save sparrow

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  • เผยแพร่เมื่อ 29 ก.ย. 2024
  • आज गौरैया दिवस
    20 मार्च
    गौरैया अर्थात घरेलू चिड़िया, नन्ही सी चिड़िया ।
    गौरैया जो हमारे बचपन की साथी रही है जब हम खाना खाते थे तो थाली में से रोटी ले जाया करती थी । लगभग हर घर में गौरैया के घोंसले हुआ करते थे और आंगन में इसके छोटे बच्चे घूमते रहते थे ।लेकिन आज स्थितियां अलग है । एक स्टडी के अनुसार गौरैया धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर पहुंच रही है ।
    ये चिड़िया जंगल में या पेड़ पर अपना घोंसला नहीं बनाती बल्कि मनुष्य के आसपास ही रहना पसंद करती है ।
    गौरैया अपना घोंसला मनुष्य के घर मैं उजालदान, खिड़कियों व अन्य जगहो पर रखती आई है,लेकिन आजकल आधुनिक डिजाइन मे मकान बन रहे हैं, उसमें इस चिड़िया को अपना घोंसला रखने की कहीं कोई जगह नहीं मिल रही है । मोबाइल टावर के रेडिएशन से भी इनको खतरा हुआ है । साथ ही कई शिकारी पक्षी भी इनके बच्चों को व अंडों को शिकार बनाते हैं। खेतों में कीटनाशकों के प्रयोग से इनको खाने की अनाज की समस्या पैदा हुई है । वर्तमान परिस्थितियां और मनुष्य की बेरुखी के कारण अब इस पक्षी को अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो रहा है।
    गौरैया हमारे पर्यावरण के लिए बहुत ही उपयोगी है अतः इसको बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है।
    मेरे घर में गौरैया के लिए नियमित रूप से दाना, पानी की व्यवस्था है, साथ ही दीवार पर स्पैरो हाउस भी तैयार कर लगाए गए हैं । उनको गौरैया ने पसंद किया और उनमें अपना घोंसला बनाकर उसने अंडे दिए हैं,अपने बच्चों को बड़ा किया है । अभी मेरे घर पर 13 स्पैरो हाउस दीवार पर लगाए हुए हैं और उसमें कई के अंदर गौरैया अपने घोंसले रख रही है।
    गौरैया के संरक्षण के लिए हम सभी को आगे आना होगा अपने घर पर इसके लिए दाना पानी और साथ में इसके लिए घर की भी व्यवस्था करनी होगी तभी हम इस बचपन के साथी को बचा सकेंगे और पर्यावरण के प्रति हमारी सच्ची जिम्मेदारी निभा सकेंगे।
    Save bird
    Save sparrow
    सुरेंद्र जांगिड़
    डिडवाना, लालसोट

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