कोई भी शिक्षक खुश नहीं है किसी को मनपसंद जगह नहीं मिल रहा है हम सब इस नियमावली के विरोध हैं एक बड़े आंदोलन की जरूरत है वेतन दे ही दे और परिवार भूखे मर जाए दूर दराज जाने पर खर्च भी तो ज्यादा है बूढ़े मां पिता को छोड़कर कैसे कोई शिक्षक खुश रहेगा और खुशी से पढ़ाएगा।😢
क्या महिलाओं का वेतन कम मिलता है , जो उन्हें इतना सुविधा मिल रहा है जबकि उनके पति का भी आमदनी है, पर पुरुष शिक्षक अकेला कमाता है और पूरे परिवार की जिम्मेवारी उन पर होती है, फिर भी उनके साथ ऐसा व्यवहार क्यों ?
सभी पुरुष शिक्षकों को भी पंचायत के विकल्प देने का अवसर दिया जाना चाहिए पहले हमलोग दक्षता पास किए फिर सक्षमता 20 वर्षों तक सेवा देने के बावजूद आज तक पूर्ण वेतनमान देने की घोषणा नहीं जबकि बिना कोई परीक्षा के अनुकंपा और 34540 कोटि के शिक्षकों को अपने आस पास पोस्टिंग के साथ- साथ सभी सुविधा दे रही है यदि सरकार वास्तविक रूप से गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पर फोकस करने की ईच्छा रखती है तो इन शिक्षकों का भी सक्षमता परीक्षा लेके देख ले सरकार को पता चल जाएगा दूध का दूध और पानी का पानी
कुछ नहीं होगा 😂😂 गर्मी की छुट्टी, समय सारिणी, त्यौहार की छुट्टी पर भी हंगामा मचा था.. लेकिन क्या हुआ घंटा 😂😂 शिक्षा विभाग अपने मन से काम कर रही है.. शिक्षक नेताओं को कुछ बुझते ही नहीं हैं 😂
शिक्षा विभाग का नाम बदल कर समस्या उत्पादन विभाग रख देना चाहिए। जो काम बिना तामझाम के हो सकता है वो काम भी इतना पेचीदा कर दिया जाता है कि सभी काम करने वाले जूझते रहे।
पुरुषों को उनके घर का ऑप्शन होना चाहिए जिससे कि उन्हें घर से बाहर न निकलना पड़े और वो वही से घर का सारा काम करे, दुकान चलाए, खेतीबाड़ी करे, खेत पटाए और जो समय बच जाए उसमें स्कूल में अपना मनमानी करें,बिक छांटे उसके बाद बच्चों को पढ़ाए। ये सबसे बढ़िया रहेगा। शिक्षा विभाग से अनुरोध है कि इसपर विचार करे। नियोजित शिक्षकों के लिए आम जनता के मन में क्या छवि है सबलोग जानते है।
पूर्व ACS के द्वारा बनाए गए नियमावली में जो शर्त लिखा था , वर्तमान ACS के द्वारा उसके विरुद्ध अलग नियम का पालन करवाना चाह रहा है। सवाल यह है कि दोनों ACS में शिक्षा के हित में कौन सही है और कौन गलत ? क्योंकि एक हीं नियमावली में दो ACS का दो अलग-अलग नियम क्यों ? यदि पूर्व ACS गलत है तो उनके द्वारा निर्गत इस नियमावली द्वारा अब तक की सारी प्रक्रियागत परीक्षा और उसके परिणाम को निरस्त कर देना चाहिए।
Home पंचायत और Posting वाले नियोजन इकाई को छोड़ कर नजदीक के अन्य पंचायतों में सभी (महिला /पुरुष) शिक्षकों का Transfer पोस्टिंग विभाग द्वारा किया जाय..... ताकि शिक्षक बिना किसी थकान के बच्चों को बेहतर शिक्षा दे सके....... Because, a healthy mind remains in a healthy body...
