402 3 ปีที่แล้ว

    👌🙏🙏🙏🌹🌹🌹बहुत अच्छा व्हिडिओ , बहुत अच्छी जानकारी मिली। धन्यवाद 🙏🙏🙏🌹🌹

  • @dharmendrakamble6282
    @dharmendrakamble6282 7 ปีที่แล้ว +34

    best documentary

  • @lovelivelaughlife5861
    @lovelivelaughlife5861 5 ปีที่แล้ว +7

    Sir aapki awaaz ithni achci hai ki bahot hi madhur lagtha hai,,,,bahot hi acha information hai,,,,Jai bhim 💙 💙💙

  • @truptitiwari6618
    @truptitiwari6618 7 ปีที่แล้ว +135

    chakravartin Ashok ki jay

    • @rplal3709
      @rplal3709 7 ปีที่แล้ว

      Trupti Tiwari
      .

    • @aryawartaabhishek6654
      @aryawartaabhishek6654 3 ปีที่แล้ว +1

      Yahi log ashok kay namm par sanatan ko gali detya hai
      Ram ko ramayan ko kalpnik batatya hai
      Brahman ny buddh dharm khatam kiya
      Sarya st sc obc Buddhist thay
      Braham, Rajput aur vaishya ny inko mar kar hindu banaya
      Yahi log boltya hai ayodhya kalpnik hai
      Shree Ram nahi gautam buddh ki sakat nagri hai.
      Sirf iss video my Hindu ko gali nahi di Inn logo ny

    • @akhilbharatiyaambedkarkaly3560
      @akhilbharatiyaambedkarkaly3560 3 ปีที่แล้ว

