अपने जाने हुए असत्‌ के त्यागसे वर्तमानमें सिद्धि (19a) - Swami Sri Sharnanand Ji Maharaj

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  • เผยแพร่เมื่อ 31 ม.ค. 2025

ความคิดเห็น • 7

  • @gopalparivrajak4117
    @gopalparivrajak4117 3 ปีที่แล้ว +1

    Om

  • @nandrani5550
    @nandrani5550 3 หลายเดือนก่อน

    Adbut vani

  • @vedapurans5752
    @vedapurans5752 4 ปีที่แล้ว +1

    Hare Krishna

  • @santokakhazana-swamisharna8950
    @santokakhazana-swamisharna8950 ปีที่แล้ว

    *शरणानन्द जी की क्रांतिकारी विचारधारा में साधक को किसी के पदचिन्हों पर नहीं चलना है, अपितु निज विवेक के प्रकाश में रहना है अर्थात स्वाधीनता से अपनी आँखों देखना हैं, अपने पैरों चलना हैं।*

  • @rajugodara9933
    @rajugodara9933 6 ปีที่แล้ว

    jai shree Ram

  • @SwamiSharnanandJiMaharaj
    @SwamiSharnanandJiMaharaj  6 ปีที่แล้ว +2

    इसमें व्यर्थ-चिन्तन की समस्या आती है। जो आपके बिना किये हो रहा है, उसे होने दीजिये, आप विश्राम में रहिये।
    ऐसा नियम आरम्भ करने के बाद भी संकल्प पूर्ति के सुख एंव अपूर्ति के क्षोभ से आक्रान्त होते रहने के कारण व्यर्थ-चिन्तन बना रहता है। अतः इसका अतः करना होगा।

    • @karansharma6391
      @karansharma6391 2 ปีที่แล้ว

      Sir aap ise aasan bhasha me smjha skte hai?