अन्य राज्य कर्मी को प्रखण्ड मुख्यालय तक ही ट्रांसफर किया जाता है। जब की शिक्षक को पंचायत के अंतिम छोड़ पर जाना होता है। जहां यातायात की असुविधा होती है भाड़े का मकान उपलब्ध नहीं होता है। इसलिए अन्य राजकर्मी से शिक्षक का तुलना करने से पहले एक बार जरूर सोचना चाहिए। अरुण ठाकुर जी आप इस तरह से रिपोर्टर को समझाए।
*बिहार के सभी पुरुष शिक्षकों के लिए अनुमंडल का जिक्र को नियमावली से हटाकर अनुमंडल के जगह प्रखंड होना चाहिए। बिहार के सभी पुरुष शिक्षकों को आवंटित जिला में प्रखंड का ऑप्शन मिलना चाहिए।माननीय ए सी एस एस सिद्धार्थ एवं माननीय शिक्षा मंत्री सर से सिर्फ यही संशोधन करने के अपील करता हूं।*
शिक्षा विभाग ने जिस नियमावली के आधार पर परीक्षा लिया और result दिया और result card में जिला भी allot कर दिया, alloted जिला में document verification भी हुआ, उस नियमावली से सारे शिक्षक सहमत होकर ही परीक्षा दिए थे।सारे शिक्षक खुश थे कि अब राज्यकर्मी बन जाएंगे। लेकिन एन वक्त पर सारे नियम बदल दिए गए जिससे कोई भी शिक्षक खुश नहीं हैं। विभाग ने शिक्षकों के साथ धोखा किया है। एक बार गेम ऑन हो जाने के बाद नियम बदलना सही है क्या?
तथाकथित शिक्षक नेता लोग देख लीजिए. कोर्ट जाने पर क्या होगा? मनपसंद जिले में तबादला शिक्षकों का मूल अधिकार नहीं प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि स्थानांतरण नीति प्रशासनिक होती है। यह कोई वैधानिक प्रावधान नहीं, जिसे न्यायालय से लागू कराया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी को मनपसंद जिले में स्थानांतरण का मूल अधिकार नहीं है। इसी के साथ कोर्ट ने प्रधानाध्यापिकाओं का अंतर्जनपदीय स्थानांतरण निरस्त करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है। तब तक हस्तक्षेप नहीं, जब तक मनमानी न होः यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने श्रद्धा यादव, मिथिलेश यादव, मीनाक्षी गुप्ता और विवेक कुमार श्रीवास्तव व अन्य कई की याचिकाओं पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि न्यायालय स्थानांतरण नीति में सामान्यतया तब तक हस्तक्षेप नहीं करता, जब तक कि मनमानी न हो। कोर्ट ने स्थानांतरण नीति के खंड 5 को अधिक स्पष्ट करने पर बल दिया। मामले के तथ्यों के अनुसार अपर मुख्य सचिव ने दो जून 2023 को 2023-24 की अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नीति जारी की। याचियों ने ऑनलाइन आवेदन किया और उनके स्थानांतरण कर दिए गए लेकिन कार्यमुक्त नहीं किया गया। इस पर याचिकाएं की गई। बेसिक शिक्षा परिषद ने स्थानांतरण निरस्त कर दिया। कहा गया कि याची पदोन्नत होकर प्रधानाध्यापक हो चुके हैं। जिन जिलों में इनका स्थानांतरण किया गया है, वहां इन्हीं के बैच के सहायक अध्यापक कार्यरत हैं। यदि याचियों का स्थानांतरण किया गया तो असहज स्थिति होगी। सहकर्मी के साथ असमंजसता के कारण कार्य करने में प्रतिकूलता होगी। ऐसे में यह नहीं कह सकते कि स्थानांतरण निरस्त करना न्यायसंगत नहीं है और स्थानांतरण निरस्त नहीं किया जा सकता। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। 2023 जून में अपर मुख्य सचिव ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नीति जारी की थी सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज की 20752 शिक्षकों का जिले में पारस्परिक तबादला प्रयागराज। छह महीने की कवायद के बाद परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों के 20752 शिक्षकों का जिले के अंदर पारस्परिक स्थानान्तरण हो गया। एक से दूसरे जिले (अंतर जनपदीय) पारस्परिक तबादले के लिए आवेदन करने वाले शिक्षकों को अभी इंतजार करना पड़ेगा। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने नौ जनवरी की तारीख में अंतः जनपदीय तबादला सूची जारी की है। सभी 75 जिलों में कुल 20752 शिक्षकों के तबादले को मंजूरी मिली है। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र की ओर से विकसित पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद जोड़ा बनाने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं को 11 से 13 जनवरी तक कार्यमुक्त एवं कार्यभार ग्रहण कराया जाएगा।