      Hi

    • @aquibhyaat3385
      @aquibhyaat3385 3 ปีที่แล้ว

      गौर किया जाए कि सम्राट अशोक एक राजपूत था। और बुद्ध धर्म राजपूतों का धर्म था। बुद्ध ने कोई घर संसार नहीं छोड़ा था जैसा कि बताया जाता है। गौतम बुद्ध को यह बात हृदय पर चुभती थी कि सिंहासन पर बैठे राजपूत नरेश अशोक, बौद्ध धर्म के नियंत्रण में ना होकर ब्राह्मण पुरोहित बाद के नियंत्रण में क्यों है।
      बौद्ध धर्म अपने उभार के मात्र 10 वर्ष के बाद ही प्रतिक्रिया की लपेट में आ गया। ना तो उसने दास प्रथा ही तोड़ सका और ना राज्यों को टूटने से ही बचा सका।
      ब्राह्मण पुरोहितवाद किसी भी कीमत पर नहीं चाहता था कि बौद्ध धर्म राजकीय धर्म बने। लेकिन ब्राह्मणों को डर सता रहा था। वह इसलिए क्योंकि राजा भी राजपूत था और बुद्ध धर्म भी राजपूतों का धर्म था।
      यह हाल बिल्कुल ऐसा था मानो आपकी पत्नी किसी और से मुंह मरा रही हो और आपको गुस्सा चढ़ रहा हो। यही गुस्सा बौद्ध धर्म को अशोक से था जिसने घर के धर्म को छोड़कर ब्राह्मणों के धर्म को महत्व दिया हुआ था।
      बहरहाल, एक ऐसा दिन भी आया जब अशोक को कलिंग के युद्ध के बाद बदनाम होना पड़ा। ब्राह्मण पुरोहितवाद के इशारे पर ही यह युद्ध लड़ा गया था, वह इसलिए क्योंकि उन दिनों उड़ीसा का अधिकांश क्षेत्र ब्राह्मण पुरोहितवाद के नियंत्रण में नहीं था और वहां मंदिरों का विस्तार करके लोगों को धार्मिक नियंत्रण में कसना आवश्यक हो गया था।
      राजनीति का परिदृश्य बदलता रहा है लेकिन राजनीतिक चालें किसी भी दौर में नहीं बदली। उन दिनों बौद्ध धर्म और ब्राह्मण पुरोहितवाद के बीच का झगड़ा आज के बीजेपी और कांग्रेस के बीच के झगड़े के समान है।
      कलिंग युद्ध और साम्राज्य विस्तार के बाद, अशोक भारतवर्ष में बदनाम हो गया। श्रेष्ठियों ने उसे आगे युद्ध के लिए धन देना बंद कर दिया। जनता अब ऐसे राजा को पसंद नहीं करने लगी जो हिंसा के लिए बदनाम हो चुका था।
      अब ब्राह्मण पुरोहितवाद के ही इशारे पर, अशोक बौद्ध धर्म के शरण में आ गया। चुंकि बौद्ध धर्म तो अहिंसा के लिए प्रसिद्ध था, इसलिए क्रूर राजा को इस धर्म में शरण पाते देख जनता का आक्रोश बहुत हद तक कम हो गया। और इस तरह "सहसा हृदय परिवर्तन" हो जाना घोषित करवा कर यह प्रचारित करवा दिया गया कि अशोक को बौद्ध धर्म से सच्चा ज्ञान प्राप्त हो गया है और अब वह क्रूरता के मार्ग पर नहीं चलेगा, जो एक कूटनीतिक अनिवार्यता थी। और वैसे भी, लंबे इंतजार के बाद, बड़ी मुश्किल से बौद्ध धर्म ने राजा को अपने नियंत्रण में लिया था। इस कसाव और पकड़ को वह ढीला नहीं छोड़ना चाहता था। और इस तरह बौद्ध धर्म अशोक को राजनीतिक संकट से उबार कर राजधर्म पाने का इनाम पा गया। इसीलिए तो शक्ति ग्रहण करने के तत्पश्चात ही बौद्ध धर्म के ही इशारे पर कई ब्राह्मणों की हत्या की गई। जो कि खैर बहुत जरूरी भी थी। लेकिन आज स्थिति यह है कि इसी भूमि पर उपजे बौद्ध धर्म ब्राह्मण पुरोहितवाद से लंबी लड़ाई के बाद यहां से छिटक कर बाहर निकल गया और दूसरे देश का राष्ट्रीय धर्म बन गया। इसलिए जिन जिन देशों में बौद्ध धर्म है उन सभी देशों का भारत से झगड़ा है।
      बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अशोक भी ब्राह्मण पुरोहितवाद की नजरों में दुश्मन बन गया था। सभी मुख्य कारणों में, पहला कारण यह था अशोक ने राजकोष की मुद्रा का दुरुपयोग बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए किया। और दूसरा कारण यह था कि अशोक ने बौद्ध धर्म के इशारे पर ही साम्राज्य में ब्राह्मण कर्मचारियों की संख्या घटा दी थी

