बाप बडा़ न दादा, सबसे बडा़ रूपया। यह कहावत पहले गरीब पर लागू थी। पर वर्चस्व की लड़ाई में इस दिन को दिखाने वाले कैदी दादा को भी भूला दिया। जबकि ये सब चौटाला साहब किसके लिए करते थे। जनता भी भेड़ बन गयी और कटती जा रही है। क्योंकि शेर का जीवन सूअर नहीं जान सकते।
STAY FOODIE😋 STAY HEATHY💪🏻
बाप बडा़ न दादा, सबसे बडा़ रूपया। यह कहावत पहले गरीब पर लागू थी। पर वर्चस्व की लड़ाई में इस दिन को दिखाने वाले कैदी दादा को भी भूला दिया। जबकि ये सब चौटाला साहब किसके लिए करते थे। जनता भी भेड़ बन गयी और कटती जा रही है। क्योंकि शेर का जीवन सूअर नहीं जान सकते।
Yo to mota thapa lga diya dada ko, कुर्सी की चार टांग अलग अलग रहती हैं
Ye wahi h na jo india m covid k early time pr lockdown pr party or rha tha
most corrupt state
Bhai sahab sahi hai
Bhai sahab aapki party to kya aap ki party harne ki hai party party hai
Kya janta par goliya chalayi 1989(maham kand ) main or Khandela kand main, Janta zaruri nahi thi?
maja to tab aata jab dada ko thapa lagta
Ye sab toh dikhawa hai, election ke time par ek hone ka dhong karenge vote pane ke liye