प्रखंड का option दिया जाय जो k k Pathak के जो नियमावली है उनको लागू करे।ये संकल्प कहीं से भी शिक्षकों के हित में नहीं है ।सिर्फ और सिर्फ राशुखदारों के परिवारवालों को व्यक्तिगत लाभ के लिए बनाया गया है।।
ऐसी सूचना प्राप्त हुई है की ट्रांसफर पॉलिसी में जो जो अभ्यर्थी जिस जिस पंचायत का या अनुमंडल का चुनाव किए थे वह ऑटोमेटिक चेंज हो गया है कृपया अपना जांच कर ले।
राज्य कर्मी का दर्जा देने के साथ साथ सर्विस कंटिन्यूटी देना तार्किक और न्याय संगत है । पुरानी नौकरी से इस्तीफा लेकर न्यू अपॉइंटमेंट देना और इस प्रकार अधिकारों से वंचित करना किसी भी तरह से सही नहीं है।
जिला आवंटित करके, अब गृह अनुमंडल का त्याग कर अन्य दस अनुमंडल का ऑप्शन मांगना अन्यायपूर्ण है । एकल अनुमंडल वाले जिला के विशिष्ट शिक्षक , नई स्थानान्तरण नीति के कारण अपने जिला को छोड़कर अन्य 5-6 जिला जाने को मजबूर हो गए हैं । जबकि सक्षमता उत्तीर्णता प्रमाण पत्र सह अंक पत्र में आवंटित जिला ( ALLOTTED DISTRICT ) स्पष्ट रूप से अंकित है ।
सर सेंट्रल या स्टेट गवर्मेंट जब अपने अनुसार ट्रांसफर या पोस्टिंग करती है तो उसके लिए एक्स्ट्रा अलाउंस जैसे एक्स्ट्रा लीव मूव शिफ्टिंग भत्ता इत्यादि का लाभ के साथ ट्रांसफर पोस्टिंग करती है। यहां टीचर को HRA १०००/ में माता पिता पत्नी बच्चे के लिए कहा किराए का मकान मिलेगा।सरकार को ट्रांसफर पोस्टिंग प्लान से पहले HRA को रिवाइज करे फिर ट्रांसफर करना चाहिए।
मतलब विशिष्ट शिक्षकों को केवल bpsc school teachers से चिढ़ हैं.16-17 सालों से एक ही जगह बने है अपना साम्राज्य कायम कर लिए है. इन्हे अपने जगह से हटाना मुश्किल हैं
कुछ अधिक अंक वाले को पसंद का दूसरा जिला आवंटित किया गया है और कम अंक वाले को पसंद के प्रथम जिला को आवंटित किया गया है।इसलिए यह आवंटित प्रक्रिया ही गलत है।
Government decision should be for betterment. The motto should be welfare and not wilful harassment. This important issue will impact the whole society.
ये सरकार विशिष्ट शिक्षकों को झांसा दी की पहली बार में परीक्षा देंगे और अच्छा मार्क्स आएगा तो शहरी क्षेत्र देंगे लेकिन अपने आका के चरित्र की तरह ऐन मौके पर पलट गई और अनुमंडल अनुमंडल खेलने लगी l द्वेषपूर्ण व्यवहार है सरकार का l
एग्जाम पास के बढ़ नियोजित टीचर को जो जिला मिला है उसी जिला में पोस्टिंग होना चाहिए दूसरी बात अभी जो लोग फॉर्म भर रहे है उसमे महिला और बीपीएस टीचर, aane वाले चुनाव में नितीश सरकार को रुला देंगे, ये सरकार अंग्रेज के तरह खून पि रहे है टीचर का, गृह प्रखंड छोड़कर जिला में मेरिट के हिसाब से विद्यालय देना चाहिए
न्याय की आख़िरी उम्मीद पटना हाइ कोर्ट
कोई भी शिक्षक खुश नहीं है
किसी को मनपसंद जगह नहीं मिल रहा है
हम सब इस नियमावली के विरोध हैं
एक बड़े आंदोलन की जरूरत है
वेतन दे ही दे और परिवार भूखे मर जाए
दूर दराज जाने पर खर्च भी तो ज्यादा है बूढ़े मां पिता को छोड़कर कैसे कोई शिक्षक खुश रहेगा और खुशी से पढ़ाएगा।😢
सभी पुरुष शिक्षक को होम प्रखंड छोड़कर अन्य तीन प्रखंड या पंचायत का ऑप्शन दें
Galat, home block q nhi
केवल और केवल पंचायत विकल्प मांगना चाहिए
सभी शिक्षकों को तीन प्रखंड का विकल्प किया जाए।
NEP मे शिक्षकों को विद्यालय के पास हीं आवास उपलब्ध कराने की बात है तो क्या बिहार सरकार आवास उपलब्ध करा रही है क्या?