    • @aquibhyaat3385
      @aquibhyaat3385 3 ปีที่แล้ว

      @@aryawartaabhishek6654 गौर किया जाए कि सम्राट अशोक एक राजपूत था। और बुद्ध धर्म राजपूतों का धर्म था। बुद्ध ने कोई घर संसार नहीं छोड़ा था जैसा कि बताया जाता है। गौतम बुद्ध को यह बात हृदय पर चुभती थी कि सिंहासन पर बैठे राजपूत नरेश अशोक, बौद्ध धर्म के नियंत्रण में ना होकर ब्राह्मण पुरोहित बाद के नियंत्रण में क्यों है।
      बौद्ध धर्म अपने उभार के मात्र 10 वर्ष के बाद ही प्रतिक्रिया की लपेट में आ गया। ना तो उसने दास प्रथा ही तोड़ सका और ना राज्यों को टूटने से ही बचा सका।
      ब्राह्मण पुरोहितवाद किसी भी कीमत पर नहीं चाहता था कि बौद्ध धर्म राजकीय धर्म बने। लेकिन ब्राह्मणों को डर सता रहा था। वह इसलिए क्योंकि राजा भी राजपूत था और बुद्ध धर्म भी राजपूतों का धर्म था।
      यह हाल बिल्कुल ऐसा था मानो आपकी पत्नी किसी और से मुंह मरा रही हो और आपको गुस्सा चढ़ रहा हो। यही गुस्सा बौद्ध धर्म को अशोक से था जिसने घर के धर्म को छोड़कर ब्राह्मणों के धर्म को महत्व दिया हुआ था।
      बहरहाल, एक ऐसा दिन भी आया जब अशोक को कलिंग के युद्ध के बाद बदनाम होना पड़ा। ब्राह्मण पुरोहितवाद के इशारे पर ही यह युद्ध लड़ा गया था, वह इसलिए क्योंकि उन दिनों उड़ीसा का अधिकांश क्षेत्र ब्राह्मण पुरोहितवाद के नियंत्रण में नहीं था और वहां मंदिरों का विस्तार करके लोगों को धार्मिक नियंत्रण में कसना आवश्यक हो गया था।
      राजनीति का परिदृश्य बदलता रहा है लेकिन राजनीतिक चालें किसी भी दौर में नहीं बदली। उन दिनों बौद्ध धर्म और ब्राह्मण पुरोहितवाद के बीच का झगड़ा आज के बीजेपी और कांग्रेस के बीच के झगड़े के समान है।
      कलिंग युद्ध और साम्राज्य विस्तार के बाद, अशोक भारतवर्ष में बदनाम हो गया। श्रेष्ठियों ने उसे आगे युद्ध के लिए धन देना बंद कर दिया। जनता अब ऐसे राजा को पसंद नहीं करने लगी जो हिंसा के लिए बदनाम हो चुका था।
      अब ब्राह्मण पुरोहितवाद के ही इशारे पर, अशोक बौद्ध धर्म के शरण में आ गया। चुंकि बौद्ध धर्म तो अहिंसा के लिए प्रसिद्ध था, इसलिए क्रूर राजा को इस धर्म में शरण पाते देख जनता का आक्रोश बहुत हद तक कम हो गया। और इस तरह "सहसा हृदय परिवर्तन" हो जाना घोषित करवा कर यह प्रचारित करवा दिया गया कि अशोक को बौद्ध धर्म से सच्चा ज्ञान प्राप्त हो गया है और अब वह क्रूरता के मार्ग पर नहीं चलेगा, जो एक कूटनीतिक अनिवार्यता थी। और वैसे भी, लंबे इंतजार के बाद, बड़ी मुश्किल से बौद्ध धर्म ने राजा को अपने नियंत्रण में लिया था। इस कसाव और पकड़ को वह ढीला नहीं छोड़ना चाहता था। और इस तरह बौद्ध धर्म अशोक को राजनीतिक संकट से उबार कर राजधर्म पाने का इनाम पा गया। इसीलिए तो शक्ति ग्रहण करने के तत्पश्चात ही बौद्ध धर्म के ही इशारे पर कई ब्राह्मणों की हत्या की गई। जो कि खैर बहुत जरूरी भी थी। लेकिन आज स्थिति यह है कि इसी भूमि पर उपजे बौद्ध धर्म ब्राह्मण पुरोहितवाद से लंबी लड़ाई के बाद यहां से छिटक कर बाहर निकल गया और दूसरे देश का राष्ट्रीय धर्म बन गया। इसलिए जिन जिन देशों में बौद्ध धर्म है उन सभी देशों का भारत से झगड़ा है।
      बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अशोक भी ब्राह्मण पुरोहितवाद की नजरों में दुश्मन बन गया था। सभी मुख्य कारणों में, पहला कारण यह था अशोक ने राजकोष की मुद्रा का दुरुपयोग बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए किया। और दूसरा कारण यह था कि अशोक ने बौद्ध धर्म के इशारे पर ही साम्राज्य में ब्राह्मण कर्मचारियों की संख्या घटा दी थी।

