व्रत लेना है तो श्री राम जैसा व्रत ले || By Anjali Arya Ji
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- เผยแพร่เมื่อ 9 มี.ค. 2023
- Anjali Arya Ji
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जय श्रीमन नारायण जय श्री कृष्णा
व्हेन विदुषी अंजली आर्य जी को मैं बहुत बहुत नमन प्रणाम करता हूं आपके द्वारा बताया है मनुष्य को व्रत किस प्रकार लेना चाहिए बहुत ही सुंदर तरीके से समझाया गया है व्यक्ति इस प्रकार के व्रत ले ले तो वह महान बन जाएगा आपकी वाणी में बहुत मधुरता है आपके द्वारा गया हुआ भजन में बहुत सुंदर है मैं आपको कोटि कोटि धन्यवाद देता हूं आप इसी प्रकार समाज के अंदर चेतन देते रहे आपके प्रवचन को सुनकर व्यक्ति सुधर सकता है और वह बुरे आदतों को छोड़कर एक अच्छा इंसान बन सकता धन्यवाद रमेश गर्ग शिवपुर
पुष्पक विमान का निर्माण भगवान् विश्व कर्मा ने किया प्रसंग अति उत्तम है। धन्यवाद। बहिनजी को सादर नमस्ते। ❤
जय श्रीराम जी 🚩
राम राज्य एक अनपम घटना। बालमीकि रामायण रचना। सिया राम पद पथ पर चलिए। संध्या हवन कर्म शुभ करिये। ऋषि दयानंद के गुण गाओ। सत्य सनातन धर्म बचाओ।। राम सिया राम बोलो राम सिया राम। ❤
Jay shree ram ji
ईश्वर सबका एक है। ईश्वर का कोई पंथ नही। ईश्वर सार्वभौमिक सत्ता है और सबका रचियता पालन करनेवाला है। पक्षपात ईश्वर का गुण नहीं। ओम् शान्ति। ❤
रामचन्द्र जी कृष्ण जी के आदर्शों पर क्यूं नहीं चल रहे हैं हम भारतीय।
जय हो आर्य समाज की
आर्य समाज सत्य का समर्थन करता है असत्य का नहीं। कौन कया लिखता है आर्य समाज का ठेका नहीं। सत्य का समर्थन करैं। असत्य का त्याग करैं। धन्यवाद। सादर नमस्ते। ओम् शान्ति। ❤
Ram Krishan Bharat ke rakshak ko khatam kiya ya urop america aadi ka mam Ji 🙏
Bahin ji apkey dwara Maha puran ramayan ka vishleshad bahut he sunder tarikey se bkarti ho ke lagta suntabhe rahun ati sunder bt kahi kahi apbuo prasang ko bhramit Kar deti ho apney kaha ki jatayuraj pakshhi nahi they to phir Bo kaun se ghatna thi jab jatayu aur sumpati Bali ke suryadev ki taraf dono bhaiyo ne udan bhari to jatayu to Surya ki tapis se vapas a Gaye lakin sampati ji hathi nahi maney to Surya bhagwan ki tapis ki bajay se unkey pankh Kal Gaye they to yahaun apney is prasung ka khandun pakshh aur vipaksh we Kiya to Kya Satya hai Devi ji Mai apki alochna nahi Kar Raha huan bus ye puchhna chaheta huan Kya Satya hai ya alag alag Katha bachak alag alag tarikey se prasung ko sunatey hai lakin puran to galat nahi ho saktey
Om Sadar Namaste Didi. Arya samaj ki jai. Maharishi dayananda ki jai...!!
चेतना नहीं तो खुद को नहीं पहचान पायेगे इसलिए कबीर जी सही है इस जगत में
Achary Anjali Bahen Sadare Namaste
Jai shree Ram
गजब , बहुत खूब बहन जी
Jai sir Ram
जय श्री राम
Jay Sri ram.
जय हो सन्त कबीर पंथ रैदास पंथ की
Ram ji ka vrat svikar kr ne se apna family k bich me Santi nhi hogi ld - bhid kr nst hona nischit hai.
Jai shree ram Chala chaheta huan comments karney to otherwis na Lena Jai Jai shree ram
Bhaut sunder
दसरथ की तीन पत्नियां
🙏🙏🙏🙏👌👌
कुछ परिभाषाएं : ---
(1) समाज --- आपस में मेलजोल में समानता लिए हुए को सामुहिक रूप से समाज कहते हैं।
(2) समुदाय --- कुछ समानता लिए हुए समाजों को सामुहिक रूप से समुदाय कहते हैं।
(3) सम्प्रदाय --- कुछ समानता लिए हुए समुदायों को सामुहिक रूप से सम्प्रदाय कहते हैं।
(4) धर्म -- प्रकृति के अनुसार आचरण करने को धर्म कहते हैं।
(5) सनातन -- जो हमेशा से था, है और रहेगा। जैसे ब्रह्माण्ड, समय, प्रकृति, ऊर्जा, ताप, प्रकाश, अंधेरा, धर्म आदि।
(6) आर्य -- मनुष्य प्रजाति के वे लोग जो प्रकृति के अनुकूल आचरण करते हैं अथवा आचरण करने की कोशिश करते हैं आर्य कहलाते हैं।
(7) आर्यवृत -- सम्पूर्ण पृथ्वी पर पाए जाने वाले आर्यों को सामुहिक रूप से आर्यवृत कहते हैं।
(8) हिन्दू -- हिमालय से लेकर समुन्द्र तक के क्षेत्र में रहने वाले आर्यों को हिन्दू कहते है।
(9) ईश्वर -- समस्त ऊर्जा व उसकी समस्त प्रक्रियाओं को संयुक्त रूप से ईश्वर कहते हैं।
(10) आत्मा -- जैविक ऊर्जा व उसकी समस्त प्रक्रियाओं को संयुक्त रूप से आत्मा कहते हैं।
(11) प्रकृति -- जो जिसका धर्म वही उसकी प्रकृति।
ऐसा क्यूं लिखा पशु,ढोल शुद्र, नारी तीनों ताड़न के अधिकारी क्या तुलसी दास पागल थे उस वक्त
आर्य समाज बताये कि क्या खीर खाने से बच्चे पैदा हो सकते है। आर्य समाज भी पाखण्ड से 2 कदम दूर है ज्यादा नहीं
दूसरा यह बताये सबकी सेवा का ठेका क्या औरत का ही है
जब औरत तकलीफ में हो तो आदमी भी पैर दबाये
Desh premi je aapko abhee Arya samaj ki aapko pure knowledge nhi hai. Maf karna.
ये अपने को क हती है आर्यसमाजी कथा कहती हैं पुराणों की जिसे स्वामी दयानंद जी ने पढ़ने योग्य पुस्तक नहीं है ऐसा अपने ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश में लिखा।
ये सब अपनी चेतना को नहीं जगाया और वह सती शक्ति राक्षस रावण को पहचानने में विफल रही इसीलिए हरण हुआ। पंडितों ने यह पहल क्यों नहीं बताया है।
Mi mi hy ni CT
Behenji namaste.