अत्याचार के खिलाफ आवाज
One of best speech ....revolutionary Salam..
Keep it up
नेता जी आपने कहा कि ट्रांसफर नीति से BPSC शिक्षक खुश है, बिल्कुल गलत है।
BPSC शिक्षक भी नाखुश हैं।
Bpsc खुश hai
बिल्कुल बीपीएससी वाले भी खुश नहीं है
Hum v khush nhi hai...home aur posting dono subdiv. Band kr diya h@@nanduupwan8454
हम भी BPSC से है हम भी नाखुश है भाई@@nanduupwan8454
Bpsc teacher khush hai hmlog ghar ke pass chale jaayenge
क्या महिलाओं का वेतन कम मिलता है , जो उन्हें इतना सुविधा मिल रहा है जबकि उनके पति का भी आमदनी है, पर पुरुष शिक्षक अकेला कमाता है और पूरे परिवार की जिम्मेवारी उन पर होती है, फिर भी उनके साथ ऐसा व्यवहार क्यों ?
जिनका दो दो आमदनी है वी एक पंचायत में और जिसका एक है वो जिला बदर।वाह रे न्याय और वाह रे सिद्धार्थ जी।
आपकी बात 1000%सही है
सही पकड़े हैं।
ऐच्छिक ट्रांसफर होना चाहिए।
सभी पुरुष शिक्षकों को पंचायत या प्रखंड का ऑप्शन मिलना चाहिए।
Sirf 10 school ka choice hona chahiye
तो फिर महिलाओ को 10 विद्यालय का विकल्प होना चाहिए।
रोजी रोटी का सवाल है इसलिए फॉर्म भर देगा परन्तु सभी जिला बदर से भाषा प्रोब्लम होगा अभी bpsc से यूपी का टीचर टिक से बच्चे को संभाल नहीं पा रहे है
सक्षमता पास शिक्षकों को अनुमंडल के जगह प्रखंड का विकल्प देना चाहिए l
चुकि सक्षमता पास शिक्षकों को जिला alloted किया गया है
कोर्ट जल्द जाना चाहिए।
सभी पुरुष शिक्षकों को भी पंचायत के विकल्प देने का अवसर दिया जाना चाहिए पहले हमलोग दक्षता पास किए फिर सक्षमता 20 वर्षों तक सेवा देने के बावजूद आज तक पूर्ण वेतनमान देने की घोषणा नहीं जबकि बिना कोई परीक्षा के अनुकंपा और 34540 कोटि के शिक्षकों को अपने आस पास पोस्टिंग के साथ- साथ सभी सुविधा दे रही है यदि सरकार वास्तविक रूप से गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पर फोकस करने की ईच्छा रखती है तो इन शिक्षकों का भी सक्षमता परीक्षा लेके देख ले सरकार को पता चल जाएगा दूध का दूध और पानी का पानी
कोर्ट मे कल ही जाना चाहिए
Tayyer है 94 बैच ,34540, और tre 1 और 2 आप लोग तो सक्षमता का भी विरोध किए फिर जाकर मामूली question diya
वाह re पॉलिसी,एक शिक्षक जो ऐक्षिक दूसरे को जबरदस्ती क्या घोटाला हैं।❤
कुछ नहीं होगा 😂😂
गर्मी की छुट्टी, समय सारिणी, त्यौहार की छुट्टी पर भी हंगामा मचा था.. लेकिन क्या हुआ घंटा 😂😂
शिक्षा विभाग अपने मन से काम कर रही है.. शिक्षक नेताओं को कुछ बुझते ही नहीं हैं 😂
मुँह चियार ठीक गाड़ चियार ठीक ना वही हाल है तुम्हारा
शिक्षा विभाग का नाम बदल कर समस्या उत्पादन विभाग रख देना चाहिए। जो काम बिना तामझाम के हो सकता है वो काम भी इतना पेचीदा कर दिया जाता है कि सभी काम करने वाले जूझते रहे।