  • @tenzind4175
    @tenzind4175 2 ปีที่แล้ว +2

    King of all kings ..the greatest King
    Chakravati Samrat Ashoka ko sadh sadh Naman ❤🙏🙏🙏

  • @hdvaza5096
    @hdvaza5096 4 ปีที่แล้ว +4

    The great king of India, no one king has done this much work for their population, and they given scientific dhamma knowledge to their population and shown pity on animals also , the great ashok

  • @kushwahasarkar8229
    @kushwahasarkar8229 3 ปีที่แล้ว +4

    Duniya k sabse great king samrat ashoka ki jay ho 🙏🙏🙏🙏

  • @ShrawanSaazOfficial
    @ShrawanSaazOfficial 3 ปีที่แล้ว +4

    बहुत सुन्दर

  • @storieskathiksiddhkb6298
    @storieskathiksiddhkb6298 3 ปีที่แล้ว +1

    बोहोत बडीया बताया है यार ...❤️😃

  • @savitakathane8197
    @savitakathane8197 3 ปีที่แล้ว +8

    I respect samrat ashok and his social work

  • @VijaySingh-mn8zw
    @VijaySingh-mn8zw 3 ปีที่แล้ว

    आपने सम्राट अशोक के जीवन, राज व्यवस्था और बौद्ध धर्म में चक्रवर्ती सम्राट की रुचि से लेकर दुनिया में उसे फैलाने की सार्थक जानकारी आपके वीडियो से मिली आपका आभार, साधुवाद 🙏🙏 आप इसी तरह की और औथेन्टिक जानकारी सम्राट अशोक के जीवन चरित्र के वारे में देते रहेंगे ऐसी आशा करता हूँ

  • @sanjaymaurya815
    @sanjaymaurya815 6 ปีที่แล้ว +10

    Jai samrat Ashok Mahan
    Jai mauryvanc
    Jai bharat

  • @EnglishSpeakingByAnilSir
    @EnglishSpeakingByAnilSir 2 ปีที่แล้ว +1

    सम्राट अशोक महान की कल्याणकारी नीतियों से विश्व में शांति और सौहार्द्र स्थापित किया जा सकता है 🙏🙏 जय अशोक जय भारत

  • @DharmendraSingh-ht5cv
    @DharmendraSingh-ht5cv 5 ปีที่แล้ว +15

    Ashok was a great emperor

  • @jayshankar375
    @jayshankar375 ปีที่แล้ว

    भारत के दो हिंदू राजे...
    १.सम्राट अशोक
    २.छत्रपती शिवाजी महाराज
    जय हिंद 🚩

  • @arvindsinghkuswaha4278
    @arvindsinghkuswaha4278 7 ปีที่แล้ว +35

    maharaja asok ki jai

  • @renwatmeghwal6563
    @renwatmeghwal6563 ปีที่แล้ว

    सेल्यूट है आवाज इंडिया को ❤️

  • @itrocks377
    @itrocks377 4 ปีที่แล้ว +4

    Dhany h oo maati jisne aise veer ko janama.🙏🙏 Great samrat Ashok ji ki jai ho

  • @शिवराममीनाशिवराममीनासिंगर

    धन्य है वो भारत मा जिन्होंने अपनी कोख से एसे वीरो को जन्म दिया है

  • @dharmendra629
    @dharmendra629 7 ปีที่แล้ว +61

    Samrat Ashok ki Jay.
    Namo Buddhay.

    • @qweqwe1870
      @qweqwe1870 3 ปีที่แล้ว

      Ashok ek hindu raja tha usne buddhism apnaya nahi uska parchaar

  • @ShakyaBrother
    @ShakyaBrother ปีที่แล้ว +1

    Jai ho samrat ashok mahan ki ❤❤❤❤❤❤🎉🎉🎉❤❤