हम एक उम्र इसी गम में मुब्तिला रहे थे 🥀 Tehzeeb Hafi 🥀 Hindi Mushaira 2021 🥀
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- เผยแพร่เมื่อ 4 ต.ค. 2024
- हम एक उम्र इसी गम में मुब्तिला रहे थे
वो सानहे ही नही थे जो पेश आ रहे थे
इसीलिए तो मेरा गाँव दौड़ में हारा
जो भाग सकते थे बैसाखियां बना रहे थे
वो काफ़िला तेरी बस्ती में रात क्या ठहरा
हर एक को अपने पसंदीदा ख़्वाब आ रहे थे
मैं जानता हूं तू उस वक्त भी नही था वहाँ
ये लोग जब तेरी मौजूदगी मना रहे थे
बगैर पूछे ब्याहे गये थे हम दोनों
कबूल कहते हुए होंठ थरथरा रहे थे
मैं घर में बैठ के पढता रहा सफर की दुआ
और उनके वास्ते जो मुझसे दूर जा रहे थे
तहज़ीब हाफी 🍁
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वाह वाह क्या बात है बहुत बढ़िया 👏👏
❤❤❤❤
Waah
Kon se aap se eiditg karte ho
Inshot Pro
Waah