गृह प्रखण्ड को छोड़कर अन्य प्रखण्ड का आपशन देना सही होगा क्यों कि दो प्रखण्ड के बीच की दूरी 15-20 KM से अधिक हो जाती है
वाह सर मस्त आपने दिल की बात बोल दिए❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Bilkul sahi bola hai,
पुरुषों को उनके घर का ऑप्शन होना चाहिए जिससे कि उन्हें घर से बाहर न निकलना पड़े और वो वही से घर का सारा काम करे, दुकान चलाए, खेतीबाड़ी करे, खेत पटाए और जो समय बच जाए उसमें स्कूल में अपना मनमानी करें,बिक छांटे उसके बाद बच्चों को पढ़ाए।
ये सबसे बढ़िया रहेगा। शिक्षा विभाग से अनुरोध है कि इसपर विचार करे।
नियोजित शिक्षकों के लिए आम जनता के मन में क्या छवि है सबलोग जानते है।
नीतीश मंत्रिमंडल के मंत्रियों और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को पोलियो हो गया है।
जय शिक्षाविदों हम सब भी तन,मन,धन से साथ हैं | जय हिन्द ❤
Bilkul shi kr rhe hai sir
सराहनीय प्रयास
Bilkul cace honi chahiye
अनुमंडल की जगह पर 10 ब्लॉक का ऑप्शन होना चाहिए।
अनुमंडल वाला विकल्प हटना chahiye सबके लिए, bpsc के लिए भी
हमें ब्लॉक का ऑप्शन चाहिए चाहे जैसे भी हो
जय हो किशनगंज के लाल
गृह प्रखंड में महिला पुरुष शिक्षकों का बिल्कुल भी ट्रांसफर नहीं होना चाहिए बल्कि 3 प्रखंड का ऑप्शन मांगकर उसी में पोस्टिंग मिलना चाहिए
शिक्षक एकता जिंदाबाद। शिक्षको के साथ न्याय हो।
लोकल शिक्षकों से दूर के शिक्षक परेशान है अतः सरकार का कदम उचित है
एक बार बिहार में ऐच्छिक ट्रांसफर होना चाहिए ❤
कोट भी अब कोठा हो गया इसलिए वहां भी न्याय सरकार के पक्ष में ही मिलेगा।
जिस नियमावली के अनुसार परीक्षा लिया गया और जिला एलाट किया गया उसी के अनुसार पोस्टिंग होना चाहिए। अनुमंडल की जगह प्रखंड होना चाहिए।
पूर्व ACS के द्वारा बनाए गए नियमावली में जो शर्त लिखा था , वर्तमान ACS के द्वारा उसके विरुद्ध अलग नियम का पालन करवाना चाह रहा है।
सवाल यह है कि दोनों ACS में शिक्षा के हित में कौन सही है और कौन गलत ?
क्योंकि एक हीं नियमावली में दो ACS का दो अलग-अलग नियम क्यों ?
यदि पूर्व ACS गलत है तो उनके द्वारा निर्गत इस नियमावली द्वारा अब तक की सारी प्रक्रियागत परीक्षा और उसके परिणाम को निरस्त कर देना चाहिए।
Home पंचायत और Posting वाले नियोजन इकाई को छोड़ कर नजदीक के अन्य पंचायतों में सभी (महिला /पुरुष) शिक्षकों का Transfer पोस्टिंग विभाग द्वारा किया जाय..... ताकि शिक्षक बिना किसी थकान के बच्चों को बेहतर शिक्षा दे सके.......
Because, a healthy mind remains in a healthy body...
रोज विद्यालय मे जबरन कोई न कोई प्रतियोगिता का नॉमिनेशन कराना या फॉर्म भरवना सर्ब शिक्षा अभियान है या शिक्षा सर्बनाश अभियान?
कुछ नियोजित शिक्षको के उदंडता के चलते यह समस्या उत्पन्न हुई है,,,
अन्य राज्य कर्मी को प्रखण्ड मुख्यालय तक ही ट्रांसफर किया जाता है। जब की शिक्षक को पंचायत के अंतिम छोड़ पर जाना होता है। जहां यातायात की असुविधा होती है भाड़े का मकान उपलब्ध नहीं होता है। इसलिए अन्य राजकर्मी से शिक्षक का तुलना करने से पहले एक बार जरूर सोचना चाहिए। अरुण ठाकुर जी आप इस तरह से रिपोर्टर को समझाए।
Arun Kumar & Vikram Mishra Sir Zabardast
*बिहार के सभी पुरुष शिक्षकों के लिए अनुमंडल का जिक्र को नियमावली से हटाकर अनुमंडल के जगह प्रखंड होना चाहिए। बिहार के सभी पुरुष शिक्षकों को आवंटित जिला में प्रखंड का ऑप्शन मिलना चाहिए।माननीय ए सी एस एस सिद्धार्थ एवं माननीय शिक्षा मंत्री सर से सिर्फ यही संशोधन करने के अपील करता हूं।*
नेता शिक्षक से अनुरोध है कि केवल bpsc शिक्षक को टारगेट न करें
जो जिला बदर हैं वही एप्लीकेशन डाले हैं
Bahut achhi vichar rakhe hai
हम आपके साथ हैं
कोई भी न्यूज चैनल वाले सरकार के गलत नीतियों के विरुद्ध आवाज नहीं उठाता क्यों?
शिक्षा विभाग ने जिस नियमावली के आधार पर परीक्षा लिया और result दिया और result card में जिला भी allot कर दिया, alloted जिला में document verification भी हुआ, उस नियमावली से सारे शिक्षक सहमत होकर ही परीक्षा दिए थे।सारे शिक्षक खुश थे कि अब राज्यकर्मी बन जाएंगे। लेकिन एन वक्त पर सारे नियम बदल दिए गए जिससे कोई भी शिक्षक खुश नहीं हैं। विभाग ने शिक्षकों के साथ धोखा किया है।
एक बार गेम ऑन हो जाने के बाद नियम बदलना सही है क्या?
गृह प्रखंड छोड़कर 3या5 प्रखंड का विकल्प मिलना चाहिए पुरुष शिक्षकों को
Jay ho
We are with you sir
बिहार को नौकरशाह चला रहा है ! पार्टी,विधायक सब जड़वत हो गया,सबको पोलियो हो गया है!
तथाकथित शिक्षक नेता लोग देख लीजिए. कोर्ट जाने पर क्या होगा?
मनपसंद जिले में तबादला शिक्षकों का मूल अधिकार नहीं
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि स्थानांतरण नीति प्रशासनिक होती है। यह कोई वैधानिक प्रावधान नहीं, जिसे न्यायालय से लागू कराया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी को मनपसंद जिले में स्थानांतरण का मूल अधिकार नहीं है। इसी के साथ कोर्ट ने प्रधानाध्यापिकाओं का अंतर्जनपदीय स्थानांतरण निरस्त करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है।
तब तक हस्तक्षेप नहीं, जब तक मनमानी न होः यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने श्रद्धा यादव, मिथिलेश यादव, मीनाक्षी गुप्ता और
विवेक कुमार श्रीवास्तव व अन्य कई की याचिकाओं पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि न्यायालय स्थानांतरण नीति में सामान्यतया तब तक हस्तक्षेप नहीं करता, जब तक कि मनमानी न हो। कोर्ट ने स्थानांतरण नीति के खंड 5 को अधिक स्पष्ट करने पर बल दिया।
मामले के तथ्यों के अनुसार अपर मुख्य सचिव ने दो जून 2023 को 2023-24 की अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नीति जारी की। याचियों ने ऑनलाइन आवेदन किया और उनके स्थानांतरण कर दिए गए
लेकिन कार्यमुक्त नहीं किया गया। इस पर याचिकाएं की गई। बेसिक
शिक्षा परिषद ने स्थानांतरण निरस्त कर दिया। कहा गया कि याची पदोन्नत होकर प्रधानाध्यापक हो चुके हैं। जिन जिलों में इनका स्थानांतरण किया गया है, वहां इन्हीं के बैच के सहायक अध्यापक कार्यरत हैं। यदि याचियों का स्थानांतरण किया गया तो असहज
स्थिति होगी। सहकर्मी के साथ असमंजसता के कारण कार्य करने में प्रतिकूलता होगी। ऐसे में यह नहीं कह सकते कि स्थानांतरण निरस्त करना न्यायसंगत नहीं है और स्थानांतरण निरस्त नहीं किया जा सकता। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
2023
जून में अपर मुख्य सचिव ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नीति जारी की थी
सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज की
20752 शिक्षकों का जिले में पारस्परिक तबादला
प्रयागराज। छह महीने की कवायद के बाद परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों के 20752 शिक्षकों का जिले के अंदर पारस्परिक स्थानान्तरण हो गया। एक से दूसरे जिले (अंतर जनपदीय) पारस्परिक तबादले के लिए आवेदन करने वाले शिक्षकों को अभी इंतजार करना पड़ेगा। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने नौ
जनवरी की तारीख में अंतः जनपदीय तबादला सूची जारी की है। सभी 75 जिलों में कुल 20752 शिक्षकों के तबादले को मंजूरी मिली है। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र की ओर से विकसित पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद जोड़ा बनाने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं को 11 से 13 जनवरी तक कार्यमुक्त एवं कार्यभार ग्रहण कराया जाएगा।
प्रखंड का option दिया जाय जो k k Pathak के जो नियमावली है उनको लागू करे।ये संकल्प कहीं से भी शिक्षकों के हित में नहीं है ।सिर्फ और सिर्फ राशुखदारों के परिवारवालों को व्यक्तिगत लाभ के लिए बनाया गया है।।
ऐसी सूचना प्राप्त हुई है की ट्रांसफर पॉलिसी में जो जो अभ्यर्थी जिस जिस पंचायत का या अनुमंडल का चुनाव किए थे वह ऑटोमेटिक चेंज हो गया है कृपया अपना जांच कर ले।
शिक्षक जब चिंता मुक्त और भय मुक्त नहीं होगा, तो समाज कैसे शिक्षित होगा।
Pichle 20 saal mai bhot ho gaya sir
18 saal se to kursi tode ab thoda kaam karna padega to pehle se sir dard chalu h
@@AbdulBasit-se1xkतुम दारी बिछाव तुम्हारी काम वहीं है यहाँ ज्ञान देने की जरूरत नहीं है 😂😂😂
@@yahiyamohsin3979 tum likhne sikho dari kaise likha jata h netagiri me bhool gaye ho
लिंग भेद नहीं होना चाहिए
लिंग भेद, जिला आवंटन, अधिक अंक वालों को शहर में पोस्टिंग,एक अनुमंडल वाले जिला, सेवा निरंतरता आदि प्रमुख बिंदु है जो नियम के विपरित है।
राज्य कर्मी का दर्जा देने के साथ साथ सर्विस कंटिन्यूटी देना तार्किक और न्याय संगत है । पुरानी नौकरी से इस्तीफा लेकर न्यू अपॉइंटमेंट देना और इस प्रकार अधिकारों से वंचित करना किसी भी तरह से सही नहीं है।
Teacher court jaye
जितने भी मंत्री है सब मुर्ख मंत्री है परिक्षा के रुटीन बनाते समय देखने की कोई जरूरत नहीं है कि उस दिन छुट्टी है या संडे।
पुरुष को भी पंचायत का विकल्प दिया जाय, आज के समय में लिंग के आधार पर भेद-भाव किया जाना गलत है।
जिला आवंटित करके, अब गृह अनुमंडल का त्याग कर अन्य दस अनुमंडल का ऑप्शन मांगना अन्यायपूर्ण है । एकल अनुमंडल वाले जिला के विशिष्ट शिक्षक , नई स्थानान्तरण नीति के कारण अपने जिला को छोड़कर अन्य 5-6 जिला जाने को मजबूर हो गए हैं ।
जबकि सक्षमता उत्तीर्णता प्रमाण पत्र सह अंक पत्र में आवंटित जिला ( ALLOTTED DISTRICT ) स्पष्ट रूप से अंकित है ।
10 अनुमंडल नही बल्कि कम से कम 3-4 अनुमंडल ही ऑप्शन में होना चाहिए था ताकि ज्यादा उम्र वाले शिक्षकों को समस्या बहुत ज्यादा नही झेलनी पड़ती...
❤Bahut hi achha Arun jee
यह नियमावली पुरुष शिक्षक से पूर्वाग्रह से ग्रसित है ।
Jo 1.25 lakh utha rahe unko dur bhejo kam vetan walo ko kyon
नेता जी को पिछले 10 वर्ष से यह समस्या नहीं दिख रहा था।
कम से कम 10000 केस फाइल होना चाहिए
Age badhen hamsab aap ke sath hai
OM Hari Jai NIOS Deled. 500crore par baat ho.
Arun sir thanks you
शाबाश किशनगंज के शेरों
अनुमंडल के जगह ब्लॉक ऑप्शन दिया जाए
सक्षमता पास शिक्षको को गृह जिले में ही पोस्टिंग मिलनी चाहिए।
अनुमंडल हटाओ, जल्दी से हटा दिया जाए।
सरकार जो भी करें समान करें महिला/ पुरुष क्यों कर रही है
मै आपके साथ है
सर
सेंट्रल या स्टेट गवर्मेंट जब अपने अनुसार ट्रांसफर या पोस्टिंग करती है तो उसके लिए एक्स्ट्रा अलाउंस जैसे एक्स्ट्रा लीव मूव शिफ्टिंग भत्ता इत्यादि का लाभ के साथ ट्रांसफर पोस्टिंग करती है। यहां टीचर को HRA १०००/ में माता पिता पत्नी बच्चे के लिए कहा किराए का मकान मिलेगा।सरकार को ट्रांसफर पोस्टिंग प्लान से पहले HRA को रिवाइज करे फिर ट्रांसफर करना चाहिए।
विकल्प के रूप में जब जिला मांगा गया तो फिर अन्य जिलों में पदस्थापन क्यों?
मतलब विशिष्ट शिक्षकों को केवल bpsc school teachers से चिढ़ हैं.16-17 सालों से एक ही जगह बने है अपना साम्राज्य कायम कर लिए है. इन्हे अपने जगह से हटाना मुश्किल हैं
कुछ अधिक अंक वाले को पसंद का दूसरा जिला आवंटित किया गया है और कम अंक वाले को पसंद के प्रथम जिला को आवंटित किया गया है।इसलिए यह आवंटित प्रक्रिया ही गलत है।
हे भगवान, अब नीतीश का अंत जल्दी करो
Hame saman kam ka saman veta'n sarkar se dilwa diya jay
Government decision should be for betterment. The motto should be welfare and not wilful harassment.
This important issue will impact the whole society.
ये सरकार विशिष्ट शिक्षकों को झांसा दी की पहली बार में परीक्षा देंगे और अच्छा मार्क्स आएगा तो शहरी क्षेत्र देंगे लेकिन अपने आका के चरित्र की तरह ऐन मौके पर पलट गई और अनुमंडल अनुमंडल खेलने लगी l
द्वेषपूर्ण व्यवहार है सरकार का l
एग्जाम पास के बढ़ नियोजित टीचर को जो जिला मिला है उसी जिला में पोस्टिंग होना चाहिए दूसरी बात अभी जो लोग फॉर्म भर रहे है उसमे महिला और बीपीएस टीचर, aane वाले चुनाव में नितीश सरकार को रुला देंगे, ये सरकार अंग्रेज के तरह खून पि रहे है टीचर का, गृह प्रखंड छोड़कर जिला में मेरिट के हिसाब से विद्यालय देना चाहिए
मास्टर साहब नौकरी करने आयें है तो Transfer posting के लिए तैयार रहना चाहिए।
Nitish & BJP ki sarkar hata do
सभी पुरुष शिक्षक को अपने जिला मैं होम प्रखंड को छोर कर बगल के प्रखंड में पोस्टिंग करे सरकार ।।
कोई भी शिक्षक इस पोस्टिंग से खुश नहीं है
गृह अनुमंडल और वर्तमान अनुमंडल को भी छोड़ कर। ये तो और भी बेकार है
ससुराल वाले अनुमंडल को छोड़ने का क्या तर्क है भाई 😂😂😂😂
EkdAm sahi
Quality education pe bat honi chahiye, timing private school ke jaisa hona chahiye,
महिला को भी भेजिए दूसरा अनुमंडल।सिर्फ पुरुष क्यों।
Bilkul Discrimination 🙏
ऐच्छीक ट्रांसफर होनी चाहिए नियोजित से Exclusive Teacher बने है.
पूर्व से जब जिला आबंटित दिया हुआ है ये बीच में इधर उधर करने का क्या औचित्य है।